Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र नौवें लब्धिद्वार की अपेक्षा से ज्ञानी-अज्ञानी की प्ररूपण
८२. कतिविहा णं भंते ! लद्धी पण्णत्ता ? ___ गोयमा ! दसविहा लद्धी पण्णत्ता, तं जहा—नाणलद्धी १ दंसणलद्धि २ चरित्तलद्धी ३ चरित्ता-चरित्तलद्धी ४ दाणलद्धी ५ लाभलद्धी ६ भोगलद्धी ७ उवभोगलद्धी ८ वीरियलद्धी ९ इंदियलद्धी १०।
[८२ प्र.] भगवन् ! लब्धि कितने प्रकार की कही गई है ?
[८२ उ.] गौतम ! लब्धि दस प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार-(१) ज्ञानलब्धि, (२) दर्शनलब्धि, (३) चारित्रलब्धि, (४) चारित्राचारित्रलब्धि, (५) दानलब्धि, (६) लाभलब्धि, (७) भोगलब्धि, (८) उपभोगलब्धि, (९) वीर्यलब्धि और (१०) इन्द्रियलब्धि।
८३. णाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा—आभिणिबोहियणाणलद्धी जाव केवलणाणलद्धी। [५३ प्र.] भगवन् ! ज्ञानलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ?
[८३ उ.] गौतम ! वह पाँच प्रकार की कही गई है, यथा—आभिनिबोंधिकज्ञानलब्धि यावत् केवलज्ञानलब्धि।
८४. अण्णाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा.पण्णत्ता, तं जहा–मइअण्णाणलद्धी सुतअण्णाणलद्दी विभंगनाणलद्धी। [८४ प्र.] भगवन् ! अज्ञानलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ?
[८४ उ.] गौतम ! अज्ञानलब्धि तीन प्रकार की कही गई है, यथा—मति-अज्ञानलब्धि, श्रुत-अज्ञानलब्धि और विभंगज्ञानलब्धि।
८५. दंसणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा—सम्मइंसणलद्धी मिच्छादसणलद्धी सम्मामिच्छादसणलद्धी।
[८५ प्र.] भगवन् ! दर्शनलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? __ [८५ उ.] गौतम ! वह तीन प्रकार की कही गई है, वह इस प्रकार—सम्यग्दर्शनलब्धि, मिथ्यादर्शनलब्धि । और सम्यग्मिथ्यादर्शनलब्धि।
८६. चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-सामाइयचरित्तलद्धी छेदोवट्ठावणियलद्धी परिहारविसुद्धलद्धी सुहुमसंपरायलद्धी अहक्खायचरित्तलद्धी।