Book Title: Prakrit Shabda Rupavali
Author(s): Hemchandracharya, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शिवमस्तु सर्वजगत: भी हाल रतीर्थाधिपति महावीरस्वामिने नमः मूलकर्ता परमपूज्य कलिकाल सर्वज्ञ हेमचन्द्राचार्य भगवंत प्राकृतशब्द रूपावलिः संपादक परमपूज्य पंन्यास वज्रसेनविजय प्रकाशक भद्रंकर प्रकाशन महालक्ष्मी सोसायटी, सुजाता फ्लेट पास शाहीबाग, अहमदाबाद-४ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. शिवमस्तु सर्वजगतः ___ . ऐं नमः श्री हालारतीर्थाधिपति - महावीरस्वामिने नमः प्राकृतशब्द रूपावलिः मूलकर्ता परमपूज्य कलिकाल सर्वज्ञ .हेमचन्द्राचार्य भगवंत. . संकलन परमपूज्य शासनसम्राट आचार्यदेव श्रीमद् विजय नेमिसूरीश्वरजी महाराजाना शिष्यरत्न परमपूज्य मुनिवर श्री प्रतापविजय संपादक . परमपूज्य पंन्यास वज्रसेनविजय प्रकाशक भद्रंकर प्रकाशन 49/1 महालक्ष्मी सोसायटी, सुजाता फ्लेट पासे, शाहीबाग, अहमदाबाद-४. - Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राप्तिस्थान सरस्वती पुस्तक भंडार | सोमचंद डी.शाह रतनपोळ, हाथीखाना, . जीवन निवास सामे, अमदावाद-१. पालीताणा (सौराष्ट्र) सेवंतीलाल वी..जैन | पार्श्वनाथ पुस्तक भंडार 20, महाजनगली, तळेटी रोड, झवेरीबजार, मुंबई-२ | 'पालीताणा, (सौराष्ट्र) द्रव्य सहायक श्री रामचन्द्रसूरीश्वर आराधना भवन गोपीपुरा, सुरत प्रकाशन सं. 2054 फाल्गुन सुदी चतुर्थी मूल्य : रु. 50-00 -: मुद्रक :भरत प्रिन्टरी (कांतिलाल डी. शाह) . न्यु मार्केट, पांजरापोळ, रीलीफ रोड, अहमदाबाद-१. - Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // श्रीः॥ ॥भूमिका // इह खलु जगति सं कृतनाटकादिषु बहुषु स्थलेषु स्त्र्यादिपात्राणां प्राकृतैव भाषा दरीदृश्यते जैनेषु महत्तरागमेषु च सैवोपलभ्यते परञ्च तद्भाषाया इदानीन्तनकाले ज्ञानं सुष्ठुतरं जनेषु नैवोपलभ्यतेऽतस्ते तत्तद्ग्रन्थस्थिततत्त्वं यथार्थं नैव लभन्ते इत्यस्माद्धेतोस्तेषां . तत्तद्ग्रन्थेषु सुखप्रवेशनाय, असाधारणगुणगणमणिमण्डलमण्डितभूघनैरनन्यसदृशोपदेशशक्ति भिबोंधितकु मारपालावनिपतिभिर्मोक्षमार्गप्रदर्शनप्रदीपप्रतिमैः . समीहितार्थसंसिद्धिकल्पतरुकल्पैर्भवापारपारावारनिस्तारणतरीभिः परप्रवचनाऽनभिज्ञतापादनतोऽधिगतप्रामाण्यैरैहिकामुष्मिकाऽपायसमवायनिबन्धनतनुत्वविधानपटीयोभिर्मनोहारिविज्ञानदर्शनचारित्रपात्रैः सकलभुवनजनकुन्दसुन्दरशरदिन्दुसधर्मभिः प्रबलतरतप्ततपश्चित्रभानुदंदह्यमानदुरितसमवायैः सार्द्धत्रयकोटिश्लोकपरिमिततन्त्रसूत्रणसूत्रधारकल्पैः श्रीमद्धेमचन्द्राचार्यवर्यपादैविरचिताष्टमाध्यायतः समुद्धृत्य स्वल्पमतिनापि मयका निखिलार्हतप्रवचनपरमार्थविदां निजचरणारविन्दविन्यासपावनीकृतक्षोणीनां पुण्यद्रुपरिपल्लवैकतडित्वतां मुनिवराचाराचरणातिनिबद्धकटीनां व्यपगतदूषणपारमेश्वरीयशासनोन्नतिविधायिनां नास्तिकावनिरुहोन्मूलनकुञ्जराणां निजदेशनाहलीषासङ्कर्षणतो Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भव्यक्षेत्रकदम्बकेभ्यो दुरिताचारदर्भाणि व्यपनीय तत्रोप्तसम्यक्त्वबीजानां श्रीमतामाचार्यवर्याणां विजयनेमिसूरीश्वराणां भवतापतप्तजन्तुजातविश्रान्तिविधानै-कमहीरुहायमाणचरणद्वयनिर्भरशुश्रूषाप्रभावतः प्राकृतस्याखिलविशेषादेशरूपैरुपेता तथा च संस्कृतस्य प्राकृतात्मकैः प्राकृतस्य च संस्कृतस्वरूपैर्गुर्जरभाषायाश्च प्राकृतात्मभिर्हारिवाक्यैरलङ्कृतेयं प्राकृतशब्दरूपावलिविनिर्मितास्ति। तत्र च प्रमादेन दृष्टिदोषेण वा कुत्रचिच्चेत्स्खलितं प्रतिभाति तन्महाशयैर्विद्वद्वर्यैः क्षन्तव्यं संशोधनीयं चेति शम् // प्रथमावृतेः Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशकीय परम उपकारी कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य भगवंते जैन जगत उपर उपकार करीने एक महान भेट धरी छे. सिद्धहेम शब्दानुशासन नामना व्याकरण ग्रंथनी. - तेमां प्राकृत विभागना आठमा अध्ययनमाथी प्राकृत शब्द रूपावली ग्रंथने पूज्य मुनिराजश्री प्रतापविजयजी महाराजे उद्धृत कर्यु. .. संवत 1968 मां छपायेल आ ग्रंथ ने 85 वर्ष थयां. अभ्यासुओ माटे उपयोगी आ ग्रंथ अलभ्य बनतां. पंडितजीओ तथा महात्माओ तरफथी मांग आवी. आ अंगे परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय जिनप्रभसूरीश्वरजी महाराजाना शिष्यरत्न परमपूज्य मुनिराजश्री हौंकारप्रभविजयजी महाराजे, पंन्यासश्री वज्रसेनविजयजी महाराजने संपादन करीने प्रकाशित करावी आपवानुं कहेतां पूज्य पंन्यासजी महाराजे पोतानी अस्वस्थ तबीयतमां पण महात्माओना सहयोगथी आ ग्रंथनु संपादन करी आप्यु. . - प्रूफ संशोधनमा सहायकांरी पंडितवर्य श्री रतीभाई, चीमनलाल दोशी तेमज टुंक समयमां भरत प्रिन्टरीना मालिक कांतिलाल डी. शाहे आ ग्रंथ मुद्रण करी आप्युं छे. आ ग्रंथना प्रकाशनमा आर्थिक सहयोग श्री रामचंद्रसूरि आराधना भवन, गोपीपुरा, सुरत तरफथी मळेल छे. ..उपरोक्त सर्वे पूज्यो, महानुभावोनो अमे आ तके अंतःकरणपूर्वक आभार मानीए छीए. - प्रकाशक Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्द रूपावलिः Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दानां रूपाणि अनुक्रमणिका विषय देव साधनिकासूत्राणि जिन, जन मदन, न्याय विषमातप, ईश्वर, शिष्य काश्यप, विश्राम, संस्पर्श, अश्व विश्वास, दुःशासन, पुष्य, मनुष्य कर्षक, वर्ष, विष्वाण, निष्षिक्त उत्र, विस्रम्भ, विकस्वर, निःस्व निःसह, निःश्वास, दुःश्वास, अभिषिक्त प्रसुप्त, प्ररोह, सदृक्ष शब्द, अब्द, उपेन्द्र गोपेन्द्र, अवगूढ अवकाश, आर्यवज्र सिद्ध नमस्कार परस्पर, स्वर, दीर्घ स्मर, नग्न, लग्न . व्याध, पृथ्वीश अर्थ, विकल्प हस्त, कर्कश. . 2. 10 102.24AM:422424 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अकूपार, स्वभाव, स्वरूप, धर्म पञ्चविध, गृहस्थ, गीतार्थ, विकार पर्याय, जय्य, वैद्य उद्योत, मार्ग, विपाक सम्पर्क, श्लोक क्लेश, प्लोष, प्लष्ट, श्लेश म्लेच्छ, निर्वेद, संस्तुत, प्रस्तर प्रशस्त, निर्भर, पार्श्व, विषधर तथाप्रकार, तत्त्वप्रकाश, द्वेष, द्वेष्य - विशेष, द्वीप, दीप शुभप्रदीप, संघबाह्य, विन्ध्य, सह्य साध्वस, इष्ट, उन्मार्ग, निष्ठितार्थ पूज्य, श्रमण, श्रावक, संसर्ग मग्न, निर्मग्न, कर्त्तव्य, लेख, संस्कार प्रतिभिन्न, प्रतिहास, सम्पृक्त, स्पृष्ट परामृष्ट, प्रवृष्ट, प्रावृत, प्राभृत, परभृत संवृत, वृत्तान्त, वृद्ध, वृन्दारक निवृत्त, निशाचर, कुम्भकार, सुपुरुष सातवाहन, चक्रवाक, त्रिदशेश ऋषभ, वृषभ, दुःसह, दुःखित दक्षिण, पराङ्मुख, कञ्चक, षण्मुख षष्ठ, शाव, षट्पद, सप्तपर्ण .. शरद्, भिषक्, प्रावृष् दीर्घायुष, अनुस्वार कर्कोट, वृश्चिक, वयस्य Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मार्जार, वक्र, वर्ण्य, उपदिश्य वृक्ष, क्षिप्त, सिंह स्वाध्याय, उपाध्याय उपवास, आचार्य, भव्य, सूर्य स्याद्वाद उपसर्ग, शपथ, शाप, स्तव उष्ट्र, पुष्ट, प्रद्युम्नः चतुर्थ, चतुर्वार, मयूख, चतुर्गुण, सुकुमार उदृखल, पङ्क, पन्थ, चन्द्र अर्थावग्रह, ग्राह्य, मद्याङ्ग, व्यापार षड्विध, चार्वाक, आकार, आकर, आधार . आकाश, आरब्ध, पक्ष, विद्यमान अभ्युपगम, चतुर्भुज, सव्य, नानारूप, अनतिरिक्त निक्षेप, श्रुतस्कन्ध, पार्श्वस्थ, संविग्न, उद्विग्न अष्टम, कुल, यशस्, जन्मन् गुण, स्नेह, निकष, स्फटिक' चिकुर, कदम्ब, प्रश्न, शिश्न स्वप्न, वेतस, मृदङ्ग, नप्तृक वृष्ट, कृपण, उत्तम, देवदत्त अङ्गार, मध्यम विषमय हर खण्डित, प्रथम, गवय, प्राज्ञ . प्रज्ञ, उत्कर, पर्यन्त . चामर, कालक, स्थापित, परिस्थापित, संस्थापित हालिक, नाराच, कुमार, ग्रीष्म कुश्मान, विस्मय, प्रवाह, प्रहार प्रकार, प्रस्ताव, महाराष्ट्र, पांशन Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कांशिक, वांशिक, पाण्डव, सांसिद्धिक, सांयात्रिक श्यामाक, कूर्पास, खल्वाट, स्तावक . आसार, नैरयिक, ऐरावण, कैलास कैटभ, वैकुण्ठ, पारापत, चूर्ण नरेन्द्र, मुनीन्द्र, उत्सव, उत्सुक उत्सिक्त, उत्साह, उत्सन्न, मत्सर, संवत्सर निश्चल, मूषिक, बिभीतक, निर्णय द्विमात्र, द्विविध, द्विरेफ, निषण्ण युधिष्ठिर, निर्झर, कश्मीर व्यापात, स्तोक, करीष, शिरीष वल्मीक, वीडित, उपनीत, गरुड पौर, कौरव, पौरजन . जीर्ण, हीन, कीदृश, ईदृश सदृग्वर्ण, सदृग्रूप, सदृश, एतादृश भवादृश, यादृश, तादृश, अन्यादृश, मादृश युष्मादृश, अस्मादृश, मुकुल, मुकुट मुकुर, गुरुक, सुभग दुर्भग, लुब्धक, मुद्गर, कुन्त, पुस्तक अर्हत्, हनुमत्, पथिन् मृग, घृष्ट, भृग, शृङ्गार, भृङ्गार शृगाल, कृश, कृषित, नृप, कृप तृप्त, हृत, व्याहत, दृष्ट, बंहित वितृष्ण, उत्कृष्ट, नृशंस, पृष्ठ मृगाङ्क, धृष्ट, मृषावाद, ऋक्ष आदृत, दृप्त, क्लृप्त, क्लुन्न Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... 100 ... 101 स्तेन, शनैश्चर, दैत्य, भैरव वैजवन, वैदेश, वैदेह, वैदर्भ, वैश्वानर, वैशाख वैशाल, वैश्रवण, वैशम्पायन, वैतालिक, चैत्र प्रकोष्ठ, गोच्छ्वास, कौस्तुभ, क्रौञ्च / कौशिक, मौञ्जायन, शौण्ड, दौवारिक, सौर्णिक स्थविर, अयस्कार, कर्णिकार, पूतर आदित्य, स्तुत्य; त्यक्त, तीर्थकर तीर्थङ्कर, नक्तञ्चर, धनञ्जय, अर्क, विप्र जार, कुब्ज, कील, मदकल, कन्दुक किरात, मेघ, माघ, बधिर अस्थिर, प्रणष्टभय, छाग, खचित, पिशाच जटिल, वडवानल, नट, घट शठ, मठ, कुठार, कमठ, पिठर / तुच्छ, तगर, सर, तूवर, व्याप्त गर्भित, पलित, पीत, भरत कातर, शिथिर, निशीथ, दष्ट . दग्ध, दण्ड, दर, दाह, दर्भ . दम्भ, दोहद, कदर्थित, निषध . निम्ब, नापित, परुष, परिघ, पनस पारिभद्र, नीप, रेफ, शबल कबन्ध, विषम, मन्मथ, भ्रमर - करणीय, पेय, कतिपय, करवीर, दरिद्र मुखर, चरण, वरुण, रुग्ण, बठर, निष्ठुर, शबर, दशमुख, दशबल, दशरथ पाषाण, दिवस, संहार, प्राकार, आगत ... 121 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ..... 124 ... 134 12 उदुम्बर, आवर्तमान, अवट, प्रावारक शक्त, मुक्त, संयुक्त, निष्क्रय . तस्कर, शुष्क, स्कन्द, श्वेटक, क्ष्वोटक स्फेटक, स्फेटिक, व्यतिक्रान्त, स्तम्भ / रक्त, प्रत्यूष, कक्ष, दक्ष, क्षुण्ण क्षार, क्षुर, क्षण, नि:स्पृह, ध्वज . वृत्त, प्रवृत्त, कैवर्त, जत, धूर्त मूर्त, मुहूर्त, विसंस्थुल, गर्त, सम्मर्द . विच्छर्द, कपर्द, मर्दित, सम्मर्दित, गर्दभ .... 132 भिन्दिपाल, स्तब्ध, पर्यस्त, पल्यङ्क ... 133 कृष्ण, स्नात, प्रस्तुत, प्रह्लाद दशाह, हरिश्चन्द्र, धृष्टद्युम्न, विख्यात ... 135 आलानस्तम्भ, कुसुमप्रकर, सपिपास, मण्डूक, व्याकुल निहित, स्थूल, तूष्णिक, मूक, प्लक्ष ... 137 हीत, अहीक, आश्लिष्ट, भस्मन् .. ... 138 निष्पेष, भीष्म, श्लेष्म, ग्लान, विह्वल ...139 बाष्प, कार्षापण, अर्ह बर्ह, कृत्स्न, आदर्श, सुदर्शन, परामर्श ... 141 हर्ष, अमर्ष, मूर्ख, हरिताल, ह्रद ... 142 हसित, रोपित, लज्जित, भ्रमित .... 143 जल्पित, वेपित, युष्मदीय, अस्मदीय सर्व .... 145 विश्व, अन्य अन्यतर इतर . ...15 147 ... 148 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कतर, कतम -सम सिम नेम, एक पूर्व, दक्षिण स्व. भवत् किम् यद् wc 56 ..157 एतद् 161 ... 162 163-164 ... 165 इदम् अदस्... युष्मद् अस्मद् माला, रमा शृङ्खला सटा, प्रतिमा, पताका, प्रतिज्ञा . प्रतिष्ठा, उपमा, शिफा, स्पृहा शय्या, भार्या, मृत्तिका, वार्ता उल्का, प्रज्ञा, संज्ञा, आज्ञा . चन्द्रिका, शाखा, चपेटा, यमुना चामुण्डा, क्षुध, अप्सरस, क्षुधा शिरा, क्षमा, मक्षिका, ककुभ् उत्कण्ठा, पद्मा 173 174 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .... 179 ... 180 ... 181 ... 182 ... 183-184 .... 185 ... 186 आर्या, मर्यादा, जिह्वा श्रद्धा, सन्ध्या, परिखा स्नुषा, ज्योत्स्ना, श्यामा, व्रीडा श्लाघा, क्रिया, गर्हा, ज्या वनिता, दंष्ट्रा, सेवा, सर्वा * का, (किम् स्त्री०). या (यद् स्त्री०) सा, ता (तद् स्त्री०) इमा, इमी (इदम् स्त्री०) एतद् स्त्री० अदस् स्त्री० वन, सूत्र ललाट, क्षीण, स्निग्ध पुष्कर, निष्क, शुष्क स्कन्द, सौख्य, शुल्क, क्षुत क्षीर, सादृश्य, क्षेत्र, क्षत कौक्षेयक, सुकृत, द्रुष्कृत, प्राभृत, आहृत अवहत, तुच्छ, चत्वर, सत्य, मौन सौध, कौशल, पौरुष, गौरव वैर, कैरव, दैव धैर्य, चौर्य, स्थैर्य गाम्भीर्य, सौन्दर्य, शौर्य, वीर्य ब्रह्मचर्य, अन्योन्य, आतोद्य, मनोहर सरोरुह, यौवन, मिश्र, आवश्यक सस्य, प्रतिष्ठित, प्राकृत, उत्खात अरण्य, प्रकट, पक्व दत्त, आश्चर्य, अन्तःपुर / Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 15 पद्म, आर्द्र, तीर्थ घृत, तृण, कृत, नूपुर . सूक्ष्म, सैन्य, दैन्य, ऐश्वर्य दैवत, वैतालीय, स्वैर, वैधव्य, गद्गद औषध, पुष्प, पत्तन, पथ्य पश्चिम, सामर्थ्य, ऊर्ध्व, युग्म तिग्म, ज्ञान, तीक्ष्ण, श्मशान दर्शन, वर्ष, वज्र, क्लान्त म्लान, क्लिन्न, क्लिष्ट, प्लुष्ट, रत्न वैडूर्य, चिह्न, दामन्, शिरस् नभस्, स्रोतस्, प्रेमन्, नामन्, कर्मन् / धामन्, सर्व नपुं. किम्, नपुं० यद् नपुं० तद् नपुं० इदम् नपुं० एतद् नपुं० अदस् नपुं० मुनि गिरि हरि, अग्नि, भ्रुकुटि ऋषि, बृहस्पति वनस्पति, वह्नि, रश्मि, ध्वनि नरपति, प्रजापति, जिनपति, बुद्धि कान्तिकीर्ति, शान्ति, दृष्टि सृष्टि, समृद्धि, प्रसिद्धि, प्रतिसिद्धि ऋद्धि, गृद्धि, प्रकृति, वृद्धि वृष्टि, मंति, रुचि, मुक्ति, रात्रि . आज्ञप्ति, श्री, ही, धृति, पङ्क्ति * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * * GMSWW360MGMScWWOG Mxww Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16 . ... 228 OM गौरी, हसन्ती, सखी, लक्ष्मी पृथ्वी, भगिनी, पृथिवी कूष्माण्डी, धात्री, दधि गुरु तरु, प्रभु, साधु, विधु भानु, वायु, ऋतु, ऋजु विष्णु, जिष्णु, स्थाणु धेनु, वधू चमू, मधु भर्त कर्तृ पितृ मातृ . स्वस, दुहित गो पु. स्त्री. नौ / आत्मन् राजन् द्वि, त्रि चतुर्, पञ्चन्, षष् संस्कृतवाक्यानां प्राकृतम् प्राकृतवाक्यानां संस्कृतम् गुर्जरवाक्यानां प्राकृतम् संस्कृतशब्दानां प्राकृतम् प्राकृतशब्दानां संस्कृतम् Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ // श्रीवीतरागाय नमः // // श्रीरस्तु // // प्राकृतशब्दरूपावलिः॥ नत्वा तीर्थकृत: सुरेन्द्रमहितं पादाम्बुजं भक्तितो लध्यब्धि मुनिगौतमं गुरुवच: सद्भिः समाराधितम् / स्कृत्वा च श्रुतदेवतां भगवती सर्वार्थसिद्धिप्रदां तन्वे प्राकृतपूरुषोपकृतये रूपावली प्राकृतीम् // 1 // ॥अथ प्राकृतशब्दानां रूपाणि // - प्राकृते द्विवचनस्य बहुवचनं चतुर्थ्याश्च षष्ठीति नियम: .. तत्र प्रथमं देवशब्दस्य रूपाणि. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा देवो देवा द्वितीया देवं .. देवे देवा तृतीया देवेणं देवेण देहि देवेहि 1 देवेहि पञ्चमी. . / देवत्तो देवाओ | देवत्तो देवाओ देवाउ देवाहि | देवाउ देवाहि . / देवाहिन्तो देवा ( देवेहि देवाहिन्तो देवेहिन्तो देवासुन्तो | देवेसुन्तो Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् . बहुवचनम् षष्ठी देवस्स . . देवाणं देवाण ' . सप्तमी देवे देवम्मि . देवेसुं देवेसु सम्बोधनम् हे देवो हे देव हे देवा // अथ तत्साधनिकासूत्राणि // अत: सेझैः / / 8 / 32 / / इति देवो प्रथमैकवचनम् / जस्शस्सित्तोदोद्वामि दीर्घः / / 8 / 3 / 12 // जस्शसोलुक् / / 8 / 3 / 4 // इति / देवा प्रथमा बहुवचनं द्वितीया बहुवचनं च / अमोऽस्य / / 8 / 3 / 5 // इति लुकि देवं इति द्वितीयैकवचनम् / टाणशस्येत् / / 8 / 3 / 14 // टाया णे आदेशे शसि च परे अकारस्यैकारो भवति तेन देवे इति द्वितीया बहुवचनं सिद्धम् टा-आमोर्णः / / 8 / 3 / 6 // . क्त्वास्यादेर्णस्वोर्वा // 8 / 1 / 27 // इति अनुस्वारोऽन्तो वा भवति / तेन देवेणं-देवेण इति तृतीयैकवचनम् / देवाणं देवाण इति षष्ठी बहुवचनं च सिद्धम् / भिसो हि हिँ हिं / / 8 / 3 / 7 // भिस्भ्यस्सुपि / / 8 / 3 / 15 / / इत्यकारस्य एकारे कृते तृतीया बहुवचने रूपत्रयम् / ___ङसेस् त्तोदोदुहिहिन्तोलुकः // 8 / 3 / 8 // इत्यनेन डसे: त्तो-दो-दु-हि-हिन्तो इत्येते आदेशा भवन्ति डसेर्लुक् च / तेन Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः देवत्तो-देवाओ-देवाउ-देवाहि-देवाहिन्तो-देवा इति पञ्चम्येकवचने रूपाणि सिद्ध्यन्ति / दो-दु-इत्यत्र दकारकरणं भाषान्तरार्थम् / देवशब्दस्य ङसेस् तोपरे जस्शस्ङसित्यादिना दीघे, देवात्तो इति सिद्धे / ह्रस्वः संयोगे / / 8 / 1 / 84 / / इति सूत्रेण दीर्घस्य हूस्वे कृते देवत्तो इति भवति / भ्यसस् तोदोदुहिहिन्तोसुन्तो // 8 / 3 / 9 // पञ्चम्या बहुवचने इत्येते आदेशा भवन्ति / __भ्यसि वा / / 8 / 3 / 13 // इत्यनेन वा दीर्घ कृते देवत्तो 'देवाओ-देवाउ-देवाहि-देवाहिन्तो-देवासुन्तो इति रूपषट्कम् / - भिस्भ्यस्सुपि / / 8 / 3 / 15 / / इत्यनेनाऽकारस्य एकारो भवति / एवं च सति / देवेहि-देवेहिन्तो-देवेसुन्तो इति रूपत्रयम् / सर्व मिलित्वा पञ्चमी बहुवचने नव रूपाणि भवन्ति / - इस स्सः / / 8 / 3 / 10 // इत्यनेन देवस्स इति षष्ठ्येकवचनं सिद्धम् / _डे म्मि . / / 8 / 3 / 11 // अतः परस्य डेर्डिदेकार: संयुक्तो मिश्च भवति / तेन देवे देवम्मि-इति सप्तम्येकवचनं देवे इत्यत्र तु एकारे परे। - लुक् / / 8 / 1 / 10 / / इत्यनेन पूर्वस्वरस्य लुक् / / ॥डो दीर्घो वा / / 8 / 3 / 38 // इति सूत्रेण सम्बोधने सेडॉर्डो वा भवति तेन / हे देवो-हे देव इति रूपद्धयम् / इदुतोश्च वा दीर्घः / तेन हे हरी-हे हरि-इतिरूपयुग्मम् / Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथाकारान्तपुल्लिँझे जिनशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जिणो जिणा द्वितीया जिणं जिणे जिणा तृतीया जिणेणं जिणेण |जिणेहि जिणेहिँ . जिणेहिं . पञ्चमी जिणत्तो जिणाओ (जिणत्तो जिणाओ . जिणाउं जिणाहि जिणाउ जिणाहि जिणाहिन्तो जिणा जिणेहि जिणाहिन्तो जिणेहिन्तो जिणासुन्तो जिणेसुन्तो षष्ठी जिणस्स , जिणाणं जिणाण सप्तमी जिणे जिणम्मि जिणेसुं जिणेसु सम्बोधनम् हे जिणो हे जिण हे जिणा "नो णः / / 8 / 1 / 228 / / इति सूत्रेण सर्वत्र णकारः" // अथ जनशब्दस्य रूपाणि // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जणो जणा द्वितीया जणं जणे जणा तृतीया जणेणं जणेण (जणेहि जणेहिँ जणेहिं (इत्यादिदेववत्) Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EEEEEE प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ मदनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मयणो मयणा द्वितीया मयणं मयणे मयणा वतीया मयणेणं मयणेण मयणेहि मयणेहिँ / मयणेहिं पञ्चमी (मयणत्तो मयणाओ / मयणत्तो ‘मयणाओ मयणाउ मयणाहि / मयणाउ मयणाहि मयणाहिन्तो मयणा | मयणेहि मयणाहिन्तो मयणेहिन्तो मयणासुन्तो मयणेसुन्तो (इत्यादि देववत्) // अथ न्यायशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् पमा नाओ नाआ द्वितीया नाअं .नाओ नाआ तीया नाएणं नाएण (नाएहि नाएहिँ नाएहिं पञ्चमी / नाअत्तो नाआओ ।नाअत्तो नाआओ नाआउ नाहि नाआउ नाआहि (नाआहिन्तो नाआ नाहि नाआहिन्तो नाओहिन्तो नाआसुन्तो नाअसुन्तो बष्टी . नाअस्स नाआणं नाआण Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् - बहुवचनम् . . सप्तमी नाए नाअम्मिनाएसुं नाएसु सम्बोधनम् हे नाओ हे नाअ. हे नाआ // अधो मनयाम् / / 8 / 2 / 78 / / इत्यनेन मकारनकारयकाराणां संयुक्तस्याधोवर्तमानानां लुक् / एवं न्यास-न्यक्कांरप्रभृतयोऽपि ज्ञेयाः / / // अथ विषमातपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विसमायवो. ..विसमायवा द्वितीया विसमायवं विसमायवे विसमायवा ___ (शेषं देववत्) . ॥शषोः सः / / 8 / 1 / 260 / / इत्यनेन षकारस्य सः / पो वः / / 8 / 1 / 231 / / इति सूत्रेण पकारस्य वकारः / / ॥अथेश्वरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ईसरो ईसरा . द्वितीया ईसरं ईसरे ईसरा तृतीया ईसरेणं ईसरेण / ईसरेहि ईसरेहिँ / ईसरेहिं (इत्यादि देववत्) // अथ शिष्यशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सीसो सीसा द्वितीया सीसं सीसे सीसा Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् - बहुवचनम् तृतीया सीसेणं सीसेण सीसेहि सीसेहिँ / सीसेहिं शेषाणि सुगमानि // अथ कश्यपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कासवो कासवा द्वितीया कासवं कासवे कासवा इत्यादि // अथ विश्रामशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा - वीसामो वीसामा द्वितीया वीसामं वीसामे वीसामा - इत्यादि // अथ संस्पर्शशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संफासो संफासा द्वितीया संफासं संफासा संफासे इत्यादि // अथाश्वशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आसों आसा द्वितीया आसं आसे आसा. __ इत्यादि . . सकासा Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ विश्वासशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वीसासो वीसासा द्वितीया वीसासं वीसासे वीसासा - इत्यादि ... . . // अथ दुःशासनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दूसासणो . ' दूसासणा द्वितीया दूसासणं . . दूसासणे दूसासणा इत्यादि / निर्दुरोर्वा // .8 / 1 / 13 // इत्यनेन निर्-दुर्-इत्येतयोरन्त्यव्यञ्जनस्य वा लुक्, पक्षे दुस्सासणो इत्याद्यपि भवति // अथ पुष्यशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा पूसो द्वितीया पूसं पूसे पूसा इत्यादि // अथ मनुष्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा मणूसो मणूसा द्वितीया मणूसं मणूसे मणूसा इत्यादि - पूसा Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ कर्षकशब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कासओ कासआ द्वितीया कासअं . कासओ कासआ इत्यादि .. // अथ वर्षशब्दः॥ ...... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वासो वासा द्वितीया वासं . वासें वासा __ इत्यादि - पक्षे श-र्ष-तप्त-वज्रे वा / / 8 / 2 / 105 // इत्यनेन सूत्रेणान्त्यव्यञ्जनात् पूर्व इकारो वा भवति / वरिसो-सा इत्यादि / एवं परामर्शहर्षामादयो ज्ञेयाः / / // अथ.विष्वाणशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् 'प्रथमा वीसाणो वीसाणा द्वितीया - वीसाणं वीसाणे वीसाणा इत्यादि // अथ निषिक्तशब्दः // _ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा * * नीसित्तो . . नीसित्ता द्वितीया नीसित्तं . नीसित्ते नीसित्ता - इत्यादि, पक्षे निस्सित्तो-निस्सित्ता इत्याद्यपि / Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 27 . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथोस्रशब्दः / / एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा . ऊसो - ऊसा द्वितीया ऊसं ऊसे ऊसा इत्यादि // अथ विस्रम्भशब्दः // एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा वीसंभो वीसंभा द्वितीया वीसंभं वीसंभे वीसंभा इत्यादि .. // अथ विकस्वरशब्दः // एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा विकास विकासरा द्वितीया विकासरं विकासरे विकासरा __ इत्यादि // अथ नि:स्वशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा नीसो नीसा . . द्वितीया नीसं नीसे नीसा इत्यादि / पक्षे निस्सो, निस्सा, इत्याद्यपि भवति, निर्गतं स्वं-द्रव्यं यस्मात् स निःस्वः / / Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ नि:सहशब्दः // - “एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा नीसहो नीसहा द्वितीया नीसहं नीसहे नीसहा इत्यादि / पक्षे निस्सहो, निस्सहा, इत्याद्यपि देवयत् . // अथ निःश्वासशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नीसासो . नीसासा द्वितीया नीसासं नीसासे नीसासा इत्यादि, पक्षे निस्सासो इत्यादि // अथ दुश्वासशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा दूसासो दूसासा द्वितीया दूसासं . दूसासे दूसासा .. इत्यादि / पक्षे दुस्सासो, इत्यादि। ईश्वरादिदुःश्वासान्तेषु / लुप्त य-र-व-श-ष-सां, श-ष-सां दीर्घः / / 8 / 1 / 43 / / इत्यनेन सूत्रेणादेः स्वरस्य दीर्घः / / // अथ अभिषिक्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . . अहिसित्तो अहिसित्ता द्वितीया अहिसित्ते अहिसित्ते अहिसित्ता इत्यादि Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 12 - प्राकृतशब्दरूपावलिः खघथधभाम् / / 8 / 1 / 187 / / इत्यनेन हकारः / कगटडतदपशषस 4 क x पामूर्ध्वं लुक् / 8 / 2 / 77 // इत्यनेन कस्य लुक् / // अथ प्रसुप्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पासुत्तो पसुत्तो पासुत्ता पसुत्ता द्वितीया पासुत्तं पसुत्तं [पासुत्ता पसुत्ता पासुत्ते पसुत्ते तृतीया पासुत्तेणं पासुत्तेण पासुत्तेहि पसुत्तेहि पिसुत्तेणं पसुत्तेण . (इत्यादि देववत्) // अथ प्ररोहशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पारोहो परोहो . पारोहा परोहा... द्वितीया पारोहं परोहं . पारोंहे परोहे पारोहा परोहा इत्यादि देववत् // अथ सदृक्षशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सारिच्छो सरिच्छो सारिच्छा सरिच्छा __ इत्यादि - दृशः क्विप्टक्सकः / / 8 / 1 / 142 // इत्यनेन दृशेर्धातोर्ऋतोरिरादेशो भवति / Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः छोऽक्ष्यादौ / / 8 / 2 // 17 // इत्यनेन छकारः / अता समृद्ध्यादौ वा // 8 / 1 / 44 // इत्यनेन सूत्रेण प्रसुप्तप्ररोहसदृक्षेषु शब्देष्वाधस्य स्वरस्य वा दीर्घः / समृद्ध्यादिराकृतिगणस्तेन / अस्पर्शशब्दस्य आफंसो / आफंसा / इत्यादि देववत् / // अथ शब्दशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सहो . सद्दा द्वितीया सदं . सद्दे सद्दा इत्यादि. // अथाब्दशब्दः // . बहुवचनम् प्रथमा अद्दो - अद्दा द्वितीया अइं . .. अद्दे अद्दा .. एकवचनम .. इत्यादि सर्वत्र लबरामवन्द्रे / / 8 / 2 / 79 / / इत्यनेन सूत्रेण वन्द्रशब्दादन्यत्र, लबरां संयुक्तस्योर्ध्वमधश्च स्थितानां लुग् भवति / // अथोपेन्द्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उविन्दो उविन्दा द्वितीया उविन्दं उविन्दे उविन्दा तृतीया उविन्देणं उविन्देण उविन्देहि उविन्देहिँ / उविन्देहिं इत्यादि पो वः / / 8 / 1 / 231 // इत्यनेन पकारस्य वकारः / Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 14 प्राकृतशब्दरूपावलिः हुस्वः संयोगे / / 8 / 1 / 84 // इत्यनेन ह्रस्वः / कगचजतदपयवां प्रायो लुक् / / 8 / 1 / 177 / / इत्यनेन पकारस्य लुकि सति / उइन्दो उइन्दा / इत्याद्यपि भवति / // अथ गोपेन्द्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गोविन्दो गोविन्दा .. . इत्यादि कगचजेत्यादिना पकारे लुकि / गोइन्दो-गोइन्दा इत्याद्यपि / एवं गोविन्दशब्दस्यापि गोपेन्द्रवत् / // अथाऽवगूढशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ओऊढो अवऊढो ' ओऊढा अवऊढा द्वितीया ओऊढं अवऊढं ... ओऊढे अवऊढे . ओऊढा अवऊढा तृतीया (ओऊढेणं अवऊढेणं / ओऊढेहि अवऊढेहि ओऊढेण अवऊढेण ( ओऊढेहिँ अवऊढेहिँ | ओऊढेहिं अवऊढेहिं पञ्चमी | ओऊढत्तो ओऊढाओ. ओऊढत्तो ओऊढाओ ओऊढाउ ओऊढाहि ओऊढाउ ओऊढाहि ओऊढाहिन्तो ओऊढा ओऊढेहि ओऊढाहिन्तो. अवऊढत्तो अवऊढाओ ओऊढेहिन्तो - ओऊढाअवऊढाउ अवऊढाहि सुन्तो ओऊढेसुन्तो | अवऊढाहिन्तो अवऊढा || पक्षे / अवऊढत्तो अवऊढाओ इत्यादि Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् .. बहुवचनम् षष्ठी ओऊढस्स अवऊढस्स (ओऊढाणं ओऊढाण अवऊढाणं अवऊढाण सप्तमी (ओऊढम्मि ओऊढे ओऊढेसुं ओऊढेसु अवऊढम्मि अवऊढे अवऊढेसुं अवऊढेसु सम्बोधनम् ओऊढो. ओऊढ ओऊढा अवऊढा अवऊढो अवऊढ // अथावकाशशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा ओगासो अवगासो ओगासा अवगासा द्वितीया ओगासं अवगासं ओगासे . ओगासा ... अवगासे अवगासा .. इत्याद्यवगूढवत् 4. अवापोते / / 8 / 1 / 172 / / इत्यनेनावोपसर्गस्य ओकारो वा भवति / तेन / ओऊढो / अवऊढो / ओगासो / अवगासो / इत्यादि सिद्धम् / बहुलाधिकारात् क्वचिन्न / अवगयं / अवसहो / इत्यादि / : .. // अथार्यवज्रशब्दः // _ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा अज्जवइरो द्वितीया अज्जवइरं अज्जवइरे अज्जवइरा तृतीया अज्जवंडरेणं ..अज्जवइरेहि अज्जवइरेहि / अज्जवइरेण अज्जवइरेहिं . . इत्यादि देववत् Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः ___द्य-य्य-र्यां जः / / 8 / 2 / 24 // एषु संयुक्तानां जो भवति / तेन अज्जइति सिद्धम् / __श-र्ष-तप्त-वज्रे वा / 8 / 2 / 105 / / इत्यनेन शर्षयोस्तप्तवज्रयोश्च संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व इकारो वा भवति / कगचजेत्यादिना जकारे लुकि / वइर इति सिद्धम् / चौर्यसमत्वाच्च / स्याद्भव्यचैत्यचौर्यसमेषु यात् / / 8 / 2. / 107 // इत्यनेन स्यादादिषु चौर्यशब्देन समेषु च संयुक्तस्य यात्पूर्व इद्भवति / तेन एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आरियवज्जो आरियवज्जा द्वितीया आरियवज्ज आरियवज्जे आरियवज्जा इत्यादि सिद्धम् // अथ सिद्धशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सिद्धो सिद्धा द्वितीया सिद्धं सिद्धे सिद्धा तृतीया सिद्धेणं सिद्धेण सिद्धेहि सिद्धेहिँ / सिद्धेहिं पञ्चमी | सिद्धत्तो सिद्धाओ (सिद्धत्तो सिद्धाओ | सिद्धाउ सिद्धाहि सिद्धाउ सिद्धाहि / सिद्धाहिन्तो सिद्धा सिद्धेहि सिद्धाहिन्तो सिद्धेहिन्तो सिद्धासुन्तो (सिद्धेसुन्तो . Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपायलिः एकवचनम् बहुवचनम् षष्ठी सिद्धस्स सिद्धाणं सिद्धाण सप्तमी सिद्धम्मि सिद्धे सिद्धेसुं सिद्धेसु सम्बोधनम् हे सिद्धो हे सिद्ध हे सिद्धा एवं बुद्धप्रबुद्धसंसिद्धादयो ज्ञेयाः // अथ नमस्कारशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नमुक्कारो नमुक्कारा द्वितीया नमुक्कारं नमुक्कारे नमुक्कारा तृतीया नमुक्कारेणं नमुक्कारेण नमुक्कारेहि नमुक्कारेहिँ निमुक्कारेहि पञ्चमी (नमुक्कारत्तो नमुक्काराओ नमुक्कारत्तो नमुक्काराओ नमुक्काराउ नमुक्काराहि नमुक्काराउ नमुक्काराहि नमुक्काराहिन्तो नमुक्कारा (नमुक्कारेहि नमुक्काराहिन्तो नमुक्कारहिन्तो नमुक्कारासुन्तो निमुक्कारेसुन्तो षष्ठी नमुक्कारस्स न मुक्काराणं नमुक्काराण सप्तमी नमुक्कारम्मि नमुक्कारे नमुक्कारेसुं नमुक्कारेसु सम्बोधनम् हे नमुक्कारो हे नमुक्कार हे नमुक्कारा नमस्कारपरस्परे द्वितीयस्य / / 8 / 1 / 62 // इत्यनेन द्वितीयस्याऽकारस्य ओत्वं भवति ततः / . . इस्वः संयोगे // 8 // 1 / 84 / / इत्यनेन हूस्वः / बहुलाधिकारात्पक्षे न इस्वस्तेन / नमोक्कारो इत्यादि / Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 18 'प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथपरस्परशब्दः॥ एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा परुप्परो परम्परा द्वितीया परुप्परं परुप्परे परुप्परा इत्यादि नमस्कारवत् . हस्वाभावे तु / परोप्परो, इत्यादि / क्लीबे / परुप्परं, परोप्परं / इत्यादि / कुलवत् / स्त्रियां तु / परुप्परा, परोप्परा, इत्यादि मालावत् / // अथ स्वरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सरो सरा द्वितीया सरं . सरे सरा इत्यादि एवं शरशब्दस्यापि, सरो सरा, इत्यादि / ॥अथ दीर्घशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दिग्घो दीहो दिग्घा दीहा द्वितीया दिग्धं दीहं दिग्घे दिग्घा दीहे दीहा तृतीया / दिग्घेणं दिग्घेण / दिग्घेहि दीहेहि / दीहेणं दीहेण दिग्घेहिँ दीहेहिँ दीग्घेहिं दीहेहिं इत्यादि देववत् Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सरा प्राकृतशब्दरूपावलिः ... दीर्घ वा / / 8 / 3 / 91 / / इत्यनेन दीर्घशब्दे घस्योपरि पूर्वो वा। . . . सर्वत्र लबरामवन्द्रे / / 8 / 2 / 79 // इति रेफस्य लुकि, हस्वः संयोगे, इति इस्वे / दिग्घो, इति रूपं सिद्धम् / पक्षे -- खघथधभाम् / / 8 / 1 / 187 / / इत्यनेन हकारे कृते दीहो, इति रूपं निष्पन्नम् / // अथ स्मरशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सरो द्वितीया सरं सरे सरा तृतीया . सरेणं सरेण सरेंहि सरेहिँ सरेहि इत्यादि // अथ नग्नशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा नग्गो •नग्गा द्वितीया नग्गं नग्गे नग्गा इत्यादि // अथ लग्नशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ' लग्गो लग्गा द्वितीया * लग्गं लग्गे लग्गा इत्यादि Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 20 . प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ व्याधशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा वाहो वाहा द्वितीया वाहं वाहे वाहा तृतीया वाहेणं वाहेण .. वाहेहि वाहेहिँ वाहेहिं . इत्यादि अधो मनयां लुक् / / 8 / 2 / 78 / / इत्यनेन संयुक्तस्याधो वर्त्तमानानां मनयां लुग् भवति / तेन स्मरादिव्याधपर्यन्तानां सिद्धिः / . // अथ पृथ्वीशशब्दः // . एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा पुहवीसो पुहवीसा द्वितीया पुहवीसं पुहवीसे पुहवीसा तृतीया पुहवीसेणं पुहवीसेण / पुहवीसेहि पुहवीसेहिँ / पुहवीसेहिं इत्यादि उदृत्वादौ / / 8 / 1 / 131 / / इत्यनेनादेर्ऋत उद् भवति खघथधभाम् / / 8 / 1 / 187 / / इत्यनेन हकारे कृते / पुहवीसो इति सिद्धम् Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः - अत्था अट्ठा - . // अथार्थशब्दः // * एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अत्थो द्वितीया अत्थं अत्थे अत्था इत्यादि एवं पदार्थसमर्थसार्थादयोऽर्थवत् अर्थशब्दोऽयं धनवाची / प्रयोजनवाचिनस्तु भिन्नानि रूपाणि यथा / - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अट्ठो द्वितीया अटुं . अटे अट्ठा . इत्यादि ___स्त्यान-चतुर्थार्थे वा / / 8 / 2 / 33 // इत्यनेन संयुक्तस्य . थस्य ठकारो वा। ___अनादौ शेषादेशयोर्द्धित्वम्. / / 8 / 2 / 89 // इत्यनेन द्वित्वम् / ... // अथ विकल्पशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विकप्पो विगप्पो विकप्पा विगप्पा द्वितीया विकप्पं विगप्पं विकप्पे विगप्पे विकप्पा विगप्पा __ इत्यादि Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 22 प्राकृतशब्दरूपावलिः व्यत्ययश्च / / 8 / 4 / 447 / / इत्यनेन कस्य गत्वं सर्वत्र बोध्यम् / // अथ हस्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् : प्रथमा हत्थो हत्था द्वितीया हत्थं हत्थे हत्था : तृतीया हत्थेणं हत्थेण हत्थेहि हत्थेहिँ हत्थेहिं इत्यादि स्तस्य थोऽसमस्तस्तम्बे / / 8 / 2 / 45 // इत्यनेन तस्य थः अनादौ शेषादेशयोर्द्धित्वम् / / // अथ कर्कशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कक्कसो कक्कसा द्वितीया कक्कसं कक्कसे कक्कसा तृतीया कक्कसेणं कक्कसेण कक्कसेहि कक्कसेहिँ / कक्कसेहि इत्यादि शषोः सः / / 8 / 1 / 260 / / इत्यनेन शकारस्य सकारः / कर्कशशब्दस्य सिद्धान्तापेक्षया तु, कक्खडो कक्खडा इत्याद्यपि भवति / Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . // अथाकूपारशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अकूवारो अकूवारा द्वितीया अकूवारं अकूवारे अकूवारा तृतीया अकूवारेणं अकूवारेण | अकूवारेहि अकूवारेहिँ / अकूवारेहिं इत्यादि // अथ स्वभावशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सहावो सहावा द्वितीया सहावं सहावे सहावा इत्यादि // अथ स्वरूपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सरूवो द्वितीया सरूवं. सरूवे सरुवा . इत्यादि ... सर्वत्र लबरामवन्द्रे / / 8 / 2 / 79 // इत्यनेन वकारस्य लुक् / // अथ धर्मशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा धम्मो . धम्मा द्वितीया धम्म धम्मे धम्मा सरुवा इत्यादि __. Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 24 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ पञ्चविधशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा पञ्चविहो पञ्चविहा द्वितीया पञ्चविहं . . पञ्चविहे पञ्चविहा इत्यादि सिद्धान्ते पणविहो पणविहा इत्यपि भवति / . // अथ गृहस्थशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गिहत्थो गिहत्था द्वितीया / गिहत्थं - गिहत्थे गिहत्था . इत्यादि इत्कृपादौ / / 8 / 1 / 128 / / इत्यनेन ऋकारस्येकार: // अथ गीतार्थशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गीयत्थो गीयत्था द्वितीया गीयत्थं गीयत्थे गीयत्था इत्यादि देववत् // अथ विकारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विगारो विकारो विगारा विकारा द्वितीया विगारं विकारं विगारे विगारा / विकारे विकारा इत्यादि Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . // अथ पर्यायशब्दः // ____ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पंज्जाओ पज्जाआ द्वितीया पज्जाअं पज्जाए पज्जाआ तृतीया पज्जाएणं पज्जाएण पिज्जाएहि पज्जाएहिँ पज्जाएहिं पञ्चमी पज्जाअत्तो पज्जाआओ पज्जाअत्तों पज्जाआओ (पज्जाआउ पज्जाआहि पज्जाआउ पज्जाआहि पिज्जाआहिन्तो पज्जाआ पज्जाएहि पज्जाआहिन्तो पज्जाएहिन्तो पज्जाआसुन्तो पिज्जाएसुन्तो षष्ठी पज्जाअस्स . . पज्जाआणं पज्जाआण सप्तमी पज्जाअम्मि पज्जाए * पज्जाएसुं पज्जाएसु सम्बोधनम हे पज्जाअ हे पज्जाओ हे पज्जाआ // अथ जय्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् ग्यमा : जज्जो जज्जा देतीया जज्जं जज्जे जज्जा इत्यादि // अथ वैद्यशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् थिमा वेज्जो वेज्जा देतीया वेज्जं .. . वेज्जे वेज्जा . . इत्यादि देववत् Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 26 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथोद्योतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा उज्जोओ . उज्जोआ द्वितीया उज्जोअं उज्जोए उज्जोआ इत्यादि .. एवं प्रद्योतखद्योतविपर्यासादयो ज्ञेयाः / द्यय्यर्यां जः // 8 / 2 / 24 / / इत्यनेन जः / वैद्यशब्दे तु / ऐत एत् / / 8 / 1 / 148 / / इत्यनेन ऐकारस्य एकारे कृते वेज्जो इति रूपं सिद्ध्यति / // अथ मार्गशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा मग्गो . . मग्गा द्वितीया मगं मग्गे मग्गा तृतीया मग्गेणं मंग्गेण मग्गेहि मग्गेहिँ मग्गेहिं इत्यादि / हूस्वः संयोगे इत्यनेन ह्रस्वः / // अथ विपाकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विवागो विवागा द्वितीया विवागं विवागे विवागा इत्यादि . Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः - 27 कगचजेत्यादिना कस्य लुकि सति, विवाओ विवाआ इत्यादि। एवं लोकशब्दस्यापि, विवादशब्दस्यापि, विवाओ, विवाआ, इत्यदि // अथ संपर्कशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संपक्को संपक्का द्वितीया संपक्कं संपक्के संपक्का इत्यादि // अथ श्लोकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . सिलोगो सिलोगा द्वितीया सिलोगं सिलोगे सिलोगा तृतीया सिलोगेणं सिलोगेण | सिलोगेहि सिलोगेहिँ . . . . सिलोगेहिं पञ्चमी | सिलोगत्तो सिलोगाओ सिलोगत्तो सिलोगाओ सिलोगाउ सिलोगाहिसिलोगाउं सिलोगाहि (सिलोगाहिन्तो सिलोगा सिलोगेहि सिलोगाहिन्तो | सिलोरोहिन्तो सिलोगासुन्तो (सिलोगेसुन्तों षष्ठी सिलोगस्स सिलोगाणं सिलोगाण सप्तमी सिलोगम्मि सिलोगे सिलोगेसुं सिलोगेसु सम्बोधनम् हे सिलोग हे सिलोगो . हे सिलोगा ककारस्य लुकि तु, सिलाओ, सिलोआ, इत्यपि Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 28 प्राकृतशब्दरूपावलिः . // अथ क्लेशशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा किलेसो किलेसा द्वितीया किलेसं किलेसे किलेसा इत्यादि // अथ प्लोषशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पिलोसो पिलोसा द्वितीया पिलोसं पिलोसे पिलोसा इत्यादि . // अथ प्लुष्टशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा पिलुट्ठो पिलुट्ठा द्वितीया पिलुटुं पिलुढे पिलुट्ठा इत्यादि // अथ श्लेशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिलेसो सिलेसा . द्वितीया सिलेसं सिलेसे सिलेसा इत्यादि , Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ म्लेच्छशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मिलिच्छो मिलिच्छा द्वितीया मिलिछं मिलिच्छे मिलिच्छा इत्यादि देववत् -- श्लोकादिम्लेच्छपर्यन्तेषु शब्देषु, लात् / / 8 / 2 / 106 / / इत्यनेन लकारात्पूर्व इकारः / बहुलाधिकारात् क्वचिन्न / क्लमस्य, कमो, प्लवस्य, पवो; विप्लवस्य, विप्पवो, शुक्लपक्षस्य, सुक्कपक्खो, इत्यादि क्रमशब्दस्यापि / कमो, कंमा, इत्यादि ॥अथ निर्वेदशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रयमा निव्वेओ __ निव्वेआ द्वितीया निव्वेअं निव्वेए निव्वेआ इत्यादि // अथ संस्तुतशब्दः // . : एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संथुओ संथुआ द्वितीया संथुरं संथुए संथुआ इत्यादि. // अथ प्रस्तरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . पत्थरो पत्थरा द्वितीया पत्थरं पत्थरे पत्थरा . इत्यादि Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ प्रशस्तशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . पसत्यो . . पसत्था द्वितीया पसत्थं पसत्थे पसत्था इत्यादि देववत् स्तस्य थोऽसमरतस्तम्बे / / 8 / 2 / 45 / / इत्यनेन स्तस्य थः समस्तशब्दस्य तु, समत्तो, समत्ता, स्तम्बशब्दस्यापि तम्बो, तम्बा, इत्यादि। // अथ निर्भरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णिब्भरो , णिब्भरा द्वितीया णिभरं णिब्भरे णिब्भरा * इत्यादि // अथ पार्श्वशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पासो पासा द्वितीया पासं पासे पासा - इत्यादि // अथ विषधरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विसहरो विसहरा द्वितीया विसहरं विसहरे विसहरा इत्यादि Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ | aai प्राकृतशब्दरुपावलिः // अथ तथाप्रकारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा तहप्पगारो तहप्पकारो तहप्पगारा, तहप्पकारा द्वितीया तहप्पगारं तहप्पकारं / तहप्पगारे, तहप्पगारा / तहप्पकारे, तहप्पकारा - इत्यादि // अथ तत्त्वप्रकाशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तत्तप्पगासो तत्तप्पगासा इत्यादि एवं रविप्रकाश-धर्मप्रकाशादयः ॥अथ द्वेषशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् वेसो द्वितीया वेसं . : वेसे वेसा इत्यादि ... // अथ द्वेष्यशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वेसो वेसा द्वितीया वेसं वेसे वेसा . इत्यादि प्रथमा वेसा Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपांवलिः __ क-ग-ट-ड-त-द-प-श-ष-स-xक-x पामूर्ध्वं लुक् / / 8 / 2 / 77 / / इत्यनेन संयुक्तदकारस्य लुकि, वेसो, इति रूपम्, द्वेष्यशब्दस्य, वेसो इत्यत्र तु / ___अधो म-न-याम् / / 8 / 2 / 78 / / इत्यनेन यकारस्य लुकि, वेसो, इत्यत्र / अनादौ शेषादेशयोर्द्रित्वम् / / 8 / 2 / 89 / / इत्यनेन द्वित्वे प्राप्ते / __ न दीर्घानुस्वारात् / / 8 / 2 / 92 / / इत्यनेन निषेध्यते / एवं प्रेष्यशब्दस्यापि, पेसो, पेसा, इत्यादि / // अथ विशेषशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा विसेसो , विसेसा इत्यादि शषोः सः / / 8 / 1 / 260 / / इति सः / // अथ द्वीपशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दीवा द्वितीया दीवं दीवे दीवा इत्यादि // अथ दीपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दीवो द्वितीया दीवं दीवे दीवा इत्यादि / एवं प्रदीपसुदीपादयः / दीवा Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः कगचजेत्यादिना, दकारस्य लुकि / पईवो, सुईवो, इत्यादि / पक्षे पदीवो, सुदीवो, इत्याद्यपि / // अथ शुभप्रदीपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुहप्पईवो सुहप्पईवा - इत्यादि दीपवत् / अनादौ शेषादेशयोर्द्धित्वम्, इति द्वित्वम् बहुलाधिकारात् क्वचिन्न / भुवणपईवं, इत्यादि / . // अथ संघबाह्यशब्दः // .. - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / संघबज्जो संघबज्जा द्वितीया संघबज्ज . संघबज्जे संघबज्जा इत्यादि // अथ विन्ध्यशब्दः // __एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विज्झो विज्झा द्वितीया विझं . . विज्झे विज्झा इत्यादि .. // अथ सह्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सज्झो . .. सज्झा द्वितीया सज्झं ... . सज्झे सज्झा . इत्यादि Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 34 प्राकृतशब्दरूपावलिः साध्वस-ध्य-ह्यां-झः // 8 / 2 / 26 // इत्यनेन झः / साध्वसशब्दस्तु नपुंसके वर्त्तते / तस्य रूपाण्येवम् / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सज्झसं . सज्झंसाइँ सज्झसाइं / सज्झसाणि इत्यादि // अथेष्टशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा इट्ठो . इट्टा द्वितीया इ8 इ8 इट्ठा इत्यादि ष्टस्यानुष्ट्रेष्टासंदष्टे / / 8 / 2 / 34 // इति ठकारः / . // अथोन्मार्गशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उम्मग्गो उम्मग्गा द्वितीया उम्मग्गं उम्मग्गे उम्मग्गा इत्यादि देववत् अधो म-न-याम् // 8 / 2 / 78 / / इति नस्य लुक् एवं सन्मार्गादयः / // अथ निष्ठितार्थशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निट्ठिअट्ठो निट्ठिअट्ठा द्वितीया निट्ठिअटुं "निट्ठिअढे निट्ठिअट्ठा इत्यादि / Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ पूज्यशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पुज्जो पुज्जा द्वितीया पुज्जं पुज्जे पुज्जा इत्यादि / / ह्रस्वः संयोगे / इत्यनेन ह्रस्वः / / अधो म-न-याम् / इति यकारस्य लुक् / अनादौ शेषादेशयोर्द्रित्वम् / / 8 / 2 / 89 / / इति द्वित्वम् / // अथ श्रमणशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . समणो . समणा इत्यादि / क्वचिच्च समणे इति प्रथमैकवचने भवति / यथा / समणे भगवं महावीरे। // अथ श्रावकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सावगो सावओ सावगा सावआ इत्यादि . // अथ संसर्गशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा संसग्गो संसग्गा द्वितीया संसगं .. संसग्गे संसग्गा इत्यादि Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ मग्नशब्दः // ___ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . मग्गो मग्गा - इत्यादि // अथ निर्मग्नशब्दः // एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा निम्मग्गो निम्मग्गा इत्यादि. ॥अथ कर्तव्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कायव्वो कायव्वा द्वितीया कायव्वं कायव्वे कायव्या . इत्यादि ॥अथ लेखशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् . लेहा इत्यादि / लेखस्त्रिदशः / // अथ संस्कारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा सक्कारो सक्कारा प्रथमा इत्यादि Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 37 प्राकृतशब्दरूपावलिः विंशत्यादेर्लुक् // 8 / 1 / 28 // इत्यनेनानुस्वारस्य लुक् / // अथ प्रतिभिन्नशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पडिभिन्नो पडिभिन्ना द्वितीया पडिभिन्नं पडिभिन्ने पडिभिन्ना इत्यादि // अथ प्रतिहासशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पडिहासो पडिहासा इत्यादि प्रत्यादौ डः / / 8 / 1. / 206 // इत्यनेन तस्य डकारः एवं प्रतिहार-प्रतिसारादयः / // अथ संपृक्तशब्दः // . : एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संपुत्तो संपुत्ता इत्यादि / एवं पुत्रस्यापि पुत्तो पुत्ता / इत्यादि। . ... // अथ स्पृष्टशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पुट्ठो पुट्ठा द्वितीया पुढे - पुढे पुट्ठा ___ इत्यादि Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 38 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ परामृष्टशब्दः॥ ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा परामुट्ठो परामुट्ठा .. द्वितीया परामुटुं परामुढे परामुट्ठा इत्यादि // अथ प्रवृष्टशब्दः // . एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा . पउट्ठो . . पउट्ठा इत्यादि ... // अथ प्रावृतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पावुओ . पावुआ इत्यादि / प्रत्यादौ डः / इत्यनेन डत्वे कृते / पाउडो / // अथ प्राभृतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पाहुओ पाहुडो पाहुआ पाहुडा प्रथमा इत्यादि // अथ परभृतशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् परहुओ परहुआ * इत्यादि प्रथमा Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलि .. 39 ॥अथ संवृतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संवुओ संवुआ द्वितीया संवुअं संवुए संवुआ इत्यादि / संवुडो संवुडा / इत्याद्यपि / // अथ वृत्तान्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वुत्तन्तो . वत्तन्ता इत्यादि / एवं निवृतावृतनिभृतविवृतजामातृकमातृकभ्रातृकपितृकादयः / उदृत्वादौ / / 8 / 1 / 131 / / इत्यनेनादेव्रत उकार: / ॥अथ घृद्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वुड्डो .. वुड्डा द्वितीया वुटुं वुड्ढे वुड्डा तृतीया वुड्डेणं वुड्डेण वुड्डेहि वुड्ढेहिँ वुड्डेहिं . इत्यादि / . दग्ध-विदग्ध-वृद्धे ढः / / 8 / 2 / 40 // इत्यनेन ढः / .. . // अथ वृन्दारकशब्दः / ___ एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा वुन्दारगो वुन्दारओ वुन्दारगा वुन्दारआ द्वितीया वुन्दारगं वुन्दारअं . वुन्दारगे वुन्दारए .] वुन्दारगा वुन्दारआ . इत्यादि / वन्दारगो, वन्दारओ, इत्याद्यपि भवति / Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 40 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ निवृत्त-शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा निवुत्तो निअत्तो निवुत्ता निअत्ता द्वितीया निवुत्तं निअत्तम् निवुत्ते निवुत्ता - निअत्ते निअत्ता . . इत्यादि . . // निवृत्त-वृन्दास्के वा / / 8 / 1 / 132 / / अनयोर्ऋत उद्धा भवति / // अथ निशाचर-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निसाअरो निसिअरो निसाअरा निसिअरा इत्यादि इ: सदादौ वा / / 8 / 1 / 72 / / इत्यनेन वेकारः / एवं निशाकरादयः / // अथ कुम्भकार-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कुम्भ-आरो कुम्भारो कुम्भ-आरा कुम्भारा इत्यादि / / पदयोः सन्धिर्वा / / 8 / 1 / 5 // इत्यनेन वा सन्धिः / // अथ सुपुरुष-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सु-उरिसो सूरिसो सु-उरिसा सूरिसा इत्यादि / पुरुषे रोः / / 8 / 1 / 111 / / इत्यनेन रुकारस्येकारः / प्रथमा Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 41 // अथ सातवाहन-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सालाहणो सालाहणा इत्यादि / / अतसी-सातवाहने लः // 8 / 1 / 211 // इत्यनेन तकारस्य लकारः / कगचजेत्यादिना वकारस्य लुकि, नित्यं सन्धिः वकारस्य लोपाभावपक्षे तु / सालवाहणो, इत्यादि / सातवाहनो नामा राजा। // अथ चक्रवाक-शब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा चक्काओ चक्काआ द्वितीया चक्काअं चक्काए चक्काआ. इत्यादि चक्कवाओ, चक्कवाआ, इत्यादि, सातवाहनवत् / // अथ त्रिदशेशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तिअसीसो .. तिअसीसा __ इत्यादि लुक् / / 8 / 1 / 10 / / इत्यनेन त्रिदशशब्दे शकारस्थिताकारस्य लुक् / Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .42 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ ऋषभशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा रिसहो उसहो . रिसहा उसहा इत्यादि ऋणवृषभवृषौ वा / / 8 / 1 / 141 / / इत्यनेन ऋतो रिर्वा भवति / . // अथ वृषभशब्दः // एकवचनम् ' बहुवचनम् प्रथमा / उसहो वसहो / उसहा वसहा इत्यादि ___ // अथ दुःसहशब्दः // एकवचनम् ___ बहुवचनम् प्रथमा दूसहो दुसहो . दूसहा दुसहा इत्यादि . ___ निर्दुरोर्वा / / 8 / 1 / 13 // इत्यनेन निर् दुर् इत्येतयोरन्त्यव्यञ्जनस्य वा लुकि, लुंकि दुरो वा / / 8 / 1 / 115 / / दुरुपसर्गस्य लोपे सति उत ऊत्वं वा, पक्षे दुस्सहो दुस्सहा इत्यादि / // अथ दुःखितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा दुहिओ दुनिओ दुहिआ दुखिआ द्वितीया दुहिअं दुक्खिअं दुहिए दुखिए इत्यादि Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ दक्षिण-शब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा दाहिणो दक्विणो दाहिणा दक्खिणा इत्यादि दुःख-दक्षिण-तीर्थे वा / / 8 / 2 / 72 / / इत्यनेन हकारे कृते / / दक्षिणे हे . / / 8 / 1 / 45 / / इत्यनेनादेः स्वरस्य दी? भवति हे परे। // अथ पराङ्मुख-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा परंमुहो परंमुहा . द्वितीया परंमुहं . परंमुहे परंमुहा इत्यादि // अथ कञ्चुक-शब्दः // एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा कंचुओ कञ्चुओ कंचुआ कञ्चुआ इत्यादि / - ङ-अ-ण-नो व्यञ्जने / / 8 / 1 / 25 / / इत्यनेनानुस्वारः / / वर्गेऽन्त्यो वा // 8 / 1 / 30 // इत्यनेनानुस्वारस्य स्थाने वर्गस्यान्त्यो वा भवति / . . .. // अथ षण्मुख शब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छंमुहो छण्मुहो- छंमुहा छण्मुहा . इत्यादि Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ षष्ठ शब्दः // ... एकवचनम् . बहुवचनम् छट्टो छट्ठा. ... प्रथमा इत्यादि ॥अथ.शाव-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छावो , छावा द्वितीया छावं ... छावे छावा इत्यादि // अथ षट्पद शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छप्पओ छप्पआ द्वितीया छप्पअं छप्पए छप्पआ __ इत्यादि // अथ सप्तपर्ण-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा छत्तिवण्णो छत्तवण्णो छत्तिवण्णा छत्तवण्णा द्वितीया छत्तिवण्णं छत्तवण्णं छत्तिवण्णे छत्तिवण्णा / छत्तवण्णे छत्तवण्णा सप्तपणे वा / / 8 / 1 / 49 / / इत्यनेन वा इत्वम् / षट्-शमी-शाव-सुधा-सप्तपर्णेष्वादेः छः / / 8 / 1 / 265 / / Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यनेन, षण्मुखादितः सप्तपर्णपर्यन्तेषु शब्देषु छकारः / षट्शब्दस्य तु छ इति रूपम् / शमीशब्दस्य छमीति / सुधाशब्दस्य छुहा, इत्यादि स्त्रीलिङ्गे मालावत् / // अथ शरद्-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सरओ सरआ द्वितीया सरअं सरए सरआ . इत्यादि // अथ भिषकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भिसओ भिसआ द्वितीया भिसअं ' भिसए भिसआ ..इत्यादि शरदादेरत् / / 8 / 1 / 18 / / इत्यनेनान्त्यव्यञ्जनस्याकारः / // अथ प्रावृष्शब्दः // . एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा पाउसो . पाउसा इत्यादि दिक्-प्रावृषोः सः / / 8 / 1 / 19 / / इत्यनेनान्त्यव्यञ्जनस्य सः / / कगचजेत्यादिना वकारस्य लुकि / / उदृत्वादौ / / 8 / 1 / 131 / / इत्यनेन ऋत उद् भवति / दिक्शब्दस्य तु दिसा इति स्त्रीलिङ्गे मालावत् / Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ दीर्घायुष-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा दीहाऊसो * दीहाऊसा द्वितीया दीहाऊसं दीहाऊसे दीहाऊसा तृतीया दीहाऊसेणं दीहाऊसेण | दीहाऊसेहि दीहाऊसेहिँ दीहाऊसेहि पञ्चमी/दीहाऊसत्तों दीहाऊसाओ /दीहाऊसत्तो दीहाऊसाओ दीहाऊसाउ दीहाऊसाहि दीहाऊसाउ दीहाऊसाहि दीहाऊसाहिन्तो दीहाऊसा दीहाऊसेहि दीहाऊसाहिन्तो दीहाऊसेहिन्तो दीहाऊसा , सुन्तो दीहाऊसेसुन्तो षष्ठी दीहाऊसस्स दीहाऊसाणं दीहाऊसाण सप्तमी दीहाऊसे दीहाऊसम्मि दीहाऊसेसुं दीहाऊसेसु सम्बोधनम् हे दीहाऊसो हे दीहाऊस हे दीहाऊसा आयुरप्सरसोर्वा // 8 / 1 / 20 / / इत्यनेनान्त्यव्यञ्जनस्य सः / पक्षे / दीहाऊ इत्यादि गुरुशब्दवत् / // अथानुस्वार-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अणुसारो अणुसारा इत्यादि, एवमनुसारादयोऽपि। Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . // अथ कर्कोटशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कंकोडो कंकोडा . द्वितीया कंकोडं . कंकोडे कंकोडा इत्यादि / टो डः / / 8 / 1 / 195 / / इत्यनेन डकार: // वक्रादावन्तः / / 8 / 1 / 26 // इत्यनेनानुस्वारः / // अथ वृश्चिक-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा विञ्चुओ विंचुओ विञ्चुआ विंचुआ इत्यादि / / वृश्चिके श्चेञ्चुर्वा / / 8 / 2 / 16 // इत्यनेन सस्वरस्य श्चेः स्थानेञ्चुरादेशों वा / पक्षे // छोऽक्ष्यादौ / / 8 / 2 / 17 / / इत्यनेन छकारे कृते / एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा विछिओ विञ्छिओ विछिआ विञ्छिआ - इत्याद्यपि भवति . // अथ वयस्य-शब्दः // बहुवचनम् प्रथमा वयंसो वयंसा द्वितीया वयंसं वयंसे वयंसा - इत्यादि / अधो मनयाम् // 8 / 2 / 78 // इत्यनेन यकारस्य लुक् अत्र, वक्रादावन्तः / / 8 / 1 / 26 / / इत्यनेनानुस्वारः / Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 48 वंका प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ मार्जारशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् ' ' प्रथमा मञ्जरो वञ्जरो .. मजरा वञ्जरा इत्यादि / / मार्जारस्य मञ्जर-वञ्जरौ / / 8 / 2 / 132 / / वा भवतः / पक्षे / / हूस्वः संयोगे / / इत्यनेन ह्रस्वे कृते / ।।वक्रादावन्तः / / इत्यनुस्वारे कृते मंजारो मंजारा इत्यादि बहुलाधिकाराद्यदानुस्वाराभावस्तदा, मृज्जारो मज्जारा इत्यादि / // अथ वक्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वंको द्वितीया वंकं वंके वंका __इत्यादि / वक्को वक्का इत्याद्यपि भवति / // अथ वय॑शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वज्जो . वज्जा / द्वितीया वज्जं वज्जे वज्जा इत्यादि / एवं वर्जशब्दस्यापि वज्जो वज्जा इत्यादि / ॥अथोपदिश्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उवदिस्सो उवदिस्सा . द्वितीया उवदिस्सं उवदिस्से उवदिस्सा इत्यादि Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः.. // अथ वृक्षशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा रुक्खो रुक्खा द्वितीया रुक्खं रुक्खे रुक्खा इत्यादि // अथ क्षिप्तशब्दः / एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा छूढो छूढा द्वितीया छूढं छूढे छूढा - इत्यादि. देववत् वृक्ष-क्षिप्तयो रुख-छूढौ / / 8 / 2 / 127 / / इत्यनेन वा भवतः / पक्षे / वच्छो वच्छा / खित्तो खित्ता इत्यादि / . // अथ सिंहशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिंघो सीहो / सिंघा सीहा द्वितीया सिंघं सीहं (सिंघे सीहे. / सिंघा सीहा इत्यादि / / हो घोनुस्वारात् / / 8 / 1 / 264 / / इत्यनेन वा घकारः / / मांसादेर्वा / / 8 / 1 / 29 / / इत्यनेनानुस्वारस्य वा लुक् / ईर्जिह्या-सिंह-त्रिशदिशतौ त्या / / 8 / 1 / 92 / / इत्यनेनेकारस्य दीर्घः / बहुलाधिकारात् क्वचिन्न / सिंहदत्तो, सिंहराओ इत्यादि / . Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ स्वाध्यायशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा सज्जाओ _ . सज्जाआ द्वितीया सज्जा सज्जाए सज्जाआ तृतीया सज्जाएणं सज्जाएण सज्जाएहि सज्जाएहिँ . सज्जाएहि पञ्चमी सज्जाअत्तो सज्जाआओ सज्जाअत्तो सज्जाआओ सज्जाआउ सज्जाआहिं सज्जाआउ सज्जाआहि . सज्जाआहिन्तो सज्जाआ सज्जाएहि सज्जाआहिन्तो सज्जाएहिन्तो सज्जाआसुन्तो , सज्जाएसुन्तो षष्ठी सज्जाअस्स सज्जाआणं सज्जाआण सप्तमी सज्जाए सज्जाअम्मि सज्जाएसुं सज्जाएसु सम्बोधनम् हे सज्जाओ हे सज्जाअ हे सज्जाआ // अथोपाध्याय-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / ऊज्जाओ ओज्जाओ / ऊज्जाआ ओज्जाआ / उवज्जाओ . , / उवज्जाआ द्वितीया / ऊज्जाअं ओज्जाअं / ऊज्जाए ऊज्जाआ / उवज्जा ओज्जाओ ओज्जाआ / उवज्जाए उवज्जाआ इत्यादि Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः. // अथोपवास-शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा ऊआसो ओआसो ऊआसा ओआसा / उववासो ।उववासा इत्यादि / / ऊच्चोपे // 8 / 1 / 173 / / उपशब्दे आदेः स्वरस्य परेण सस्वरव्यञ्जनेन सह ऊत् ओच्चादेशौ वा भवतः // अथाचार्य-शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा आइरिओ आयरिओ - आइरिआ आयरिआ इत्यादि / आचार्ये चोऽच्च / / 8 / 1 / 73 // इत्यनेन चकारस्थितस्याऽऽकारस्येत्वमत्वं च भवति / // स्याद्भव्यचैत्यचौर्यसमेषु यातू / / 8 / 2 / 107 / / इत्यनेन यात्पूर्व इकारः / - // अथ भव्यशब्दः // एकवचनम् . . . बहुवचनम् प्रथमा भविओ भविआ द्वितीया भविअं . भविए भविआ इत्यादि / भव्वो भव्वा इत्याद्यपि / एवं भविकशब्दस्यापि / भविओ भविआ / इत्यादि / // अथ सूर्यशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सूरिओ सूरिआ द्वितीया सरिजं .. सूरिए सूरिआ इत्यादि / सुज्जो सुज्जा इत्याद्यपि भवति / Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'आउ. - प्राकृतशब्दरूपावलिः .. // अथ स्याद्वादशंब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिआ-वाओ सिआ-वाआ द्वितीया सिआ-वाअं सिआवाए सिआवाआ तृतीया (सिआ-वाएणं (सिआ-वाएहि सिआ सिआ-वाएण / वाएहिँ सिआ-वाएहिं पञ्चमी | सिआ-वाअत्तो सिआ-वाअत्तो सिआसिआ-वाआओ / वाआओ सिआ-वाआउ सिआ-वाआउ सिआ-वाआहि सिआ-वाआहि सिआ-वाआहिन्तो ' | सिआ-वाएहि सिआ-वाआ सिआ-वाआहिन्तो सिआ-वाएहिन्तो सिआ-वाआसुन्तो सिआ-वाएसुन्तो षष्ठी सिआ-वाअस्स / सिआ-वाआणं / सिआ-वाआण सप्तमी | सिआ-वाए सिआ-वासु / सिआ-वाअम्मिसिआ-वाएसु सम्बोधनम् हे सिआ-वाओ हे सिआ-वाआ हे सिआ-वाअ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथोपसर्ग-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उवसग्गो उवसग्गा द्वितीया उवसग्गं उवसग्गे उवसग्गा इत्यादि // अथ शपथशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सवहो सवहा द्वितीया सवहं सवहे सवहा इत्यादि // अथ शांपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सावो सावा द्वितीया सावं .. सावे सावा . इत्यादि . कगचजेत्यादिना पकारस्य लुकि प्राप्ते, नावात्पः / / 8 / 1 / 179 / / इत्यनेनादेः पकारस्य लुग् न भवति / // अथ स्तवशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा थवो तवो . . थवा तवा द्वितीया थवं तवं. ... थवे थवा .. तवे तवा Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / / स्तवे वा / / 8 / 2 / 46. / / इत्यनेन स्तस्य थकारः / // अथोष्ट्र-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उट्टो __ उट्टा द्वितीया उट्टे उट्टे उट्टा इत्यादि / / ष्टस्यानुष्ट्रेष्टासंदष्टे / / 8 / 2 / 34 / / उष्ट्रादिवर्जिते ष्टस्य ठो भवतिं / इष्टाशब्दस्य, इट्टा संदष्टशब्दस्य संदट्टो इत्यादि / ॥अथ पुष्टशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पुट्ठो . पुट्ठा द्वितीया पुढे ___पुढे पुट्ठा इत्यादि // अथ प्रद्युम्नशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पज्जुण्णो पज्जुण्णा द्वितीया पज्जुण्णं पज्जुण्णे पज्जुण्णा इत्यादि // द्यय्यर्यां जः // 8 / 2 / 24 / / इत्यनेन जः // म्नज्ञोर्णः / / 8 / 2 / 42 / / इत्यनेन ज्ञस्य णत्वे कृते पज्जुण्णो इति रूपं सिद्ध्यति / Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - - प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ चतुर्थशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चिउट्ठो चोत्थो चउट्ठा ।चउत्थो चउत्था . इत्यादि ॥अथ चतुर्वारशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . चोव्वारो चउवारो . चोव्वारा चउवारा द्वितीया चोव्वारं चउव्वारं चोव्वारे चउव्वारे चोव्वारा चउव्वारा इत्यादि ॥अथ मयूखशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मोहो मऊहो .. मोहा मऊहा . इत्यादि ॥अथ चतुर्गुणशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चोग्गुणो चउग्गुणो चोग्गुणा चउग्गुणा इत्यादि ॥अथ सुकुमारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सोमालो सुकुमालो सोमाला सुकुमाला इत्यादि Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 56 - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथोदूखल-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ओहलो उऊहलो ओहला उऊहला . इत्यादि || नवा मयूख-लवण-चतुर्गुण-चतुर्थ-चतुर्दश-चतुर्वारसुकुमार-कुतूहलोदूखलोलूखले // 8 / 1 / 171 / / इत्यनेनादेः स्वरस्य परेण सस्वरव्यञ्जनेन सह ओकारो वा भवति। . .. अथ पङ्कशब्दः॥ एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा पंको पङ्को . पंका पता द्वितीया पंकं पकं पंके पड़े / पंका पङ्का इत्यादि / एवं शङ्ककण्टकषण्ढबन्धवबान्धवारम्भादयः / ॥अथ पन्थशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पन्थो पंथो पन्था पंथा द्वितीया पन्थं पंथं पन्थे पन्था पिंथे पंथा इत्यादि / पथिशब्दसमानार्थकोऽयं पन्थशब्दः // वर्गेऽऽन्त्यो वा // 8 / 1 / 30 // इत्यनेन वर्गस्यान्त्यो वा भवति / ॥अथ चन्द्र शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चन्दो चंदो चन्दा चंदा चन्द्रो चंद्रो / चन्द्रा चंद्रा Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . इत्यादि / नेरो नवा // .8 / 2 / 80 // इत्यनेन द्रशब्दे रेफस्य वा लुक् / एवं रुद्र-समुद्रादय / ॥अथार्थावग्रह-शब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अत्थुग्गहो अत्थुग्गहा द्वितीया अत्थुग्गहं अत्थुग्गहे अत्थुग्गहा इत्यादि / अवापोते / / 8 / 1 / 172 // इत्यनेन अव इत्यस्य ओकारे कृते / हुस्वः संयोगे, इत्यनेन हुस्वे कृते / अत्थुग्गहो यस्यावग्रहशब्दस्य जस्सुग्गहो, इत्यादि / ॥अथ ग्राह्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गेज्जो / गेज्जा द्वितीया गेज्जं . गेज्जे गेज्जा इत्यादि / एद् ग्राह्ये // 8 / 1 / 78 // इत्यनेन एकारः // हस्वः संयोगे, इत्यनेन ह्रस्वे कृते / गिज्जो गिज्जा इत्यादि / // अथ मद्याङ्गशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मज्जंगो . * मज्जंगा द्वितीया मज्जंगं मज्जंगे मज्जंगा इत्यादि ॥अथ व्यापारशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा वावारो . वावारा द्वितीया वावारं वावारे वावारा .. . इत्यादि Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ षड्विधशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा छव्विहो छव्विहा द्वितीया छव्विहं छव्विहे छव्विहा इत्यादि ॥अथ चार्वाकशब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चव्वाओ , चव्वाआ . इत्यादि // अथ अथाकार-शब्दः // एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा आगारो आगारा . इत्यादि ॥अथाकर-शब्दः // . . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आगरो आगरा इत्यादि // अथाधार-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आहारो आधारो आहारा आधारा इत्यादि, एवमाहारशब्दस्यापि। . Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथाकाश-शब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आगासो आगासा द्वितीया आगासं आगासे आगासा इत्यादि ॥अथारब्ध-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आढत्तो आरद्धो आढत्ता आरद्धा द्वितीया आढत्तं आरद्धं . आढत्ते आढत्ता आरद्धे आरद्धा इत्यादि ॥अथ पक्ष-शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पक्खो पक्खा द्वितीया पक्खं पक्खे पक्खा तृतीया पक्खेणं पक्खेण पक्खेहि पक्खेहिँ / पक्खेहि __इत्यादि ॥अथ विद्यमानशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विज्जमाणो . विज्जमाणा द्वितीया * विज्जमाणं. विज्जमाणे विज्जमाणा इत्यादि Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथाभ्युपगम-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अब्भुवगमो .. अब्भुवगमा .. द्वितीया अब्भुवगमं - अब्भुवगमे अब्भुवगमा इत्यादि ॥अथ चतुर्भुजशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चउब्भुजो चउब्भुजा इत्यादि // अथ सव्यशब्दः // - एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा सव्वो , सव्वा द्वितीया सव्वं सव्वे सव्वा . इत्यादि ॥अथ नानारूपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णाणारूवो . णाणारूवा द्वितीया णाणारूवं णाणारूवे णाणारूवा इत्यादि ॥