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________________ २३४ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [७५ उ.] गौतम ! वह कृष्ण वर्ण के रूप में भी परिणत होता है, यावत् शुक्लवर्ण के रूप में भी परिणत होता है। ७६. जदि गंधपरिणए किं सुब्भिगंधपरिणए, दुब्भिगंधपरिणए ? गोयमा ! सुब्भिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा। [७६ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य गन्धपरिणत होता है तो वह सुरभिगन्ध रूप में परिणत होता है, अथवा दुरभिगन्ध के रूप में परिणत होता है ? __ [७६ उ.] गौतम ! वह सुरभिगन्धरूप में भी परिणत होता है, अथवा दुरभिगन्धरूप में भी परिणत होता ७७. जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए ५ पुच्छा? गोयमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा। [७७ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य रसरूप में परिणत होता है, तो क्या वह तीखे (चरपरे) रस के रुप में परिणत होता है, अथवा यावत् मधुररस के रूप में परिणत होता है ? [७७ उ.] गौतम ! वह तीखे रस के रूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत् मधुररस के रूप में भी परिणत होता है। ७८. जइ फासपरिणए किं कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ? गोयमा ! कक्खडफासपरिणए वा जाव लुक्खफासपरिणए वा। [७८ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य स्पर्शपरिणत होता है तो क्या वह कर्कशस्पर्शरूप में परिणत होता है, अथवा यावत् रूक्षस्पर्शरूप में परिणत होता है ? [७८ उ.] गौतम ! वह कर्कशस्पर्शरूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत् रूक्षस्पर्शरूप में भी परिणत होता है। ७९. जइ संठाणपरिणए० पुच्छा? गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आययसंठाणपरिणए वा। - [७९ प्र.] भगवन् ! यदि एक द्रव्य संस्थान-परिणत होता है, तो प्रश्न है—क्या वह परिमण्डलसंस्थानरूप में परिणत होता है, अथवा यावत् आयत-संस्थानरूप में परिणत होता है ? [७९ उ.] गौतम ! वह द्रव्य परिमण्डल-संस्थानरूप में भी परिणत होता है, अथवा यावत् आयतसंस्थानरूप में भी परिणत होता है। विवेचन-मन-वचन-काय की अपेक्षा विभिन्न प्रकार से, प्रयोग से, मिश्र से और विस्रसा से
SR No.003443
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages669
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_bhagwati
File Size14 MB
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