Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
View full book text
________________
३१२
व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र तालाब आदि जलाशयों को सुखाना और (१५) असईजणपोसणया (असतीजनपोषणता) कुलटा, व्याभिचारिणी या दुश्चरित्र स्त्रियों का अड्डा बनाकर उनसे कुकर्म करवा कर आजीविका चलाना अथवा दुश्चरित्र स्त्रियों का पोषण करना, अथवा पापबुद्धिपूर्वक मुर्गा-मुर्गी, सांप, सिंह, बिल्ली आदि जानवरों को पालना-पोसना। देवलोकों के चार प्रकार
१५. कतिविहा णं भंते ! देवलोगा पण्णत्ता ? गोयमा ! चउव्विहा देवलोगा पण्णत्ता, तं जहा—भवणवासि-वाणमंतर-जोइस-वेमाणिया। सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
॥अट्ठमसए : पंचमो उद्देसओ समत्तो॥ [१५ प्र.] भगवन् ! देवलोक कितने प्रकार के कहे गए हैं ?
[१५ उ.] गौतम ! चार प्रकार के देवलोक कहे गए हैं, यथा—भवनवासी, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी और वैमानिक।
हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है; यों कहकर गौतम स्वामी यावत् विचरते हैं।
॥ अष्टम शतक : पंचम उद्देशक समाप्त॥