Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [७५ उ.] गौतम ! वह कृष्ण वर्ण के रूप में भी परिणत होता है, यावत् शुक्लवर्ण के रूप में भी परिणत होता है।
७६. जदि गंधपरिणए किं सुब्भिगंधपरिणए, दुब्भिगंधपरिणए ? गोयमा ! सुब्भिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा।
[७६ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य गन्धपरिणत होता है तो वह सुरभिगन्ध रूप में परिणत होता है, अथवा दुरभिगन्ध के रूप में परिणत होता है ? __ [७६ उ.] गौतम ! वह सुरभिगन्धरूप में भी परिणत होता है, अथवा दुरभिगन्धरूप में भी परिणत होता
७७. जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए ५ पुच्छा? गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा।
[७७ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य रसरूप में परिणत होता है, तो क्या वह तीखे (चरपरे) रस के रुप में परिणत होता है, अथवा यावत् मधुररस के रूप में परिणत होता है ?
[७७ उ.] गौतम ! वह तीखे रस के रूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत् मधुररस के रूप में भी परिणत होता है।
७८. जइ फासपरिणए किं कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ? गोयमा ! कक्खडफासपरिणए वा जाव लुक्खफासपरिणए वा।
[७८ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य स्पर्शपरिणत होता है तो क्या वह कर्कशस्पर्शरूप में परिणत होता है, अथवा यावत् रूक्षस्पर्शरूप में परिणत होता है ?
[७८ उ.] गौतम ! वह कर्कशस्पर्शरूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत् रूक्षस्पर्शरूप में भी परिणत होता है।
७९. जइ संठाणपरिणए० पुच्छा? गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आययसंठाणपरिणए वा। - [७९ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य संस्थान-परिणत होता है, तो प्रश्न है—क्या वह परिमण्डलसंस्थानरूप में परिणत होता है, अथवा यावत् आयत-संस्थानरूप में परिणत होता है ?
[७९ उ.] गौतम ! वह द्रव्य परिमण्डल-संस्थानरूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत् आयतसंस्थानरूप में भी परिणत होता है।
विवेचन-मन-वचन-काय की अपेक्षा विभिन्न प्रकार से, प्रयोग से, मिश्र से और विस्रसा से