Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अष्टम शतक : उद्देशक-८
देते हैं, इत्यादि यावत् अस्त होने के समय में दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं।
३६. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि य मज्झतियमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य सव्वत्थ समा उच्चत्तेणं ?
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हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेणं ।
[३६ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, उदय के समय में मध्याह्न के समय में और अस्त होने के समय में क्या सभी स्थानों पर (सर्वत्र) ऊँचाई में सम हैं ?
[ ३६ उ.] हाँ, गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में रहे हुए दो सूर्य ....... यावत् सर्वत्र ऊँचाई में सम हैं।
३७. जइ णं भंते ! जंबुद्वीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि य मज्झतियमुहुत्तंसि य अत्थमण मुहुत्तंसि जाव उच्चत्तेणं से केण खाइ अट्ठेणं भंते । एवं वुच्चइ 'जंबुद्दीवे' णं दीवे सूरिया उग्गमण मुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ?
गोयमा ! सापडघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, लेसाभितावेणं मज्झतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति, लेस्सापडिघाएणं अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - जंबुद्वीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमण जाव दीसंति ।
[ ३७ प्र.] भगवन् ! यदि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय, मध्याह्न के समय और अस्त के समय सभी स्थानों पर (सर्वत्र) ऊँचाई में समान हैं तो ऐसा क्यों कहते हैं कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, यावत् अस्त के समय में दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं ?
[ ३७ उ.] गौतम ! लेश्या (तेज) के प्रतिघात से सूर्य उदय के समय, दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं, मध्याह्न में लेश्या (तेज) के अभिताप से पास होते हुए भी दूर दिखाई देते हैं और अस्त के समय तेज के प्रतिघात से दूर होते हुए भी निकट दिखाई देते हैं। इस कारण हे गौतम! मैं कहता हूँ कि जम्बूद्वीप में दो सूर्य उदय के समय दूर होते हुए भी पास में दिखाई देते हैं, यावत् अस्त के समय दूर होते हुए भी पास में दिखाई देते
हैं ।
३८. जम्बुद्वीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुपन्नं खेत्तं गच्छंति, अणागयं खेत्तं गच्छंति ?
गोयमा ! णो तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुपन्नं खेत्तं गच्छंति, णो अणागयं खेत्तं गच्छति ।
[३८ प्र.] भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य, क्या अतीत क्षेत्र की ओर जाते हैं, वर्तमान क्षेत्र की और जाते हैं, अथवा अनागत क्षेत्र की ओर जाते हैं।
[ ३८ उ.] गौतम ! वे अतीत क्षेत्र की ओर नहीं जाते, वर्तमान क्षेत्र की ओर जाते हैं, अनागत क्षेत्र की ओर नहीं जाते हैं।