अथानतिरिक्त-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अणइरित्तो अणइरित्ता इत्यादि Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ निक्षेपशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णिक्खेवो णिक्खेवा द्वितीया णिक्खेवं . णिक्खेवे णिक्खेवा इत्यादि ॥अथ श्रुतस्कन्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुअक्खन्धो / सुअक्खन्धा द्वितीया सुअक्खन्धं सुअक्खन्धे सुअक्खन्धा इत्यादि / / ष्क-स्कयो म्नि / / 8 / 2 / 4 // इत्यनेन खकारः ॥अथ पार्श्वस्थशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . पासत्थो पासत्था द्वितीया पासत्थं पासत्थे पासत्था इत्यादि ॥अथ संविग्नशब्दः॥ ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संविग्गो संविण्णो संविग्गा संविण्णा .. इत्यादि : ॥अथोद्विग्न-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उव्विग्गो उविण्णो उव्विग्गा उव्विण्णा . . इत्यादि . Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथाष्टम-शब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अनुमो अट्ठमा द्वितीया अट्ठमं अट्ठमे अट्ठमा इत्यादि ॥अथ कुल शब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा कुला . . कुला द्वितीया कुलं . कुले कुला ___इत्यादि // वाक्ष्यर्थवचनाद्याः // 8 / 1 / 33 // इत्यनेन वा पुंवद्भावः / पक्षे कुलं, कुलाइँ कुलाई कुलाणि इत्यादि नपुंसके / एवं छन्दस्शब्दस्य, छन्दो, छन्दं माहात्म्यशब्दस्य माहप्पो माहप्पं / इत्यादि ॥अथ यशस्शब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जसो द्वितीया जसं जसे 'जसा इत्यादि / आदेर्यो जः- // 8 / 1 / 245 // इत्यनेन जः / पयशब्दस्य पओ। तेजस: तेओ / तमसः तमो / उरस: उरो / वक्षस्शब्दस्य तु वच्छो इत्यादि देववत् / ॥अथ जन्मन्शब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जम्मो जम्मा द्वितीया. जम्म जम्में जम्मा __ जसा Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः. __ इत्यादि / न्मो मः // 8 / 2 / 61 // इत्यनेन न्मस्य मः / एवं नर्मन्मर्मन्वर्मन् प्रभृतयः / यच्च सेयं, वयं, सुमणं, सम्मं, चम्ममिति दृश्यते तद्वहुलाधिकारात् / स्नमदामशिरोनभः // 8 / 1 / 32 // इत्यनेन पुंवद्भावः ॥अथ गुणशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गुणो गुणा द्वितीया गुणं . गुणे गुणा इत्यादि / गुणाद्याः क्लीबे वा // 8 / 1 / 34 // प्रयोक्तव्या इत्यर्थः / नपुंसके तु / गुणं गुणाइँ गुणाई गुणाणि / इत्यादि / ॥अथ स्नेहशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सणेहो नेहो सणेहा नेहा - इत्यादि // स्नेहाग्न्योर्वा / / 8 / 2 / 102 / / अनयोः संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वोऽकारो वा भवति। ॥अथ निकषशब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा निहसो निहसा द्वितीया निहसं - निहसे निहसा इत्यादि ॥अथ स्फटिकशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा फलिहो फलिहा द्वितीया फलिहं ..... फलिहे फलिहा Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि ॥अथ चिकुरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चिहुरो चिहरा द्वितीया चिहुरं चिहुरे चिहुरा इत्यादि / निकष-स्फटिक-चिकुरे हः / / 8 / 1 / 186 / / इत्यनेन कस्य हकारः। स्फटिकशब्दे तु // स्फटिके लः // 8 / 1 / 197 // इत्यनेन टकारस्य लकारः / ॥अथ कदम्बशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कलम्बो कलंबो कलम्बा कलंबा इत्यादि / कदम्बे वा / / 8 / 1 / 222 / / इत्यनेन दस्य वा लकारः / पक्षे / कयंबो कयंबा इत्यादि / ॥अथ प्रश्नशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पण्हो . पण्हा द्वितीया पण्हं पण्हे पण्हा इत्यादि ॥अथ शिश्नशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिहो सिण्हा . द्वितीया सिहं सिण्हे सिण्हा ___ इत्यादि / सूक्ष्म-श्न-ष्ण-स्न-ह्र-ण-क्षणां-बह:- // 8 / 2 / 75 // इत्यनेन श्नस्य स्थाने णकाराक्रान्तो हकारो भवति / Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः .॥अथ स्वप्नशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिविणो सिमिणो सिविणा सिमिणा द्वितीया सिविणं सिमिणं सिविणे सिविणा / सिमिणे सिमिणा इत्यादि / इ: स्वप्नादौ // 8 / 1 / 46 // इत्यनेनादेरकारस्येत्वम् // स्वप्ने नात्. / / 8 / 2 / 108 // इत्यनेन स्वप्न शब्दे नकारात्पूर्व इकारः / स्वप्ननीव्योर्वा // 8 / 1 / 259 // इत्यनेन वकारस्य वा मकारः / आर्षे उकारोऽपि / यथा / सुमिणो, सुमिणा, इत्यादि / ॥अथ वेतसशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वेडिसो वेडिसा .. द्वितीया वेडिसं .. वेडिसे वेडिसा ... इत्यादि / इत्वे वेतसे // ,8 / 1 / 207 // इत्यनेन तस्य डकारः / इत्वाभावे तु / वेअसो वेअसा इत्यादि / . ॥अथ मृदङ्गशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मिइङ्गो. मुइङ्गो मिइङ्गा मुइङ्गा _ इत्यादि . . ॥अथ नसृकशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा नत्तिओ नत्तुओ नत्तिआ नत्तुआ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / इदुतौ वृष्ट-वृष्टि-पृथङ्-मृदङ्ग-नप्तृके // 8 / 1 / 137 / / इत्यनेन ऋकारस्येकारोकारौं भवतः / ... ॥अथ वृष्टशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विठ्ठो वुट्ठो विट्ठा वुट्ठा इत्यादि ॥अथ कृपणशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किविणो किविणा . द्वितीया किविणं. . किविणे किविणा इत्यादि / इत्कृपादौ / / 8 / 1 / 128 // इत्यनेन ऋकारस्येकारः। . ॥अथोत्तम-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उत्तिमो उत्तिमा द्वितीया उत्तिमं उत्तिमे उत्तिमा इत्यादि / उत्तमो उत्तमा इत्यपि भवति / ॥अथ देवदत्तशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा देवदिण्णो देवदिण्णा द्वितीया. देवदिण्णं देवदिण्णे- देवदिण्णा इत्यादि / बहुलाधिकाराण्णत्वाभावे न भवतीकारः दत्तं / देवदत्तो। Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 67 प्राकृतशब्दपावलिः ___पंचाशत्-पंचदश-दत्ते // 8 / 2 / 43 // एषु संयुक्तेषु णकार: / पण्णासा। पण्णरह / दिण्णं / ॥अथाङ्गार -शब्दः // एकवचनम् बहवचनम् प्रथमा इङ्गालो अङ्गारो इङ्गाला अङ्गारा इत्यादि / पक्वाङ्गारललाटे वा / / 8 / 1 / 47 // इत्यनेनादेरत इत्वं वा // हरिद्रादौ लः // 8 / 1 / 254 // इत्यनेन लकारः / ॥अथ मध्यमशब्दः॥ एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा मज्झिमो मज्झिमा द्वितीया मज्झिमं . मज्झिमे मज्झिमा इत्यादि / मध्यम-कतमे द्वितीयस्य / / 8 / 1 / 48 // इत्यनेन द्वितीयस्यात इत्वं वा। // अथ विषमयशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा विसमइओ . विसमइआ द्वितीया विसमइअं विसमइए विसमइआ इत्यादि // मयट्यइर्वा // 8 / 1 / 50 // मयटि प्रत्यये आदेरतः स्थाने अइ इत्यादेशः / पक्षे / विसमओ विसमआ इत्यादि। ॥अथ हरशब्दः // . एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा हीरो हरो . हीरा हरा द्वितीया हीरं हरं हीरे हीरा / हरे हरा Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / ईर्ह रे वा / / 8 / 1 / 5.1 / / इत्यनेनादेरत ईर्वा / ॥अथ खण्डितशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खुडिओ खण्डिओ . खुडिआ खण्डिआ इत्यादि / वन्द्र-खण्डिते णा वा / / 8 / 1 / 53 / / इत्यनेनादेरकारस्य णकारेण सहितस्योत्वं वा भवति। . . .॥अथ प्रथमशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ।पुढुमो पुढमो . . पुदुमा पुढमा - पढुमो पढमो पढुमा पढमा इत्यादि / प्रथमे पथोर्वा // 8 // 1 // 55 // इत्यनेन प्रथमशब्दे पकारथकारयोरकारस्य युगपत् क्रमेण च उकारो वा भवति / / मेथि-शिथिर-शिथिल-प्रथमे थस्य ढः / / 8 / 1 / 215 // इत्यनेन थस्य ढः / ॥अथ गवयशब्दः॥ .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गउओ गउआ द्वितीया गउअं गउए गउआ इत्यादि / / गवये वः // 8 / 1 / 54 / / इत्यनेन वकाराकारस्योकारः। ॥अथ प्राज्ञशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पज्जो . * पज्जा . द्वितीया पज्जं पज्जे पज्जा Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः .. इत्यादि / / ज्ञो ञः / / 8 / 2 / 83 / / इत्यनेन ज्ञः सम्बन्धिनो अस्य वा लुक् , पक्षे / म्न-ज्ञोर्णः / / 8 / 2 / 42 // इत्यनेन ज्ञस्य णकारे कृते / पण्णो पण्णा इत्यादि / ॥अथ प्रज्ञशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा पज्जो ‘पण्णो पज्जा पण्णा . इत्यादि ॥अथोत्कर-शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उक्केरो उक्करो . . उक्केरा उक्करा द्वितीया उक्केरं उक्करं / उक्केरे उक्करे / उक्केरा उक्करा इत्यादि // वल्ल्युत्करपर्यन्ताश्चर्ये वा // 8 / 1 / 58 // इत्यनेनादेरस्य एत्वं वा। ॥अथ पर्यन्तशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पेरंतो पज्जंतो . परंता पज्जंता . __ इत्यादि / एतः पर्यन्ते / / 8 / 2 / 65 // इत्यनेन पर्यन्तशब्दे र्यस्य रो भवति एत्वे कृते सति / द्य-य्य-र्यां जः // 8 / 2 / 24 // इत्यनेन एत्वाभावपक्षे जकारः / Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 70 ... प्राकृतशब्दरुपावलिः ॥अथ चामरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चमरो चामरो चमरा चामरा द्वितीया चमरं चामरं चमरे चामरे / चमरा चामरा - इत्यादि. . // अथ कालकशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा कलओ कालओ कलआ कालआ . इत्यादि . ॥अथ स्थापितशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् ठविओ ठाविओ ठविआ ठाविआ इत्यादि // अथ परिस्थापितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा परिझुविओ परिठ्ठाविओ परिझुविआ परिठ्ठाविआ इत्यादि ॥अथ संस्थापितशब्दः॥ .. एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा संठविओ संठाविओ संठविआ संठाविआ इत्यादि प्रथमा Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमा प्राकृतशब्दरूपावलिः. ॥अथ हालिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् हलिओ हालिओ हलिआ हालिआ .. इत्यादि ॥अथ नाराचशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नराओ नाराओ.. नराआ नाराआ __ इत्यादि ॥अथ कुमारशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा कुमरो कुमारो कुमरा कुमारा इत्यादि / वाव्ययोत्खातादावदातः // 8 / 1 / 67 // इत्यनेनादेराकारस्य अद्वा भवति / केचित् ब्राह्मणपूर्वाह्नयोरपीच्छन्ति / बम्हणों, बाम्हणो। पुव्वण्हो, पुव्वाण्हो, इत्यादि, बम्हणो, बाम्हणो, इत्यत्र तु / पक्ष्म-श्म-ष्म-स्म-ह्मां म्हः / / 8. / 2 / 74 / / इत्यनेन ह्यस्य मह: / क्वचिच्च बम्भणो इत्यपि भवति / सिद्धान्ते माहणो इत्यपि भवति / यथा / उसभदत्तस्स माहणस्स / ॥अथ ग्रीष्मशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गिम्हो गिम्हा द्वितीया गिम्हं गिम्हे गिम्हा . इत्यादि Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 72. प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ कुश्मानशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कुम्हाणो ... कुम्हाणा. द्वितीया कुम्हाणं कुम्हाणे. कुम्हाणा __ इत्यादि ॥अथ विस्मयशब्दः // __एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विम्हओ विम्हआ द्वितीया विम्हअं विम्हए विम्हआ .. इत्यादि ॥अथ प्रवाहशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पवहो पवाहो पवहा पवाहा द्वितीया पवहं पवाहं . पवहे पवाहे. / पवहा पवाहा इत्यादि ॥अथ प्रहारशब्दः॥ 'एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पहरो पहारो पहरा पहारा द्वितीया पहरं पहारं [ पहरे पहारे / पहरा पहारा इत्यादि Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ प्रकारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पयरो पयारो पयरा पयारा इत्यादि / एवं प्रचारशब्दस्यापि रूपाणि / ॥अथ प्रस्तावशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पत्थवो पत्थावो पत्थवा पत्थावा द्वितीया पत्थवं पत्थावं पत्थवे पत्थावे / पत्थवा पत्थावा इत्यादि / घवृद्धेर्वा // 8 / 1 / 68 // घनिमित्तो यो वृद्धिरूप आकारस्तस्यादिभूतस्य अद्वा भवति / क्वचिन्न / रागः / राओ। ॥अथ महाराष्ट्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मरहट्ठो मराहट्ठो . मरहट्ठा मराहट्ठा द्वितीया मरहटुं मराहटुं मरहट्टे .मराहढे मिरहट्ठा मराहट्ठा इत्यादि / / महाराष्ट्रे / / 8 / 1 / 69 // इत्यनेनादेराकारस्य अद्वा भवति / / महाराष्ट्र हरोः // 8 / 2 / 119 // इत्यनेन महाराष्ट्रशब्दे हरोर्व्यत्ययः / ॥अथ पांसनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पंसणो पंसणा द्वितीया पंसणं __पंसणे पंसणा इत्यादि Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ कांसिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कंसिओ कंसिआ द्वितीया कंसि कंसिए कंसिआ - इत्यादि ॥अथ वांशिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वंसिओ .. वंसिआ इत्यादि. ॥अथ पाण्डवशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पंडवो इत्यादि ॥अथ सांसिद्धिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संसिद्धिओ संसिद्धिआ इत्यादि . ॥अथ सांयात्रिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संजत्तिओ संजत्तिआ - इत्यादि / मांसादिष्वनुस्वारे // 8 / 1 / 70 // इत्यनेनादेरारातोऽद्भवति / संजत्तिओ, इत्यत्र द्वितीयाऽऽकारस्य तु, ह्रस्वः संयोगे, इति हुस्वः। ' पंडवा Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ श्यामाकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सामओ सामआ द्वितीया सामअं सामए सामआ इत्यादि || श्यामाके मः // 8 / 1 / 71 / / इत्यनेन मस्य आतोऽकारः। ॥अथ कूर्पासशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कुप्पिसो कुप्पासो कुप्पिसा कुप्पासा इत्यादि / इ: सदादौ वा / / 8 / 1 / 72 // इत्यनेनात इत्वं वा। ॥अथ खल्वाटशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खल्लीडो ... खल्लीडा द्वितीया खल्लीडं .. खल्लीडे खल्लीडा इत्यादि / / ईः स्त्यान-खल्वाटे / / 8 / .1 / 74 / इत्यनेनात इत्वं / / टोड: / / 8 / 1 / 195 // इत्यनेन टकारस्य डकारः / ॥अथ स्तावकशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा थुवओ. थुवआ द्वितीया थुवअं थुवए थुवआ . इत्यादि / / उ: सास्ना-स्तावके / / 8 / 1 / 75 / / इत्यनेनात उत्वं / ... Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथाऽऽसारशब्दः॥ .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ऊसारो आसारो . ऊसारा आसारा द्वितीया ऊसारं आसारं ऊसारे ऊसारा / आसारे आसारा इत्यादि / ऊद्वासारे // 8 / 1 / 76 // इत्यनेनात ऊत्वं वा। * ॥अथ नैरयिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नेरइओ - नेरइआ द्वितीया नेरइअं . नेरइए नेरइआ इत्यादि ॥अथैरावण-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा एरावणो एरावणा द्वितीया एरावणं एरावणे एरावणा इत्यादि ॥अथ कैलासशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा कइलासो कइलासा. द्वितीया कइलासं कइलासे कइलासा इत्यादि / वैरादौ वा // 8 / 1 / 152 // इत्यनेन अइरादेशः / पक्षे / केलासो, केलासा / इत्यादि / Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ कैटभशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा केढवो केढवा द्वितीया केढवं केढवे केढवा ___ इत्यादि / सटा-शकट-कैटभे ढः / / 8 / 1 / 196 / / इत्यनेन टस्य ढः // कैटभे भो वः // 8 / 1 / 240 // इत्यनेन भस्य वकारः / ॥अथ वैकुण्ठशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वेकुण्ठो वेकुण्ठा द्वितीया वेकुण्ठं वेकुण्ठे वेकुण्ठा इत्यादि / एवमैरावतादयः // ऐत एत् / / 8 / 1 / 148 // इत्यनेन सर्वत्र एकारः। ॥अथ पारापतशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पारेवओ पारावओ पारेवआ पारावआ द्वितीया पारेवअं पारावअंपारेवए पारावए पावआ पारावआ * इत्यादि / पारापते रो वा।।८।१।८० // इत्यनेन रकारस्थितस्य आत एद्वा भवति। ॥अथ चूर्णशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चुण्णो . चुण्णा द्वितीया चुण्णं .. . चुण्णे चुण्णा .. . इत्यादि Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ द्वितीया नरिन्दं . 78 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ नरेन्द्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नरिन्दो नरिन्दा नरिन्दे नरिन्दा ___इत्यादि ॥अथ मुनीन्द्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुणिन्दो , मुणिन्दा .. . . इत्यादि .. . - // हुस्वः संयोगे // इत्यनेन ह्रस्वः / ॥अथोत्सव-शब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उच्छवो ऊसवो . उच्छवा ऊसवा इत्यादि ॥अथोत्सुक-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उच्छुओ ऊसुओ उच्छुआ ऊसुआ इत्यादि / सामर्थ्योत्सुकोत्सवे वा // 8 / 2 / 22 // इत्यनेन छकारे कृते // अनुत्साहोत्सन्ने त्सच्छे // 8 / 1 / 114 // इत्यनेनोत्साहोत्सनवर्जिते शब्दे यौ त्सच्छौ तयोः परयोरादेरुत ऊद्भवति। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . // अथोत्सिक्त-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ऊसित्तो ऊसित्ता द्वितीया ऊसित्तं ऊसित्ते ऊसित्ता __ इत्यादि ॥अथोत्साह-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उत्थारो उच्छाहो .. उत्थारा उच्छाहा इत्यादि / वोत्साहे थो हश्च रः // 8 / 2 / 48 // ह्रस्वात् थ्यश्च-त्स-प्सामनिश्चले // 8 / 2 / 21 / / इत्यनेन सूत्रेण उत्साहशब्दे त्स इत्यस्य छकारः। ॥अथोत्सन्न-शब्दः॥ . एकवचनम् 'बहुवचनम् प्रथमा उच्छन्नो उच्छन्ना द्वितीया उच्छन्नं उच्छने उच्छना इत्यादि ॥अथ मत्सरशब्दः / / एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा मच्छलो मच्छरो मच्छला मच्छरा - इत्यादि ॥अथ संवत्सरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . संवच्छलो .संवच्छरो संवच्छला संवच्छरा .. .. . इत्यादि . Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ निश्चलशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णिच्चलो णिच्चला . इत्यादि ॥अथ मूषिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मूसगो मूसओ . मूसगा मूसआ इत्यादि ॥अथ बिभीतकशब्दः // एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा बहेडओ , बहेडआ द्वितीया बहेड बहेडए बहेडआ ___ इत्यादि / पथि-पृथिवी-प्रतिश्रुन्मूषिक-हरिद्रा-बिभीतकेष्वत् / / 8 / 1 / 88 // इत्यनेनादेरित अकारः / बहेडओ इत्यत्र // एत्पीयूषापीडबिभीतककीदृशेदृशे // 8 / 1 / 105 // इत्यनेन ईत एकारः। ॥अथ निर्णयशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निण्णओ निण्णआ . द्वितीया निण्णअं. निण्णए निण्णआ . इत्यादि ... Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ द्विमात्रशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दुमत्तो .. दुमत्ता द्वितीया दुमत्तं दुमत्ते दुमत्ता इत्यादि ॥अथ द्विविधशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दुविहो . दुविहा द्वितीया दुविहं दुविहे दुविहा इत्यादि ॥अथ द्विरेफशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दुरेहो द्वितीया दुरेहं . .. दुरेहे दुरेहा . . इत्यादि / द्विन्योरुत् / / 8 / 1 / 94 // इत्यनेन द्विशब्दे इत उद्भवति / बहुलाधिकारात् क्वचिद्विकल्पः / दुउणो / बिउणो / दुउणा / बिउणा द्विगुण इत्यर्थः / दुइंओ। बिइओ। दुइज्जो / बीओ। इत्यादि / द्वितीय इत्यर्थः / क्वचिन भवति / दिओ। दिआ / इत्यादि / द्विज इत्यर्थः / दिरओ। दिरआ। इत्यादि / द्विरद इत्यर्थः / ... ॥अथ निषण्ण शब्दः // ‘एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णुमण्णो णिसण्णो णुमण्णा णिसण्णा द्वितीया णुमण्णं णिसण्णं णुमण्णे णिसण्णे / णुमण्णा णिसण्णा दुरेहा Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्राकृतशब्दरूपावलिः ___ इत्यादि // उमो निषण्णे // 8 / 1 / 174 // इत्यनेनादेः स्वरस्य परेण सस्वरव्यञ्जनेन सह उम आदेशो वा भवति / ॥अथ युधिष्ठिरशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा जहुट्ठिलो जहिट्ठिलो जहुट्ठिला जहिट्ठिला इत्यादि // युधिष्ठिरे वा // 8 / 1 / 96 // इत्यनेनादेरित उत्वं वा / पक्षे // तो मुकुलादिष्वत् // 8 / 1 / 107 // इत्यनेनादेरुतोऽकारः // हरिद्रादौ लः // 8 / 1 / 254 // इत्यनेन लकारः। ॥अथ निर्झरशब्दः॥ एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा ओज्झरो निज्झरो , ओझरा निज्झरा इत्यादि / वा निर्झरे ना // 8 / 1 / 98 // इत्यनेन निर्झरशब्दे नकारेण सह इत ओकारो वा भवति / निर्जरशब्दस्य तु निज्जरो, इत्येकमेव भवति / ॥अथ कश्मीरशब्दः // बहुवचनम् प्रथमा कम्भारा कम्हारा इत्यादि, देवंशब्दस्य बहुवचनवत् // कश्मीरे म्भो वा // 8 / 2 / 60 // इत्यनेन संयुक्तस्य म्भः / आत्कश्मीरे / / 8 / 1 / 100 // इत्यनेन ईत आकारः / पक्षे // पक्ष्म-श्म-ष्मेत्यादिना सूत्रेण श्मस्य म्हः / कश्मीरशब्दस्य देशवाचित्वात्, बहुवचनान्त एव दृश्यते / कम्भारो, कम्हारो इति तु प्रत्यन्तराल्लभ्यते / . Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः - // अथ व्यापातशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वावाओ वावाआ द्वितीया वावाअं वावाए वावाआ इत्यादि / अधो मनयाम् // इत्यनेन यकारस्य लुक्। विउवाओ। विउवाआ / इति तु आर्षप्रयोगः / ॥अथ स्तोकशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा थोक्को थोवो थेवो थोक्का थोवा थेवा इत्यादि / स्तोकस्य थोक्क-थोव-थेवाः // 8 / 2 / 125 // एते त्रय आदेशा वा भवन्ति / पक्षे / थोओ थोआ इत्यादि / ॥अथ करीषशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / करिसो करिसा. द्वितीया करिसं करिसे, करिसा इत्यादि ॥अथ शिरीषशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिरिसो सिरिसा द्वितीया सिरिसं सिरिसे सिरिसा इत्यादि Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विलिआ 84 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ वल्मीकशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा वम्मिओवम्मिआ द्वितीया वम्मिअं . . वम्मिए वम्मिआ इत्यादि . // अथ वीडितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . . प्रथमा विलिओ द्वितीया विलिअं विलिए विलिआ इत्यादि / डो लः // 8 / 1 / 202 // इत्यनेन डकारस्य लकारः / ॥अथोपनीत-शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उवणिओ उवणिआ द्वितीया उवणि उवणिए उवणिआ ___ इत्यादि / पानीयादिष्वित् / / 8 / 1 / 101 // इत्यनेन ईत इत्वम् / बहुलाधिकारादेषु क्वचिन्नित्यं क्वचिद्विकल्पः / करीसो। उवणीओ। इत्यादि। ॥अथ गरुडशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गरुलो गरुला द्वितीया गरुलं गरुले मरुला Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 85 पउरा प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / डो लः // 8 / 1 / 202 // इत्यनेन लः / अस्मिन् सूत्रे प्रायोग्रहणात् क्वचिद्विकल्पः / यथा गुलो, गुडो / आमेलो, आवेडो / इत्यादि // नीपापीडे मो वा / / 8 / 1 / 234 // इत्यनेन पस्य मः // एत्पीयूषापीड-बिभीतक-कीदृशेदृशे // 8 / 1 / 105 // इत्यनेन एकारः / क्वचिन्न लकारः / गउडो, गउडा, इत्यादि / गौडशब्दस्य गउडो इति रूपम् / ॥अथ पौरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम्. प्रथमा पउरो द्वितीया पउरं . पउरे पउरा इत्यादि . ॥अथ कौरवशब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा कउरवो कउरवा द्वितीया कउरवं . कउरवे कउरवा इत्यादि .. ॥अथ पौरजनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पउरजणो . पउरजणा द्वितीया पउरजणं . पउरजणे पउरजणा इत्यादि / अउ: पौरादौ च // 8 / 1 / 162 / / इत्यनेन औत अउरादेशः / Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ जीर्णशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जुण्णो जुण्णा द्वितीया जुण्णं जुण्णे जुण्णा इत्यादि / उज्जीणे / / 8 / 1 / 102 // इत्यनेन ईत उकारः / बहुलाधिकारात् क्वचिन्न / जिण्णे भोअणमत्तेओ। . ॥अथ हीनशब्दः॥ एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा हूणो हीणो .. हूणा हीणा द्वितीया हूणं हीणं / हूणे हीणे . / हूणा हीणा इत्यादि / ऊहीनविहीने वा / / 8 / 1 / 103 / / इत्यनेन ईत ऊत्वम् / एवं विहीनशब्दस्यापि / सूत्रे हीन-विहीने, इति प्रतिपादनात्, पहीणजरमरणा इत्यत्र न भवत्यूकारः / ॥अथ कीदृशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा केरिसो केरिसा द्वितीया केरिसं केरिसे केरिसा इत्यादि ॥अथेदृशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा एरिसो एरिसा. द्वितीया एरिसं एरिसे एरिसा Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 87 प्राकृतशब्दरूपावलिः. इत्यादि / / दृशः क्विफ्टक्सकः / / 8 / 1 / 142 / / इत्यनेन दृशेर्धातोर्ऋतोरिरादेशः। ॥अथ सदृग्वर्ण शब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा . सरिवण्णो . . सरिवण्णा द्वितीया सरिवण्णं सरिवण्णे सरिवण्णा इत्यादि. ॥अथ सदृग्रूपशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सरिरूवो सरिरूवा .. द्वितीया सरिरूवं सरिरूवे सरिरूवा इत्यादि // अथ सदृशशब्दः॥ एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा सरिसो सरिसा द्वितीया सरिसं . सरिसे सरिसा ___इत्यादि ... // अथैतादृशशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा .एआरिसो एआरिसा द्वितीया एआरिसं - एआरिसे एआरिसा इत्यादि Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 88 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ भवादृशशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा भवारिसो . भवारिसा द्वितीया भवारिसं भवारिसे भवारिसा इत्यादि ॥अथ यादृशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् : प्रथमा जारिसो जारिसा द्वितीया जारिसं , जारिसे जारिसा .. इत्यादि. ॥अथ तादृशशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तारिसो तारिसा द्वितीया तारिस तारिसे तारिसा . इत्यादि ॥अथान्यादृश-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अन्नारिसो अन्नारिसा द्वितीया अन्नारिसं अन्नारिसे अन्नारिसा इत्यादि ॥अथ मादृशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मारिसो मारिसा द्वितीया मारिसं मारिसे मारिसा इत्यादि Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . 89 // अथ युष्मादृशशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जुम्हारिसो जुम्हारिसा द्वितीया जुम्हारिसं जुम्हारिसे जुम्हारिसा इत्यादि / युष्मद्यर्थपरे तः // 8 / 1 / 246 // इत्यनेन यकारस्य तकारः / . ॥अथास्मादृश-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अम्हारिसो अम्हारिसा द्वितीया अम्हारिसं अम्हारिसे अम्हारिसा - इत्यादि // पक्ष्म-श्म-ष्म-स्म-मां म्हः / / 8 / 2 / 74 / / इत्यनेन म्हः / ॥अथ मुकुलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मउलो. मउला द्वितीया मउलं मउले मउला इत्यादि ॥अथ मुकुटशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मउड़ो मउडा द्वितीया मउडं . . . मउडे मउडा . .. .. . इत्यादि Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 90 बहुवचन प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ मुकुरशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् .. प्रथमा मउरो मउरा द्वितीया मउरं मउरे मउरा ___ इत्यादि / उतो मुकुलादिष्वत् / / 8 / 1 / 107 / / इत्यनेनादेरुतोऽत्वम् / क्वचिदाकारोपि / विद्रुतः / विद्दाओ विद्दाआ इत्यादि। ॥अथ गुरु कशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गरुओ गुरुओ गरुआ गुरुआ द्वितीया गरुअं गुरु , र गरुए गरुआ गुरुए गुरुआ इत्यादि / गुरौ के वा / / 8 / 1 / 109 // इत्यनेन गुरोः स्वार्थे के सति आदेरुतोऽद्वा भवति। / ॥अथ सुभगशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . . प्रथमा सूहवो सुहओ . सूहवा सुहआ द्वितीया सूहवं सुहअं सूहवे सूहवा सुहए सुहआ इत्यादि / ऊत्सुभगमुसले वा // 8 / 1 / 113 / / इत्यनेनादेरुत ऊद्वा // ऊत्वे दुर्भग-सुभगे वः // 8 / 1 / 192 // अनयोरूत्वे गस्य वः / Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .91 प्राकृतशब्दरूपावलिः. ॥अथ दुर्भगशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दूहवो दुहओ दूहवा दुहआ इत्यादि / लुंकि दुरो वा // 8 / 1 / 115 // इत्यनेन रेफस्य लुकि सति उत ऊत्वं वा भवति / ॥अथ लुब्धकशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा लोद्धओ लोद्धआ द्वितीया लोद्ध लोद्धए लोद्धआ इत्यादि ॥अथ मुद्गरशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . मोग्गरो . . मोग्गरा . . इत्यादि . ॥अथ कुन्तशब्दः॥ . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा कोन्तो . कोन्ता द्वितीया कोन्तं कोन्ते कोन्ता इत्यादि ॥अथ पुस्तकशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा पोत्थओ पोत्थआ द्वितीया पोत्थअं पोत्थए पोत्थआ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः __इत्यादि // ओत्संयोगे // 8 / 1 / 116 // इत्यनेनादेरुत ओत्वम् / हुस्वः संयोगे॥ इत्यनेन हुस्वे कृते तु / लुद्धओ। मुग्गरो। कुन्तो। पुत्थओ। इत्यादि / पोत्थओ, इत्यत्र तु // वाक्ष्यर्थवचनाद्याः // इत्यनेन वा पुंवद्भावः / पक्षे कुलवद्रूपाणि / ॥अथार्हच्छशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अरुहन्तो अरहन्तो अरुहन्ता अरहन्ता / अरिहन्तो , अरिहन्ता इत्यादि देववत् / उच्चार्हति // 8.2 / 111 / / इत्यनेनार्हच्छब्दे संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व उकाराऽकारेकाराः स्युः / कृतेषु च तेषु // शत्रानशः / / 8 / 3 / 181 // इत्यनेन न्त इत्यादेशः / .. ॥अथ हनूमच्छब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा हणुमन्तो - हणुमन्ता द्वितीया हणुमन्तं . हणुमन्ते हणुमन्ता इत्यादि / आल्विल्लोल्लाल-वन्त-मन्तेत्तेर-मणा मतोः // 8 / 2 / 159 // इत्यनेन मतोर्मन्त इत्यादेशः / उद्धृहनूमत्कण्डूयवातूले॥ 8 / 1 / 121 / इत्यनेन ऊत उत्वम् / केचिन्मादेशमपीच्छन्ति / यथा / हणुमा / इत्यादिस्त्रीलिङ्गे मालावत् / ॥अथ पथिन्शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पहो पहा द्वितीया पहं पहे पहा Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एकवचनम् घट्टा प्राकृतशब्दरूपावलिः 93 इत्यादि / पथि-पृथिवी-प्रतिश्रुन्मूषिक-हरिद्रा-बिभीतकेष्वत् / / 8 / 1 / 88 // इत्यनेनादेरितोऽकारः / - ॥अथ मृगशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मओ मआ द्वितीया मअं मए मआ इत्यादि . ॥अथ घृष्टशब्दः॥ बहुवचनम् प्रथमा घट्टो - इत्यादि / ऋतोऽत् // 8 / 1 / 126 // इत्यनेनाऽकार: ॥अथ भृङ्गशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भिङ्गो द्वितीया भिङ्गं भिङ्गे भिङ्गा इत्यादि ॥अथ शृङ्गारशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिङ्गारो 'सिङ्गारा इत्यादि : ॥अथ भृङ्गारशब्दः // ___ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भिङ्गारो ... . भिङ्गारा ... इत्यादि भिङ्गा Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ शृगालशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा सिआलो सिगालो. सिआला सिगाला - इत्यादि ॥अथ कृशशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा किसो . किसा द्वितीया किसं किसे किसा ___ इत्यादि ॥अथ कृषितशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किसिओ किसिआ द्वितीया किंसिअं किसिए किसिआ - इत्यादि // अथ नृपशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निवो द्वितीया निवं निवे निवा इत्यादि ॥अथ कृपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किवो . किवा. इत्यादि / निवा Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ तृप्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तिप्पो तिप्पा. द्वितीया तिप्पं तिप्पे तिप्पा इत्यादि ॥अथ हृतशब्दः॥ एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा हिओ हिआ .. इत्यादि ॥अथ व्याहृतशब्दः॥ एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा काहित्तो वाहिओ. वाहित्ता वाहिआ इत्यादि / / सेवादौ वा / / 8 / 2 / 99 // इत्यनेन वा द्वित्वम् / ॥अथ दृष्टशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दिट्ठो दिट्ठा . द्वितीया दिटुं दिढे दिट्ठा ___ इत्यादि ॥अथ बंहितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा बिहिओ बिहिआ द्वितीया बिंहिंअं बिंहिए बिंहिआ इत्यादि Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ वितृष्णशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विइण्हो विइण्हा द्वितीया विइण्हं विइण्हे विइण्हा इत्यादि / सूक्ष्म-श्नेत्यादिना-ष्णस्थाने ण्हः / ... ॥अथोत्कृष्ट-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा उक्किट्ठो , उक्किट्ठा द्वितीया उक्किट्ठ . उक्किट्ठे उक्किट्ठा इत्यादि . ॥अथ नृशंसशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निसंसो.. निसंसा द्वितीया . निसंसं निसंसे निसंसा इत्यादि / इत् कृपादौ / / 8 / 1 / 128 // इत्यनेनादेर्ऋत इत्वम् / ॥अथ पृष्ठशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पिट्ठो पट्ठो पिट्ठा पट्ठा ___ इत्यादि / / पृष्ठे वानुत्तरपदे / / 8 / 1 / 129 // इत्यनेन ऋत इद्वा। Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः __97 ॥अथ मृगाङ्कशब्दः // : एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मियको मयको मियङ्का मयङ्का __ इत्यादि // अथ धृष्टशब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा धिट्ठो धट्ठो धिट्ठा धट्ठा इत्यादि / / मसृण-मृगाङ्क-मृत्यु-शृङ्ग-धृष्टे वा / / 8 / 1 / 130 / / इत्यनेन ऋत इद्वा भवति / पक्षे, ऋतोऽत्, इत्यनेनाऽकारः। .. ॥