Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र
[२४ उ.] हाँ, गौतम ! जो ये असंज्ञी प्राणी (पृथ्वीकायिक यावत् वनस्पतिकायिक और छठे कई सकायिक (सम्मूर्च्छिम) जीव हैं, यावत् ये सब अकामनिकरण वेदना वेदते हैं, ऐसा कहा जा सकता है।
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२५. अत्थि णं भंते ! पभू वि अकामनिकरण' वेदणं वेदेति ?
हंता, गोयमा ! अत्थि ।
[ २५ प्र.] भगवन् ! क्या ऐसा होता है कि समर्थ होते हुए भी जीव अकामनिकरण (अज्ञान-पूर्वकअनिच्छापूर्वक) वेदना को वेदते हैं ?
[२५ उ.] हाँ, गौतम ! वेदते हैं।
२६. कहं णं भंते ! पभू वि अकामनिकरणं वेदणं वेदेंति ?
गोयमा ! जे णं णो पभू विणा पदीवेणं अंधकारंसि रुवाइं पासित्तए, जे णं नो पभू पुरतो रुवाई अणिज्झाइत्ता णं पासित्तए, जे णं नो पभू मग्गतो रुवाइं अणक्यक्खित्ता णं पासित्तए, जेणं नो पभू पासतो रुवाइं अणवलोएत्ता णं पासित्तए, जे णं नो पभू उड्डुं रूवाइं अणालोएत्ता णं पासित्ताए, जे णं नो पभू अहे रुवाइं अणालोएत्ता णं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभू वि अकामनिकरणं वेदणं वेदेति ।
[ २६. प्र.] भगवन् ! समर्थ होते हुए भी जीव अकामनिकरण वेदना को कैसे वेदते हैं ?
[ २६ उ.] गौतम ! जो जीव समर्थ होते हुए भी अन्धकार में दीपक के बिना रूपों (पदार्थों) को देखने में समर्थ नहीं होते, जो अवलोकन किये बिना सम्मुख रहे हुए रूपों (पदार्थों) की देख नहीं सकते, अवेक्षण किये बिना पीछे (पीठ के पीछे) केभाग को नहीं देख सकते, अवलोकन किये बिना अगल-बगल के (पार्श्वभाग के दोनों ओर के) रूपों को नहीं देख सकते, आलोकन किये बिना ऊपर के रूपों को नहीं देख सकते और न आलोकन किये बिना नीचे के रूपों को देख सकते हैं, इसी प्रकार हे गौतम! ये जीव समर्थ होते हुए भी अकामनिकरण वेदना वेदते हैं।
भंते! पभू वि पकामनिकरण वेदणं वेदेति ।
२७. अस्थि हंता, अत्थि ।
[ २७ प्र.] भगवन् ! क्या ऐसा भी होता है कि समर्थ होते हुए भी जीव प्रकामनिकरण (तीव्र इच्छापूर्वक) वेदना को वेदते हैं ?
[ २७ उ.] हाँ, गौतम ! वेदते हैं।
२८. कहं णं भंते! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं वेदेंति ?
१. अकामनिकरणं — जिसमें अकाम अर्थात् वेदना के अनुभव में अमनस्क होने से अनिच्छा ही निकरण = कारण है, वह अकामनिकरण है; यह अज्ञानकारणक है।
२.. पकामनिकरणं—प्रकाम - अभीष्ट अर्थ की प्राप्ति न होने से प्रकृष्ट अभिलाषा ही जिसमें निकरण कारण हैं, वह प्रकामनिकरण है।