Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
बांधता है; या ३ – नपुंसक - पश्चात्कृत जीव (जो पहले नपुंसकवेदी था, अब अवेदी हो गया है) बांधता है ? अथवा ४—स्त्रीपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ५ – पुरुष - पश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ६ – नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते है ? अथवा ७ – एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, या ८एक स्त्री-पश्चात्कृत जीव बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते हैं; या ९ - बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव और पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधता है, अथवा १०– - बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव और बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, या ११ – एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है, या १२ – एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं, अथवा १३ – बहुत स्त्रीपश्चात् कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है, या १४ – बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते है; अथवा १५ – एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत बांधता है; या १६— एक पुरुष - पश्चात्कृत जीव और बहुत नंपुसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं; अथवा १७ – बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है; अथवा १८ – बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत ★ नपुंसकपश्चात् जीव बांधते हैं ? या फिर १९ - एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृतजीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है; अथवा २० – एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते है; या २१ – एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता हैं ? अथवा २२ – एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं; या २३ – बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है; अथवा २४ – बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं; या २५ - बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और एक नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधता है; अथवा २६ - बहुत स्त्रीपश्चात्कृत जीव, बहुत पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव बांधते हैं ?
[१३ उ.] गौतम ! ऐर्यापथिक कर्म ( १ ) स्त्रीपश्चात्कृत जीव भी बांधता है, (२) पुरुषपश्चात्कृत जीव भी बांधता है, (३) नपुंसकपश्चात्कृत जीव भी बांधता है, (४) स्त्रीपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं, (५) पुरुषपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं, (६) नपुंसकपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं; अथवा (७) एक स्त्रीपश्चात्कृत जीव और एक पुरुषपश्चात्कृत जीव और बहुत नपुंसकपश्चात्कृत जीव भी बांधते हैं। इस प्रकार (प्रश्न में कथित) छव्वीस भंग यहाँ (उत्तर में ज्यों के त्यों) कह देने चाहिए ।
१४. तं भंते ! किं बंधी बंधइ बंधिस्स १, बंधी बंधइ न बंधिस्सइ २, बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ३, बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ४, न बंधी बंधइ बंधिस्सइ ५, न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ६, न बंधी न बंध बंधिस्सइ ७, न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ८ ?
गोयमा ! भवागरि पडुच्च अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ । अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिससइ । एवं तं चैव सव्वं जाव अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ । गहणागरिसं पडुच्च अत्थेगतिए बंधी