अथ मृषावादशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुसावाओ मूसावाओ / मुसावाआ मूसावाआ मोसावाओ / मोसावाआ __इत्यादि / उदूदोन्मृषि // 8 / 1 / 136 / / इत्यनेन सूत्रेण मृषाशब्दे ऋत उत् ऊत् ओच्च भवन्ति / . ॥अथ ऋक्षशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा रिच्छो . रिच्छा द्वितीया रिच्छं रिच्छे रिच्छा इत्यादि / / रिः केवलस्य / / 8 / 1 / 140 // इत्यनेन ऋतो रिः। Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथाहत-शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा आढिओ आढिआ द्वितीया आढिअं.. . आढिए आढिआ इत्यादि // आते ढिः // 8 / 1 / 143 / / इत्यनेन ऋतो ढिरादेशः। ॥अथ दृप्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दरिओ दरिआ द्वितीया दरिअं दरिए दरिआ ___ इत्यादि / / अरिदृते // 8 / 1 / 144 // इत्यनेन दृप्तशब्दे ऋतो रिः। ॥अथ क्लृप्तशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किलिनो किलिन्ना द्वितीया किलिनं किलिन्ने किलिन्ना इत्यादि ॥अथ क्लृनशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किलिन्नो किलिन्ना . __इत्यादि // लत इलिः क्लृप्त-क्लन्ने // 8 / 1 / 145 / / इत्यनेन लत इलिरादेशः / / Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 99 - प्राकृतशब्दरूपावलिः. ॥अथ स्तेनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा थूणो थेणो थूणा थेणा इत्यादि / / ऊ: स्तेने वा / / 8 / 1 / 147 // इत्यनेन एकारस्य ऊकारः / ॥अथ शनैश्चरशब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सणिच्छरो सणिच्छरा द्वितीया सणिच्छरं सणिच्छरे सणिच्छरा इत्यादि / इत्सैन्धवशनैश्चरे / / 8 / 1 / 149 // इत्यनेन ऐत इत्वम् / / हूस्वात् थ्य-श्चेत्यादिना सूत्रेण श्च इत्यस्य छः / ॥अथ दैत्यशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा दइच्चो दइच्चा / द्वितीया दइच्चं . . : दइच्चे दइच्चा इत्यादि ॥अथ भैरवशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / भइरवो भइरवा द्वितीया भइरवं भइरवे भइरवा इत्यादि Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 100 .. प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ वैजवनशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा वइजवणो वइजवणा . इत्यादि ॥अथ वैदेशशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइएसो वइएसा .. इत्यादि / ॥अथ वैदेहशब्दः / / .. एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा वइएहो * वइएहा . इत्यादि ॥अथ वैदर्भशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइदब्भो . वइदब्भा ...... इत्यादि . ॥अथ वैश्वानरशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइस्साणरो वइस्साणरा इत्यादि ॥अथ वैशाखशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइसाहो ...वइसाहा इत्यादि Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ वैशालशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइसालो वइसाला - इत्यादि // अइर्दैत्यादौ च / / 8 / 1 / 151 // इत्यनेन ऐतः अइरादेशः / दइच्चो / इत्यत्र तु / त्योऽचैत्ये // 8 / 2 / 13 / / इत्यनेन त्य इत्यस्य चः। ॥अथ वैश्रवणशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा वइसवणो - वइसवणा द्वितीया वइसवणं वइसवणे वइसवणा इत्यादि // अथ वैशम्पायनशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा वइसम्पायणो वइसम्पायणा इत्यादि - ॥अथ वैतालिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा _वइआलिओ . वइआलिआ इत्यादि . ॥अथ चैत्रशब्दः // एकवचनम्. बहुवचनम् प्रथमा चइत्तो - चइत्ता इत्यादि / वैरादौ वा / / 8 / 1 / 152 / / इत्यनेनैतोऽइरादेशः / Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 900 .. प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ प्रकोष्ठशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पवट्ठो पउट्ठो .. पवट्ठा पउट्ठा इत्यादि / ओतोद्वान्योन्यप्रकोष्ठातोद्यशिरोवेदनामनोहरसरोरुहे क्तोश्च वः // 8 / 1 / 156 // एषु ओतोऽत्त्वं वा तत्सन्नियोगे च यथासंभवं ककारतकारयोर्वादेशः / अन्नन्नं, अन्नुन्नं, आवज्जं, आउज्जं, मणहरं, मणोहरं, सररुहं, सरोरुहं, इत्यादि तु नपुंसके। सिर-विअणा, सिरो-विअणा, इति तु स्त्रीलिङ्गे मालावत् / विअणा, इत्यत्र, एत इद्वा वेदना-चपेटा-देवर-केसरे // 8 / 1 / 146 / / इत्यनेन एतः स्थाने वा इकारः / पक्षे / वेअणा, इत्यपि भवति / . . ॥अथ सोच्छ्वासशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सूसासो सूसासा इत्यादि / ऊत्सोच्छवासे // 8 / 1 / 157 / / इत्यनेन सोच्छ्वासशब्दे ओत ऊद्भवति / / // अथ कौस्तुभशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कोत्थुहो कोत्थुहा इत्यादि // अथ क्रौञ्चशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमां कोञ्चो . कोचा .. . इत्यादि / Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुञ्जायणा प्राकृतशब्दरूपावलिः. ॥अथ कौशिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कोसिओ कोसिआ इत्यादि / औत ओत् / / 8 / 1 / 159 // इत्यनेन औत ओत्त्वम् / हुस्वः संयोगे, इत्यनेन ह्रस्वे कृते सति / कुत्थुहो, कुञ्चो, इत्यादि। ॥अथ मौञ्जायनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुञ्जायणो द्वितीया मुञ्जायणं मुञ्जायणे मुञ्जायणा इत्यादि ॥अथ शौण्डशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सुण्डो सुण्डा द्वितीया सुण्डं सुण्डे सुण्डा . . इत्यादि . ... . ॥अथ दौवारिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दुवारिओ दुवारिआ इत्यादि .. ॥अथ सौवर्णिकशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुवण्णिओ सुवण्णिआ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 104 . . . प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि // उत्सौन्दर्यादौ / / 8 / 1 / 160 / / इत्यनेन औत उद्भवति / ॥अथ स्थविरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा थेरो थेरा . द्वितीया थेरं थेरे थेरा .. . इत्यादि ॥अथायस्कार-शब्दः॥ - एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा एक्कारो एक्कारा द्वितीया एक्कारं - एक्कारे एक्कारा इत्यादि // स्थविरविचकिलायस्कारे // 8 / 1 / 166 // इत्यनेनादेः स्वरस्य परेण सस्वरव्यञ्जनेन सह एद्भवति / ॥अथ कर्णिकारशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् / प्रथमा कण्णेरो कण्णिआरो कण्णेरा कण्णिआरा / कणेरो कणिआरो / कणेरा कणिआरा इत्यादि // वेतः कर्णिकारे // 8 / 1 / 168 // इत्यनेन सस्वरव्यञ्जनेन सह एद्वा भवति / कर्णिकारे वा // 8 / 2 / 95 // इत्यनेन वा द्वित्वम् / ___॥अथ पूतरशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा पोरो द्वितीया पोरं पोरे पोरा पोरा Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः .. 105 इत्यादिदेववत्.।। ओत्पूतर-बदर-नवमालिका-नवफलिकापूगफले // 8 / 1 / 170 // इत्यनेनादे: स्वरस्य परेण सस्वरव्यञ्जनेन सह ओद्भवति। ॥अथादित्य-शब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा आइच्चो आइच्चा द्वितीया आइच्चं आइच्चे आइच्चा इत्यादि ॥अथ स्तुत्यशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा थुच्चो . थुच्चा ... इत्यादि ॥अथ त्यक्तदोषशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चत्तदोसो चत्तदोसा इत्यादि / एवं मामर्त्यप्रत्ययव्ययादयः / त्योऽचैत्ये / / 8 / 2 / 13 // इत्यनेन चः / ॥अथ तीर्थकरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तित्थयरों तित्थगरो तित्थयरा तित्थगरा तित्थकरो / तित्थकरा इत्यादि Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 106 प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ तीर्थङ्करशब्दः // .. एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा / तित्थंकरो तित्थंगरो . तित्थंकरा तित्थंगरा / तित्थंयरो / तित्थंयरा. इत्यादि ॥अथ नक्तंचरशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा नकंचरो नक्कंचरा इत्यादि ॥अथ धनञ्जयशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा धणंजओ धणंजआ . इत्यादि ॥अथार्क-शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा अक्को अक्का इत्यादि ॥अथ विप्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विप्पो विप्पा . इत्यादि Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. 107 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ जारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जारो जारा इत्यादि - ॥अथ कुब्जशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा. खुज्जो * खुज्जा .. द्वितीया खुज्जं . खुज्जे खुज्जा .. इत्यादि / ॥अथ कीलशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खीलो . खीला इत्यादि / कुब्ज-कर्पर-कीले कः खोऽपुष्पे // 8 / 1 / 181 / / इत्यनेन कस्य खः पुष्पं चेत् कुब्जाभिधेयं न भवति कर्परशब्दस्य तु, खप्परं, इति नपुंसके। .. ॥अथ मदकलशब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मयगलो मयगला इत्यादि ॥अथ कन्दुकशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गेन्दुओ . . . द्वितीया गेन्दुअं गेन्दुए गेन्दुआ गेन्दुआ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 108 प्राकृतशब्दरुपावलिः __ इत्यादि / मरकत-मदकले गः कन्दुके त्वादेः / / 8 / 1 / 182 // मरकत-मदकलशब्दयोः कस्य गः कन्दुकशब्दे त्वाद्यस्य कस्य / गेन्दुओ, इत्यत्र तु // एच्छय्यादौ // 8 / 1 / 57 // इत्यनेन एकारः / मरगयं, गेन्दुअं, इति तु क्लीबे।। ॥अथ किरातशब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा चिलाओं चिलाआ द्वितीया चिलाअं , चिलाए इत्यादि // किराते चः // 8 // 1 / 183 // इत्यनेन सूत्रेण ककारस्य चकारः / किरातशब्दो यदा भिल्लवाची तदायं विधिर्नान्यथा / यथा / हरकिराओ हरकिराआ इत्यादि / . ॥अथ मेघशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा महो मेहा द्वितीया मेहं __ मेहे मेहा इत्यादि / ॥अथ माघशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा माहो माहा इत्यादि ॥अथ बधिरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् बहिरो बहिरा प्रथमा Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 109 इत्यादि / खघथधभाम् / / 8 / 1 / 187 / / इत्यनेन हः / ॥अथ अथास्थिरशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अथिरो अथिरा इत्यादि ॥अथ प्रणष्टभयशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा पणट्ठभओ . . पणट्ठभआ . इत्यादि . // अथ छागशब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा छालो द्वितीया छालं . छाले छाला इत्यादि / / छागे लः // 8, / 1 / 191 // इत्यनेन गस्य लः / छाली इति तु स्त्रीलिङ्गे नदीवत् / ॥अथ खचितशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खसिओ खसिआ इत्यादि ॥अथ पिशाचशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पिसल्लो पिसल्ला __ छाला Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 110 प्राकृतशब्दरूपावलिः . इत्यादि / / खचित-पिशाचयोश्चः. स-लौ वा / / 8 / 1 / 193 // इत्यनेन चकारस्य स-ल्लौ वा भवतः / पक्षे / खइओ पिसाओ इत्यादि। ॥अथ जटिलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा झडिलो जडिलो. झडिला जडिला * इत्यादि // जटिले जो झो वा. // 8 / 1 / 194 // इत्यनेन जस्य झो वा भवति। ' ॥अथ वडवानलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा वलयाणलो , वलयाणला इत्यादि / डो लः / / 8 / 1 / 202 // इत्यनेन डस्य लः ॥अथ नटशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नडो द्वितीया नडं नडे नडा . इत्यादि ॥अथ घटशब्दः॥ . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा घडो घडा इत्यादि / एवं पटादयः / / . नडा . Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 111 सढा मढा . // अथ शठशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सढो द्वितीया सढं / सढे सढा इत्यादि ॥अथ मठशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मढो - इत्यादि ॥अथ कुठारशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा कुढारो कुढारा इत्यादि ॥अथ कमठशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कमढो क मढां इत्यादि / ठो ढः // .8 / 1 / 199 // इत्यनेन ठस्य ढः / ॥अथ पिठरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा पिहडो पिढरो . पिहडा पिढरा ... इत्यादि / पिठरे हो वा रच डः // 8 / 1 / 201 // इत्यनेन पिठरे ठस्य हो वा तत्सन्नियोगे च रस्य डः / Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ टगरा 112 . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ तुच्छशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम्. . प्रथमा . चुच्छो छुच्छो तुच्छो . चुच्छा छुच्छा तुच्छा इत्यादि / तुच्छे तः चछौ वा / / 8 / 1 / 204 / / इत्यनेन तकारस्य चछौ वा भवतः / ॥अथ तगरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् : प्रथमा टगरो इत्यादि ॥अथ त्रसरशब्दः // एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा टसरो , टसरा इत्यादि .. ॥अथ तूवरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा टूवरो टूवरा इत्यादि / तगर-बसर-तूवरे टः // 8 / 1 / 205 // इत्यनेन तस्य टः। ॥अथ व्यापृतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वावडो इत्यादि वावडा Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ गर्भितशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा गम्भिणो गब्भिणा इत्यादि / / गर्भितातिमुक्तके णः / / 8 / 1 / 208 // इत्यनेन तस्य णः / ॥अथ पलितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पलिलो . पलिला इत्यादि // पलिते वा // 8 / 1 / 212 // इत्यनेन तस्य लकारो वा / पक्षे। पलिओ पलिआ इत्यादि / पलिलं पलिअं इति नपुंसकेऽपि। ॥अथ पीतशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पीवलो पीअलो. पीवला पीअला इत्यादि // पीते वो ले वा / / 8 / 1 / 213 // इत्यनेन तस्य वो वा भवति स्वार्थे लकारे परे / पक्षे / पीओ 1 पीआ / इत्यादि / नपुंसके तु / पीवलं, पीअलं, पीअं, इत्यादि / स्त्रियां तु / पीवला, पीअला, पीआ, इत्यादि मालावत् / ॥अथ भरतशब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भरहो द्वितीया भरहं .. भरहे भरहा भरहा इत्यादि Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 114 .. प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ कातरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा काहलो . काहला द्वितीया काहलं काहले काहला इत्यादि / वितस्ति-वसति-भरत-कातर-मातुलिङ्गे हः // 8 / 1 / 214 / / इत्यनेन तस्य हकारः। ॥अथ शिथिरशब्दः // एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा. सिढिलो .. सिढिला इत्यादि / मेथि-शिथिर-शिथिल प्रथमे थस्य ढः // 8 // 1 / 215 // इत्यनेन थस्य ढः / एवं शिथिलशब्दस्यापि / ॥अथ निशीथशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णिसीढो णिसीहो णिसीढा णिसीहा इत्यादि // निशीथ-पृथिव्योर्वा // 8 / 1 / 216 // इत्यनेन थस्य वा ढः / पक्षे // खघथधभाम् / / इत्यमेन हकारः / ॥अथ दष्टशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / डट्ठो दह्रो डक्को डट्ठा दट्ठा डक्का / दक्को / दक्का . इत्यादि / दशन-दष्ट-दग्ध-दोला-दण्ड-दर-दाह-दम्भ.. दर्भ-कदन-दोहदे दो वा ङः / / 8 / 1 / 2.17 // इत्यनेन दस्य वा Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ड: // शक्त-मुक्त-दष्ट-रुग्ण-मृदुत्वे को वा // 8 / 2 / 2 // इत्यनेन को वा। ॥अथ दग्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा डड्डो दड्डो डड्डा दड्ढा इत्यादि / एवं विदग्धादयः / / दग्ध-विदग्ध-वृद्धि-वृद्धे ढः // 8 / 2 / 40 // इत्यनेन ढः / क्वचिन्न / विद्धकईनिरूविअं। ॥अथ दण्डशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा डण्डो दण्डो डण्डा दण्डा इत्यादि ॥अथ दरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा डरो दरो ... डरा. दरा ___ इत्यादि ॥अथ दाहशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा - डाहो दाहो डाहा दाहा इत्यादि ॥अथ दर्भशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा * ·डब्भो दब्भो डब्भा दब्भा इत्यादि Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ दम्भशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा डम्भो दम्भो . डम्भा दम्भा .. . - इत्यादि ॥अथ दोहदशब्दः // एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा डोहलो दोहलो डोहला दोहला इत्यादि / प्रदीपि-दोहदे लः,।। 8 / 1 / 221 // इत्यनेन दस्य लः / कदनशब्दस्य तु कडणं, कदणं, इति नपुंसके। ॥अथ कथितशब्दः॥ एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा कवट्टिओ कवट्टिआ इत्यादि / कथिते वः // 8 / 1 / 224 // इत्यनेन दस्य वः / / वृत्त-प्रवृत्त-मृत्तिका-पतन-कदथिते. टः // 8 / 2 / 29 // इत्यनेन टः। // अथ निषधशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निसढो . निसढा द्वितीया निसढं निसढे निसढा इत्यादि / निषधे धो ढः / / 8 / 1 / 226 // इत्यनेन धस्य ढः / Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ निम्बशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा लिम्बो निम्बो लिम्बा निम्बा . इत्यादि ॥अथ नापितशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् * प्रथमा हाविओ नाविओ पहाविआ नाविआ ... इत्यादि // निम्ब-नापिते ल-ण्हं वा // 8 / 1 / 230 // अनयोर्नस्य लण्हौ वा भवतः // ॥अथ परुषशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा फरुसो __ फरुसा द्वितीया फरुसं फरुसे फरुसा इत्यादि : ॥अथ परिघशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा फलिहो . फलिहा इत्यादि // अथ पनस शब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा फणसो फणसा . इत्यादि Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 118 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ पारिभद्रशब्दः // .. . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा फालिहद्दो . फालिहद्दा इत्यादि / / पाटि-परुष-परिघ-परिखा-पनस-पारिभद्रे फः // 8 / 1 / 232 / / इत्यनेन पस्य फ: / हरिद्रादौ लः // इत्यनेन लकारः। ॥अथ नीपशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नीमो नीवो नीमा नीवा इत्यादि / नीपापीडे मो वा / / 8 / 1 / 234 / / इत्यनेन पस्य वा मः। ॥अथ रेफशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा रेभो रेभा इत्यादि / फोभ-हौ / / 8 / 1 / 236 / / इत्यनेन फस्य भः / क्वचिद् हकारोऽपि / यथा / मुत्ताहलं / / ॥अथ शबलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सवलो सवला . द्वितीया सवलं सवले सवला इत्यादि / बो वः / / 8 / 1 / 237 / / इत्यनेन बस्य वः / एवं प्रबलादयः / Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः. ॥अथ कबन्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कमन्धो कयन्धो कमन्धा कयन्धा इत्यादि / कबन्धे मयौ / / 8 / 1 / 239 // इत्यनेन बस्य मयौ भवतः / // अथ विषमशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विसढो विसंमो विसढा विसमा ___ इत्यादि इत्यादि / विषमे मो ढो वा / / 8 / 1 / 241 // इत्यनेन मस्य वा ढः / ॥अथ मन्मथशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा वम्महो वम्महा द्वितीया वम्महं वम्महे वम्महा इत्यादि / मन्मथे वः // 8 / 1 / 242 / / इत्यनेनादेर्मस्य वः / न्मो मः / / 8 / 2 / 61 // इत्यनेन न्मस्य मः। . ॥अथ भ्रमरशब्दः // एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा भसलो भमरों ... भसला भमरा ___इत्यादि // भ्रमरे सो वा / / 8 / 1 / 244 // इत्यनेन मस्य सो वा।. . . Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 120 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ करणीयशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा करणिज्जो करणीओ करणिज्जा करणीआ - इत्यादि ॥अथ पेयशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पेज्जो पेओ पेज्जा पेआ .. इत्यादि // वोत्तरीयानीयतीयकृद्ये ज्जः // 8 / 1 / 248 // इत्यनेन यकारस्य द्विरुक्तो जो वा भवति। ॥अथ कतिपयशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा कइवाहो कइवओ , कइवाहा कइवआ इत्यादि / डाह-वौ कतिपये // 8 / 1 / 250 // इत्यनेन यकारस्य डाह व इत्येतौ पर्यायेण भवतः / नपुंसके तु / कइवाहं, कइअवं, इत्यादि। ॥अथ करवीरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कणवीरो कणवीरा इत्यादि / करवीरे णः // 8 / 1 / 253 / / इत्यनेन प्रथमस्य रस्य णः / ॥अथ दरिद्रशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दलिदो इत्यादि दलिद्दा Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 121 ॥अथ मुखरशब्दः // . . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुहलो मुहला ___ इत्यादि ॥अथ 'चरणशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चलणो चलणा . इत्यादि ॥अथ वरुणशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा वलुणो - वलुणा द्वितीया वलुणं . वलुणे वलुणा इत्यादि ॥अथ रुग्णशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा : लुक्को लुग्गो लुक्का लुग्गा . इत्यादि / शक्त-मुक्त-दष्ट-रुग्ण-मृदुत्वे-को वा // 8 / 2 / 2 // इत्यनेन संयुक्तस्य को वा। ॥अथ बठरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा बढलो. बढला .... इत्यादि . 1 चरणशब्दस्य पादार्थवृत्तेरेव / अन्यत्र चरण-करणं Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 122 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ निष्ठुरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गिट्टलो __णिठ्ठला इत्यादि ॥अथ शबरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् : प्रथमा समरो... समरा इत्यादि / शबरे बो मः // 8 / 1 / 258 // इत्यनेन बस्य मः / समरशब्दस्यापि / समरो, समरा, इत्यादि / ॥अथ दशमुखशब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् ... प्रथमा दहमुहो ___इत्यादि ॥अथ दशबलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दहबलो दहबला इत्यादि ॥अथ दशरथशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दहरहो दहरहा .. इत्यादि . दहमुहा Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . 123 ॥अथ पाषाणशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पाहाणो पाहाणा इत्यादि / दश-पाषाणे हः // 8 / 1 / 262 // इत्यनेन दशन्शब्दे पाषाणशब्दे च शषोर्यथाक्रमं हो वा / पक्षे / दसमुहो, दसबलो, दसरहो, पासाणो, इत्यादि / ॥अथं दिवसशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दिवहो दिवहा इत्यादि / दिवसे सः / / 8 / 1 / 263 / / इत्यनेन सस्य वा हकारः / पक्षे - दिवसो, इत्यादि। ॥अथ संहारशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा संघारो संहारो . संघारा संहारा .. इत्यादि / हो घोऽनुस्वारात् / / 8 / 1 / 264 // इत्यनेन हस्य घ: / क्वचिंदननुस्वारादपि / दाहशब्दस्य - डाघो, दाघो / ॥अथ प्राकारशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पारो पायारो पारा पायारा .. इत्यादि ॥अथाऽऽगत-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आओ आगओ आआ आगआ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 124 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / व्याकरण-प्राकारागते कगोः // 8 / 1 / 268 // इत्यनेन सस्वरस्य कस्य गस्य लुग्वा भवति / व्याकरणशब्दस्य तु / वारणं, वायरणं, इति क्लीबे। ॥अथोदुम्बर-शब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा उम्बरो उउम्बरो उम्बरा उउम्बरा . इत्यादि // दुर्गादेव्युदुम्बर-पादपतन-पादपीठेऽन्तर्दः / / 8 / 1 / 270 // इत्यनेन सस्वरस्य दकारस्य लुग्वा / दुर्गादेवीशब्दस्य / दुग्गा-वी / दुग्गाएवी, इति स्त्रीलिङ्गे मालावत् / पादपतनस्य / पा-वडणं / पाय-वडणं / पादपीठस्य। पावीढं-पाय-वीढं। इत्यादि तु क्लीबे। ॥अथाऽऽवर्तमान-शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अत्तमाणो आवत्तमाणो अत्तमाणा आवत्तमाणा अत्तमाणो आवत्तमा इत्यादि ॥अथाऽवट-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अडो अवडो अडा अवडा इत्यादि // अथ प्रावारकशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . पारओ पावारओ पारआ पावारआ Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 125 प्रथमा प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / यावत्तावज्जीवितावर्त्तमानावटप्रावारकदेवकुलैवमेवे वः // 8 / 1 / 271 // इत्यनेन यावदादिषु शब्देषु सस्वरस्य वकारस्य लुग्वा भवति / यावत्, जा, जाव, तावत्, ता, ताव, जीवितम्, जीअं, जीविअं, देवकुलं, दे-उलं, देव-उलं, एवमेव, एमेव, एवमेव। ॥अथ शक्तशब्दः // एकवचनम् .बहुवचनम् प्रथमा सक्को सत्तो सक्का सत्ता . इत्यादि ॥अथ मुक्तशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुक्को मुत्तो . मुक्का मुत्ता इत्यादि / शक्त-मुक्त-दष्ट-रुग्ण-मृदुत्वे को वा // 8 / 2 / 2 // इत्यनेन कः / शकशब्दस्य सक्को / सत्त्वशब्दस्य तु सत्तो / सक्तशब्दस्यापि सत्तो। ॥अथ संयुक्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संजुत्तो .. . संजुत्ता इत्यादि // आदेर्यो जः // 8 / 1 / 245 // इत्यस्मिन् सूत्रे बहुलाधिकारात् सोपसर्गस्यानादेरपि भवतीति प्रतिपादनादत्र जः। . ॥अथ निष्क्रयशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निक्कओ निक्कआ __इत्यादि Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ तस्करशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तक्करो तक्करा इत्यादि ॥अथ शुष्कशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा सुक्खो सुक्को सुक्खा सुक्का इत्यादि ॥अथ स्कन्दंशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा खन्दो कन्दो खन्दा कन्दा इत्यादि / शुष्क-स्कन्दे वा // 8 / 2 / 5 // इत्यनेन वा खः / ॥अथ श्वेटकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खेडओ . खेडआ इत्यादि ॥अथ वोटकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खोडओ खोडआ इत्यादि .. Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 127 प्राकृतशब्दरूपावलिः .. // अथ स्फेटकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खेडओ खेडआ इत्यादि ॥अथ स्फेटिकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खेडिओ . खेडिआ इत्यादि / श्वेटकादौ / / 8 / 2 / 6 // इत्यनेन खः / ॥अथ व्यतिक्रान्तशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइक्कन्तो वइक्कन्ता द्वितीया वइक्कन्तं वइक्कन्ते वइक्कन्ता .इत्यादि ॥अथ स्तम्भशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खम्भो थम्भो खम्भा थम्भा ___ इत्यादि / स्तम्भे स्तो वा // 8 / 2 / 8 // इत्यनेन स्तस्य वा खः / पक्षे // स्तस्य थोऽसमस्त-स्तम्बे / / 8 / 2 / 45 / / इत्यनेन स्तस्य थः / स्तम्भः काष्ठादिमयः / स्पन्दाभाववृत्तौ तु // थठावस्पन्दे / / 8 / 2 / 9 // इत्यनेन स्तस्य थ-ठौ भवतः / यथा / एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा थम्भो ठम्भो थम्भा ठम्भा Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 128 . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ रक्तशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा रग्गो रत्तो रग्गा रत्ता इत्यादि // रक्त गो वा / / 8 / 2 / 10 // इत्यनेन गो वा / / ॥अथ प्रत्यूषशब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा पच्चूहो पच्चूसो पच्चूहा पच्चूसा इत्यादि // प्रत्यूषे षश्च हो वा // 8 / 2 / 14 // इत्यनेन प्रत्यूषशब्दे त्यस्य चो भवति तत्सन्नियोगे च षस्य हकारः ॥अथ कक्षशब्दः // एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा कच्छो कच्छा इत्यादि ॥अथ दक्षशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दच्छो दच्छा इत्यादि ॥अथ क्षुण्णशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छुण्णो . इत्यादि छुण्णा Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमा प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ क्षारशब्दः // . . एकवचनम् . बहुवचनम् छारा इत्यादि ॥अथ क्षुरशब्दः // ___ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छुरो __इत्यादि // छोऽक्ष्यादौ // 8 / 2 / 17 // इत्यनेन क्षस्य छः। ॥अथ क्षणशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छणो . छणा द्वितीया छणं . . छणे छणा - इत्यादि देववत् क्षण उत्सवे / / 8 / 2 / 20 / इत्यनेन क्षणशब्दे उत्सववाचिनि वर्तमानस्य क्षस्य छः / उत्सवाभावे तु, खणो खणा, इत्यादि / ॥अथ निःस्पृहशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा निप्पिहो. निप्पिहा इत्यादि ॥अथ ध्वजशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा झओ धओ झआ धआ इत्यादि / ध्वजे वा / / 8 / 2 / 27 // इत्यनेन ध्वजशब्दे ध्व इत्यस्य वा झः / . Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 130 प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ वृत्तशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वट्टो . . वट्टा द्वितीया वढें वट्टे वट्टा इत्यादि ... ॥अथ प्रवृत्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पवट्टो , पवट्टा इत्यादि / वृत्त-प्रवृत्त-मृत्तिका-पत्तन-कथिते टः / / 8 / 2 / 29 // इत्यनेन संयुक्तस्य टः / मृत्तिकाशब्दस्य तु, मट्टिआ इति स्त्रीलिङ्गे / पत्तनशब्दस्य तु, पट्टणं / / ॥अथ कैवर्त्तशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा केवट्टो .. केवट्टा . इत्यादि . ॥अथ जर्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जट्टो जट्टा ____इत्यादि // तस्याऽधूर्तादौ // 8 / 2 / 30 // इत्यनेन तस्य टकारो भवति धूर्तादीन् वर्जयित्वा / ॥अथ धूर्तशब्दः॥ . एकवचनम् ..बहुवचनम् प्रथमा धुत्तो धुत्ता इत्यादि Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 प्राकृतशब्दरूपावलिः ..॥अथ मूर्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुत्तो मुत्ता इत्यादि ॥अथ मुहूर्त्तशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुहुत्तो मुहुत्ता . इत्यादि ॥अथ विसंस्थुलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विसंठुलो विसंठुला द्वितीया विसंतुलं विसंतुले विसंठुला इत्यादि // ठोऽस्थिविसंस्थुले // 8 / 2 / 32 // इत्यनेन संयुक्तस्य ठः। . ॥अथ गर्तशब्दः॥ . . . . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गड्डो गड्डा द्वितीया गटुं गड्डे गड्डा इत्यादि / गर्ते डः // 8 / 2 / 35 // इत्यनेन डः। ॥अथ सम्पर्दशब्दः // एकवचनम् ... बहुवचनम् प्रथमा सम्मड्डो . सम्मड्डा इत्यादि Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 132 प्राकृतशब्दरूपावलि ॥अथ विच्छर्दशब्दः // . . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विच्छड्डो . विच्छड्डा. .. . . इत्यादि ॥अथ कपर्दशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कवड्डो .. कवड्डा . इत्यादि -- ॥अथ मर्दितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मड्डिओ - मड्डिआ इत्यादि ॥अथ सम्मर्दितशब्दः // एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा सम्मड्डिओ सम्मड्डिआ ___ इत्यादि / / सम्मर्द-वितदि-विच्छई-च्छदि-कपर्द-मर्दिते र्दस्य / / 8 / 2 / 36 // इत्यनेन र्दस्य डत्वं भवति / वितर्दिशब्दस्य तु विअड्डी / छर्दिशब्दस्य तु छड्डी, इत्यादि मुनिवत् / ॥अथ गर्दभशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गड्डहो .. गड्डहा द्वितीया गड्डहं / गड्डहे गड्डहा . इत्यादि / / गर्दभे वा // 8 / 2 / 37 // इत्यनेन र्दस्य वा डः / Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः 133 ॥अथ भिन्दिपालशब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भिण्डिवालो . भिण्डिवाला इत्यादि / कन्दरिकाभिन्दिपाले ण्डः // 8 / 2 / 38 // इत्यनेन ण्डः / कन्दरिकाशब्दस्य तु कण्डलिआ, इति ॥अथ स्तब्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ठड्ढो . ठड्डा द्वितीया ठड्डु ठड्डे ठड्डा ___ इत्यादि // स्तब्धे ठढौ / / 8 / 2 / 39 // इत्यनेन स्तब्धशब्दे संयुक्तयोर्यथाक्रमं ठढौ भवतः / ॥अथ पर्यस्तशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पल्लत्थो पल्लट्टो . पल्लत्था पलट्टा . द्वितीया पल्लत्थं पल्लट्टं . पल्लत्थे पल्लत्था / पल्लट्टे पल्लट्टा __ इत्यादि। पर्यस्ते थ-टौ // 8 / 2 / 47 // इत्यनेन पर्यस्तशब्दे पर्यायेण थटौ भवतः / पर्यस्त-पर्याण-सौकुमार्ये ल्लः // 8 / 2 / . 68 // इत्यनेन ल्लः / ॥अथ पल्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा पल्लंको पलिअंको पल्लंका पलिअंका - इत्यादि Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 134 प्राकृतशब्दरूपावलिः ... बहुवचनम् // अथ कृष्णशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / कसणो कसिणो / कसणा कसिणा .. / कण्हो ... / कण्हा ___ इत्यादि / कृष्णे वर्णे वा / / 8 / 2 / 110 // वर्णवाचिनि कृष्णशब्दे संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वावदितौ वा विष्णुवाचिनस्तु कण्हो कण्हा इत्यादि। .. ॥अथ स्नातशब्दः // एकवचनम् प्रथमा हाओ हाआ - इत्यादि ॥