Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [१२७-४] इसी प्रकार आहारकशरीर के विषय में भी जानना चाहिए। [५] कम्मगसरीरस्स किं बंधए, अबंधए ? गोयमा! बंधए, नो अबंधए। [१२७-५ प्र.] भगवन् ! (तैजसशरीर का बंधक जीव) कार्मणशरीर का बंधक है, या अबंधक है ? [१२७-५ उ.] गौतम! वह बंधक है, अबंधक नहीं है। [६] जइ बंधए किं देसबंधए, सव्वबंधए ? गोयमा! देसबंधए, नो सव्वबंधए। [१२७-६ प्र.] भगवन् ! यदि वह कार्मणशरीर का बंधक है तो देशबंधक है, या सर्वबंधक है ? [१२७-६ उ.] गौतम! वह देशबंधक है, सर्वबंधक नहीं है। १२८. जस्स णं भंते ! कम्मगसरीरस्स देसबंधए से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स. ?
जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्स वि भाणियव्वा जाव तेयासरीरस्स जाव देसबंधए, नो सव्वबंधए।
[१२८ प्र.] भगवन् ! जिस जीव के कार्मणशरीर का देशबंध है, भंते ! क्या वह औदारिकशरीर का बंधक है या अबंधक है?
[१२८ उ.] गौतम! जिस प्रकार तैजसशरीर की वक्तव्यता है, उसी प्रकार कार्मणशरीर की भी तैजसशरीर' की तरह देशबंधक है, सर्वबंधक नहीं है, तक कहना चाहिए। __'विवेचन—पांच शरीरों के एक-दूसरे के साथ बंधक-अबंधक की चर्चा-विचारणा–प्रस्तुत ९ सूत्रों (सू. १२० से १२८ तक) में औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण, इन पांचों शरीरों के परस्पर एक दूसरे के साथ बंधक, अबंधक तथा देशबंध-सर्वबंध की चर्चा-विचारणा की गई है।
पांच शरीरों के परस्पर बंधक-अबंधक-औदारिक और वैक्रिय, इन दो शरीरों का परस्पर एक साथ बंध नहीं होता, इसी प्रकार औदारिक और आहारकशरीर का भी एक साथ बंध नहीं होता। अतएवं औदारिकशरीरबंधक जीव वैक्रिय और आहारक का अबंधक होता है, किन्तु तैजस और कार्मणशरीर का औदारिकशरीर के साथ कभी विरह नहीं होता। इसलिए वह इनका देशबंधक होता है। इन दोनों शरीरों का सर्वबंध तो कभी होता ही नहीं।'
तैजस कार्मणशरीर का देशबंधक औदारिकशरीर का बंधक और अबंधक कैसे?—तैजसशरीर और कार्मणशरीर का देशबंधक जीव औदारिकशरीर का बंधक भी होता है, और अबंधक भी। इसका आशय यह है कि विग्रहगति में वह अबंधक होता है तथा वैक्रिय में हो या आहारक में, तब भी वह औदारिकशरीर का
१. भगवतीसूत्र. अ. वृत्ति, पत्रांक ४२३