Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अष्टम शतक : उद्देशक-२
१०९. एवं जाव वीरियस्स लद्धी अलद्धी य भाणियव्वा। [१०९] इसी प्रकार यावत् वीर्यलब्धियुक्त और वीर्यलब्धि-रहित जीवों का कथन करना चाहिए। ११०. [१] बालवीरियलद्धियाणं तिण्णि नाणाई तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए। [११०-१] बालवीर्यलब्धियुक्त जीवों में तीन ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। [२] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। [११०-२] बालवीर्यलब्धि-रहित जीवों में पांच ज्ञान भजना से होते हैं। १११.[१] पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए। [१११-१] पण्डितवीर्यलब्धिमान् जीवों में पांच ज्ञान भजना से पाए जाते हैं। [२] तस्स अलद्धियाणं मणपज्जवनाणवजाइं णाणाई, अण्णाणाणि तिण्णि य भयणाए।
[१११-२] पंडितवीर्यलब्धि-रहित जीवों में मन:पर्यवज्ञान के सिवाय चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। .
११२.[१] बालपंडियवीरियलधिया णं भंते ! जीवा० ? तिण्णि नाणाई भयणाए। [११२-१ प्र.] भगवन् ! बालपण्डिलवीर्यलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं, या अज्ञानी ? [११२-१ उ.] गौतम ! उनमें तीन ज्ञान भजना से होते हैं। [२] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि य अण्णाणाइं भयणाए। [११२-२] बालपण्डितवीर्यलब्धि-रहित जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से पाए जाते हैं। ११३.[१] इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अण्णाणी ? गोयमा ! चत्तारि णाणाइं, तिण्णि य अन्नाणाई भयणाए। [११३-१ प्र.] भगवन् ! इन्द्रियलब्धिमान् जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? [११३-१ उ.] गौतम ! उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। [२] तस्स अलद्धिया णं० पुच्छा। गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी, नियमा एगनाणी-केवलनाणी। [११३-२ प्र.] भगवन् ! इन्द्रियलब्धिरहित जीव ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी ? [११३-१ उ.] गौतम ! वे ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं। वे नियमत: एकमात्र केवलज्ञानी होते हैं। ११४.[१] सोइंदियलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया (सु. ११३)।