अथ प्रस्तुतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पण्हुओ पण्हुआ इत्यादि / सूक्ष्म-श्न-ष्ण-स्न-ह्म-ह-क्ष्णां ण्हः / / 8 / 2 / 75 / / इत्यनेन स्न इत्यस्य ण्हः / / ॥अथ प्रह्लादशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पल्हाओ पल्हाआ द्वितीया पल्हाअं पल्हाए पल्हाआ इत्यादि / / ह्म ल्हः // 8 / 2 / 76 // इत्यनेन ह्रस्थाने ल्हः / Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरुपावलिः . // अथ दशार्हशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दसारो दसारा द्वितीया दसारं दसारे दसारा इत्यादि / दशार्हे / / 8 / 2 / 85 // इत्यनेन हस्य लुक् / ॥अथ हरिश्चन्द्रशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा हरिअन्दो .. . हरिअन्दा - हरिअन्दा . इत्यादि / श्चो हरिश्चन्द्रे // 8 / 2 / 87 // इत्यनेन श्च इत्यस्य लुक्। . . . ॥अथ धृष्टद्युम्नशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा धट्ठज्जुणो .. धट्ठज्जुणा द्वितीया धट्ठज्जुणं . धटुज्जुणे धट्ठज्जुणा ___ इत्यादि / / म्नज्ञोर्णः // 8 / 2 / 42 // इत्यनेन म्नस्य णः / / धृष्टद्युम्ने णः / / 8 / 2 / 94 / / इत्यनेन द्वित्वाभावः / ॥अथ विख्यातशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विक्खाओ विक्खाआ - इत्यादि Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 136 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथालानस्तम्भशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा ।आणालक्खंभो ।आणालक्खंभा / आणालखंभो . / आणालखंभा इत्यादि // आलाने लनोः // 8 / 2 / 117 // इत्यनेनालानशब्दे लनोर्व्यत्ययो भवति / ॥अथ कुसुमप्रकरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / कुसुमप्पयरो कुसुमप्पयरा कुसुमपयरो . . कुसुमपयरा . इत्यादि ॥अथ सपिपासशब्दः॥ ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सप्पिवासो सपिवासो सप्पिवासा सपिवासा इत्यादि // समासे वा // 8 / 2 / 97 // इत्यनेन वा द्वित्वम् / ॥अथ मण्डूकशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा मण्डुक्को मण्डुक्का .. इत्यादि / तैलादौ / / 8 / 2 / 98 // इत्यनेन द्वित्वम् / ॥अथ व्याकुलशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वाउल्लो वाउलो वाउल्ला वाउला इत्यादि Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ निहितशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा निहित्तो निहित्ता इत्यादि ॥अथ स्थूलशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा थुल्लो थोरो थुल्ला थोरा इत्यादि // स्थूले लो रः // 8 / 1 / 255 // इत्यनेन लस्य र: // ओत्कुष्माण्डी-तूणीर-कूर्पर-स्थूल-ताम्बूल-गुडूची-मूल्ये॥८ / 1 / 124 / / इत्यनेन ऊत ओत्त्वम् / ॥अथ तूष्णिकशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / तुण्हिक्को तुण्हिओ तुण्हिक्का तुण्हिआ 1 तुण्हिगो तुहिगा इत्यादि ॥अथ मूकशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मूक्को मूओ मूगो मूक्का मूआ मूगा सेवादौ वा / / 8 / 2 / 99 / / इत्यनेन वा द्वित्वम् / .. ॥अथ प्लक्षशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा. पलक्खो पलक्खा Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 138 प्राकृतशब्दरूपावलिः - इत्यादि / प्लक्षे लात् / / 8 / 2 / 103 / / इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनाल्लात् पूर्वोऽद्भवति / . .. ॥अथ हीतशब्दः // . . - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा हिरीओ हिरीआ द्वितीया हिरीअं हिरीए हिरीआ . . इत्यादि ॥अथाऽहीकशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा अहिरीओ अहिरीआ .. इत्यादि . ॥अथाश्लिष्ट-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आलिद्धो आलिद्धा इत्यादि / आश्लिष्टे लधौ / / 8 / 2 / 49 // इत्यनेनाश्लिष्टशब्दे संयुक्तयोर्यथाक्रमं लधौ भवतः / ॥अथ भस्मनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भप्पो भस्सो भप्पा भस्सा इत्यादि // भस्मात्मनो: पो वा // 8 / 2 / 51 // इत्यनेन संयुक्तस्य पः। Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ निष्पेषशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा विप्फेसो निप्फेसा इत्यादि / / ष्प-स्पयोः फः // 8 / 2 / 53 // इत्यनेन फः / एवं निष्पावादयः / ॥अथ भीष्मशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भिप्फो . भिप्फा इत्यादि / भीष्मे ष्मः // 8 / 2 / 54 // इत्यनेन फः / ॥अथ श्लेष्मशब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सेफो सिलिम्हो सेफा सिलिम्हा इत्यादि / श्लेष्मणि वा / / 8 / 2 / 55 / / इत्यनेन श्लेष्मशब्दे ष्म इत्यस्य फो वा / पक्षे / / लात् / / 8 / 2 / 106 // इत्यनेन लकारात्पूर्व इकारः / . ॥अथ ग्लानशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गिलाणो गिलाणा इत्यादि ॥अथ विह्वल शब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / भिब्भलो विब्भलो भिब्भला विब्भला 1 विहलो विहला Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 140 प्राकृतशब्दरूपावलिः __ इत्यादि / वा विह्वले वौ वश्च // 8 / 2 / 58 // इत्यनेन विह्वलशब्दे ह्वस्य भो वा तत्सन्नियोगे च विशब्दे वस्य वा भकार: ॥अथ बाष्पशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा बाहो. बाहा . ___ इत्यादि / बाष्पे होऽश्रुणि // 8 / 2 / 70 // इत्यनेन संयुक्तस्य होऽश्रुण्यभिधेये सति / उष्मावाचिबाष्पशब्दस्य तु बप्फो बप्फा इत्यादि। . . ॥अथ कार्षापणशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा काहावणो काहावणा द्वितीया काहावणं काहावणे काहावणा इत्यादि / कार्षापणे // 8 / 2 / 71 // इत्यनेन संयुक्तस्य हः हस्वः संयोगे॥ 8 / 1 / 84 // इत्यनेन पूर्वमेव हुस्वे कृते पश्चाद् हकारे कृते सति कहांवणो कहावणा इत्यादि / अथवा कर्षापणशब्दस्य कहावणो कहावणा इति ज्ञेयम् // र-होः // 8 / 2 / 93 // इत्यनेन द्वित्वनिषेधः / ॥अथार्ह-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अरिहो अरिहा . द्वितीया अरिहं अरिहे अरिहा इत्यादि Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ बर्हशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा बरिहो बरिहा इत्यादि ॥अथ कृत्स्नशब्दः // एकवचनम् प्रथमा कसिणो . कसिणा इत्यादि // र्ह-श्री-ही-कृत्स्न-क्रिया-दिष्टयास्वित् / / 8 / 2 / 104 // इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व इकारः / आर्षमते कसिणे, इति प्रथमैकवचने एकारः / एवं सर्वत्र बोध्यम् / ॥अथादर्श-शब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा आयरिसो आयंसो आयरिसा आयंसा इत्यादि ... .. ॥अथ सुदर्शनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुदरिसणो सुदंसणों सुदरिसणा सुदंसणा इत्यादि . ॥अथ परामर्शशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा परामरिसो . परामरिसा इत्यादि Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 142 . प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ हर्षशब्दः // . ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा. हरिसो . हरिसा इत्यादि // अथामर्ष-शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अमरिसी. . अमरिसा इत्यादि // र्श-र्ष-तप्तवज्रे वा // 8 / 2 / 105 // इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वो वा इकारः / परामर्शादिषु नित्यः / ॥अथ मूर्खशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुरुक्खो मुक्खो मुरुक्खा मुक्खा इत्यादि / पद्म-छद्म-मूर्ख-द्वारे वा // 8 / 2 / 112 // इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व उद्वा / / ॥अथ हरितालशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा हलिआरो हरिआलो हलिआरा हरिआला इत्यादि / हरिताले रलोनवा // 8 / 2 / 121 // इत्यनेन रकारलकारयोर्वा व्यत्ययः / ॥अथ हृदशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा द्रहो दहो द्रहा दहा Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 143 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / / हृदे ह-दोः // 8 / 2 / 120 / / इत्यनेन हकारदकारयोर्व्यत्ययः // द्रे रो न वा // 8 / 2 / 80 // इत्यनेन द्रशब्दे रेफस्य वा लुक् / आर्षे तु हरए महपुण्डरीए इति / ॥अथ हसितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा हसिरो .. हसिरा द्वितीया हसिरं हसिरे हसिरा इत्यादि ... ॥अथ रोपितशब्दः॥ एकवचनम् ..बहुवचनम् प्रथमा रोविरो रोविरा __इत्यादि ॥अथ लज्जितशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा लज्जिरो . लज्जिरा इत्यादि ॥अथ भ्रमितशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भमिरो भमिरा . . इत्यादि .. . 2 5 Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 144 / प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ जल्पित शब्दः // ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जंपिरो जंपिरा इत्यादि ॥अथ वेपितशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वेविरो , वेविरा इत्यादि // शीलाद्यर्थस्येरः / / 8 / 2 / 145 // इत्यनेनेर इत्यादेशः / बहुलाधिकारात् हसिओ रोविओ इत्याद्यपि भवति / हसनशीलो हसिरो, इत्यादि / एवमुच्छ्वसितादयः। ॥अथ युष्मदीयशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तुम्हकेरो . तुम्हकेरा __ इत्यादि ॥अथास्मदीय-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अम्हकेरो . अम्हकेरा . इत्यादि // इदमर्थस्य केरः // 8 / 2 / 147 // इत्यनेन इदमर्थस्य प्रत्ययस्य केर इत्यादेशः / / Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथाकारान्तपुल्लिङ्गः॥ ॥सर्वशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सव्वो सव्वे द्वितीया सव्वं सव्वे सव्वा तृतीया सव्वेणं सव्वेण सव्वेहि सव्वेहिं / सव्वेहिँ पंचमी ( सव्वत्तो सव्वाओ / सव्वत्तो सव्वाओ सव्वाउ सव्वाहि सव्वाउ सव्वाहि / सव्वाहिन्तो सव्वा / सव्वेहि सव्वाहिन्तो सव्वेहिन्तो सव्वासुन्तो | सव्वेसुन्तो षष्ठी सव्वस्स सव्वेसिं सव्वाणं / सव्वाण सप्तमी सव्वस्सि सव्वम्मि सव्येसुं सव्वेसु .. सव्वत्थ सव्वहिं संबोधनम् हे सव्व हे सव्वो ... हे सव्वा / अत: सर्वादेर्डेजसः / / 8 / 3 / 58 // इत्यनेन सर्वादेरदन्तात् परस्य जसो डिदेकारः // आमो डेसिं / / 8 / 3 / 61 // इत्यनेनाम: स्थाने डेसिमित्यादेशो वा // नवानिदमेतदो हि // 8 / 3 / 60 // इत्यनेन डेहिमित्यादेशः // : स्सिम्मित्थाः // 8 / 3 / 59 // इत्यनेन डे: स्थाने स्सि-म्मि-त्था इत्येते आदेशा भवन्ति / Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - वीसे 146 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ विश्व शब्दः // .... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वीसो . द्वितीया वीसं वीसे वीसा तृतीया वीसेणं वीसेण वीसेहि वीसेहिं वीसेहिँ पंचमी | वीसत्तो वीसाओ / वीसत्तो वीसाओ (वीसाउ वीसाहि , वीसाउ वीसाहि वीसाहिन्तो वीसा / वीसेहि वीसाहिन्तो वीसेहिन्तो वीसासुन्तो | वीसेसुन्तो षष्ठी वीसस्स , वीसेसि वीसाणं वीसाण सप्तमी वीसस्सि वीसम्मि वीसेसुं वीसेसु वीसत्थ वीसहिं . संबोधनम् हे वीस हे वीसो हे वीसे सर्ववाची विश्वशब्दः सर्वादिवत् जगद्वाची तु कुलवत् / ॥अथान्य-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अन्नो अन्ने द्वितीया अन्नं अन्ने अन्ना तृतीया अन्नेणं अन्नेण 1 अन्नेहि अन्नेहिं / अन्नेहिँ Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 147 अन्नस्स प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् बहुवचनम् पंचमी / अन्नत्तो अन्नाओ अन्नत्तो अन्नाओ अन्नाउ अन्नाहि अन्नाउ अन्नाहि | अन्नाहिन्तो अन्ना अन्नेहि अन्नाहिन्तो अन्नेहिन्तो अन्नासुन्तो / अन्नेसुन्तो षष्ठी अन्नस्स अन्नेसिं अन्नाणं / अन्नाण सप्तमी / अन्नस्सि अन्नम्मि अन्नेसुं अनेसु अन्नत्थ अन्नहि संबोधनम् हे अन्न हे अन्नो ... हे अन्ने ॥अथान्यतर-शब्दः // , एकवचनम् .. . बहुवचनम् प्रथमा अनयरो . . अन्नयरे द्वितीया अन्नयरं अन्नयरे अन्नयरा तृतीया / अन्नयरेणं अन्नयरेण (अनयरेहि अन्नयरेहिं / अन्नयरेहिँ पंचमी / अन्नयरत्तो / अन्नयरत्तो अन्नयराओ अन्नयराओ अन्नयराउ अन्नयराहि . अन्नयराउ अन्नयरेहि अन्नयराहिन्तो अन्नयराहि अन्नयरेहिन्तो अन्नयराहिन्तों अन्नयरासुन्तो अन्नयरा अन्नयरेसुन्तो Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 148 . . . प्राकृतशब्दरूपावलिः षष्ठी एकवचनम् बहुवचनम्... अन्नयरस्स (अन्नयरेसि. / अन्नयराणं-ण सप्तमी अन्नयरस्सि अन्नयरम्मि अन्नयरेसुं अन्नयरेसु / अन्नयरत्थ अन्नयरहि संबोधनम् हे अन्नयर हे अन्नयरो हे अन्नयरे . ॥अथेतर-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा इयरो - इयरे द्वितीया इयरं इयरे इयरा तृतीया इयरेणं इयरेण / इयरेहि इयरेहिं / इयरेहिँ पंचमी / इयरत्तो इयराओ / इयरत्तो इयराओ इयराउ इयराहि इयराउ इयराहि इयराहिन्तो इयरा इयरेहि इयराहिन्तो इयरेहिन्तो इयरासुन्तो इयरेसुन्तो इयरस्स / इयरेसिं इयराणं / इयराण सप्तमी / इयरस्सि इयरम्मि इयरेसुं / इयरत्थ इयरहिं / इयरेसु संबोधनम् हे इयर हे इयरो हे इयरे Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ कतरशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कयरो कयरे द्वितीया कयरं कयरे कयरा तृतीया कयरेणं कयरेण कयरेहि कयरेहिं / कयरेहिँ पंचमी / कयरत्तो कयराओ / कयरत्तो कयराओ कयराउ कयराहि __ कयराउ कयराहि / कयराहिन्तो कयरा कयरेहि कयराहिंन्तो कयरेहिन्तो कयरासुन्तो कयरेसुन्तो षष्ठी कयरस्स कयरेसिं कयराणं / कयराण सप्तमी / कयरस्सि कयरम्मि कयरेसुं कयरेसु / कयरत्थ कयरहिं' संबोधनम् हे कयर हे कयरो. हे कयरे - ॥अथ कतमशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कइमो कइमे द्वितीया कइमं कइमे कइमा तृतीया कइमेणं कइमेण कइमेहि कइमेहिं / कइमेहि Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 150 प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् ... बहुवचनम् पंचमी | कइमत्तो कइमाओ / कइमत्तो कइमाओ कइमाउ कइमाहि | कइमाउ कइमाहि कइमाहिन्तो कइमा कइमेहि कइमाहिन्तो कइमेहिन्तो कइमासुन्तो / कइमेसुन्तो षष्ठी कइमस्स . / कइमेसि कइमाणं / कइमाण सप्तमी | कइमस्सि कइममि कइमेसुं कइमेसु / कइमत्थ कइमहिं .. संबोधनम् हे कइम हे कइमो हे कइमे // मध्यम-कतमे द्वितीयस्य / / 8 / 1 / 48 // इत्यनेन द्वितीयस्यात इकारः। ॥अथ सम-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा समो द्वितीया . समं समे. समा तृतीया समेणं समेण (समेहि समेहिं समेंहिँ पंचमी (समत्तो समाओ समत्तो समाओ समाउ समाहि समाउ समाहि / समाहिन्तो समा समेहि समाहिन्तो -समेहिन्तो समासुन्तो | समेसुन्तो समे Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 151 सिमे प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् . .. बहवचनम् षष्ठी समस्स (समेसि समाणं समाण सप्तमी * सिमस्सि समम्मि समेसुं समेसु / समत्थ समहिं संबोधनम् हे सम हे समो .. हे समे . // अथ सिमशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिमो . द्वितीया सिमं सिमे सिमा तृतीया सिमेणं सिमेण .. (सिमेहि सिमेहिं / सिमेहि पंचमी / सिमत्तो सिमाओसिमत्तो सिमाओ 1 सिमाउ सिमाहि सिमाउ सिमाहि / सिमाहिन्तो सिमा सिमेहि सिमाहिन्तो सिमेहिन्तो सिमासुन्तो / सिमेसुन्तो षष्ठी सिमस्स सिमेसि सिमाणं . / सिमाण सप्तमी (सिमस्सि सिमम्मि सिमेसुं सिमेसु 1 सिमत्थ सिमहिं संबोधनम् हे सिम हे सिमो हे सिमे ___समसिमौ यदा सर्वार्थों तदैव सर्वादिकार्यं भवति तुल्यार्थे तु Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 152 . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ नेमशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा नेमो . .. नेमे.. . द्वितीया नेमं . नेमे नेमा... तृतीया नेमेणं नेमेण नेमेहि नेमेहि / नेमेहिँ पंचमी / नेमत्तो नेमाओ / नेमत्तो नेमाओ नेमाउ नेमाहि नेमाउ नेमाहि / नेमाहिन्तो नेमा नेमेहि नेमाहिन्तो नेमेहिन्तो नेमासुन्तो नेमेसुन्तो षष्ठी नेमस्स / नेमसिं नेमाणं / नेमाण सप्तमी / नेमस्सि नेमम्मि नेमेसु नेमेसु / नेमत्थ नेमहि / संबोधनम् हे नेम हे नेमो / ॥अथैक-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ।एको एओ / एक्के एए / एकल्लो एगो / एक्कल्ले एगे इत्यादि सर्ववत् // लो नवैकाद्वा / / 8 / 2 / 165 // इत्यनेनैकशब्दात्परः संयुक्तो लो वा भवति / / सेवादौ वा / / 8 / 2 / 99 // इत्यनेन वा द्वित्वम् / हे नेमे Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमा प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ पूर्वशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पुरिमो पुव्वो पुरिमे पुव्वे द्वितीया पुरिमं पुव्वं / पुरिमे पुव्वे / पुरिमा पुव्वा इत्यादि सर्ववत् // पूर्वस्य पुरिमः // 8 / 2 / 135 / / इत्यनेन पूर्वस्य स्थाने पुरिम इत्यादेशो वा भवति / एवं परावरोत्तरापराधरादयोऽकारान्ताः पुल्लिङ्गाः सर्ववज्ज्ञेयाः / ॥अथ दक्षिणशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दाहिणो दक्खिणो. दाहिणे दक्खिणे . द्वितीया दाहिणं दक्खिणं / दाहिणे दक्खिणे / दाहिणा दक्खिणा तृतीया / दाहिणेणं दक्खिणेणं / दाहिणेहि दाहिणेहिं दाहिणेण दक्खिणेण / दाहिणेहिँ दक्खिणेहि दक्खिणेहिं दक्खिणेहिँ पंचमी / दाहिणत्तो. दाहिणाओ दाहिणत्तो दाहिणाओ दाहिणाउ दाहिणाहि दाहिणाउ दाहिणाहि दाहिणाहिन्तो दाहिणा दाहिणेहि दाहिणाहिन्तो दक्खिणत्तो दक्खिणाओ दाहिणेहिन्तो दाहिणासुन्तो दक्खिणाउ दक्खिणाहि दाहिणेसुन्तो दक्खिणत्तो दक्खिणाहिन्तो दक्षिणा दक्खिणाओ दक्खिणाउ दक्खिणाहि दक्खिणेहि Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 154 प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् ... बहुवचनम् / दक्खिणाहिन्तो दक्खिणे(हिन्तो दक्खिणासुन्तो / दक्खिणेसुन्तो षष्ठी दाहिणस्स दक्खिणस्स / दाहिणेसिं दक्खिणेसि . दाहिणाणं दाहिणाण . दक्खिणाणं. दक्खिणाण सप्तमी / दाहिणस्सि दाहिणम्मि | दाहिणेसुं दाहिणेसु दाहिणत्थ दाहिणहिं / दक्खिणेसुं दक्षिणेसु दक्खिणस्सि दक्खिणम्मि / दक्खिणत्थ दक्खिणहि संबोधनम् हे दाहिण हे दाहिणो हे दाहिणे हे दक्खिणे हे दक्खिण हे दक्खिणो ॥अथ स्वशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुवो द्वितीया सुवं सुवे सुवा तृतीया सुवेणं सुवेण (सुवेहि सुवेहिं सुवेहिँ पंचमी ( सुवत्तो सुवाओ सुवत्तो सुवाओ सुवाउ सुवाहि सुवाउ सुवाहि / सुवाहिन्तो सुवा सुवेहि सुवाहिन्तो सुवेहिन्तो सुवासुन्तो / सुवेसुन्तो सुवे Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ षष्ठी प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् . - बहुवचनम् सुवस्स / सुवेसि सुवाणं / सुवाण सप्तमी ।सुवस्सि सुवम्मि सुवेसुं सुवेसु / सुवत्थ सुवहिं। संबोधनम् हे सुव हे सुवो हे सुवे // एकस्वरे श्व: स्वे॥ 8 / 2 / 114 / / इत्यनेनान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व उकार: / एकस्वरे इति कथनात्, स-यणो, स-यणा, इत्यादिषु न / स्वजनः / ॥अथ भवच्छब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भवन्तो भवन्ता द्वितीया भवन्तं भवन्ते भवन्ता इत्यादि देववत् / शौरसेन्यान्तु, प्रथमैकवचने भवं / शेषं पूर्ववत् / एवं भगवच्छब्दस्यापि भगवं, भयवं / सम्बोधनैकवचने तु भयवं, भयव, इति / शेषं भवच्छब्दवत् / अयं भवच्छब्दो डवतुप्रत्ययान्तः / ॥अथ शतृप्रत्ययान्तो भवच्छब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भवन्तो भवमाणो भवन्ता भवमाणा - इत्यादि देववत् / / शत्रानशः / / 8 / 3 / 181 // इत्यनेन शतृआनश् इत्येतयोः स्थाने. प्रत्येकं न्तमाणा इत्यादेशौ वा / एवं हसच्छब्दस्यापि हसन्तो हसमाणो इत्यादि / एवं पचद्वेपदादयः / Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः भवइ, भवन्ती, भवमाणी, हसई, हसन्ती, हसमाणी, पचई, पचन्ती, पचमाणी, वेवई, वेवन्ती, वेवमाणी, इत्यादि स्त्रीलिङ्गे नदीवत् / ई च स्त्रियाम् / / 8 / 3 / 182 // इत्यनेन स्त्रियां शत्रानशोः स्थाने ईप्रत्ययो भवति / चकारात् न्तमाणावपि / एवं सर्वत्र / ॥अथ किं शब्दः // . एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा को / द्वितीया कं के का तृतीया किणा केणं केण.. केहि केहिं केहिं / पंचमी | कम्हा किणो कीस कत्तो काओ काउ कत्तो काओ काउ | काहि केहि काहिन्तो काहि काहिन्तो / केहिन्तो कासुन्तो / केसुन्तो षष्ठी कास कस्स . कास केसिं काणं-ण सप्तमी / कहिं कस्सि ..... केसुं केसु कम्मि कत्थ / काहे काला कइआ कुत इत्यस्य तु कओ। // किम: कस्तूंतसोश्च / / 8 / 3 / 71 // इत्यनेन किमः कः स्यादौ त्रतसोश्च परयोः // इदमेतत्कियत्तद्भ्यष्टो डिणा // 8 / 3 / . 69 // ऐभ्यः सर्वादिभ्योऽकारान्तेभ्यः परस्याष्टायाः स्थाने डित् इणा इत्यादेशः // ङसेहा / / 8 / 3 / 66 // किंयत्तद्भ्यः परस्य ङ का Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 157 सेा इत्यादेशो वा / किमो डिणोडीसौ / / 8 / 3 / 68 // इत्यनेन किमः परस्य ङसेडिणो डीस इत्यादेशौ वा // किंयत्तद्भ्यो ङसः // 8 / 3 / 63 // इत्यनेन ङसः स्थाने डास इत्यादेशो वा / ङस: स्सः // 8 / 3 / 10 // इत्यनेन ङसः स्थाने स्सः किंतद्भ्यां डासः // 8 / 3 / 62 / / इत्यनेनामः स्थाने डास इत्यादेशो वा / अॅहेि डाला इआ काले // 8 / 3 / 65 // अनेन : स्थाने कालेऽभिधेये डहे डाला, इआ वा भवन्ति / . ॥अथ यच्छब्दः॥ . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जो . . जे . . द्वितीया जं . जे जा तृतीया जिणा जेणं जेण जेहि जेहिं जेहिँ पंचमी | जम्हा जत्तो जाओ / जत्तो जाओ जाउ जाउ जाहि जाहि .जेहि / जाहिन्तो जा जाहिन्तो जेहिन्तो / जासुन्तो जेसुन्तो पठी जास जस्स जेसिं जाणं जाण सप्तमी (जस्सि जम्मि जेसुं जेसु 1 जत्थ जहिं / जाहे जाला जइआ ___यत इत्यस्य जओ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 158 - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ तच्छब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सो स द्वितीया तं णं ते ता तृतीया [तिणा णेण तेहि तेहिं . / तेणं तेण . . तेहिं णेहिं. . पंचमी (तो तम्हा तत्तो तत्तो ताओ ताउ ताओ ताउ ताहि . ) ताहि तेहि ताहिन्तो / ताहिन्तो ता | तेहिन्तो तासुन्तो तेसुन्तो षष्ठी तास तस्स . ( तास तेसिं से . , / सिं ताणं ताण सप्तमी / तस्सि तम्मि तेसुं तेसु र तत्थ तहिं. | ताहे, ताला तइआ तत इत्यस्य तओ // तदश्च तः सोऽक्लीबे॥ 8 / 3 / 86 // इत्यनेन तद एतदश्च तकारस्य सौ सः / वैतत्तदः // 8 / 3 / 3 // इत्यनेन से? वा। तदो णः स्यादौ क्वचित् / / 8 / 3 / 70 // इत्यनेन तदः स्थाने णकारः क्वचित् / द्वितीयातृतीयाविभक्तावेव दृश्यते नान्यत्र तत्रापि द्वितीयाबहुवचने तु न // तदो डोः // 8 / 3 / 67 // इत्यनेन तदः परस्य ङसे? इत्यादेशो वा // वेदं तदेतदो ङसाम्भ्यां से-सिमौ // 8 / 3 / 81 // इत्यनेनेदम्तदेतदित्येतेषां स्थाने ङस्-आमित्येताभ्यां सह यथासंख्यं से-सिमित्यादेशौ वा भवतः। Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः. ॥अथैतच्छब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / एसो एस एते एए / इणं इणमो द्वितीया एतं एअं / एते एता / एए एआ तृतीया / एदिणा एदेणं एदेण / एतेहि एतेहिं एएहिँ एएणं एएण / एएहि इत्यादि पंचमी / एत्तो एत्ताहे. एअत्तो एआओ एआओ एआउ एआउ एआहि एआहि एआहिन्तो एएहिं एआहिन्तो | एआ एएहिन्तो एआसुन्तो / एएसुन्तो षष्ठी से एअस्स .. सिं एएसिं / एआणं एआण सप्तमी (एअस्सि एअम्मि : एएसुं एएसु एत्थ अयम्मि / ईअम्मि // वैसेणमिणमो सिना // 8 / 3 / 85 // इत्यनेनैतदः स्थाने सिना सह एस इणं इणमो इत्यादेशा वा / वैतदो ङसे त्तो-ताहे / / 8 / 3 / 82 // इत्यनेनैतदः परस्य ङसे: त्तो ताहे इत्यादेशौ वा // एरदीतौ म्मौ वा / / 8 / 3 / 84 / / इत्यनेनैतद एकारस्य ड्यादेशे Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 160 सायो प्राकृतशब्दरूपावलिः म्मौ परे अदीतौ वा // त्थे च तस्य लुक् / / 8. / 3 / 83 // इत्यनेनैतदः त्थे परे चकारात् त्तो-ताहे च परतः तस्य लुक् / यथा / एत्थ, एत्तो, एत्ताहे। ॥अथेदम्-शब्दः // .: एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अयं इमो. इमे. द्वितीया इम.णं इणं' इमे इमाणे तृतीया [णेण इमिणा , एहि णेहि इमेहि . इमेणं इमेण . इमेहिं इमेहिँ पंचमी (इमत्तो इमाओ इमत्तो इमाओ (इमाउ इमाहिं इमाउ इमाहि / इमाहिन्तो इमा इमेहि इमाहिन्तो इमेहिन्तो इमासुन्तो | इमेसुन्तो षष्ठी अस्स इमस्स. सिं इमेसि .. से सप्तमी अस्सि इमस्सिं एसुं एसु... इमम्मि इह / इमेसुं इमेसु // पुं-स्त्रियोर्नवायमिमिआ सौ // 8 / 3 / 73 // इत्यनेनेदम्शब्दस्य अयमिति आदेशः सौ पुंसि / स्त्रिलिङ्गे तु इमिआ इति // इदम इमः // 8 / 3 / 72 // इत्यनेनेदमः स्यादौ परे इमः / / णोऽम्-शस्-टा-भिसि // 8 / 3 / 77 // इत्यनेनेदमः अम् शस्टाभिस्सु परेषु ण इत्यादेशः // स्सि-स्सयोरत् / / 8 / 3 / 74 / / / इमाणं इमाण Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यनेनेदमः / स्सि-स्स इत्येतयोः परयोरदादेशो वा / अमेणम् / / 8 / 3 / 78 // इत्यनेनेदमोऽमा सह इणमित्यादेशः / उर्मेन हः / / 8 / 3 / 75 // इत्यनेनेदमः कृतेमादेशात्परस्य डेर्मेन सह ह इत्यादेशो वा। ॥अथादस्शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अह अमू अमुणो अमउ / अमओ अमवो अमू द्वितीया अमुं अमू अमुणो तृतीया अमुणा अमूहि अमूहि अमूहिँ पंचमी अमुणो अमूओ अमुत्तो अमूओ अमुउ अमुत्तो अमूउ अमूहिन्तो . अमूहिन्तो अमूसुन्तो षष्ठी अमुणो अमुस्स ... अमूणं अमूण सप्तमी (अयम्मि इअम्मि अमूसुं अमूसु अमुम्मि // वादसो दस्य होऽनोदाम् / / 8 / 3 / 87 // इत्यनेनादसो दकारस्य सौ परे ह इत्यादेशो वा // मुः स्यादौ / / 8 / 3 / 88 // इत्यनेनादसों दस्य स्यादौ मुरित्यादेशः / / // अक्लीबे सौ / / 8 / 3 / 19 // इत्यनेन सौ परे दीर्घ कृते अमू इति रूपम् // पुंसि जसो डउ डओ वा / / 8 / 3 / 20 // इत्यनेन इदुतः परस्य जसः स्थाने पुंसि अउ, अओ इत्यादेशौ डितौ वा भवतः // वोतो डवो / / 8 / 3 / 21 // इत्यनेन उदन्तात्परस्य जसः पुंसि डित् अवो इत्यादेशो वा / / जस्-शसोर्णो वा / / 8 / 3 / 22 // इत्यनेन इदुतः परयोर्जस्-शसोः पुंसि णो इत्यादेशो वा / / लुप्ते शसि / / 8 / 3 / 18 // इत्यनेन इदुतोर्दी? भवति शसि लुप्ते Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . प्राकृतशब्दरूपावलिः सति // टो णा / / 8 / 3 / 24 // इत्यनेन पुंक्लीबे वर्तमानादिदुतः परस्य या इत्यस्य णा इत्यादेशः / / // इदुतो दीर्घः // 8 / 3 / 16 / / इत्यनेन इकारस्य उकारस्य च भिस्-भ्यस्-सुप्सु-परेषु दीर्घः // ङसि-ङसोः पुंक्लीबे वा // 8 / 3 / 23 // इत्यनेन पुंसि क्लीबे च वर्तमानादिदुतः परयोर्ड सिङसोर्णो इत्यादेशो वा / पञ्चम्येकवचने हिलुको निषेध्येते / पञ्चमीबहुवचने च हिनिषेध्यते // म्वावयेऔ वा // 8 / 3 / 89 // इत्यनेना-दसोऽन्त्यव्यञ्जनस्य लुकि दकारान्तस्य स्थाने ड्यादेशे. म्मौ परे अय इअ इत्यादेशौ वा। . ॥अथ युष्मच्छब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा / तं तुं तुवं. (भे तुब्भे तुज्झ / तुह तुमं . (तुम्ह तुम्हे उव्हे / तुम्हे तुज्झे द्वितीया | तं तुं तुमं तुवं तुज्झ तुब्भे तुम्हे / तुह तुमे तुए तुझे तुम्हे उव्हे भे तृतीया | भे दि दे ते तइ (भे तुब्भेहिं तुम्हेहिं तए तुमं तुमइ तुज्झेहि उज्झेहिं / तुमए तुमे तुमाइ उम्हेहिं तुम्हेहिं उव्हेहिं पंचमी / तइत्तो तुवत्तो तुब्भत्तो तुम्हत्तो तुमत्तो तुहत्तो तुज्झत्तो तुम्हत्तो तुब्भत्तो तुम्हत्तो उयहत्तो उम्हत्तो तुज्झत्तो | एवं दो-दु-हि-हिन्तोएवं पञ्चम्येकवचने दो / सुन्तोष्वप्युदाहार्यम् / दु-हिन्तो-लुक्ष्वप्युदाहार्यम् तुयह तुब्भ तुम्ह तुज्झ तहिन्तो Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 163 प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम्.. बहुवचनम् / तइ तु ते तु वो भे तुब्भ. तुम्हें तुह तुहं तुम्ह तुज्झ तुब्भं तुव तुम तुमे तुम्हं तुझं तुब्भाण तुमो तुमाइ दि दे . तुब्भाणं तुम्हाण इ ए तुब्भ तुम्ह तुम्हाणं तुज्झाण तुज्झ उब्भ उम्ह तुज्झाणं तुवाण उज्झ उयह तुवाणं तुमाण तुमाणं तुहाण तुहाणं उम्हाण उम्हाणं सप्तमी / तुमे तुमए तुसु तुवेसु तुमेसु तुमाइ तइ. तुहेसु तुब्भेसु तए तुम्मि तुम्हेसु तुज्झेसु तुवम्मि तुमम्मि | केचित्तु सुप्येत्वविकतुहम्मि तुब्भम्मि ल्पमिच्छन्ति / तन्मते | तुम्हम्मि तुज्झम्मि / तुवसु तुमसु तुहसु तुब्भसु तुम्हसु तुज्झसु तुब्भस्यात्वमपीच्छत्यन्यः / तुब्भासु तुम्हासु तुज्झासु . // अथास्मच्छब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा (म्मि अम्मि अम्हि अम्ह अम्हे अम्हो. . ( हं अहं अहयं / मो वयं भे Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 164 प्राकृतशब्दरूपावलिः एकवचनम् .. बहुवचनम् द्वितीया | णे णं मि अम्मि अम्हे अम्हो अम्ह मम्ह मं अम्ह णे ममं मिमं अहं तृतीया / मि मे ममं अम्हेहिं अम्हाहिं ममए ममाइ मइ ।अम्ह अम्हे णे. मयाइ मए णे पंचमी | मइत्तो ममत्तो ममत्तो अम्हत्तो महत्तो मज्झत्तो ममाहिन्तो अम्हाहिन्तो एवं दो-दु-हि-हिन्तो- | ममासुन्तो अम्हासुन्तो लुक्ष्वप्युदाहार्यम् / मत्तो | ममेसुन्तो अम्हेसुन्तो इति तु मत्तं इत्यस्य / इत्यादि . षष्ठी मे मइ मम मह ।णे णो मज्झ महं मज्झ मज्झं | अम्ह अम्हं अम्हे अम्ह अम्हं. अम्हो अम्हाण अम्हाणं ममाण ममाण महाण महाणं | मज्झाण मज्झाणं सप्तमी / मि मइ ममाइ / अम्हेसु ममेसु मए मे अम्हम्मि महेसु मज्झेसु ममम्मि महम्मि एत्वविकल्पमते तु मज्झम्मि अम्हसु ममसु महसु मज्झसु अम्हस्यात्वमपीच्छत्यन्य / अम्हासु Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथाकारान्तस्त्रीलिङगः // . ॥मालाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा माला मालाउ मालाओ माला द्वितीया . मालं मालाउ मालाओ माला तृतीया मालाअ मालाइ | मालाहि मालाहिं / मालाए / मालाहिँ पंचमी / मालाअ मालाइ ( मालत्तो मालाओ मालाए मालत्तो मालाउ मालाहिन्तो मालाओ मालाउ मालासुन्तो मालाहिन्तो . षष्ठी मालाअ मालाइ * मालाणं मालाण / मालाए / सप्तमी / मालाअ मालाइ मालासुं मालासु मालाए संबोधनम् हे माले हे माला हे मालाउ हे मालाओ हे माला ॥अथ रमाशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा रमा .. . ... रमाउ रमाओ रमा द्वितीया रमं रमाउ रमाओ रमा तृतीया / रमाअ रमाइ र माहि रमाहिं . रमाए / रमाहिँ Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः पंचमी रमाअ रमाइ स्मत्तो रमाओ रमाए रमत्तो रमाउ रमाहिन्तो | रमाओ रमाउ / रमासुन्तो रमाहिन्तो षष्ठी (रमाअ रमाइ रमाणं रमाण रमाए सप्तमी (रमाअ रमाइ रमासु रमासु रमाए संबोधनम् हे रमे हे रमा , हे रमाउ हे रमाओ हे रमा || स्त्रियामुदोतौ वा // 8 / 3 / 27 // इत्यनेन स्त्रियां वर्तमानान्नाम्नः परयोर्जस्-शसोः स्थाने प्रत्येकं उत् ओत् इत्येतौ सप्राग्दी? वा भवतः / / हूस्वोऽमि // 8 / 3 / 36 // इत्यनेन स्त्रीलिङ्गस्य नाम्नोऽमि परे हुस्वो भवति / मालं, नई, इत्यादि / / ट-डस्-डेरदादिदेद्वा तु डसेः // 8 / 3 / 29 / / इत्यनेन स्त्रियां ट-डस्ङीनां स्थाने प्रत्येकं अत्, आत्, इत्, एत्, इत्येते चत्वार आदेशा भवन्ति डसे: पुनरेते सप्राग्दीर्घा वा / नात आत् / / 8 / 3 / 30 // इत्यनेन स्त्रियामादन्तानाम्नः परेषां टा-ङस्-ङिडसीनामादादेशो न भवति // वाप ए।। 8 / 3 / 41 / / इत्यनेनामन्त्रणे सौ परे आप एत्वं वा भवति / ॥अथ शृङ्खलाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संकला (संकलाउ- संकलाओ संकला द्वितीया संकलं संकलाउ संकलाओ संकला Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 167 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि मालाशब्दवद्रूपाणि // शृङ्खले खः कः // 8 / 1 / 189 // इत्यनेन ख़स्य कः / / ॥अथ सटाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सढा सढाउ सढाओ सढा इत्यादि मालावत् / / सट-शकट-कैटभे ढः / / 8 / 1 / 196 // इत्यनेन टस्य ढः / ॥अथ प्रतिमाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पडिमा पडिमाउ पडिमाओ . पिडिमा इत्यादि मालावत् ॥अथ पताकाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पडाआ पडाउ पडाओ / पडाआ . द्वितीया पडाअं . पिडाउ पडाओ पिडाआ इत्यादि ॥अथ प्रतिज्ञाशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा पइण्णा पइण्णाउ पइण्णाओ .. . पइण्णा इत्यादि Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ प्रतिष्ठाशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा परिहा पइट्ठा . परिहाउ परिट्ठाओ ( परिहा पइट्ठाउ ( पइट्ठाओ पइट्ठा इत्यादि // निष्प्रती ओत्परीमाल्य-स्थोर्वा / / 8 / 1 / 38 // इत्यनेन निर्पति इत्येतौ माल्यशब्दे स्थाधातौ च परे यथासङ्ख्यं ओत् परि इत्येवंरूपौ वा भवतः / - ॥अथोपमाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उवमा [उवमाउ उवमाओ उवमा ... इत्यादि मालावत् . ॥अथ शिफाशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् / प्रथमा सिभा सिभाउ सिभाओ सिभा इत्यादि | फो भ-हौ // 8 / 1 / 236 // इत्यनेन फस्य भकारः। // अथ स्पृहाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छिहा छिहाउ छिहाओ छिहा इत्यादि / स्पृहायाम् // 8 / 2 / 23 // इत्यनेन स्पृहाशब्दे संयुक्तस्य छः / Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपालिः. 169 ॥अथ शय्याशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सेज्जा (सेज्जाउ सेज्जाओ / सेज्जा इत्यादि // एच्छय्यादौ / / 8 / 1 / 57 // इत्यनेन शय्याशब्दे आदेरस्य एत्त्वं / / द्य-य्य-र्यां जः // 8 / 2 / 24 // इत्यनेन जः / ॥अथ भार्याशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा भज्जा भिज्जाउ भज्जाओ इत्यादि / चौर्यसमत्वात्, भारिया इत्याद्यपि मालावत् ॥अथ मृत्तिकाशब्दः // एकवचनम् ... बहुवचनम् प्रथमा मट्टिआ म ट्टिआउ मट्टिआओ . मट्टिआ इत्यादि - ॥