Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र सप्तम उद्देशक में अन्यतीर्थिकों के द्वारा अदत्तादान को लेकर स्थविरों पर आक्षेप एवं स्थविरों द्वारा प्रतिवाद का निरूपण है। अन्त में गतिप्रवाद (प्रपात) के पांच भेदों का निरूपण है। अष्टम उद्देशक में गुण, गति, समूह, अनुकम्पा, श्रुत एवं भावविषयक प्रत्यनीकों के भेदों का, निर्ग्रन्थ के लिए आचरणीय पंचविध व्यवहार का, विविध पहलुओं से ऐर्यापथिक और साम्परायिक कर्मबंध का, २२ परीषहों में से कौन-सा परिषह किस कर्म के उदय से उत्पन्न होता है तथा सप्तविध बन्धक आदि के परीषहों का निरूपण है। तदनन्तर उदय, अस्त और मध्याह्न के समय में सूर्यों की दूरी और निकटता के प्रतिभासादि का एवं मानुषोतर पर्वत के अन्दर-बाहर के ज्योतिष्क देवों व इन्द्रों में उपपात-विरहकाल का वर्णन है। नवम उद्देशक में विस्रसाबंध के भेद-प्रभेद एवं स्वरूप का, प्रयोगबन्ध, शरीर-प्रयोगबंध एवं पंच शरीरों के प्रयोगबंध का सभेद निरूपण है। पंच शरीरों के एक दूसरे के बन्धक-अबन्धक
की चर्चा तथा औदारिकादि पांच शरीरों के देश-सर्वबन्धकों के अल्पबहुत्व की प्ररूपणा है। दशम उद्देशक में श्रुत-शील की आराधना-विराधना की दृष्टि से अन्यतीर्थिक-मतनिराकरण पूर्वक स्वसिद्धान्त का, ज्ञान-दर्शन-चारित्र की आराधना, इनका परस्पर सम्बंध एवं इनकी उत्कृष्ट-मध्यम-जघन्याराधना के फल का तथा पुद्गलपरिणाम के भेद-प्रभेदों का एवं पुद्गलास्तिकाय के एक प्रदेश से लेकर अनन्त प्रदेश तक के अष्ट भंगों का निरूपण है। अन्त में अष्टकर्मप्रकृतियों, उनके अविभागपरिच्छेद, उनसे आवेष्टित-परिवेष्टित समस्त संसारी जीवों की एवं कर्मों के परस्पर सहभाव की वक्तव्यता है।
१. वियाहपण्णत्तिसुत्तं (मूलपाठ-टिप्पणयुक्त) विषयसूची