Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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अष्टम शतक : उद्देशक-२
२७१ गोयमा ! तस्स अलद्धिया नत्थि। [१००-२ प्र.] भगवन् ! दर्शनलब्धि-रहित जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? [१००-२ उ.] गौतम ! दर्शनलब्धिरहित जीव कोई भी नहीं होता। १०१.[१] सम्मइंसणलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए । [१०१-१] सम्यग्दर्शनलब्धि-प्राप्त जीवों में पांच ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं। [२] तस्स अलद्धियाणं तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए। • [१०१-२] सम्यग्दर्शनलब्धि-रहित जीवों में तीन अज्ञान भजना से होते हैं।
१०२.[१] मिच्छादसणलद्धिया णं भंते ! ० पुच्छा। तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। [१०२-१ प्र.] भगवन् ! मिथ्यादर्शनलब्धि वाले जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? • [१०२-१ उ.] गौतम ! उनमें तीन अज्ञान भजना से होते हैं। [२] तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं, तिण्णि य अण्णाणाई भयणाए। [१०२-२] मिथ्यादर्शनलब्धि-रहित जीवों में ५ ज्ञान और ३ अज्ञान भजना से होते हैं।
१०३. सम्मामिच्छादसणलद्धिया अलद्धिया य जहा मिच्छादसणलद्धी अलद्धी तहेव भाणियव्वं।
[१०३] सम्यग्मिथ्यादर्शन (मिश्रदर्शन) लब्धिप्राप्त जीवों का कथन मिथ्यादर्शनलब्धियुक्त जीवों के समान और सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि-रहित जीवों का कथन मिथ्यादर्शनलब्धि-रहित जीवों के समान समझना चाहिए।
१०४.[१] चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी, अण्णाणी? गोयमा ! पंच नाणाई भयणाए। [१०४-१ प्र.] भगवन् ! चारित्रलब्धियुक्त जीव ज्ञानी हैं या अज्ञानी ? [१०४-१ उ.] गौतम ! उनमें पांच ज्ञान भजना से होते हैं।
[२] तस्स अलद्धियाणं मणपजवनाणवजाइं चत्तारि नाणाइं, तिन्नि य अन्नाणाइं भयणाए।
[१०४-२] चारित्रलब्धिरहित जीवों में मन:पर्यवज्ञान को छोड़कर चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजना से होते हैं।