अथ वार्ताशब्दः॥ एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा वत्ता वट्टा वत्ताउ वत्ताओ वत्ता / वट्टाउ वट्टाओ वट्टा . .. इत्यादि Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 170 170 - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथोल्काशब्दः // .. - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उक्का . उक्काउ उक्काओ उक्का इत्यादि ॥अथ प्रज्ञाशब्दः / / एकवचनम् - बहुवचनम् : ... प्रथमा पज्जा पण्णा (पज्जाउ पज्जाओ पज्जा पण्णाउ [ पण्णाओ पण्णा इत्यादि ॥अथ संज्ञाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संज्जा सण्णा (संज्जाउ संज्जाओ संज्जा सण्णाउ [सण्णाओ सण्णा इत्यादि ॥अथाऽऽज्ञा शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा अज्जा आणा 'अज्जाउ अज्जाओ अज्जा आणाउ आणाओ आणा इत्यादि / / ज्ञो जः / / 8 / 2 / 83 / / इत्यनेन ज्ञः सम्बन्धिनो जस्य लुग वा। Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 171 प्रथमा साहा प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ चन्द्रिकाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा चन्दिमा / चिन्दिमाउ चन्दिमाओ चन्दिमा ___इत्यादि // चन्द्रिकायां मः // 8 // 1 / 185 // इत्यनेन कस्य मः। ॥अथ शाखाशब्दः // . एकवचनम् .. बहुवचनम् साहाउ साहाओ साहा इत्यादि ॥अथ चपेटाशब्दः॥ . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा / चविला चविडा . (चविलाउ चविलाओ . (चविला चविडाउ (चविडाओ चविडा इत्यादि / एत इद्वा वेदना-चपेटा-देवर-केसरे / / 8 / 1 / 146 / / इत्यनेन एत इत्त्वं वा / पक्षे चवेडा इत्याद्यपि // चपेटपाटौ वा / / 8 / 1 / 198 // इत्यनेन टस्य लो वा। ॥अथ यमुनाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जउँणा . .जउँणाउ जउँणाओ जउँणा इत्यादि Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ चामुण्डाशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा चाउँण्डा (चाउँण्डाउ चाउँण्डाओ चाउँण्डा इत्यादि / यमुना-चामुण्डा-कामुकातिमुक्तके मोऽनुनासिकश्च // 8 / 1 / 178 // इत्यनेन मस्य लुग् भवति लुकिच सति मस्य स्थाने अनुनासिकः / / : ॥अथ क्षुधशब्दः॥ ___ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . छुहा . . छुहाओ छुहाउ छुहा इत्यादि // क्षुधो हा / / 8 / 1 / 17 // इत्यनेन क्षुधशब्दस्यान्त्यव्यञ्जनस्य हादेशो भवति / .. ॥अथाप्सस्स्शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अच्छरसा अच्छा अच्छरसाउ अच्छरसाओ अच्छरसा अच्छराउ | अच्छराओ अच्छरा इत्यादि / आयुरप्सरसोर्वा // 8 // 1 // 20 // इत्यनेनान्त्यव्यञ्जनस्य सो वा भवति // हुस्वात् थ्य-श्व-त्स-प्सा-मनिश्चले // 8 / 2 / 21 // इत्यनेन छः / ॥अथ क्षुधाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छुहा छुहाउ छुहाओ छुहा इत्यादि / / षट्-शमी-शाव-सुधा-सप्तपर्णेष्वादेश्छः // 8 / 1 / 265 // इत्यनेन छः। Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ शिराशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छिरा सिरा छिराउ छिराओ छिरा / सिराउ सिराओ सिरा इत्यादि / शिरायां वा / / 8 / 1 / 266 // इत्यनेन वा छः / ॥अथ क्षमाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छमा - छमाउ छमाओ छमा इत्यादि / क्षमायां कौ / / 8 / 2 / 18 // इत्यनेन को पृथिव्यां वर्तमाने क्षमाशब्दे संयुक्तस्य छः / छमा पृथिवी / क्ष्मा इत्यस्यापि भवति / क्ष्मा, छमा / क्ष्मा-श्लाघा-रत्नेऽन्त्यव्यञ्जनात् / / 8 / 2 / 101 // इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वोऽद्भवति / तेन छमा इति रूपं सिद्धं / काविति किम् / खमा क्षान्तिरित्यत्र न। . ॥अथ मक्षिकाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मच्छिआ मच्छिआउ मच्छिआओ / मच्छिआ इत्यादि मालावत् ॥अथ ककुभशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . कउहा . . . कउहाउ कउहाओ ।कउहा Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 174 .. प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / ककुभो हः // 8 / 1 // 21 // इत्यनेन ककुभ्शब्दस्यान्त्यव्यञ्जनस्य हो वा भवति / ॥अथोत्कण्ठाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उक्कण्ठा / उक्कण्ठाउ उक्कण्ठाओ / उक्कण्ठा __ इत्यादि ॥अथ पद्माशब्दः॥ एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा पोम्मा पउमा | पोम्माउ पोम्माओ पोम्मा पउमाउ / पउमाओ पउमा द्वितीया पोम्मं पउमं प्रथमाबहुवचनवत् तृतीया / पोम्माअ पोम्माइ | पोम्माहि पोम्माहिं पोम्माए पउमाअ (पोम्माहिँ पउमाहि / पउमाइ पउमाए. पउमाहिं पउमाहिँ पंचमी / पोम्माअ पोम्माइ पोम्मत्तो पोम्माओ पोम्माए पोम्मत्तो | पोम्माउ पोम्माहिन्तो पोम्माओ पोम्माउ (पोम्मासुन्तो पउमत्तो पोम्माहिन्तो पउंमाअ | पउमाओ पउमाउ पउमाइ पउमाए पउमाहिन्तो पउमासुन्तो पउमत्तो पउमाओ पउमाउ पउमाहिन्तो Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः षष्ठी तृतीयावत् पोम्माणं पोम्माण / पउमाणं पउमाण सप्तमी तृतीयावत् | पोम्मासुं पोम्मासु / पउमासु पउमासु संबोधनम् (हे पोम्मे हे पोम्मा प्रथमाबहुवचनवत् हे पउमे हे पउमा ... // अथार्याशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अज्जा आरिआ अज्जा और अज्जाउ अज्जाओ अज्जा आरिआउ / आरिआओ आरिआ इत्यादि / श्वश्रूवाचिआर्याशब्दस्य तु अज्जू इति रूपं भवति तस्य रूपाणि वधूवज्ज्ञेयानि / // अथ मर्यादाशब्दः॥ एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा मज्जाआ मज्जाआउ मज्जाआओ / मज्जाआ इत्यादि मालावत् // अथ जिह्वाशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा जिब्भा जीहा (जिब्भाउ जिब्भाओ जिब्भा जीहाउ जीहाओ जीहा Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्राकृतशब्दरूपावलिः ___ इत्यादि / हो भो वा / / 8 / 2 / 57 // इत्यनेन ह्वस्य भो वा / / ईर्जिह्वा-सिंह-त्रिंशद्विशतौ त्या / / 8 / 1 / 92 / / इत्यनेन इकारस्य ॥अथ श्रद्धाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सड्ढा सद्धा: सड्ढाउ सड्ढाओ सड्ढा / सद्धाउ सद्धाओ सद्धा द्वितीया सा सद्धं , सडाउ सड्ढाओ सड्ढा . . / सद्धाउ सद्धाओ सद्धा . इत्यादि // श्रद्धर्द्धि-मूर्धाऽर्धेऽन्ते वा // 8 / 2 / 41 // इत्यनेन अन्ते वर्तमानस्य संयुक्तस्य ढो वा भवति / - ॥अथ सन्ध्याशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा संझा संझाउ संझाओ / संझा इत्यादि / ॥अथ परिखाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा फलिहा फलिहाउ फलिहाओ / फलिहा इत्यादि बहुना Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमा प्राकृतशब्दरूपावलिः 177 ॥अथ स्नुषाशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा सुण्हा सुसा (सुण्हाउ सुण्हाओ सुण्हा सुसाउ / सुसाओ सुसा ___इत्यादि / / स्नुषायां ण्हो नवा / / 8 / 1 / 261 / / इत्यनेन षस्य ग्रहः। ॥अथ ज्योत्स्नाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् जोण्हा जोण्हाउ जोण्हाओ जोण्हा ___ इत्यादि मालावत् ॥अथ श्यामाशब्दः॥ एकवचनम् ... बहुवचनम् प्रथमा सामा ... सामाउ सामाओ / सामा . इत्यादि / अधो म-न-याम् / / 8 / 21 78 // इत्यनेन मस्य लुक्। ... ॥अथ व्रीडाशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा विड्डा .. . विड्डाउ विड्डाओ विड्डा इत्यादिालावत् / षष्ठी / 2 / 98 // इत्यनेन डस्य द्वित्वम् / स्यापि . . Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ श्लाघाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सलाहा सलाहाउ सलाहाओ सलाहा .." इत्यादि / / क्ष्मा-श्लाघा-रत्नेऽन्त्यव्यञ्जनात् / / 8 / 2 / 101 // इत्यनेन अन्त्यव्यञ्जनात् पूर्वोऽद्भवति / ॥अथ क्रियाशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् / प्रथमा किरिआ किरिआउ किरिआओ . . किरिआ इत्यादि / ई-श्री-ही-कृत्स्न-क्रिया-दिष्ट्यास्वित् / / 8 / 2 / 104 / / इत्यनेनान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व इकारः / आर्षमते तु हयं नाणं कियाहीणं इति। ॥अथ गर्दाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गरिहा गरिहाउ गरिहाओ गरिहा - इत्यादि. ॥अथ ज्याशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जीआ जीआउ जीआओ जीआ ___ इत्यादि / ज्यायामीत् / / 8 / 2 / ११५॥शनेन ज्याशब्देऽन्त्यव्यञ्जनात्पूर्व ईकारः। Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 179 ॥अथ वनिताशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विलया वणिआ विलयाउ विलयाओ विलया वणिआउ वणिआओ वणिआ इत्यादि / वनिताया विलया // 8 / 2 / 128 // इत्यनेन वनिताया विलयादेशो वा भवति / ॥अथ दंष्ट्राशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा दाढा दाढाउ दाढाओ दाढा इत्यादि / / दंष्ट्रया दाढा / / 8 / 2. / 139 // इत्यनेन दाढादेशः / / ॥अथ सेवाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सेव्वा सेवा (सेव्वाउ सेव्वाओ (सेव्वा सेवाउ सेवाओ सेवा इत्यादि / सेवादौ वा / / 8 / 2 / 99 // इत्यनेन वा द्वित्वम् / // अथाबन्तः स्त्रीलिङ्गः सर्वाशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा सव्वा सव्वाउ सव्वाओ .. . सव्वा इत्यादि मालावत् / षष्ठीबहुवचने तु, सव्वेसिं सव्वाण, इति विशेषः / एवं विश्वाशब्दस्यापि मालावत्, षष्ठीबहुवचने वीसेसिं, Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 180 प्राकृतशब्दरूपावलिः वीसाण, इति / अन्याशब्दस्य, अन्नेसि, अन्नाण, इत्यादि, शेषं मालावत्। ॥किंशब्दः॥.. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा का कीउ कीओ कीआ की काउ काओ का . द्वितीया कं. (कीउ कीओ कीआ की काउ काओ का तृतीया कीअ कीआ कीइ कीए / कोहि कोहिं कीहिँ काअ काइ काए . काहि काहि काहिँ पंचमी काअ काइ काए कीओ कीउ कीअ कीआं कीइ. कीहिन्तो कीसुन्तो कीए कीओ की काओ काउ कत्तो कीहिन्तो कत्तो (काहिन्तो कासुन्तो काओ काउ . काहिन्तो कम्हा षष्ठ कास किस्सा कीसे केसि काणं काण कीअ कीआ कीइ कीए काअ काइ काए सप्तमी काहिं काअ कीसुं कासुं काइ काए // कि-यत्तदोऽस्यमामि // 8 / 3! 33 / / इत्यनेन सि-अम्आम्-वर्जिते स्यादौ परे किंयत्तद्भ्यः स्त्रियां डीर्वा // स्त्रियामुदोतौ Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 181 प्राकृतशब्दरूपावलिः . वा॥ 8 / 3 / 27 // इत्यनेन स्त्रियां जस्-शसोः स्थाने उत्-ओत्• इत्येतौ सप्राग्दीघों वा भवतः // टा-डस्-डेरदादिदेद्वा तु ङसेः // 8 / 3 / 29 // इत्यनेन स्त्रियां नाम्नः परेषां य-ङस्-डीनां स्थाने प्रत्येकं अत्-आत्-इत्-एत्-इत्येते चत्वार आदेशाः सप्राग्दीर्घा भवन्ति ङसेस्तु वा // नात आत् // 8 / 3 / 30 // इत्यनेन स्त्रियां नाम्नः टा-ङस्-ङी-ङसीनामादादेशो न भवति / किं-यत्तद्भ्यो ङसः // 8 / 3 / 63 // इत्यस्मिन् सूत्रे बहुलाधिकारसद्भावात् किं-तद्भ्यामाकारान्ताभ्यामपि डासादेशो वा // ईद्भ्यः स्सा-से // 8 / 3 / 64 // इत्यनेन किमादिभ्य ईदन्तेभ्यः परस्य ङसः स्थाने स्सा-से इत्यादेशौ वा / आमो डेसिं // 8 / 3 / 61 // इत्यस्मिन् सूत्रे बहुलाधिकारात् स्त्रियामपि डेसिमित्यादेशो-भवति / नवानिदमेतदो हिं // 8 / 3 / 60 // इत्यस्मिन् सूत्रे बहुलाधिकारात् किं यत्तद्भ्यः स्त्रियामपि डेहिमित्यादेशो भवति / बाहुलकादेव किंयत्तदोऽस्यमामि // 8 / 3 / 33 // इति सूत्रेण सप्तम्येकवचनेऽपि ङीन भवति। . ॥अथ यच्छब्दस्य रूपाणि // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जा जीउ जीओ जीआ जी (जाउ जाओ जा द्वितीया जं. (जीउ जीओ जीआ जी जाउ जाओ जा तृतीया ।जीअ जीआ जीइ जीए जीहि जीहिं जीहिँ जाअ जाई जाए जाहि जाहिं जाहिँ पंचमी जाअ जाइ जाए जीओ जीउ जीअ जीआ जीइ जीहिन्तो जीसुन्तो Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 182. प्राकृतशब्दरूपावलिः जीए जीओ जीउ जाओ जाउ जीहिन्तो जत्तो जाहिन्तो जासुन्तो जाओ जाउ / जाहिन्तो जम्हा .. ( जिस्सा जीसे जीअ जेसिं जाणं जाण जीआ जीइ जीए जाअ जाइ जाए सप्तमी (जाहिं जाअ जीसुं जासुं जाइ जाए जीअ , (जीआ जीइ. जीए. . यच्छब्दस्य स्त्रियां डसः स्थाने डास इत्यादेशो न / ॥अथ तच्छब्दस्य रूपाणि // एकवचनम् बहुवचनम प्रथमा सा तीउ तीओ तीआ ती ताउ ताओ ता द्वितीया तं णं तीउ तीओ तीआ ती ताउ.ताओ ता तृतीया / तीअ तीआ तीइ तीए / तीहि तीहिं तीहिँ ताअ ताइ ताए / ताहि ताहिं ताहिँ णाअ णाइ णाए णाहि णाहिं णाहिँ पंचमी / ताअ ताइ ताए तीओ तीउ तीअ तीआ तीइ तीए तीहिन्तो तीसुन्तो तीओ तीउ तीहिन्तो | ताओ ताउ तत्तो ताओ ताउ / ताहिन्तो तासुन्तो / ताहिन्तो तम्हा Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 183 प्राकृतशब्दरूपावलिः . . षष्ठी (तास तासे तिस्सा तीसे तेसिं सिं ताणं . (तीअ तीआ तीइ तीए ताअ ताइ ताए सप्तमी ताहिं ताअ तीसुं तासुं / ताइ ताए . // तदश्च तः सोऽक्लीबे।। 8 / 3 / 86 / / इत्यनेन तद एतदश्च सौ परे सः // तदो णः स्यादौ क्वचित् / / 8 / 3 / 70 // इत्यनेन तदः स्थाने ण आदेशो भवति क्वचिल्लक्ष्यानुसारेण // वेदं तदेतदो डसाम्भ्यां से-सिमौ / / 8 / 3 / 81 // इत्यनेन इदम्-तद्-एतद्इत्येतेषां स्थाने डस्-आम्-इत्येताभ्यां सह यथाक्रमं से-सिम्इत्यादेशौ वा भवतः / ॥अथेदम्शब्दस्य रूपाणि // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा इमी इमिआ इमा / इमीउ इमीओ इमी इमिआउ इमिआओ इमिआ इमाउ इमाओ इमा द्वितीया इमि इमिअं इमं प्रथमाबहुवचनवत् तृतीया / इमीअ इमीआ इमीइ / इमीहि इमिआहिं इमीए इमिआअ . इमाहिं आहि इमिआइ इमिआए / आहिँ आहिं इमाअं इमाइ इमाए पंचमी (इमीअ इमीआ (इमीओ इमीउ (इमीइ इमीए / इमीहिन्तो इमीसुन्तो प्रथमाब Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म ... 184 - प्राकृतशब्दरूपावलिः इमीओ इमीउ इमिआओ इंमिआउ इमीहिन्तो इमिआअ / इमिआहिन्तो इमिआइमिआइ इमिआए. | सुन्तो इमाओ इमाउ इमिअत्तो इमिआओ / इमाहिन्तो. इमासुन्तो इमिआउ इमिआहिन्तो इमाअ इमाइ इमाए इमत्तो इमाओ इमाउ इमाहिन्तो , षष्ठी / इमीअ इमीआ / इमीण इमीण इमीइ. इमीए | इमेसि इमिआणं इमिआअ इमिआइ / इमिआण इमाणं इमिआए इमाअ , / इमाण इमाइ इमाए सप्तमी / इमीअ इमीआ / इमीसुं इमीसु इमीइ इमीए / इमिआसुं इमिआसु / इमिआअ इमिआइ / इमासुं इमासु इमिआए इमाअ . इमाइ इमाए . // अजातेः पुंसः // 8 / 3 / 32 // इत्यनेनाजातिवाचिन: पुल्लिङ्गात् स्त्रियां वर्तमानात् ङीर्वा भवति / ततः इमी इति रूपं जातं तस्य रूपाणि नदीवत् / पुं-त्रियोर्नवायमिमिआ सौ॥ 83 // 73 // इत्यनेन इदम् शब्दस्य स्त्रियां सौ परे इमिआ इत्यादेशो वा भवति। पक्षे / इमा, तस्य रूपाणि मालावत् // स्सि-स्सयोरत् / / 8 / 3. 74 // इत्यनेन इदमः स्सि स्स इत्येतयोः परयोरद्वा भवति / अत्र Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलि: .. सूत्रे बहुलाधिकारादन्यत्रापि भवति तेन स्त्रिलिङ्गे तृतीयाबहुवचने आहि इति रूपसिद्धिः / भिसो हि हिँ हिं / / 8 / 3 / 7 // इत्यनेन भिसः स्थाने हि-हि-हिं इत्येते त्रय आदेशा, भवन्ति / एवं इमीहिहिँ-हिं इत्यादि। ॥अथैतच्छब्दस्य रूपाणि // एकवचनम् . बहुवचनम् 'प्रथमा एई एसा एस एईड एईओ एई / एआउ एआओ एआ इत्यादि इदम्शब्दवत् ङीपक्षे नदीवत् आप्पक्षे च मालावत् / अत्र तृतीयाबहुवचने च आहिं इतिरूपं न भवतीति विशेषः / // अथादस्शब्दस्य रूपाणि // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अह अमू अमूउ अमूओ अमू द्वितीया अमुं अमूउ अमूओ अमू तृतीया (अमूअ अमूआ (अमूहि अमूहिँ अमूइ अमूए अमूहि पंचमी (अमूअ अमूआ (अमूओ अमूउ अमूइ अमूए अमूओ (अमूहिन्तो (अमृउ अमूहिन्तो (अमूसुन्तो षष्ठी अमूअ अमूआ .. अमूणं आपण / अमूंई अमूए .. सप्तमी अमूअ अमूआ / अमूसुं अमूसु / अमृइ अमूए Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 186 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथाकारान्तनपुंसकलिङ्गः / / ॥वन शब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . वणं वणाइँ वणाई वणाणि द्वितीया वणं वणाइँ वणाई वणाणि. तृतीया वणेणं वणेण . वणेहि. वणेहिँ वणेहिं पंचमी | वणत्तो वणाओ (वणत्तो वणाओ वणाउ वणाउ वणाहि वणाहि वणेहि . (वणाहिन्तो वणा. | वणाहिन्तो वणेहिन्तो विणासुन्तो वणेसुन्तो षष्ठी . वणस्स . .. . वणाणं वणाण सप्तमी वणम्मि. वणे , वणेसुं वणेसु संबोधनम् हे वण हे वणा' हे वणाई हे वणाणि // क्लीबे स्वरान्म् सेः // 8 / 3 / 25 // इत्यनेन से: स्थाने म् भवति // जस्-शस-इ-ई-णयः सप्राग्दीर्घाः // 8 / 3 / 26 // इत्यनेन क्लीबे वर्तमानान्नाम्नः परयोर्जस्-शसोः स्थाने इँ-ई-णि इत्येते त्रय आदेशा भवन्ति / नामन्त्र्यात्सौ मः / / 8 / 3 / 37 / / इत्यनेन संबोधने क्लीबे स्वरान्म् सेः // इति यो म्, उक्तः स न / भवति // ॥अथ सूत्रशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुत्तं . सुत्ताइँ सुत्ताई सुत्ताणि द्वितीया सुत्तं , सुत्ताइँ सुत्ताई सुत्ताणि _ इत्यादि वनवत् Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 187 प्राकृतशब्दरूपावलिः. // अथ ललाटशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा .णिडालं षडालं (णिडालाई णिडालाई ।णलाडं णिडालाणि णडालाइँ . णडालाई णडालाणि णलाडाइँ णलाडाई णलाडाणि .. इत्यादि वनवत् // पक्वाङ्गार-ललाटे वा // 8 / 1 / 47 // इत्यनेनादेरत इत्वं वा // ललाटे च / / 8 / 1 / 257 // इत्यनेन ललाटशब्दे आदेर्लस्य णो भवति // ललाटे लडोः / / 8 / 2 / 123 // इत्यनेन ललाटशब्दे लकारडकारयोर्व्यत्ययो वा भवति / ॥अथ क्षीणशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छोणं खीणं झीणं (छीणाइँ छीणाई छीणाणि खीणाइँ खीणाई . * खीणाणि झीणाइँ / झीणाई झीणाणि इत्यादि वनवत् // क्षः खः क्वचित्तु छ-झौ।। 8 / 2 / 3 // इत्यनेन क्षस्य खः / क्वचित् छझावपि तेन खीणं छीणं झीणं इति / ... ॥अथ स्निग्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सणिद्धं सिणिद्धं सणिद्धाइँ सणिद्धाई.. निद्धं सणिद्धाणि सिणिद्धाइँ सिणिद्धाई सिणिद्धाणि / निद्धाइँ निद्धाई निद्धाणि Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 188 प्राकृतशब्दरूपावलिः ___इत्यादि वनवत् / / स्निग्धे वादितौ // 812 101 // इत्यनेन स्निग्धशब्दे संयुक्तस्य नात्पूर्वी अदितौ वा। ॥अथ पुष्करशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पोक्खरं पोक्खराइँ पोक्खराई पोक्खराणि // ओत्संयोगे / / 8 / 1 / 116 // इत्यनेन संयोगे पैर उत ओत्वम् / एवं तोण्डं। मोण्डं। पोग्गलं / कोट्टिमं। वोकन्तं इत्यादि // हुस्वः संयोगे, इत्यनेन हुस्वे कृते पुक्खरे। तुण्डं। मुण्डं। पुग्गलं / कुट्टिमं / वुक्कन्तं / इत्याद्यपि भवति / / ॥अथ निष्कशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णिक्खं . णिक्खाइँ णिक्खाई णिक्खाणि इत्यादि वनवत् // ष्क-स्कयो म्नि / / इत्यनेन ष्कस्कयोः खः / नाम्नीति कथनादिह न / दुक्करं / निक्कयं / सक्कयं / इत्यादि। ॥अथ शुष्कशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुक्खं सुक्कं सुक्खाइँ सुक्खाई सुक्खाणि सुक्काइँ सुक्काई सुक्काणि इत्यादि Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 189 प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ स्कन्दशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खन्दं कन्दं खन्दाइँ खन्दाई खन्दाणि कन्दाइँ / कन्दाई कन्दाणि __इत्यादि वनवत् // शुष्क-स्कन्दे वा / / 8 / 2 / 5 // इत्यनेन अनयोः कस्कयोः खो वा भवति / ॥अथ सौख्यशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सुक्खं सुक्खाइँ सुक्खाई सुक्खाणि इत्यादि . . ॥अथ शुल्कशब्दः / एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा सुङ्गं सुक्कं (सुङ्गाइँ सुङ्गाई सुङ्गाणि सुक्काइँ सुक्काई सुक्काणि इत्यादि // शुल्के ङ्गो वा // 8 / 2 / 11 // इत्यनेन शुल्के संयुक्तस्य ङ्गो वा। . . . ॥अथ क्षुतशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छाअ . छिीआई छीआई .. ... . छीआणि Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 190 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / / ई: क्षुते / / 8 / 1 / 1.12 / इत्यनेन क्षुतशब्दे आदेरुत ईत्वम् // छोऽक्ष्यादौ / / 8 / 2 / 17 // इत्यनेन छत्वम् / ॥अथ क्षीरशब्दः // __ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छोरं छीराइँ छीराइं . छीराणि * इत्यादि ॥अथ सादृश्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा सारिच्छं सारिच्छाइँ सारिच्छाई सारिच्छाणि इत्यादि // आर्षे तु खीरं, सारिक्खमित्यादि। ॥अथ क्षेत्रशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छेत्तं - छेत्ताइँ छेत्ताई छेत्ताणि इत्यादि / आर्षे खित्तमित्यपि। ॥अथ क्षतशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छअं. [छआइँ छआइं छआणि .. इत्यादि Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ कौक्षेयकशब्दः॥ एकवचनम् प्रथमा कुच्छेअयं कोच्छेअयं कउच्छेअयं इत्यादि वनवत् // कौक्षेयके वा / / 8 / 1 / 161 // इत्यनेन औत उद्वा / अउः पौरादौ च / / 8 / .1 / 162 // इत्यनेन औत अउरादेशो भवति / ॥अथ सुकृतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुक्कडं सुक्कडाइँ सुक्कडाई सुक्कडाणि इत्यादि . . ॥अथ दुष्कृतशब्दः॥ . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दुक्कडं . दुकडाइँ दुक्कडाइं दुक्कडाणि इत्यादि ॥अथ प्राभृतशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा पाहुडं पाहुडाइँ पाहुडाई पाहुडाणि . .. . इत्यादि . . ॥अथाऽऽहृतशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा आहडं आहडाइँ आहडाई आहडाणि ..इत्यादि Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - : प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथावहतशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम्.. प्रथमा अवहडं .अवहडाइँ अवहडाई अवहडाणि इत्यादि / प्रत्यादौ डः / / 8 / 1 / 206 // इत्यनेन तस्य ङः / // अथ तुच्छशब्दः / / .. एकुवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा : चुच्छं छुच्छं तुच्छं चुच्छाई छुच्छाई तुच्छाइँ .. इत्यादि वनवत् // तुच्छे तश्च-छौ वा // 8 / 1 / 204 // इत्यनेन तुच्छशब्दे तस्य च छौ इत्यादेशौ वा / ॥अचीवरंशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चच्चरं , चच्चराइँ चच्चराइं चिच्चराणि इत्यादि // कृत्ति-चत्वरे चः // 8 / 2 / 12 // इत्यनेन संयुक्तस्य चः। ॥अथ सत्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सच्चं सच्चाई सच्चाई सच्चाणि इत्यादि / त्योऽचैत्ये / / 8 / 2 / 13 // इत्यनेन त्यस्य चः। ॥अथ मौनशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मउणं मउणाइँ मउणाई मउणाणि Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 193 प्राकृतशब्दरूपावलिः . इत्यादि / आर्षे मोणं, इत्यपि दृश्यते / ॥अथ सौधशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सउहं सउहाइँ सउहाई / सउहाणि इत्यादि ॥अथ कौशलशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कउसलं कउसलाइँ कउसलाई / कउसलाणि इत्यादि ॥अथ पौरुषशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पउरिसं प उरिसाइँ पउरिसाइं . . ।पउरिसाणि . इत्यादि // अउ: पौरादौ च // 8 // 1 / / 162 / / इत्यनेन औत अउरादेशो भवति / पुरुषे रोः / / 8 / 1 / 111 / / इत्यनेन पुरुषशब्दे रोरुत इर्भवति / ॥अथ गौरवशब्दः॥ एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा गारवं गउरवं गारवाइँ गारवाई गारवाणि गउरवाइँ / गउरवाई गउरवाणि Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 194 प्राकृतशब्दरूपावलिः ___ इत्यादि। आच्च गौरवे॥८।१।१६३ // इत्यनेन गौरवशब्दे औत आत्वं अश्च / ॥अथ वैरशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वरं वे (वइराइँ वइराइं. वइराणि वेराई वेराई वेराणि : ... इत्यादि ॥अथ केरवंशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा कइरवं केरवं . . / कइरवाई कइरवाई कइरवाणि केरवाई / केरवाई केरवाणि इत्यादि // वैरादौ वा // 8 / 1 / 152 // इत्यनेन ऐत: अइरादेशः। ॥अथ दैवशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा देव्वं दइव्वं दइवं देव्वाइँ देव्वाइं देव्वाणि दइव्वाइँ दइव्वाइं दइव्वाणि द्रइवाइँ दइवाई दइवाणि Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 195 इत्यादि // एच्च दैवे!!.८। 1 / 153 / / इत्यनेन दैवशब्दे ऐत एत् अइश्चादेशः / सेवादौ वा // इत्यनेन वा द्वित्वम् / ॥अथ धैर्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा (धीरं धिज्जं / धीराइँ धीराइं धीराणि धीरिअं धिज्जाइँ धिज्जाई धिज्जाणि धीरिआई धीरिआइं धीरिआणि - इत्यादि / / ईर्थैर्ये / / 8 / 1 / 155 // इत्यनेन धैर्यशब्दे ऐत ईत्त्वम् / / धैर्ये वा // 8 / 2 / 64 // इत्यनेन धैर्ये र्यस्य रो वा // स्याद्-भव्य-चैत्य-चौर्यसमेषु यात् / / 8 / 2 / 107 // इत्यनेन चौर्यशब्देन समेषु शब्देषु संयुक्तस्य यात्पूर्व इकारः / .॥अथ चौर्यशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा चोरिअं चोरिआईं चोरिआई चोरिआणि इत्यादि ॥अथ स्थैर्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् थेरिअं थेरिआईं थेरिआई थेरिआणि प्रथमा .. . इत्यादि Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमा प्रथमा . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ गाम्भीर्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . गम्भीरिअं गम्भीरिआई गम्भीरिआई गम्भीरिआणि इत्यादि ॥अथ सौन्दर्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् सुन्दरं सुन्दरिअं . . ( सुन्देराइँ सुन्देराई सुन्देराणि सुन्दरिआई / सुन्दरिआई सुन्दरिआणि - इत्यादि / ॥अथ शौर्यशब्दः॥ ... एकवचनम् बहुवचनम् सोरिअं सोरिआई सोरिआई / सोरिआणि इत्यादि / ॥अथ वीर्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् वज्जं वरिअं वज्जाइँ वज्जाइं वज्जाणि वरिआई / वरिआई वरिआणि प्रथमा प्रथमा इत्यादि Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 197 प्राकृतशब्दरूपावलिः . ॥अथ ब्रह्मचर्यशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा बम्हचेरं बम्हचरिअं / बम्हचेराइँ बम्हचेराई बम्हचेराणि बम्हचरि आइँ बम्हचरिआई | बम्हचरिआणि इत्यादि // ब्रह्मचर्ये चः / / 8 / 1 / 59 // इत्यनेन ब्रह्मचर्यशब्दे चस्य अत एत्वं भवति / ॥अथान्योन्यशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अन्ननं अन्नुन्नं अन्नन्नाइँ अन्नन्नाई (अन्नन्नाणि अन्नन्नाइँ (अन्नुन्नाई अनुनाणि इत्यादि ॥अथातोद्य-शब्दः // एकवचनम् __.. बहुवचनम् प्रथमा आवज्जं आउज्जं आवज्जाइँ आवज्जाई आवंज्जाणि आउज्जाइँ / आउज्जाई आउज्जाणि इत्यादि ॥अथ मनोहरशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मणहरं मणोहरं मणहराइँ मणहराई मणहराणि मणोहराइँ (मणोहराई मणोहराणि इत्यादि Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 198 198 प्राकृतशब्दरूपावलि ॥अथ सरोरुहशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सररुहं सरोरुहं सररुहाइँ सररुहाई सररुहाणि सरोरुहाइँ सरोरुहाइं सरोरुहाणि इत्यादि / ओतोद्वान्योन्य-प्रकोष्ठातोद्य-शिरोवेदना-मनोहरसरोरुहे क्तोश्च वः // .8 / 1 / 156 // एषु ओतोऽत्वं वा भवति तत्सन्नियोगे च यथासंभवं ककारतकारयोर्वादेशः / ॥अथ यौवनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जोव्वणं . . जोव्वणा.. जोव्वणाई , जोव्वणाणि इत्यादि / औत ओत् / / 8 / 1 / 159 // इत्यनेनौत ओत्त्व // हुस्वः संयोगे // इत्यनेन हुस्वे कृते तु जुव्वणमित्यपि / ॥अथ मिश्रशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मीसं - मीसाइँ मीसाइं मीसाणि इत्यादि ॥अथाऽऽवश्यक-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् आवासयाइँ आवासयाई आवासयाणि प्रथमा प्रथमा आवार इत्यादि Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 199 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ सस्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सासं सासाइँ सासाइं सासाणि इत्यादि लुप्त-य-र-व-श-ष-सां श-ष-सां दीर्घः / / 8 / 1 / 43 / / इत्यनेन दीर्घो भवति / ॥अथ प्रतिष्ठितशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा परिट्ठिअं पइट्ठिअं .. (परिट्ठिआइँ परिट्ठिआइं (परिट्ठिआणि पइट्ठिआई ( पइट्ठिआई पइट्ठिआणि इत्यादि ॥अथ प्राकृतशब्दः // एकवचनम् ... बहुवचनम् / प्रथमा . पययं पाययं . (पययाइँ पययाई ( पययाणि पाययाइँ / पाययाइं पाययाणि इत्यादि . . ॥अथोत्खातशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा उक्खयं उक्खायं ।उक्खयाइँ उक्खयाई उक्खयाणि उक्खाया ( उक्खायाई उक्खायाणि इत्यादि Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 200 प्राकृतशब्दरूपावलिः वाव्ययोत्खातादावदातः // 8 // 1 / 67 // इत्यनेन अव्ययेषु उत्खातादिषु च आदेरातोऽद्वा / ॥अथाऽरण्य-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा रणं अरण्णं (रण्णाइँ रण्णाई रण्णाणि अरण्णाइँ / अरण्णाई अरण्णाणि इत्यादि // वालाब्वरण्ये लुक् // 8 / 1 / 66 // इत्यनेनानयोरादेरस्य लुग्वा। ॥अथ प्रकटशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पायडं पयर्ड / पायडाइँ पायडाई पायडाणि पयडाइँ / पयडाइं पयडाणि इत्यादि / अतः समृद्ध्यादौ वा / / 8 / 1 / 44 // इत्यनेनादेरकास्य वा दीर्घः // टो डः // 8 / 1 / 195 // इत्यनेन टस्य डकारः / समृद्ध्यादिराकृतिगणस्तेन / परकीयम् / पारकेरं, पारकं, प्रवचनम् / पावयणं / चतुरन्तम् / चाउरन्तं / इत्यादि वनवत् / ॥अथ पक्वशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम्. प्रथमा पिकं पक्कं पिक्काइँ पिक्काई पिक्काणि पक्काइँ / पक्काई पक्काणि Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 201 इत्यादि / पक्वाङ्गार-ललाटे वा // 8 / 1 / 47 // इत्यनेनादेरत इत्वं वा। ॥अथ दत्तशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दिण्णं . दिण्णाइँ दिण्णाइं . ।दिण्णाणि इत्यादि / इ: स्वप्नादौ // 8 / 1 / 46 // इत्यनेन स्वप्न इत्येवमादिषु आदेरस्य इत्वं भवति, पंचाशत्पंचदश-दत्ते / / 8 / 2 / 43 // इत्यनेनैषु संयुक्तस्य णत्वं / बहुलाधिकाराण्णत्वाभावे न भवति / दत्तमित्येव भवति / ॥अथाश्चर्य-शब्दः॥ . एकवचनम् प्रथमा / अच्छेरं अच्छरिअं अच्छअरं अच्छरिज्जं . इत्यादि वनवत् / अच्छरीअं वल्ल्युत्कर-पर्यन्ताश्चर्ये वा / / 8 / 1 / 58 // इत्यनेनैषु आदेरस्य एत्वं वा भवति / / आश्चर्ये / / 8 / 2 / 66 // इत्यनेन एतः परस्यर्यस्य रो भवति // अतो रिआर-रिज्ज-रीअं // 8 / 2 / 67 // इत्यनेनाश्चर्यशब्दे अकारात्परस्य र्यस्य रिअ-अर-रिज्ज-रीअइत्येते आदेशा भवन्ति / / हूस्वात् थ्य-श्च-त्स-प्सामनिश्चले / / 8 / 2 / 21 // इत्यनेन छः। ॥अथान्तःपुर-शब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा अन्तेउरं. अन्तेउराइँ अन्तेउराई / अन्तेउराणि Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 202 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि / / तोऽन्तरि / / 8 / 1 / 60 / / इत्यनेनान्तर्शब्दे तस्य अत एत्वं भवति। ॥अथ पद्मशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पोम्मं पउमं / पोम्माइँ पोम्माइं पोम्माणि पउमाई (पउमाई पउमाणि इत्यादि / ओत्पद्ये // 8 // 1 // 61 // इत्यनेनादेरत ओत्त्वम् / पद्म-छद्म-मूर्ख-द्वारे वा / / 8 / 2 / 112 // इत्यनेनोद्भवति / एवं छद्मशब्दस्यापि छउमं, छम्मं इत्यादि / ॥अथार्द-शब्दः // एकवचनम् प्रथमा उल्लं ओल्लं अल्लं अदं / इत्यादि वनवत् उदोद्वाट्टै / / 8 / 1 / 82 // इत्यनेनाशब्दे आदेरात उद् ओच्च वा भवतः / . ॥अथ तीर्थशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तूहं तित्थं तूहाइँ तूहाई तूहाणि तित्थाइँ तित्थाई तित्थाणि इत्यादि / / तीर्थे हे / / 8 / 1 / 104 // इत्यनेन तीर्थशब्दे हे सति ईत ऊत्वं भवति // दुःख-दक्षिण-तीर्थे वा / / 8 / 2 / 72 / / Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 203 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यनेनैषु संयुक्तस्य ही वा भवति / एवं दुःखशब्दस्यापि दुहं, दुक्खं इत्यादि। // अथ घृतशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा घयं घयाइँ घयाइं घयाणि __इत्यादि ॥अथ तृणशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . तणं . तणाइँ तणाई तणाणि इत्यादि ॥अथ कृतशब्दः॥ . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा कयं . कयाइँ कयाइं कयाणि / ____इत्यादि / / ऋतोऽत् / / 8 / 1 / 126 // इत्यनादेर्ऋकारस्य अत्त्वम् / ॥अथ नूपुरशब्दः // एकवचनम् प्रथमा . . निउरं नेउरं नूउरं। इत्यादि वनवत् - इदेतौ नूपुरे वा / / 8 / 1 / 123 // इत्यनेन नूपुरशब्दे ऊत इत्-एत्-इत्येतौ वा भवतः / Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 204 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ सूक्ष्मशब्दः // . ... एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सण्हं सुण्हं . . ( सहाइँ सण्हाई सहाणि सुण्हाइँ / सुण्हाई. सुण्हाणि .. इत्यादि // अदूतः सूक्ष्मे वा // 8 / 1 / 118 // इत्यनेन सूक्ष्मशब्दे ऊतोऽद्वा / आर्षे तु सुहुमं सुहम इति भवति / ॥अथ सैन्यशब्दः // एकवचनम् प्रथमा सिन्नं सेन्नं सन्नं। इत्यादि वनवत् __सैन्ये वा / / 8 / 1 / 150 // इत्यनेन सैन्ये-ऐत-इद्वा भवति // अइदैत्यादौ च / / 8 / 1 / 151 // इत्यनेन सैन्यशब्दे दैत्य इत्येवमादिषु च ऐतः अइरादेशो भवति / .॥अथ दैन्यशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दइन्नं दइन्नाइँ. दइन्नाई दइन्नाणि इत्यादि ॥अथैश्वर्य-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम्. प्रथमा अइसरिअं (अइसरिआ अइसरिआई अइसरिआणि इत्यादि Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 205 प्राकृतशब्दरूपावलि: // अथ दैवतशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ‘दइअवं दिइअवाइँ दइअवाई दिइअवाणि इत्यादि / / अथ वैतालीयशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वइआलीअं वइआलीआई वइआ (लीआई वइआलीआणि इत्यादि ॥अथ स्वैरशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सइरं सइराइँ सइराइं / सइराणि .. इत्यादि वनवत् / ॥अथ वैधव्यशब्दः॥ : एकवचनम् 'बहुवचनम् प्रथमा वेहव्वं वेहव्वाइँ वेहव्वाई वेहव्वाणि इत्यादि / ऐत एत् / / 8 / 1 / 148 / / इत्यनेन ऐत एत्त्वम् / ॥अथ गद्गदशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गग्गरं . . . गग्गराइँ गग्गराई गग्गराणि Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 206 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यादि // संख्या-गद्गदे रः // 8 // 1 / 219 // इत्यनेन गद्गदशब्दे दस्य रो भवति / ॥अथौषध-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ओसढं ओसहं (ओसढाइँ ओसढाइं (ओसढाणि ओसहाइँ (ओसहाई ओसहाणि इत्यादि / वौषधे / / 8 / 1 / 227 // इत्यनेनौषधशब्दे धस्य ढो वा / पक्षे // ख-घ-थ-ध-भाम् // 8 / 1 / 187 / / इत्यनेन धस्य हः। . ॥अथ पुष्पशब्दः / / एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा पुप्फं , पुप्फाइँ पुप्फाइं / पुप्फाणि . इत्यादि ॥अथ पत्तनशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पट्टणं पट्टणाई पट्टणाई / पट्टणाणि इत्यादि ॥अथ पथ्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पच्छं पिच्छाइँ पच्छाइं / / पंच्छाणि इत्यादि Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 207 .. // अथ पश्चिमशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पच्छिमं पच्छिमाइँ पच्छिमाई / पच्छिमाणि इत्यादि ॥अथ सामर्थ्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सामच्छं सामत्थं . (सामच्छाइँ सामच्छाई सामच्छाणि सामत्था | सामत्थाई सामत्थाणि इत्यादि / सामर्थ्योत्सुकोत्सवे वा // 8 / 2 / 22 // इत्यनेनैषु संयुक्तस्य छो वा भवति। . ॥अथोर्ध्व-शब्दः॥ ... -- एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा उब्भं उद्धं (उन्भाइँ उब्भाई उब्भाणि उद्धाइँ उद्धाई उद्धाणि इत्यादि / वोर्चे / / 8 / 2 / 59 // इत्यनेनोवंशब्दे संयुक्तस्य भो वा भवति / ॥अथ युग्मशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जुम्मं जुग्गं . (जुम्माइँ जुम्माई जुम्माणि जुग्गाइँ / जुग्गाई जुग्गाणि . इत्यादि Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 208 .. प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ तिग्मशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा तिम्मं तिग्गं / तिम्माइँ तिम्माई तिम्माणि तिग्गाइँ ( तिग्गाई तिग्गाणि इत्यादि / ग्मो वा / / 8 / 2 / 62 // इत्यनेन ग्मस्य मो वा। ॥अथं ज्ञानशब्दः॥ . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जाणं नाणं जाणाइँ जाणाइं . जाणाणि णाणाइँ णाणाइं णाणाणि इत्यादि / ज्ञो ञः / / 8 / 2 / 83 // इत्यनेन ज्ञः सम्बन्धिनो बस्य लुग्वा। ॥अथ तीक्ष्णशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तिक्खं तिण्हं (तिक्खाइँ तिक्खाई तिक्खाणि तिण्हाइँ तिहाई तिहाणि इत्यादि / तीक्ष्णे णः / / 8 / 2 / 82 // इत्यनेन तीक्ष्णशब्दे णस्य लुग्वा। ॥अथ श्मशानशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मसाणं / साणाइँ मसाणाई 1 मसाणाणि Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः . 209 इत्यादि / आदे: श्मश्रु-श्मशाने / / 8 / 2 / 86 // इत्यनेनानयोरादेर्लुग् भवति / आर्षे तु सीआणं सुसाणमित्यपि भवति / ॥अथ दर्शनशब्दः // एकवचनम् प्रथमा दरिसणं दंसणं इत्यादि वनवत् / ॥अथ वर्षशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वरिसं वासं ... वरिसाइँ वरिसाई वरिसाणि वासाइँ / वासाइं वासाणि वर्षं क्षेत्रम्। . ॥वज्रशब्दः॥ एकवचनम् .. बहुवचनम् . प्रथमा वरं वज्जं . . वइराइँ वइराइं . वइराणि वज्जाइँ. विज्जाइं वज्जाणि . .. इत्यादि ॥अथ क्लान्तशब्दः // एकवचनम् ... बहुवचनम् प्रथमा किलन्तं किलन्ताइँ किलन्ताई किलन्ताणि * .. इत्यादि Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 210 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ म्लानशब्दः॥ ....एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मिलाणं मिलाणाइँ मिलाणाई मिलाणाणि इत्यादि ॥अथ क्लिनशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किलिन्नं किलिन्नाइँ किलिन्नाई , किलिन्नाणि . . इत्यादि / ॥अथ क्लिष्टशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा किलिटुं किलिट्ठाइँ किलिट्ठाई / किलिट्ठाणि . ॥अथ प्लाष्टशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पिलुटुं [पिलुट्ठाइँ पिलुट्ठाई / पिलुट्ठाणि इत्यादि / लात् // 8 / 2 / 106 // इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनालात्पूर्व इद्भवति। ॥अथ रत्नशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम्. प्रथमा रयणं / स्यणा रयणाई / रयणाणि Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरुपावलिः 211 इत्यादि / क्ष्मा-श्लाघा-रत्नेऽन्त्यव्यञ्जनात् / / 8 / 2. / 101 // इत्यनेनैषु संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वोऽद्भवति। ॥अथ वैडूर्यशब्दः॥ एकवचनम् प्रथमा वेरुलिअं वेडुज्जं इत्यादि वैडूर्यस्य वेरुलिअं / / 8 / 2 / 133 // वा भवति / ॥अथ चिह्नशब्दः // एकवचनम् प्रथमा चिन्धं इन्धं चिण्हं . इत्यादि वनवत् चिह्ने न्धो वा / / 8 / 2 / 50 // इत्यनेन चिह्ने संयुक्तस्य न्धो वा / इन्धं इति तु,, क-ग-च-ज-त-द-प-य-वां प्रायो लुक् / / 8 / 1 / 177 // इत्यनेन आदेरपि चकारस्य लुक् / ॥अथ नकारान्तो नपुंसकलिङ्गः॥ ॥अथ दामन्शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् थमा दामं (दामा दामाई / दामाणि इत्यादि ॥अथ शिरस्शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . . सिरं . / सिराइँ सिराई / सिराणि इत्यादि Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ नभस्शब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् / प्रथमा नहं नहाइँ नहाई नहाणि इत्यादि / एवं / सेयं, वयं, सुमणं, सम्म, चम्मं, श्रेयस्, वचस्, सुमनस्, शर्मन्, चर्मन् / ॥अथ स्त्रोतस्शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् : प्रथमा सोत्तं / / सोत्ताइँ सोत्ताई | सोत्ताणि __इत्यादि . ॥अथ प्रेमन्शब्दः॥ एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा पेम्म 'पेम्माइँ पेम्माई / पेम्माणि इत्यादि / तैलादौ / / 8 / 2 / 98 // इत्यनेन द्वित्वम् / ॥अथ नामन्शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णाम णामाइँ णामाई णामाणि इत्यादि ॥अथ कर्मन् शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम्, प्रथमा कम्म कम्मा' कम्माइं कम्माणि इत्यादि प्रथमा Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . प्रथमा . ॥अथ धामन् शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् धामं धामाइँ धामाई ..धामाणि इत्यादि . // अथाकारान्तो नपुंसकलिङ्गः // ॥अथ सर्वशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . सव्वं सव्वाइँ सव्वाइं / सव्वाणि द्वितीया सव्वं / सव्वाइँ सव्वाइं / सव्वाणि * तृतीया सव्वेणं सव्वेण | सव्वेहि सव्वेहिँ सव्वेहिं पञ्चमी (सव्वत्तो सव्वाओ: सव्वत्तो सव्वाओ सव्वाउं सव्वाहि सव्वाउ सव्वाहि सव्वाहिन्तो सव्वा सव्वेहि सव्वाहिन्तो | सव्वेहिन्तो सव्वासुन्तो / सव्वेसुन्तो सव्वस्स.. सव्वेसिं सव्वाणं / सव्वाण Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 प्राकृतशब्दरूपावलिः सप्तमी | सव्वस्सि सव्वम्मि सव्वेसुं सव्वेसु. / सव्वत्थ सव्वहिं . संबोधनम् हे सव्व . हे सव्वाइँ हे सव्वाई / हे सव्वाणि . . . एवं विश्वादयः प्रथमाद्वितीयाविभक्तावेव विशेषः शेषं पुल्लिङ्गसर्वशब्दवत् / ॥अथ नपुंसकलिङ्गः किंशब्दः // एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा किं काइँ काई काणि द्वितीया किंकाइँ काई काणि __इत्यादि / शेषं पुल्लिङ्गवत् // किमः किम् / / 8 / 3 / 80 // इत्यनेन क्लीबे किम: स्यम्भ्यां सह किं भवति / ॥अथ यच्छब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जं - जाइँ जाई जाणि द्वितीया जं जाइँ जाई जाणि इत्यादि शेषं पुल्लिङ्गवत् ॥अथ तच्छब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा तं ताइँ ताई ताणि द्वितीया तं ता. ताई ताणि इत्यादि शेषं पुल्लिङ्गवत् . Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 215 .. - प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथेदंशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा इदं इणमो इणं . इमाइँ इमाई इमाणि द्वितीया इदं इणमो इणं इमाईं इमाइं इमाणि इत्यादि शेषं पुल्लिङ्गवत् / ॥अथैतच्छब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा एअं . एआई एआई एआणि द्वितीया एअं एआई एआई एआणि इत्यादि शेषं पुल्लिङ्गवत् ॥अथादस-शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . अह अमुं अमूई अमूई अमूणि द्वितीया अह अमुं अमूइँ अमूई अमूणि इत्यादि शेषं पुल्लिङ्गवत् / ॥अथेकारान्तः पुल्लिङ्गः॥ .. ॥मुनिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुणी मुणउ मुणओ / मुणिणो मुणी द्वितीया मुणिं .. मुणिणो मुणी तृतीया मुणिणा. मुणीहि मुणीहिँ मुणीहिं Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 216 प्राकृतशब्दरूपावलिः पञ्चमी / मुणिणो मुणित्तो मुणीओ.: मुणित्तो मुणीओ मुणीउ मुणीउ मुणीहिन्तो मुणीहिन्तो मुणीसुन्तो . षष्ठी मुणिणो मुणिस्स मुणीणं मुणीण सप्तमी मुणिम्मि . . मुणीसुं मुणीसु संबोधनम् हे मुणी हे मुणि हे मुणउ. हे मुणओ हे मुणिणो. हे मुणी // अक्लीबे सौ / / 8 / 3 / 19 // इत्यनेन इदुतोऽक्लीबे सौ दीर्घः / केचित्तु दीर्घत्वं विकल्प्य तदभावपक्षे सेर्मादेशमपीच्छन्ति / यथा मुणि-वाउं-निहि-विहुं-इत्यादि / / अक्लीबे सौ // 8 / 3 / 19 / / इति इदुतोर्यो नित्यं प्राप्तो दीर्घः सः // डो दी? वा // 8 / 3 / 38 // इत्यनेन इदुतोः स्थाने विकल्प्यते। . ॥अथ गिरिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गिरी , गिरउ गिरओ / गिरिणो गिरी द्वितीया गिरि गिरिणो गिरी तृतीया गिरिणा गिरीहि गिरीहिँ गिरीहिं पञ्चमी / गिरिणो गिरित्तो गिरीओ | गिरीओ गिरीउ गिरित्तो गिरीउ गिरीहिन्तो / गिरीहिन्तो गिरीसुन्तो षष्ठी गिरिणो गिरिस्स गिरीणं गिरीण सप्तमी गिरिम्मि गिरीसुं गिरीसु संबोधनम् हे गिरी हे गिरि हे गिरउ हे गिरओ / हे गिरिणो हे गिरी Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 217 प्राकृतशब्दरूपावलिः - हरिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा हरी हरउ हरओ / हरिणो हरी द्वितीया हरि हरिणो हरी इत्यादि मुनिवत् / एवं रविकविप्रभृतयो मुनिवत् / ॥अथाग्नि शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा अगणी अग्गी अगणउ अगणओ अगणिणो. अगणी अग्गउ अग्गओ अग्गिणो अग्गी इत्यादि मुनिवत् / स्नेहाग्न्योर्वा // 8 / 2 / 102 // इत्यनेनानयोः संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वोऽकारो वा। ॥अथ 'भ्रुकुटि शब्दः // एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा भिउडी भिउडउ भिउडओ भिउडिणो भिउडी इत्यादि मुनिवत् / इर्भुकुटौ // 8 / 1 / 110 // इत्यनेन भृकुटिशब्दे आदेरुत इर्भवति // टो डः / / 8 / 1 / 195 // इत्यनेन टस्य डकारः। . . . . . १.भ्रूकुटि म नमिनाथस्य यक्षः Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 218 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथऋषिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा रिसी इसी रिसउ रिसओ रिसिणो रिसी इसउ इसओ इसिणो इसी इत्यादि ऋणर्वृषभत्र्वृषौ वा // 8 / 1 / 141 // इत्यनेनैषु शब्देषु ऋतो रिर्वा / इत्कृपादौ / / 8 / 1 / 128 // इत्यनेनादेर्ऋत इत्त्वं भवति / ॥अथ बृहस्पतिशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा / भयस्सई भयप्फईभयस्सउ भयस्सओ भयप्पई बहस्सई ' भयस्सइणो भयस्सई बहप्फई बहप्पई बिहस्सई बिहप्फई इत्यादि मुनिवत् बिहप्पई बुहस्सई बुहप्फई बुहप्पई बृहस्पतौ बहो भयः / / 8 / 2 / 137 // इत्यनेन बृहस्पतिशब्दे बह इत्यस्यावयवस्य भय इत्यादेशो वा भवति // बृहस्पतिवनस्पत्योः सो वा / / 8 / 2 / 69 // इत्यनेन अनयोः संयुक्तस्य सो वा // वा बृहस्पतौ / / 8 / 1 / 138 / इत्यनेन बृहस्पतिशब्दे ऋत इदुतौ वा भवतः / पक्षे / / ऋतोऽत् / / 8 / 1 / 126 // इत्यनेन आदेर्ऋकारस्य अत्त्वं भवति // ष्प-स्पयोः फः / / 8 / 2 / 53 // इत्यस्मिन् सूत्रे बहुलाधिकारात् क्वचित् ष्प-स्पयोः स्थाने विकल्पेनापि फो भवति ततोऽत्र विकल्पेन स्पस्य फकारः / Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ / 219 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ वनस्पतिशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वणस्सई वणप्फई। वणस्सउ वणस्सओ वणस्सइणो वणस्सई वणप्फउ वणप्फओ | वणप्फइणो वणप्फई इत्यादि मुनिवत् ॥अथ वह्निशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वण्ही वण्हउ वहओ विण्हिणो वण्ही इत्यादि ॥अथ रश्मिशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा रस्सी. रस्सङ रस्सओ / रस्सिणो रस्सी इत्यादि / अधो म-न-याम् / / 8 / 2 / 78 // इत्यनेन मनयां संयुक्तस्याधोवर्तमानानां लुग् भवति / ॥अथ ध्वनिशब्दः / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा झुणी ... झुणउ झुणओ / झुणिणो झुणी Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 220 . .. प्राकृतशब्दरूपावलिः - इत्यादि // ध्वनि-विष्वचोरुः // 8..1 / 52 / / इत्यनेनानयोरादेरस्योत्त्वं भवति / ॥अथ नरपति शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णरवई णरवउ णरवओ णिरवइणो णरवई . इत्यादि . . ॥अथ प्रजापतिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पयावई पयावउ पयावओ पियावइणो पयावई इत्यादि ॥अथ जिनपतिशब्दः // * एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जिणवई जिणवउ जिणवओ / जिणवइणो जिणवई इत्यादि . ॥अथेकारान्तः स्त्रीलिङ्गः॥ ॥बुद्धि शब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा बुद्धी बुद्धीउ बुद्धीओ बुद्धी द्वितीया बुद्धिं बुद्धीउ बुद्धीओ बुद्धी Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . 221 तृतीया | बुद्धीअ बुद्धीआ बुद्धीहि बुद्धीहिँ बुद्धीइ बुद्धीए / बुद्धीहिं ... पंचमी / बुद्धीअ बुद्धीआबुद्धित्तो बुद्धीओ बुद्धीउ बुद्धीइ बुद्धीए / बुद्धीहिन्तो बुद्धीसुन्तो बुद्धित्तो बुद्धीओ | बुद्धीउ बुद्धीहिन्तो षष्ठी बुद्धीअ बुद्धीआ बुद्धीणं बुद्धीण / बुद्धीइ बुद्धीए सप्तमी / बुद्धीअ बुद्धीआ . बुद्धीसुं बुद्धीसु / बुद्धीइ बुद्धीए संबोधनम् हे बुद्धी हे बुद्धि हे बुद्धीउ हे बुद्धीओ / हे बुद्धी ॥अथ कान्तिशब्दः // एकवचनम् / बहुवचनम् प्रथमा कन्ती .. कन्तीउ कन्तीओ कन्ती द्वितीया कन्ति . .कन्तीउ कन्तीओ कन्ती तृतीया / कन्तीअ कन्तीआ कन्तीहि कन्तीहिँ - कन्तीइ कन्तीए कन्तीहिं पंचमी / कन्तीअ कन्तीआ कन्तीओ कन्तीउ कन्तीइ कन्तीए . कन्तीहिन्तो कन्तीसुन्तो कन्तीओ कन्तीउ | कन्तीहिन्तो - षष्ठी कन्तीअ कन्तीआ कन्तीणं कन्तीण . कन्तीइ कन्तीए Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 222 प्राकृतशब्दरूपावलिः सप्तमी / कन्तीअ कन्तीआ ... ' कन्तीसुं कन्तीसु . / कन्तीइ कन्तीए . संबोधनम् हे कन्ती हे कन्ति हे कन्तीउ हे कन्तीओ हे कन्ती ॥कीर्तिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा कित्ती कित्तीउ कित्तीओ कित्ती द्वितीया कित्तिं , कित्तीउ कित्तीओ कित्ती तृतीया ( कित्तीअ कित्तीआ कित्तीहि कित्तीहिँ . 1 कित्तीइ कित्तीए कित्तीहिं -- इत्यादि बुद्धिवत् ॥अथ शान्तिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सन्ती . सन्तीउ सन्तीओ सन्ती द्वितीया सन्तिं सन्तीउ सन्तीओ सन्ती इत्यादि बुद्धिवत् ॥अथ दृष्टिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दिट्ठी दिट्ठीउ दिट्ठीओ दिट्ठी द्वितीया दिद्धि दिट्ठीउ दिट्ठीओ दिट्ठी __इत्यादि / इत्कृपादौ // 8 / 1 / 128 // इत्यनेनादेर्ऋत इकारः / Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ सृष्टिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सिट्ठी सिट्ठीउ सिट्ठीओ सिट्ठी / ___इत्यादि बुद्धिवत् // अथ समृद्धिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सामिद्धी समिद्धी (सामिद्धीउ सामिद्धीओ (सामिद्धी समिद्धीउ / समिद्धीओ समिद्धी इत्यादि ॥अथ प्रसिद्धिशब्दः॥ / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पासिद्धी पसिद्धी पासिद्धीउ पासिद्धीओ र पासिद्धी पसिद्धीउ ... / पसिद्धीओ पसिद्धी इत्यादि ॥अथ प्रतिसिद्धिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पाडिसिद्धी पडिसिद्धी / पाडिसिद्धीउ पाडिसि द्धीओ पाडिसिद्धी पडिसिद्धीउ पडिसिद्धीओ / पडिसिद्धी इत्यादि। अतः समृद्ध्यादौ वा // 8 / 1 / 44 // इत्यनेनादेरस्य दी? वा Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 224 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ ऋद्धिशब्दः // . .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा इड्डी रिद्धी इद्धी / इड्डीउ इड्डीओ इड्डी रिद्धीउ रिद्धीओ रिद्धी ( इद्धीउ इद्धीओ इद्धी इत्यादि / श्रद्धर्द्धि-मूर्धार्धेऽन्ते वा / / 8 / 2 / 41 // इत्यनेनैषु अन्ते वर्तमानस्य संयुक्तस्य ढो वा // रि: केवलस्य // 8 / 1 / 140 // इत्यनेन व्यञ्जनेनासंपृक्तस्य ऋतो रिरादेशः / बहुलाधिकारात्तदभावपक्षे, इत्कृपादौ // इत्यनेन इत्त्वं भवति / ॥अथ गृद्धिशब्दः // .. - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गिद्धी - गिद्धीउ गिद्धीओ गिद्ध इत्यादि बुद्धिवत् .... ॥अथ प्रकृतिशब्दः॥ - एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा पयडी . पयडीउ पयडीओ / पयडी द्वितीया पयडि प यडीउ पयडीओ / पयडी इत्यादि ॥अथ वृद्धिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वुड्डी . वुड्डीउ. वुड्डीओ वुड्डी ___ इत्यादि // दग्ध-विदग्ध-वृद्धि वृद्धे ढः / / 8 / 2 / 40 // इत्यनेनैषु संयुक्तस्य ढः। Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 225 ॥अथ वृष्टिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विट्ठी वुट्ठी / विट्ठीउ विट्ठीओ विट्ठी / वुट्ठीउ वुट्ठीओ वुट्ठी इत्यादि / इदुतौ वृष्ट-वृष्टि-पृथङ्-मृदङ्ग-नप्लुके / / 8 / 1 / 137 / / इत्यनेनैषु ऋत इकारोकारौ भवतः / ॥अथ मतिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मई . - मईउ मईओ मई इत्यादि बुद्धिवत् ॥अथ रुचिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ... रुईड रुईओ रुई द्वितीया रुई ____ रुईड रुईओ रुई इत्यादि बुद्धिवत् ॥अथ मुक्तिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मुत्ती. मुत्तीउ मुत्तीओ मुत्ती . इत्यादि ॥अथ रात्रिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् .. प्रथमा राई रत्ती राईड राईओ राई . रत्तीउ रत्तीओ रत्ती इत्यादि // रात्रौ वा // 8 / 2 / 88 // इत्यनेन रात्रिशब्दे संयुक्तस्य लग्वा। Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 226 / प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथाऽऽज्ञप्ति शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा आणत्ती (आणत्तीउ आणत्तीओ आणत्ती इत्यादि ॥अथ श्रीशब्दः // एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा सिरी सिरीउ सिरीओ सिरी इत्यादि ॥अथ ही शब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा हिरी हिरीउ हिरीओ हिरी इत्यादि / / र्ह-श्री-ही-कृत्स्न-क्रिया-दिष्ट्यास्वित् / / 8 / 2 / 104 // इत्यनेनैषु संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्व इकारः / ॥अथ धृतिशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा दिही धिई दिहीउ दिहीओ दिही धिईउ धिईओ धिई इत्यादि // धृतेर्दिहिः / / 8 / 2 / 131 // इत्यनेन धृतेर्दिहिरादेशः / ॥अथ पंक्तिशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पंती पंतीउ पंतीओ पंती इत्यादि बुद्धिवत् / एवं गतिरतिप्रभृतयः / Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 227 पंचासी / न्शीश -- प्राकृतशब्दरूपावलिः // अथ स्त्रीशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा इत्थी थी इत्थीआ / इत्थीउ इत्थीओ इत्थी थीआ इत्थीआ थीउ थीओ थी थीआ द्वितीया इत्थि थिं प्रथमावत् तृतीया / इत्थीअ इत्थीआ / इत्थीहि इत्थीहिँ इत्थीइ इत्थीए थीअ ( इत्थीहिं थीहि थीआ थीइ थीए थीहिँ थीहिं . इत्थीअ इत्थीआ इत्थीओ इत्थीउ इत्थीइ इत्थीए इत्थीहिन्तो इत्थीसुन्तो इत्थीओ इत्थीउ थीओ थीउ इत्थीहिन्तो थीअ थीहिन्तो :थीसुन्तो थीआ थीइ थीए थीओ थीउ थीहिन्तो . षष्ठी / इत्थीअ इत्थीआ / इत्थीणं इत्थीण इत्थीइ इत्थीए थीअ थीणं थीण थीआ थीइ थीए' सप्तमी 'षष्ठीवत् इत्थीसुं इत्थीसु .थीसं थीस संबोधनम् हे इत्थि हे थि हे इत्थीउ हे इत्थीओ हे इत्थी हे थीउ . / हे थीओ हे थी . // स्त्रिया-इत्थी / / 8 / 2 / 130 / इत्यनेन स्त्रीशब्दस्य इत्थी इत्यादेशो वा // ईतः सेश्चावा / / 8 / 3 / 28 // इत्यनेन सेर्जस् शसोश्च स्थाने आ वां भवति / ईदूतोर्हस्वः // 8 / 3 / 42 // इत्यनेनामन्त्रणे सौ परे ईदूदन्तयोः शब्दयोर्हस्वो भवति / .... Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 228 . प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ गौरीशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम्। प्रथमा गोरीआ गोरी गोरीआ गोरीउ / गोरीओ गोरी इत्यादि / ईतः सेश्चावा // 8 / 3 / 28 // इत्यनेन स्त्रियां वर्तमानान्नाम्नः सेर्जस्-शसोश्च स्थाने आकारो वा / आप्पक्षे मालावद्रूपाणि भवन्ति / ॥अथ हसन्तीशब्दः // . एकवचनम् , बहुवचनम् प्रथमा हसन्तीआ हसन्ती / हसन्तीआ हसन्तीउ हसन्तीओ हसन्ती .. इत्यादि ॥अथ सखीशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सहीआ सही / सहीआ सहीउ सहीओ सही द्वितीया सहि सहीआ सहीउ सहीओ सही तृतीया / सहीअ सहीआ सहीहि सहीहिँ / सहीइ सहीए / सहीहिं इत्यादि . ॥अथ लक्ष्मीशब्दः / / एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा लच्छीआ लच्छी लिच्छीआ लच्छीउ लच्छीओ लच्छी Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 229 द्वितीया लच्छिं लिच्छीआ लच्छीउ लिच्छीओ लच्छी इत्यादि / छोऽक्ष्यादौ / / 8 / 2 / 17 // इत्यनेन छः // . ॥अथ पृथ्वीशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पिच्छीआ पिच्छी पिच्छीआ पिच्छीउ पिच्छीओ पिच्छी द्वितीया पिच्छि .. (पिच्छीआ पिच्छीउ [पिच्छीओ पिच्छी इत्यादि / / त्व-थ्व-द्व-ध्वां च-छ-ज-झाः क्वचित् / / 8 / 2 / 15 // इत्यनेन थ्व-इत्यस्य छः / / ॥अथ भगिनीशब्दः // एकवचनम् - बहुवचनम् प्रथमा (बहिणीआ भइणीआ (बहिणीआ बहिणीउ बहिणी भइणी बहिणीओ बहिणी भइणीआ भइणीउ भणीओ भइणी इत्यादि / दुहितृ-भगिन्योधूआ-बहिण्यौ // 8 / 2 / 126 / / इत्यनेनानयोरेतावादेशौ वा। ॥अथ पृथिवीशब्दः॥ . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पुढवीआ पुढवी . पुढवीआ पुढवीउ पुढवीओ पुढवी इत्यादि / पथि-पृथिवी-प्रतिश्रुन्मूषिक-हरिद्रा-बिभीतकेष्वत् // 8 / 1 / 88 / / इत्यनेनैषु आदेरितोऽकारः / Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 230 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ कूष्माण्डीशब्दः // ... एकवचनम् . बहुवचनम् / प्रथमा / कोहलीआ कोहण्डीआ। कोहलीआ कोहलीउ कोहली कोहण्डी | कोहलीओ कोहली | कोहण्डीआ कोहण्डीउ / कोहण्डीओ कोहण्डी. इत्यादि // ओतूकूष्माण्डी-तूणीर-कूर्पर-स्थूल-ताम्बुलगुडूची-मूल्ये / / 8 / 1 / 124 // इत्यनेनैषु ऊत ओत्त्वं भवति / कूष्माण्ड्यां ष्मो लस्तु ण्डो वा / / 8 / 2 / 73 / / इत्यनेन ष्माइत्यस्य हो भवति ण्ड इत्यस्य तु लो वा भवति / // अथ धात्रीशब्दः॥ एकवचनम् . . बहुवचनम् प्रथमा (धत्तीआ धाईआ. , धत्तीआ धत्तीउ धत्तीओ धारीआ धत्ती धत्ती धाईआ धाईड (धाई धारी . धाईओ धाई धारीआ धारीउ धारीओ धारी इत्यादि / धात्र्याम् / / 8 / 2 / 81 / / इत्यनेन धात्रीशब्दे रस्य लुग्वा / हुस्वात् प्रागेव रलोपे धाई-पक्षे धारी.। ॥अथेकारान्तनपुंसकलिङ्गः // ॥अथ दधिशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा दहिं दहि दहिइँ दहीइं दहीणि द्वितीया दहिं दहिइँ दहीई दहीणि तृतीया दहिणा दहीहि दहीहिँ दहीहिं पञ्चमी / दहिणो दहित्तो दहीओ ( दहीओ दहीउ दहित्तो / दहीउ दहीहिन्तो [ दहीहिन्तो दहीसुन्तो Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ' 231 षष्ठी दहिणो दहिस्स - दहीणं दहीण सप्तमी दहिम्मि दहीसुं दहीसु संबोधनम् हे दहि / हे दही. हे दहीइं. / हे दहीणि // क्लीबे स्वरान्म् सेः // 8 / 3 / 25 / / इत्यनेन से: स्थाने / म् भवति / दहि महु इति तु सिद्धापेक्षया / केचिदनुनासिकमपीच्छन्ति / दहि, महुँ, इत्यादि / नामन्त्र्यात्सौ मः / / 8 / 3 / 37 // इत्यनेनामन्त्र्यात्परे सौ सति / / क्लीबे स्वरान्म सेः // 8 / 3 / 25 // इति यो म् उक्तः स न भवति / तेन / हे दहि / हे महु / इत्यादि / एवं वारिप्रभृतयः। ॥अथोकारान्तपुल्लिङ्गः // ॥गुरुंशब्दः // . एकवचनम् - बहुवचनम् . गुरू . गुरउ गुरओ गुरवो गुरुणो गुरू द्वितीया गुरुं गुरुणो गुरू तृतीया . गुरुणा गुरूहिं गुरूहिँ गुरूहि पञ्चमी / गुरुणो गुरुत्तो गुरूओ | गुरुत्तो गुरूओ गुरूउ गुरूउ गुरूहिन्तो / गुरूहिन्तो गुरूसुन्तो षष्ठी गुरुणो गुरुस्स गुरूणं गुरूण सप्तमी गुरुम्मि गु रूसुं गुरूसु . संबोधनम् हे गुरू हे गुरु हे गुरउ हे गुरओ हे गुरू ___ // अक्लीबे सौ॥ 8 / 3 / 19 // इत्यनेन इदुतोर्दीर्घः // पुंसि जसो डउ डओ वा // 8 / 3 / 20 // इत्यनेनेदुतः परस्य जसः पुंसि अउ अओ इत्यादेशौ डितौ वा / / वोतो डवो।। 8 / 3 / 21 // इत्यनेन उदन्तात्परस्य जसः पुंसि अवो इत्यादेशो डित् वा भवति / शेषं मुनिवत्साधनं ज्ञेयम् / प्रथमा Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 232 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ तरुशब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा तरू (तरउ तरओ तरवो तिरुणो तरू द्वितीया तरुं तरुणो तरू संबोधनम् हे तरू हे तरु . ( हे तरउ हे तरओ . (हे तरवो हे तरुणो . / हे तरू ॥अथ प्रभुशब्दः॥ एकवचनम् . बहुवचनम् .. प्रथमा पहू पहउ पहओ पहवो पहुणो पहू द्वितीया पहुं __ पहुणो पहू ... संबोधनम् हे पहू हे पहु / हे पहउ हे पहओ .. / हे पहवो हे पहुणो हे पहू ॥अथ साधुशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा साहू / साहउ साहओ साहवो / साहुणो साहू ___ इत्यादि गुरुवत् ॥अथ विधुशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा विहू विहउ विहओ विहवो / विहुणो विहू इत्यादि गुरुवत् Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 233 ॥अथ भानुशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भाणू [भाणउ भाणओ भाणवो भाणुणो भाणू इत्यादि // अथ वायुशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वाऊ वाअउ वाअओ वाअवो वाउणो वाऊ इत्यादि गुरुवद्रुपाणि। ॥अथ ऋतशब्दः / / एकवचनम् / बहवचनम् प्रथमा रिऊ उऊ रिअउ रिअओ रिअवो रिउणो रिउ उअउ उअओ . / उअवो उउणो उऊ इत्यादि // ऋणर्वृषभवृषौ वा / / 8 / 1 / 141 // इत्यनेन ऋतो रिर्वा / पक्षे॥ उदृत्वादौ // 8 / 1 / 131 // इत्यनेन ऋतुइत्यादिषु शब्देषु आदेर्ऋत उद्भवति / ॥अथ ऋजुशब्दः / / . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा उज्जू . .. [उज्जउ उज्जओ उज्जवो उज्जुणो उज्जू द्वितीया उज्जु उज्जुणो उज्जू इत्यादि गुरुवद्रूपाणि // उदृत्वादौ // 8 / 1 / 131 / / इत्यनेनादेर्ऋत उकारः // तैलादौ / / 8 / 2 / 98 // इत्यनेन द्वित्वम् प्रथमा Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . . 234 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ विष्णुशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वेण्हू विण्हू. / वेण्हउ वेण्हओ वेण्हवो वेण्हुणो वेण्हू विण्हउ विण्हओ | विण्हवो विण्हुणो विण्हू . इत्यादि गुरुवत् ॥अथ जिष्णुशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जेण्हू जिण्हू जेण्हउ जेण्हओं जेण्हवो जेण्हुणो जेण्हू जिण्हउ जिण्हओ जिण्हवो जिण्हुणो जिण्हू इत्यादि // सूक्ष्म-श्न-ष्ण-स्त्र-ह्न-ह-क्ष्णां ण्हः // 8 / 2 / 75 // इत्यनेनः ष्ण इत्यस्य ग्रहः / इत एद्वा / / 8 / 1 / 85 // इत्यनेनादेरिकारस्य संयोगे परे एकारो वा भवति / ॥अथ स्थाणुशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खण्णू खाणू खण्णउ खण्णओ खण्णवो खण्णुणो खण्णू खाणउ खाणओ खाणवो खाणुणो खाणू इत्यादि / स्थाणावहरे / / 8 / 2 / 7 // इत्यनेन स्थाणुशब्दे संयुक्तस्य खो भवति हरश्चेद्वाच्यो न भवति हरवाचिन: स्थाणु Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 235 प्राकृतशब्दरूपावलिः . शब्दस्य तु थाणु इति रूपें भवति तस्य रूपाणि तु गुरुवज्ज्ञेयानि / / सेवादौ वा / / 8 / 2 / 99 / / इत्यनेन विकल्पेन द्वित्वे कृते खण्णू खाणू इति / // अथोकारान्तस्त्रीलिङ्गः // ॥धेनुशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा धेणू धेणूउ घेणूओ घेणू द्वितीया धेj घेणूउ घेणूओ धेणू तृतीया / घेणुअ धेणूआ धेहि घेणूहिँ धेहि 1 घेणूइ धेणूए पञ्चमी / घेणूअ धेणूआ धेणूइ घेणुत्तो घेणूओ घेणूउ घेणूए घेणुत्तो घेणूओ [ धणूहिन्तो धेणूसुन्तो (धेणूउ घेणूहिन्तो षष्ठी घेणूअ घेणूआ | धेणूणं घेणूण / धेणूंइ घेणूए सप्तमी / घेणूअ धेणूआ . . घेणूसुं घेणूसु 1 घेणूइ धेणुए संबोधनम् हे धेणु धेणू . (हे घेणूउ हे धेणूओ .. हे घेणू ॥अथ दीर्घोकारान्तस्त्रीलिङ्गः // .. ॥वधूशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वहू वहूउ वहूओ वहू द्वितीया . वहुं वहूउ वहूओ वहू तृतीया / वहूअ वहूआ वहूहि वहूहिँ वहूर्हि / वहूइ वहूए Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सबथा प्राकृतशब्दरूपावलिः पञ्चमी / वहूअ वहूआ वहूइवहूओ वहूउ वहूए वहूओ . वहूहिन्तो वहूसुन्तो ( वहूउ वहूहिन्तो षष्ठी वहूअ वहूआ | वहूणं वहूण / वहूइ वहूए सप्तमी ।वहूअ वहूआ वहूसुं वहूसु / वहूइ .वहूए संबोधनम् हे बहु हे वहूउ हे वहूओ हे वहू ॥अथ चमूशब्दः // . एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा चमू चमूउ चमूओ चमू द्वितीया चमुं . चमूउ चमूओ चमू संबोधनम् हे चमु हे चमूउ हे चमूओ हे चमू ॥अथोकारान्तनपुंसकलिङ्गः // ___ // मधुशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा महुं महु महूइँ महूई महूणि द्वितीया महुं महूइँ महूई महूणि तृतीया महुणा महूहि महूहिँ माहिं पञ्चमी / महुणो महुओ / महूओ महूउ महूउ महूहिन्तो / महूहिन्तो महसुन्तो षष्ठी महुणो महुस्स महूणं महूण सप्तमी महुम्मि * महूसुं महूसु संबोधनम् हे महु ( हे मह' हे महूई / हे महूणि Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ____237 ॥अथ ऋकारान्तपुल्लिङ्गः // ॥भर्तृशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भत्ता भत्तारो / भत्तू भत्तुणो भत्तउ भत्तवो / भत्तओ भत्तारा द्वितीया / भत्तारं . / भत्तू भत्तुणो / भत्तारे भत्तारा तृतीया / भत्तुणा भत्तारेणं भत्तूहि भत्तारेहि | भत्तारेण पञ्चमी | भत्तुणो भत्तुत्तो भत्तूओ / भत्तुत्तो भत्तूओ भत्तूउ भत्तूउ भत्तूहि भत्तूहि भत्तूहिन्तो भत्तूहिन्तो भत्तारत्तो भत्तूसुन्तो भत्तारत्तो भत्ताराओ भत्ताराउ भत्ताराओ भत्ताराउ भत्ताराहि भत्ताराहिन्तो भत्ताराहि भत्तारेहि भत्तारा भत्ताराहिन्तो भत्तारेहिन्तो भत्तारासुन्तो भत्तारेसुन्तो षष्ठी भत्तुणो भत्तुस्स भत्तूणं भत्ताराणं / भत्तारस्स सप्तमी भित्तुम्मि भत्तारम्मि भत्तूसुं भत्तारेसुं / भत्तारे संबोधनम् (हे भत्त हे भत्तार हे भत्त हे भत्तणो हे भत्तारो / हे भत्तउ हे भत्तओ हे भत्तारा // आ सौ नवा / / 8 / 3 / 48 // इत्यनेन ऋदन्तस्य शब्दस्य सौ परे आकारो वा / आरः स्यादौ / / 8 / 3 / 45 // इत्यनेन स्यादौ Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 238 - प्राकृतशब्दरूपावलिः परे ऋत आर इत्यादेशः // ऋतामुदस्यमौसु वा / / 8 / 3 / 44 / / इत्यनेन सि-अम्-औ-वजिते स्यादौ परे ऋदन्तस्य शब्दस्य उदन्तादेशो वा भवति // ऋतोऽद्वा / / 8 / 3 / 39 // इत्यनेनामन्त्रणे ऋकारान्तस्य सौ परे अकारोऽन्तादेशो वा / आरपक्षे अकारान्तत्वाद्देवशब्दवद्रूपाणि भविन्त / उकारपक्षे तु गुरुवत्, परं चात्रोकारपक्षे पंचम्येकवचने बहुवचने च हिर्भवतीति विशेषः / ॥अथ कर्तृशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् . . प्रथमा कत्ता कत्तारो क त्तू कत्तुणो कत्तउ / कत्तओ कत्तारा कत्तवो द्वितीया . कत्तारं | कत्तू कत्तुणो / कत्तारे कत्तारा तृतीया / कत्तुणा कत्तारेणं | कत्तूहि कत्तूहि कत्तूहिँ / कत्तारेण . . / कत्तारेहि कत्तारेहिँ पञ्चमी / कत्तुणो कत्तूओ / कत्तुत्तो कत्तूओ कत्तूउ कत्तूउ कत्तुत्तो . कत्तूहिन्तो कत्तूसुन्तो कत्तूहिन्तो कत्तारत्तो | कत्तारत्तो कत्ताराओ कत्ताराओ कत्ताराउ कत्ताराउ कत्ताराहि कत्ताराहि कत्ताराहिन्तो | कत्तारेहि कत्ताराहिन्तो कित्तारा कत्तारेहिन्तो कत्तारासुन्तो कत्तारेसुन्तो षष्ठी / कत्तुणो कत्तुस्स / कत्तूणं कत्तूण कत्तारस्स / कत्ताराण कत्ताराणं सप्तमी / कत्तुम्मि कत्तारम्मि / कत्तूसुं कत्तारेसुं / कत्तारे . कित्तूसु कत्तारेसु Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 239 संबोधनम् / हे कत्त हे कत्तार प्रथमावत् / हे कत्तारो . . . ॥अथ पितृशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पिआ पिअरो / पिऊ पिउणो पिअउ [पिअओ पिअवो पिअरा, द्वितीया पिअरं पिऊ पिउणो पिअरे पिअरा तृतीया पिउणा पिअरेणं पिअरेण (पिऊहिं पिऊहि पिऊहिँ (पिअरेहिं पिअरेहि पिअरेहिँ पञ्चमी / पिउणो पिऊओ पिऊउ / पिऊओ पिऊउ पिऊहिन्तो पिऊहिन्तो पिअरत्तो | पिऊसुन्तो पिअरत्तो पिअराओ पिअराउ |पिअराओ पिअराउ पिअराहि पिअराहिन्तो | पिअराहि पिअरेहि पिअरा पिअराहिन्तो पिअरेहिन्तो पिअरासुन्तो पिअरेसुन्तो षष्ठी (पिउणो पिउस्स इपिऊणं पिअराणं पिअरस्स .. (पिऊण पिअराण सप्तमी (पिउम्मि पिअरम्मि पिऊसुं पिअरेसुं पिअरे संबोधनम् हे पिअ हे पिअरं प्रथमाबहुवचनवत् // आ सौ नवा // 8 / 3 / 48 // इत्यनेन ऋतः सौ परे आकारो वा / नाम्न्यरः / / 8 / 3 / 47 // इत्यनेन ऋतः संज्ञायां स्यादौ परे अर इत्यादेशः / / ऋतामुदस्यमौसु वा / / 8 / 3 / 44 // इत्यनेन संज्ञायामुकारो न विहितस्तथापि ऋतामिति बहुवचनस्य व्याप्त्यर्थत्वात् संज्ञायामपि वा भवति // ऋतोऽद्वा / / 8 / 3 / 39 // Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 240 प्राकृतशब्दरूपावलिः इत्यनेनामन्त्रणे सौ ऋतोऽकारोऽन्तादेशो वा / नाम्न्यरं वा / / 8 / 3 / 40 / / इत्यनेनामन्त्रणे सौं ऋतः संज्ञायां अरं इत्यन्तादेशो वा / / एवं जामातृभ्रात्रादयः पितृवज्ज्ञेयाः / . // अथ ऋकारान्तस्त्रीलिङ्गः // __ ॥मातृशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा __माई माआ माईउ माईओ.माई माऊउ माऊओ माऊ , माआउ माआओ माऊ द्वितीया माई माअं . .. .. प्रथमा-बहुवचनवत् तृतीया / माईअ माईआ माईइ माईहिं माऊहिं माईए माऊअ. माहिं .. माऊआ माऊइ माऊए माआअ माआइ माआए पञ्चमी | माईअ माईआ | माईओ माईउ माईइ माईए माईहिन्तो माईसुन्तो माईओ माईउ. | माऊओ माऊउ माईहिन्तो माऊअ माऊहिन्तो माऊसुन्तो माऊआ माऊइ माआओ माआउ माऊए माऊओ माआहिन्तो माआसुन्तो माऊउ माऊहिन्तो माआअ माआइ माआए. माअत्तो माआओ माआउ माआहिन्तो Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 241 प्राकृतशब्दरूपावलिः षष्ठी तृतीयावत् ... माईणं माऊणं माआणं सप्तमी तृतीयावत् माईसुं माऊंसुं माआसुं संबोधनम् हे माई हे माए हे माआ प्रथमाबहुवचनवत् // मातुरिद्वा / / 8 / 1 / 135 / / इत्यनेन सूत्रेण यद्यपि गौणस्य मातृशब्दस्य ऋत इद्वा विधीयते तथापि तस्य वृत्तौ क्वचिदगौणस्यापि भवतीति प्रतिपादनादत्र मातृशब्दे ऋत इद्वा / / आ अरा मातुः / / 8 / 3 / 46 / / इत्यनेन.मातृशब्दस्य ऋतः स्यादौ आ अरा इत्यादेशौ भवतः / बाहुलकाज्जनन्यर्थस्य आ भवति / देवतार्थस्य तु मातृशब्दस्य अरा इत्यादेशः / तस्य प्रथमैकवचने माई माअरा इति रूपद्वयं भवति / शेषं पूर्वोक्तजनन्यर्थमातृशब्दवद्रूपाणि भवन्ति / इत्वपक्षे मातृशब्दस्य बुद्धिवत् उत्वपक्षे तु धेनुवत् / / आ, अरा, पक्षे तु मालावदिति तत्त्वम् / . ॥अथ स्वसृशब्दः // एकवचनम् .. बहुवचनम् प्रथमा ससा ससाउ ससाओ ससा // स्वस्रादेर्डा / / 8 / 3 / 35 / / इत्यनेन स्वस्रादेः स्त्रियां वर्तमानात् डा प्रत्ययो भवति इत्यादि मालावत् / एवं ननान्हशब्दस्यापि नणन्दा इत्यादि मालावत् / . ॥अथ दुहितृशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा धूआ दुहिआ .. धूआउ धूआओ धूआ / दुहिआउ दुहिआओ दुहिआ संबोधनम् / हे धूए .हे. धूआ प्रथमाबहुवचनवत् हे दुहिए हे दुहिआ. Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 242 - प्राकृतशब्दरूपावलिः // दुहितृ-भगिन्योधूआ-बहिण्यौ // 8 / 2 / 126 // इत्यनेनानयोरेतावादेशौ वा भवतः। .. ॥अथ ओकारान्तः पुल्लिङ्गः // ॥गोशब्दः // // गव्यउ-आअः // 8 / 1 / 158 // इत्यनेन गोशब्दे ओतः स्थाने अउ-आअ-इत्यादेशौ भवतस्तेन गउ-गाअ-इति रूपे भवतः / गउ इत्यस्य रूपाणि गुरुशब्दवद्भवन्ति / गाअ-इत्यस्य तु देववद्भवन्ति / सूत्रे तु गउओ गउआ इति यद् दृश्यते तत् गोशब्दात् स्वार्थिके के प्रत्यये सति भवतीति भाव्यम् / ॥अथ ओकारान्तः स्त्रीलिङ्गः // ॥गोशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा गांवी गावीआ / गावीउ गावीओ गावी गावीआउ गावीआओ गावीआ -- इत्यादि गौरीवत् / / ईत: सेश्चा वा // 8 / 3 / 28 // इत्यनेन स्त्रियां वर्तमानादीकारान्तात् सेर्जस्-शसोश्च स्थाने आकारो वा / आकारपक्षे मालावत् / ईकारपक्षे च गौरीवत् / गावी इति तु / गोणादयः // 8 / 2 / 174 // इत्यनेन गोशब्दस्य स्त्रियां निपात्यते। ॥अथ औकारान्तः स्त्रीलिङ्गः // ॥नौशब्दः // एकवचनम् * बहुवचनम् प्रथमा नावा नावाउ नावाओ नावा Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 243 इत्यादि मालावत् // नाव्यावः // 8 / 1 / 164 / इत्यनेन नौशब्दे औत आवादेशो भवति ततः स्त्रियामाप् भवति तेन नावा इति रूपं जातम् / ॥अथ नकारान्तः पुल्लिङ्गः // // आत्मन्शब्दः // एकवचनम् . बहुवचनम् प्रथमा (अप्पाणो अप्पा (अप्पाणा अप्पाणो अप्पो अत्ताणो .. अप्पा अत्ताणा अत्ता अत्तों अत्ताणो अत्ता द्वितीया / अप्पाणं अप्पं अप्पाणे अप्पाणा अप्पाणो अत्ताणं अत्तं अप्पे अप्पा अत्ताणे अत्ताणा अत्ताणो अत्ते अत्ता तृतीया / अप्पणिआ अप्पणइआ (अप्पाणेहि अप्पेहि अप्पाणेणं अप्पणा अत्ताणेहिं अत्तेहिं अप्पेणं अत्ताणेणं अत्तणा अत्तेणं पञ्चमी / अप्पाणत्तो अप्पाणाओ अप्पाणत्तो अप्पाणाओ अप्पाणाउ अप्पाणाहिं अप्पाणाउ अप्पाणाहि अप्पाणाहिन्तो अप्पाणा अप्पाणेहि अप्पाणाहिन्तो अप्पाणो अप्पत्तो अप्पाणेहिन्तो अप्पाणाअप्पाओ अप्पाउ अप्पाहि सुन्तो अप्पाणेसुन्तो अप्पाहिन्तो अप्पा अप्पत्तो अप्पाओ अत्ताणत्तो अत्ताणाओ. अप्पाउ अप्पाहि अप्पेहि अत्ताणाउ अत्ताणाहि अप्पाहिन्तो अप्पेहिन्तो Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 244 ... प्राकृतशब्दरूपावलिः अत्ताणाहिन्तो अत्ताणा (अप्पासुन्तो अप्पेसुन्तो अत्ताणो अत्तत्तो अत्ताओ अत्तत्तो अत्ताओ अत्ताउ अत्ताउ अत्ताहि अत्ताहि अत्तेहि अत्ताहिन्तो अत्ताहिन्तो अत्ता अत्तेहिन्तो अत्तासुन्तो अत्तेसुन्तो ।।अप्पाणस्स अप्पणो अप्पाणाणं अप्पाणं अप्पस्स अत्ताणस्स अत्ताणाणं अत्ताणं . / अत्तणो अत्तस्स . सप्तमी अप्पाणम्मिं अप्पाणे / अप्पाणेसुं अप्पेसुं अप्पम्मि अप्पे , [ अत्ताणेसुं अत्तेसुं . अत्ताणम्मि अत्ताणे . अत्तम्मि अत्ते संबोधनम् | हे अप्पाण हे अप्पाणो | हे अप्पाणा हे अप्पाणो हे अप्पा हे अप्प , (हे अप्पा हे अत्ताणो हे अप्पो हे अत्ताण हे अत्ताणा हे अत्ता / हे अत्ताणो हे अत्ता हे अत्त हे अत्तो // भस्मात्मनोः पो वा // 8 / 2 / 51 // इत्यनेनात्मन्शब्दे संयुक्तस्य पो वा भवति // पुंस्यन आणो राजवच्च // 8 / 3 / 56 // इत्यनेन पुल्लिङ्गे वर्तमानस्यानन्तस्य स्थाने आण इत्यादेशो वा। आणादेशे च देववत् / पक्षे। राज्ञः / / 8 / 3 / 49 // इत्यनेनान्त्यस्य सौ परे वात्वम् तेन अप्पा इति रूपं सिद्धम् / पक्षे / अप्पो इति देववत् / अतः से?ः, इत्यादयः प्रवर्तन्ते / अधो मनयाम् / / 8 / 2 / 78 // इत्यनेन संयुक्तस्याधो वर्तमानस्य मस्य लुग् भवंति तेन अत्ता आणादेशे च अत्ताणो इति सिद्धम् / पक्षे अत्तो इति तस्यापि रूपाणि देववत् / यदा प्रथमैकवचने सेरात्त्वे कृते सति अप्पा अत्ता इति hic che Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाल: प्राकृतशब्दरूपावलिः 245 रूपे सिद्ध्यतस्तदा // जस्-शस्-ङसि-डसां णो / / 8 / 3 / 50 // इत्यनेन णो इत्यादेशो वा टोणा / / 8 / 3 / 51 // इत्यनेन यायाः स्थाने णा इत्यादेशो वा इत्ययं विशेषः / आत्मनष्टो णिआ-णइआ // 8 / 3 / 57 // इत्यनेनात्मनः परस्याष्टायाः स्थाने णिआणइआ-इत्यादेशौ वा / शेषं तूक्तमेव / णो इत्यादेशे कृते / जस्शस्- ङसि-त्तो-दो-द्वामि दीर्घः / / 8 / 3 / 12 // इत्यनेन सर्वत्र दीर्घः / षष्ठ्येकवचने तु विधानाभावान्न / तेन अप्पणो अत्तणो इति सिद्धम् / ॥अथ राजनशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा राया रायाणो रायो राइणो रायाणो रायाणा राया द्वितीया राइणं रायाणं रायं (राइणो रायाणे रायाणा / रायाणो राया राए . तृतीया (रण्णा राइणा रायाणेणं (राईहिं रायाणेहिं रायाणेण रायणा राएहिं इत्यादि (राएण राएणं पञ्चमी / रणो राइणो रायाणो: / राइत्तो राईओ राईड राईहि | रायाणत्तो रायाणाओ राईहिन्तो राईसुन्तो रायाणाउ रायाणाहि रायाणत्तो रायाणाओ रायाणाहिन्तो रायाणा रायाणाउ रायाणाहि रायत्तो रायाओ रायाउ रायाणेहि रायाणाहिन्तो ।'रायाहि रायाहिन्तो राया रायाणेहिन्तो रायाणासुन्तो रायाणेसुन्तो रायत्तो रायाओ | रायाउ रायाहि राएहि Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 246 प्राकृतशब्दरूपावलिः | रायाहिन्तो राएहिन्तो / रायासुन्तो राएसुन्तो. षष्ठी (रण्णो राइणो रायणो राइणं राईणं रायाणस्स रायस्स रायाणाणं रायाणं सप्तमी (राइम्मि राए रायाणे राईसुं रायाणेसुं राएसुं / रायम्मि रायाणम्मि संबोधनम् | हे राया हे रायाण हे राइणो हे रायाणो (हे रायाणी हे राय हे रायाणा हे राया हे रायो , . ॥राज्ञः // 8 / 3 / 49 // इत्यनेन राज्ञोऽन्त्यस्य आत्वं सौ // पुंस्यन आणो.राजवच्च / / 8 / 3 / 56 // इत्यनेनाणादेशो वा / पक्षे अतः से?ः / / 8 / 3 / 2 // इति प्रवर्त्तते तेन राया इति रूपं तस्य रूपाणि देववत् / / जस्-शस्-ङसि-ङसां णो // 8 / 3 / 50 // इत्यनेन राजन्शब्दात्परेषामेषां णो इत्यादेशो वा / कृते च णो आदेशे / / इर्जस्य णो-णा-डौ।।८।३।५२ // इत्यनेन राजन्शब्दसम्बन्धिनो जकारस्य स्थाने णो-णा-ङिषु परेषु इकारो वा / पक्षे / रायाणो अपि / इणममामा / / 8 / 3153 / / इत्यनेन राजनशब्दसम्बन्धिनो जकारस्य अमाम्भ्यां सहितस्य स्थाने इणम्-इत्यादेशो वा / / टोणा / / 8 3 / 51 // इत्यनेन ययाः स्थाने णा इत्यादेशो वा / / ईद्भिस्भ्यसाम्सुपि / / 8 / 3 / 54 // इत्यनेन राजनशब्दसम्बन्धिनो जकाररस्य भिसादिषु परेषु ईकारो वा / तेन भिस् प्रत्यये, राईहिं इति रूपम् / पञ्चमीबहुवचने तु / / हूस्वः संयोगे / / 8 / 1 / 84 // इत्यनेन हुस्वे कृते राइत्तो इति रूपं भवति / आजस्य य-ङसिङस्सु सणाणोष्वण् / / 8 / 3 / 55 // इत्यनेन राजन्शब्दे आज इत्यवयवस्य णा-णो-इत्यादेशापनेषु टा-ङसि-ङस्सु परेषु अण् वा भवति / तेन-रण्णा-राइणा-रण्णो राइणो इत्यादि सिद्धम् / Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः - 247 एवं युवन्-इत्यस्य जुवाणो-जुवा-जुवो / ब्रह्मन्-इत्यस्य बम्हाणो-बम्हा-बम्हो / अध्वन इत्यस्य अद्धाणो-अद्धा-अद्धो / उक्षन् इत्यस्य उच्छाणो-उच्छा-उच्छो / ग्रावन् इत्यस्य गावाणोगावा-गावो / पूषन् इत्यस्य पूसाणो-पूसा-पूसो / तक्षन् इत्यस्य तक्खाणो-तक्खा-तक्खो / मूर्द्धन् इत्यस्य मुद्धाणो-मुद्धा-मुद्धो। श्वन् इत्यस्य साणो-सा-सो इत्यादि राजशब्दवत् / / ॥अथ द्विशब्दस्य रूपाणि // बहुवचने प्रथमा दुवे दोण्णि वेण्णि दो वे दुण्णि विण्णि द्वितीया प्रथमावत् / तृतीया दोहि वेहि पञ्चमी दोओ दोउ दोहिन्तो दोसुन्तो वेओ वेउ वेहिन्तो वेसुन्तो षष्ठी दोण्हं दोण्ह वेण्हं वेण्ह दुण्हं दुण्ह विण्हं विण्ह सप्तमी दोसुं वेसुं // दुवे-दोण्णि-वेण्णि च जस्-शसा // 8 / 3 / 120 // इत्यनेन द्वेः स्थाने एते त्रय आदेशा भवन्ति चकारात् दो-वे-अपि भवतः // द्वेर्दो-वे / / 8 / 3 / 119 // इत्यनेन द्विशब्दस्य तृतीयादौ विभक्तौ दो-वे इत्यादेशौ भवतः // संख्याया आमो ण्ह ण्हं / / 8 / 3 / 123 // इत्यनेनामो छह-छहं इत्यादेशौ भवतः / प्रथमायां षष्ठ्यां च / / हूस्वः संयोगे / / 8 / 1 / 84 / / इत्यनेन ह्रस्वे कृते, दुण्णि-विण्णि-दुण्डं-विण्हं, इति रूपाणि भवन्ति / ॥अथ त्रिशब्दस्य रूपाणि // बहुवचने . प्रथमा तिण्णि द्वितीया तिण्णि तृतीया तीहि पञ्चमी तीओ तीउ तीहिन्तो तीसुन्तो षष्ठी तिण्हं तिण्ह . सप्तमी तीसुं तीसु Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 248 प्राकृतशब्दरूपावलिः // स्तिण्णिः // 8 / 3 / 121 // जस्-शस्भ्यां सहितस्य वेस्तिण्णिः // त्रेस्ती तृतीयादौ / / 8 / 3 / 118 // त्रैः स्थाने ती इत्यादेशः / ॥अथ चतुर्शब्दः // बहुवचने प्रथमा चत्तारो चउरो चत्तारि द्वितीया प्रथमावत् तृतीया चऊहिं चऊहि चऊहिँ पञ्चमी चऊओ. चउओ चऊउ चउउ चऊहिन्तो __ चउहिन्तो चऊसुन्तो चउसुन्तो षष्ठी चउण्हं चउण्ह . सप्तमी चऊसुं चउसु // चतुरश्चत्तारो चउरो चत्तारि // 8 / 3 / 122 // इत्यनेन चतुर्शब्दस्य जस्-शस्भ्यां संहितस्य चत्तारो-चउरो-चत्तारि इत्येते त्रय आदेशा भवन्ति // चतुरो वा / / 8 / 3 / 17 / / इत्यनेन चतुर उदन्तस्य भिस्-भ्यस्-सुप्सु परेषु दीर्घो वा भवति / ॥अथ पञ्चन्शब्दः // बहुवचने प्रथमा पंच . द्वितीया पंच तृतीया पंचहिं पंचहि पंचहिँ . . पञ्चमी पंचहिन्तो पंचसुन्तो षष्ठी पंचण्हं पंचण्ह सप्तमी पंचसुं. ... ॥अथ षष्शब्दः // बहुवचने प्रथमा छ द्वितीया छ तृतीया छहिं छहि छहिँ पञ्चमी छहिन्तो छसुन्तो . षष्ठी छण्हं छह सप्तमी छसुं Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 249 प्राकृतशब्दरूपावलिः _ एवं सप्तन्-अष्टन्-नवन्-दशन्प्रभृतयः / / द्विवचनस्य बहुवचनम् / / 8 / 3 / 130 // सर्वासां स्यादीनां त्यादीनां च विभक्तीनां द्विवचनस्य स्थाने बहुवचनं भवति / पाएहिं गच्छइ पादाभ्यां गच्छति / दोण्णि कुणन्ति द्वौ वा द्वे वा कुरुतः // चतुर्थ्याः षष्ठी / / 8 / 3 / 131 // मुणिस्स मुणीण वा देइ, मुनये मुनिभ्यो वा ददाति / / नमो नाणस्स नमो ज्ञानाय नमो गुरुस्स नमो गुरवे // तादर्थ्यङेर्वा / / 8 / 3 / 132 // तादर्थ्यविहितस्य डेश्चतुर्थ्येकवचनस्य स्थाने षष्ठी वा देवस्स-देवाय / देवार्थम् // क्वचिद्-द्वितीयादेः / / 8 / 3 / 134 // द्वितीयादीनां विभक्तीनां स्थाने षष्ठी वा क्वचित् / सीमाधरस्स वन्दे / अत्र द्वितीयायाः षष्ठी / धणस्स लद्धो / धनेन लब्धः / चिरस्स मुक्का चिरेण मुक्ता / तेसिमेअमणाइण्णं / तैरेतदनाचीर्णम् / अत्र तृतीयायाः षष्ठी। चोरस्स बीहइ / चौराद्विभेति अत्र पञ्चम्याः षष्ठी / पिठ्ठीए केसभारो / पृष्ठयां केशभारः अत्र सप्तम्याः षष्ठी // द्वितीया-तृतीययोः सप्तमी // 8 / 3 / 135 / / द्वितीया-तृतीययोः स्थाने क्वचित् सप्तमी / नयरे न जामि नगरं न यामि / अत्र द्वितीयायाः / तेसु-अलंकिआ पुहवी / तैरलङ्कृता पृथिवी / अत्र तृतीयायाः सप्तमी / पञ्चम्यास्तृतीया च // 8 / 3 / 136 // पञ्चम्याः स्थाने क्वचित्तृतीयासप्तम्यौ भवतः / चोरेण बीहइ / चौराद्विभेति / अन्तेउरे रमिउमागओ। अन्त:पुराद् न्त्वागतः / सप्तम्या 'द्वितीया // 8 / 3 / 137 // इत्यनेन सप्तम्या: स्थाने क्वचिद्वितीया / विज्जुज्जोयं भरइ रत्तिं / आर्षे तृतीयापि दृश्यते तेणं कालेणं तेणं समयेणं / प्रथमाया अपि द्वितीया क्वचिद् दृश्यते / चउवीसंपि जिणवरा / चतुर्विंशतिरपि जिनवराः Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 250 'प्राकृतशब्दरूपावलिः // श्रीरस्तु / / . ॥श्रीगुरवे नमः॥ . ॥संस्कृतवाक्यानां प्राकृतम् // न मोक्तव्यो जिनधर्मः - ण मुत्तव्वो जिणधम्मो / यथा जातं तथा कथितम् - जह जायं तह कहियं / दानेनाजितं पुण्यम् - दाणेणज्जियं पुण्णं . . एषा प्रत्यक्षा राक्षसी-एसा पच्चक्खा रक्खसी। नरकस्य चत्वारि द्वाराणि-नरगस्स चत्तारि दाराणि / भगवन् का मम गतिर्भविष्यति-भयंवं का मे गई भविस्सइ / भगवतो देशना भवमथनी.- भगवओ देसणा भवमहणी / कृतस्य कर्मणः पश्चात्तापः कर्तव्यः - कयस्स कम्मणो पच्छायावो कायव्वो। . नृपपुरुषैः सार्धमागतः - निवपुरिसेहिं सद्धिमागओ। तव नाम न जानामि-तुज्झ णामं ण जाणामि / मम नाम देवदत्तः - मज्झ णामं देवदिनो। इदं पुस्तकं कुत आनीतम्-इणं पुत्थयं कुदो आणीयं / / जिनभवनं दृष्टं त्वया-जिणभवणं दिटुं तए / भक्तिभर निर्भराङ्गः पुरुषो दृष्टः / भत्तिभरनिब्भरङ्गो पुरिसो दिट्ठो / घनघातिचतुष्ककर्मदलनार्थं यत्नः कर्तव्यः- घणघाइचउक्ककम्मदलणत्थं जत्तो कायव्वो। लोकालोकप्रकाशकं केवलज्ञानम्-लोआलोअपयासगं केवलनाणं / संसारे नास्ति सौख्यम्-संसारम्मि नत्थि सुक्खं / Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः लुब्धा नरा नरके पतन्ति-लुद्धा णरा णरगे पडन्ति / नमः संयोगाद्विप्रमुक्ताय-णमो संजोगा विप्पमुक्कस्स / इदानीं तव कार्यं करिष्यामि-एण्हिं तुह कज्जं करिस्सामि / पापस्य गुरुपार्वे गर्दा कार्या-पावस्स गुरुंपासम्मि गरिहा कज्जा। . एष तव पूर्वभवभर्ता-एसो तुह पुव्वभवभत्ता / / ध्यानगतचित्तं साधुं प्रभणन्ति-झाणगयचित्तं साहुं पभणंति / निश्चलचित्तस्य त्रुट्यति भवपाश:-णिच्चलचित्तस्स तुट्टइ भवपासो। मुनयो ध्यानानलेन दहन्ति कर्माणि-मुणिणो झाणाणलेण दहति कम्माणि / .. . . . जनोऽनुभवति शुभाशुभं कर्म-जणो अणुहवइ सुहासुहं कम्म। सद्धर्मेण देहाद् रोगाः प्रणष्टाः-सद्धम्मेणं देहाओ रोगा पणट्ठा / मम प्रतिज्ञा संपूर्णा अभवत्-मह पइण्णा संपुण्णा होत्था / स मुनिवरेन्द्रं वन्दते विनयेन-सो मुणिवरिंदं वंदइ विणयेणं / भवनद्वारे सा समुपस्थिता-भवणदुवारम्मि सा समुवट्ठिया / दत्त्वा धर्मलाभं मुनिवरेण प्रतिपादितं धर्मस्वरूपम् -दाऊण धम्मलाहं मुणिवरेणं पडिवाइयं धम्मसरूवं। जिनस्य देशना कदापि निष्फला न जायतें वीरस्य भगवतो जाता इति आश्चर्यम्-जिणस्स देसणा कया वि णिप्फला ण जायइ। वीरस्स भगवओ जाया इइ अच्छेरं। दर्शनभ्रष्टस्य नास्ति निर्वाणम्-दंसणभट्ठस्स नत्थि निव्वाणं / मा हिंस्यात्सर्वभूतानि-मा हिंसिज्जा सव्वभूयाणि / कनकमिव चतुभिर्धर्मं परीक्षेत-कणयं व चउहि धम्म परिक्खिज्जा। मनसा देवानां वाचा नृपाणां च कार्यसिद्धिर्भवति-मणसा देवाणं वाया निवाण य कज्जसिद्धी हवइ। Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 252 . . . प्राकृतशब्दरूपावलिः सत्यप्रतिज्ञाः खलु तपस्विनो भवन्ति-सच्चप्पइण्णा खु तवस्सिणो हवन्ति / मेरुसंयोगात्तृणमपि कनकं जायते-मेरुसंजोगा तणमवि कणयं जायइ। अष्टादशपापस्थानानि सदा वानि-अवारसपावट्ठाणाणि सइ वज्जाइं। तत्र प्राणातिपातो नाम प्रथमं पापस्थानं महानर्थकुलगृहम्-तत्थ पाणाइवाओ नाम पढम पावट्ठाणं महाणत्थकुलहरं। . मृषावादो नाम द्वितीयं महापापविवर्धकं पापस्थानम्-मुसावाओ नाम बीयं महापावविवड्डगं पावट्ठाणं / अदत्तादानं नाम तृतीयं इहपरलोकदुःखैकहेतुपापस्थानम्-अदिन्नादाणं नाम तइयं इहपरलोगदुहेगहेउपावट्ठाणं / .. परब्रह्मपदविघ्ननिबन्धनं द्रव्यभावप्राणहरणमब्रह्मनाम चतुर्थम्परबंभपयविग्घनिबंधणं दंव्वभावपाणहरणमबंभं नाम चउत्थं / सुविबुधजीवग्रहिलविधौ ग्रहः परिग्रहः मूर्छापरपर्याय: पंचमम्सुविबुहजीवगहिलविहिम्मि ग्गहो परिग्गहो मुच्छवरपज्जाओ पंचमं / आत्मशरीरसंतापनदावानल: प्रीतिविनाशफल: क्रोधो नाम षष्ठम्आयसरीरसंतावणदावाणलो पीइविणासफलो कोहो णाम छर्छ / ज्ञानादिभावासु विनाशनाजगरो विशेषतो विनयनाशको मानो नाम सप्तमम्-नाणाईभावासुविणासणाजगरो विसेसओ विणयणासगो माणो णाम सत्तमं / सत्यसूर्यास्तसंध्या दुर्यशोराजधानी आर्जवविनाशिनी माया नामाष्टमम्-सच्चसूरियत्थसंझा दुज्जसोरायहाणी अज्जवविणासिणी माया णाममट्ठमं / सर्वसत्त्वसंत्रासको महासर्पकल्पः सर्वविनाशको लोभो नाम नवमम्सव्वसत्तसंतासगो महासप्पकप्पो सव्वविणासगो लोहो णामं णवमं। 1. असवः प्राणाः। Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 253 प्राकृतशब्दरूपावलिः सर्वसंक्लेशजनक आत्मसौस्थ्यविबाधको रागो नाम दशमम्सव्वसंकिलेसजणगो अप्पसुत्थविबाहगो रागो णाम दसमं / शमेन्धनदवानलो निर्वाणमार्गाग्निर्द्वषो नामैकादशम्-समिंधणदवाणलो निव्वाणमग्गग्गी देसो णाम एक्कारसं / शारीरमानसानेकाधिव्याधिसमुत्पादक: कलहो नाम द्वादशम्सारीरमाणसाणेगाहिवाहिसमुप्पायगो कलहो णाम दुवालसं / असदोषारोपणस्वरूपं अज्ञानसहचरितभावमभ्याख्यानं नाम त्रयोदशम्-असद्दोसारोवणसरूवं अन्नाणसहचरियभावमब्भक्खाणं नाम तेरसं। परगुह्योद्घट्टनस्वभावं भववारिधिविवर्धनेन्दुः पैशुन्यं नाम चतुर्दशम्परगुज्झुग्घट्टणसहावं भववारिहिविवड्डणिन्दू पेसुनं नाम चउद्दसं। शीतोष्णक्षुत्पिपासाद्यनेकदुःखशतसहस्रकलितस्वरूप-नरकादिपतनसाधनं रत्यरतीनाम पंचदशम्-सीउण्ह खुहापिवासाइणेगदुक्खसयसहस्सकलियसरूवनरगाइपडणसाहणं रत्तरईनाम पण्णरहं / अनेकदुःखदारिद्योपद्रवसंकीर्णभववासहेतुः परपरिवादो नाम षोडशम्-अणेगदुःक्खदालिदुवद्दवसंकिण्णभववासहेऊ परपरिवाओ नाम सोलसं।. .. महानर्थपरंपरातरुश्रेणीविकटभवाटवीभ्रमणहेतुर्मायामृषावादो नाम सप्तदशम्-महाणत्थपरंपरातरुसेढीवियडभवाडवीभमणहेऊ मायामुसावाओ नाम सत्तरसं / संसारसंततिप्रवर्धनैकबीजं मोहप्रासादमूलं मिथ्यादर्शनशल्यं नामाष्यदशम्-संसारसंतइपवड्ढणेगबीयं मोहपासायमूलं मिच्छादंसणसलं नामाट्ठारसं। ... धर्मो द्विविधः श्रुतचारित्रभेदात्-धम्मो दुविहो सुयचारित्तभेआ। Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 254 प्राकृतशब्दरूपावलिः करिकर्णचंचला लक्ष्मी:-करिकण्णचंचला लच्छी। आयुषः क्षणमपि न विश्वास:-आउस्स खणमवि न वीसासो। स्वजनवियोगेन मे मनोऽतीवतरं पीडयंति-सयणविजोगेण मज्झ मणो अईवयरं पीलेइ। अयमाकाशवायुः स्वेदलवानाचामति-इणमो आगासवाऊ सेयलवा आयामेइ। केशरिनादं निशम्य सर्वे मृगास्त्रसन्ति-केसरिनाअं निसम्म सव्वे मिगा तसन्ति। . जीवोऽनादिनिधनः-जीवो अणाइनिहणो / प्रवाहत: कर्मानादिनिधनं-पवाहओ कम्मं अणाइनिहणं / पापेन दुःखितो धर्मेण सुखितश्च-पावेण दुक्खिओ धम्मेण सुहिओ य। . . . सम्यक्त्वपूर्वकं सकलं सफलम्-सम्मत्तपुव्वयं सयलं सहलं / अन्यत्सर्वं निरर्थकम्-अन्नं सव्वं निरत्थयं / धर्म उत्तमः पुरुषार्थ:-धम्मो उत्तिमो पुरिसत्थो / त्रिकालं जिनपूजनं कुर्यात्-तियालं जिणपूयणं कुज्जा। मिथ्यात्वं परिहरत-मिच्छत्तं परिहरह। सुसाधवः सदा वन्दनीयाः-सुसाहुणो सया वंदणिज्जा। . अभिनवं श्लोकं शिक्षेत-अहिणवं सिलोगं सिक्खिज्जा / अज्ञानं खलु महाभयम्-अन्नाणं खु महब्भयं / जीवाजीवादिज्ञानं कुर्यात्-जीवाजीवाइणाणं कुज्जा। ततः सम्यग्धर्मप्रतिपत्तिः-तओ सम्मं धम्मपडिवत्ती। राजरक्षितानि तपोवनानि भवन्ति-रायरक्खियाणि तवोवणाणि हुंति Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 255 न किंचित्प्रतिपन्नं राज्ञा-न किंचि पडिवन्नं राइणा / धर्मकार्ये उद्युक्तः श्रावको भवति-धम्मकज्जमि उज्जुओ सावगो होइ / पुष्णाति धर्मं स पौषधः-पोसेइ धम्मं सो पोसहो। पंच महाव्रतानि साधूनाम्-पंच महव्वयाणि साहूणं / द्वादशव्रतानि श्रावकाणाम्-दुवालसवयाणि सावगाणं / प्रतिदिवसमावश्यकं कुर्यात्-पइदिवसमावस्सयं कुज्जा। . दुर्मन्त्रिणा नृपतिविनश्यति -दुम्मन्तिणा निवई विणस्सइ / शठसंसर्गाच्छीलं विनश्यति-सढसंसग्गा सीलं विणस्सइ / यदि सद्विद्या तस्मात्किं धनैः-जइ.सव्विज्जा ता किं धणेहिं / वीरस्य प्रथमो गणधरो गौतमः-वीरस्सं पढमो गणहरो गोयमो। ऋषभस्य च पुण्डरीक:-रिसहस्स य पुंडरीओ। अकामब्रह्मचर्यवासेनापि देवलोके गम्यते-अकामबंभचेरवासेण वि देवलोगे गम्मइ। द्रव्यपर्यायोभयस्वरूपो भावः-दव्वपज्जायोभयसरूवो भावो / धर्माधर्माकाशकालजीवपुद्गला द्रव्याणि धम्माधम्मागासकालजीवपुग्गला दव्वाई। उदये १भानेमेः सर्वे पदार्था दृश्यन्ते-उदयम्मि भाणेमिस्स सव्वे पयत्था दीसन्ति / . प्रवचनरागः संसारजलधिपोतकल्प:-पवयणरागो संसारजलहिपोयकप्पो। / परमपदं शाश्वतं स्थानं सिद्धशिला-परमपयं सासयं ठाणं सिद्धसिला। 1. सूर्यस्य. Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * प्राकृतशब्दरूपावलिः // श्रीरस्तु // ॥श्रीगुरवे नमः // ॥प्राकृतवाक्यानां संस्कृतम् / / णमो जिणाणं-नमो जिनेभ्यः / धम्मो जयइ-धर्मो जयति / वणं गच्छामि-वनं गच्छामि / णिवो गच्छइ-नृपो गच्छति / णमो अरिहन्ताणं-नमोऽर्हद्भ्यः / मुणी धम्मं कहेइ-मुनिर्धर्मं कथयति / उसहं णमह-ऋषभं नमत। . गुरुणो णमामि-गुरून् नमामि / पसंसणिज्जं सील-प्रशंसनीयं शीलम् / किं ते उव्वेयकारणं-किं ते उद्वेगकारणम् / इओ गओ देवदिण्णो-इतो गतो देवदत्तः / देव देहि समीहियं-देव देहि समीहितम् / मए राइणो निवेइयं-मया राज्ञे निवेदितम् / मए जावज्जीवंण भोत्तव्वं-मया यावज्जीवं न भोक्तव्यम् / सव्वेसि पियं वत्तव्वं-सर्वेषां प्रियं वक्तव्यम् / जिणवाणी सुणह-जिनवाणी श्रुणुत / एसो मे बन्धवो-एष मे बान्धवः / धम्मेण धणसमिद्धी-धर्मेण धनसमृद्धिः / धम्मेण सुवित्थडा कित्ती-धर्मेण सुविस्तृता कीतिः / धम्मो पावेइ सुरलोग-धर्मः प्रापयति सुरलोकम् / जत्तो गुणेसु कायव्वो-यत्नो गुणेषु कर्तव्यः / एअस्स सफलं जीवियं-एतस्य सफलं जीवितम् / Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 257 सो मूसावायं ण भासेइ-स मृषावादं न भाषते / मिच्छत्थु मे सव्वदुरियं-मिथ्यास्तु मे सर्वदुरितम्। णमुत्थु पवयणदेवीए-नमोऽस्तु प्रवचनदेव्यै / निम्मलं गंगाए जलं-निर्मलं गङ्गाया जलम् / अँउणाइ असियं पाणिअं-यमुनाया १असितं पानीयम् / मित्ती मे सव्वभूयेसु-मैत्री मे सर्वभूतेषु / एगोहं णत्थि मे कोइ - एकोऽहं नास्ति मे कोऽपि। जिणसासणं पवज्जामि-जिनशासनं प्रपद्ये / थुणामि बम्भचेरधारगे-स्तौमि ब्रह्मचर्यधारकान् / सन्तु जिणा मे सरणं-सन्तु जिना मे शरणम् / देवावि तं णमंसन्ति-देवा अपि तं नमस्यन्ति / कुसलं ते सरीरस्स-कुशलं ते शरीरस्य। . देवो तुह दरिसणओ मज्झ पावं पणटुं-देव तव दर्शनतो मम पापं प्रणष्टम्। ण होइ मियंकबिम्बाओ अंगाखुट्ठी-न भवति मृगाङ्कबिम्बादङ्गारवृष्टिः / जं पुव्वण्हे दिटुं तं अवरण्हे ण दीसइ-यत्पूर्वाणे दृष्टं तदपराह्वे न दृश्यते। सुमिणतुल्लो एसो संसारो-स्वप्नतुल्य एष संसारः / पमाओं परमो सत्तू-प्रमादः परमः शत्रुः / मेहो गज्जइ-मेघो गर्जति / वच्छाओ पण्णाइँ पडन्ति-वृक्षात् पर्णानि पतन्ति / निज्जलमिणमो तलायं-निर्जलमिदं तडागम् / णाहं करेमि रोसं-नाऽहं करोमि रोषम् / माइं२ काही रोसं-मा कार्षी रोषम्। 1. कृष्णम्. 2. माइं इति मार्थे प्रयोक्तव्यम्। . . Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 258 प्राकृतशब्दरूपावलिः दुवालसंगं पणिवयामि-द्वादशाङ्गं प्रणिपतामि / एआओ मालाओ पेच्छ-एता मालाः प्रेक्षस्व। . गिरिम्मि सत्तुंजयम्मि पउराइँ जिणघराइँ सन्ति-गिरौ शत्रुञ्जये प्रचूराणि जिनगृहाणि सन्ति। .. अइक्कन्तेसु बहुसु वासेसु पइण्णा संपुण्णा-अतिक्रान्तेषु बहुषु वर्षेषु प्रतिज्ञा सम्पूर्णा / मन्दपुण्णाणं गेहेसु लच्छी ण चिट्ठइ-मन्दपुण्यानां गृहेषु लक्ष्मीन तिष्ठति। पुव्वकयाणं कम्माणमेरिसो फलविवागो दीसइ-पूर्वकृतानां कर्मणामीदृशः फलविपाको दृश्यते / वन्दामि अज्जवइरं-वन्दे आर्यवज्रम्। वन्दामि भगवई देवि-वन्दे भगवती देवीम् / गिरिणो वाउणा ण कंपन्ति-गिरयो, वायुना न कम्पन्ते / चन्देणं रयणी सोहइ-चन्द्रेण रजनी शोभते / णटुं ते सत्तुसइण्णं-नष्टं ते शत्रुसैन्यम् / वणम्मि सिगाला रत्तीए सद्दे कुणन्ति-वने शृगाला रात्रौ शब्दान् कुर्वन्ति / अट्ठारहदोसविवज्जिया जिणा भणिया-अष्टादशदोषविवर्जिता जिना भणिताः। निरीहा चेव तवस्सिणो हवन्ति-निरीहाश्चैव तपस्विनो भवन्ति / अइपरिक्खीणदेहो लक्खिज्जसि-अतिपरिक्षीणदेहो लक्ष्यसे / पत्तो मासमत्तेण कालेण खिइपइट्ठियं-प्राप्तो मासमात्रेण कालेन क्षितिप्रतिष्ठितम् / मए सत्थाणि परिसीलियाणि-मया शास्त्राणि परिशीलितानि। . अहमेण्डिं नाअं पढामि-अहमिदानी न्यायं पठामि। . Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 259 प्राकृतशब्दरूपावलिः अकयपुण्णा परपरिहवं सहन्ति-अकृतपुण्याः परपरिभवं सहन्ते / बुभुक्खाओ पीलियोम्हि-बुभुक्षातः पीडितोऽस्मि / अह पत्तो वसन्तमासो-अथ प्राप्तो वसन्तमासः / पज्जुसणापव्वम्मि अवस्सं सावगेहिं धम्मो करणिज्जोपर्युषणापर्वण्यवश्यं श्रावकैर्धर्मः करणीयः। . जिणेहिं दुविहो धम्मो पन्नत्तो-जिनैर्द्विविधो धर्मः प्रज्ञप्तः। . पवत्तो पायलित्तपुरम्मि ऊसवो-प्रवृत्तः पादलिप्तपुरे उत्सवः / मए तिण्णि रयणांणि अंगीकयाणि-मया त्रीणि रत्नान्यङ्गीकृतानि पूइयव्वा सइ कुलदेवीओ-पूजयितव्याः सदा कुलदेव्यः / आराहइयव्वं सम्मइंसणं-आराधयितव्यं सम्यग्दर्शनम् / इत्थीसंसग्गो ण कायव्वो-स्त्रीसंसर्गो न कर्त्तव्यः / धम्मम्मि उज्जमो विहेओ-धर्मे उद्यमो विधेयः / नाणदंसणचरित्तलोहो पसत्थलोहो-ज्ञानदर्शनचारित्रलोभः प्रशस्त लोभः / पुत्तकलत्ताईणि अणिच्चाणि हवन्ति-पुत्रकलत्रादीन्यनित्यानि भवन्ति / चलणसहावो धम्मो-चलनस्वभावो धर्मः / थिरसहावो अहम्मो-स्थिरस्वभावोऽधर्मः / नाणं पञ्चविहं पन्नत्तं-ज्ञानं पञ्चविधं प्रज्ञप्तम् / दसविहो साहुधम्मो पडिवाइओ-दशविधः साधुधर्मः प्रतिपादितः / मए संपुण्णं समणत्तणं परिवालियं-मया सम्पूर्ण श्रमणत्वं परिपालितम् / / विरतं मे चित्तं भवपवञ्चाओ-विरक्तं मे चित्तं भवप्रपञ्चात् / समुप्पन्नं केवलं जम्बूसामिस्स-समुत्पन्नं केवलं जम्बूस्वामिनः / पुव्वब्भासओ इमस्स ममोवरि रागोत्थि-पूर्वाभ्यासतोऽस्य ममोपरि रागोऽस्ति / Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 260 . . प्राकृतशब्दरूपावलिः भो महाणुभाव वञ्चणापरिणामं चय-भो महानुभाव वञ्चनापरिणाम त्यज। लच्छीतिलयं णामं णयरमत्थि-लक्ष्मीतिलकं नाम नगरमस्ति / कयं तेण पाणिग्गहणं-कृतं तेन पाणिग्रहणम् / .. जणणीए चिन्तियं-जनन्या चिन्तितम् / / विनाओ तुह वुत्तन्तो इमिणा-विज्ञातस्तव वृत्तान्तोऽनेन / रवओवसममुवगयं चरित्तमोहणीयं-क्षयोपशममुपगतं चारित्रमोहनीयम्। . माइल्लो पुरिसो निरयं गच्छइ-मायावी पुरुषो निरयं गच्छति / पवनो विजयवद्धमाणायरियसमीवे पव्वज्ज-प्रपन्नो विजयवर्द्धमानाचार्यसमीपे प्रव्रज्याम्। पत्तो मए देवसेणगुरुसमीवे सव्वण्णुभासिओ धम्मो-प्राप्तो मया देवसेनगुरुसमीपे सर्वज्ञभाषितो धर्मः / गओ सो पाडलीपुत्तं दव्वसंगहणिमित्तं-गतः स पाटलीपुत्रं द्रव्यसङ्ग्रहनिमित्तम् / सुविणम्मि सुवण्णकलसो मुहं पविसन्तो मे दिट्ठो-स्वप्ने सुवर्णकलशो मुखं प्रविशन् मया दृष्टः / , तेण मुणिणा अणसणविहिणा सरीरं परिचत्तं-तेन मुनिनाऽनशनविधिना शरीरं परित्यक्तम् / समत्थमेइणीतिलयभूयं जयपुरं नाम नयरमत्थि-समस्त-मेदिनीतिलकभूतं जयपुरं नाम नगरमस्ति / परदव्वाहरणम्मि महन्तं पावं-परद्रव्यापहरणे महत्पापम् / किं ण हवन्ति सुरहिकुसुमेसुं किमिओ-किं न भवन्ति सुरभिकुसुमेषु कृमयः / Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः णमो अप्पडिहयवरनाणदंसणधराणं- नमोऽप्रतिहतवर-ज्ञानदर्शनधरेभ्यः / उक्कडकम्मोदआओ अहमेरिसं दुक्खमणुहवामि-उत्कटकर्मोदयादहमीदृशं दुःखमनुभवामि / समयाए समणो होइ बंभचेरेण बंभणो / नाणेण य मुणी होइ तवेण होइ तावसो ॥-समतया श्रमणो भवति ब्रह्मचर्येण ब्राह्मणः / ज्ञानेन च मुनिर्भवति तपसा भवति तापसः // कम्मुणा बंभणो होइ, कम्मुणा होइ खत्तिओ। कम्मुणा वइसो होइ सुद्दो हवइ कम्मुणा // - कर्मणा ब्राह्मणो भवति कर्मणा भवति क्षत्रियः / कर्मणा वैश्यो भवति शूद्रो भवति कर्मणा। नवि मुंडिएण समणो न ओंकारेण बंभणो / न मुणी रण्णवासेण कुसरीरेण न तावसो ॥-नापि मुण्डितेन श्रमणो न ओंकारेण ब्राह्मणः / न मुनिररण्यवासेन कुशचीरेण न तापसः / / सव्वस्स वत्थुणो चत्तारिणिक्खेवा-सर्वस्य वस्तुनश्चत्वारो निक्षेपाः / महासोगाभिभूयमाणसो आगओ सणयरं-महाशोकाभिभूतमानस आगतः स्वनगरम् / सुविणलक्खणपाठगा पविट्ठा सिद्धत्थगेहम्मि-स्वप्नलक्षणपाठकाः प्रविष्टाः सिद्धार्थगेहे। दुक्करदुक्करकारओ थूलभद्दो एवत्थि-दुष्करदुष्करकारक: स्थूलभद्र एवास्ति। जहा थूलभद्देणित्थीपरीसहो अहियासिओ तहा अहियासियव्वो। यथा स्थूलभद्रेण स्त्रीपरीषहोऽध्यासितस्तथाऽध्यासितव्यः / तम्मि नयरम्मि सोमदेवो णाम माहणो परिवसइ-तस्मिन्नगरे सोमदेवो नाम ब्राह्मणः परिवसति। .. Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 262 प्राकृतशब्दरूपावलिः || श्रीरस्तु // . . ॥श्रीगुरवे नमः // ॥गुर्जरवाक्यानां प्राकृतम् // भादोभ हतार ओने प्रिय न होय - अस्सिं लोगम्मि दाया कस्स पिओ ण होइ। श्री.तिने हेमाडपाम साक्षात् हीपीछे-इत्थी दुग्गइदंसणम्मि सक्खं दीवियत्थि। . रामो मने रातो 52252 युद्ध ४२वा वाया - रायाणो चिलाआ य परुप्परं जुद्धं काउमाढत्ता / योगिमो भेश योगनी उपासना 72 छ- जोगिणो सइ जोगस्सुवासणं कुणन्ति / . रात्रिमे ५६ीमी भानामा 23 छ,- रत्तीए पक्खिणो नीडम्मि वसन्ति / ॐ हुं हुं ते तुं सim - जमहं कहेमि तं तुं सुणसु / भारी गुत पात ओऽने 59 नवी- मम गुज्झा वत्ता कस्स वि ण कहणिज्जा। ते उन्या भारी बहेन छ - सा कन्ना मह बहिणी होइ। भा२i पुस्तयांछे-. मह पुत्थआई कुत्थ सन्ति / भएi भाई रायतने माछ- एहि मइ रज्जं तुह अप्पेमि / तरी संगन ४२वो मे // 29 // तुं पापीछे - तुह संगो ण कायव्वो जओ तुवं पावोसि। तुं नाय 514 34. 3 छ - तुम णीयकम्मं कहं कुणसि / सत्य मानि अनुसरेछे ते यतीने पामेछे-जे सच्चमग्गमणुसरंति ते विभूइं पावंति। Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ___ प्राकृतशब्दरूपावलिः 263 तो मुटावती तेनु माथु, पीनज्यु-तेणं परसुणा तस्स सीसं छिण्णं / वंटोणीसो जाने भने घरोने तो छ-वाऊ वच्छे घराणि य भंजेइ। सो निन्दाने पात्रछ तेमने तमे quuso -जे निन्दारिहा ते तुब्भे वण्णह। हुँ १३न। य२९ भदने नमस्७१२ री अध्ययन श३ ७३७-हं गुरुचरणकमलं नमियज्झयणमारभेमि / सो सुपात्रमा हान सापे छ तेभोवडे स्वर्ग ४वाय छ - जे सुपत्ते दाणं देंति तेहिं सग्गे गम्मइ। .. तीर्थरो से बोलेछ ते सत्य होयछे -तित्थगरा जं वज्जति तं सच्चं हवइ। 2 // द्वेषया दूषित भास हुं बोलेछ - रायद्दोसदूसियजणो असच्चं साहेइ। ते मुनि ध्यान 43 पापो 2 43 छ - सो मुणी झाणेण पावाई धुणइ। योनिमहात्मा वनमा वसतidi 59 // इदो सुंधता नथी-जोगी महप्पा वणम्मि वसंतो वि कुसुमाणि १नृग्घाइ। तमोथे. माथी भांडी नीय भ६२ अर्यु - तेहिमज्जपहुडि णीयकम्मं दूरीकयं। ધન ધાન્યાદિ મોટી સમૃદ્ધિછોડીને ધન્નાજીએ અને શાલીભદ્ર દીક્ષા 2 रीती - धणधण्णाइमहासमिद्धिं चइऊण धन्नेण सालिभद्देण य पवज्जा अंगीकयासी। .. संयम भने त५ व3 भोक्ष सुखमय थाय छ- संजमेण तवेण य मुक्खो सुलब्भो होइ। 1. न जिघ्रति. Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 264 प्राकृतशब्दरूपावलिः सूर्य यात ५९॥धीसुधी मापुं नहीं - उग्गओ सूरे वि मुहत्तं जाव ण भक्खणीयं / पेई 55 नाश ४२नारी धर्म था डीश - अहुणा हं पावप्पणासिणी धम्मकहं वोच्छं। . तमा ५२५२मा तत्५२ विरसा डोय छे.- जगम्मि परोवगारतप्परा विरला हुन्ति / कृष्णा मेवनमा सिंडनेविहार्यो-कण्हरण्णा वणम्मि सरेणं सिंघो वियारिओन તું તેનાથી હિતકારી કહેવાયો છતાં કોપને કેમ કબજામાં રાખતો नथी-तुमं तेण प्रच्छमभिहिओवि कोवं कहं ण णियच्छसि / माहेशना दोओ भने हरिद्र मासेछे-इमस्स देसस्स लोगा मह दलिद्दा भासंति। ता३ आर्य पुनर्यु तेथी तुं 343छे--- तुह कज्जं पुण्णं ण कयं तेणं तुमं जंपेसि। हेर्नु क्यन मन्यथा 42 ओए समर्थ छ-देवस्स.वयणमन्त्रहा काउं को सक्केइ। विमोसा क्यनोथी वरनेस्तछे-कविणो सुत्तेहिं (सूक्तैः) ईसरं थुणन्ति। तरी मासा - तुज्झ कित्ती भवंणम्मि पसरिआ। તું અજ્ઞાન હોવાથી વિધિ અને નિષેધને જાણતો નથી - तुवमण्णाणत्ताओ विहिं णिसेहंय ण जाणसि / ते 20% तेनासो अ५२२५ सहन ४३छे-सो राया तस्सा- वराहसयाणि-सहेइ। हुंभेश पूरीने मो४७३७-हं सया पूयं काऊण भोयणं करेमि। शान, दर्शन मने यारिन भोक्षमार्गन सपनछ - णाणदंसण Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः . . 265 चरित्ताणि मुक्खमग्गसाहणाणि सन्ति / ते सिवाय तुमो संसारमा ममेछ-ताई विणा जंतुणो संसारम्मि भमंति / शेगट तुं तामात्माने म गोपवेछ-मुहा तुमं तुज्झप्पाणं कहं गोवेसि। સૈન્યની અંદર કૌરવોના અનેક સુભટો પૃથ્વી પર પડવા લાગ્યા - सइन्नब्भन्तरंमि कउरवाणमणेगे सुहंडा पुढवीए पडिउमारद्धा / त्यो म सोनु भोटं सैन्य प्रगट थयु-तत्थ चिलाआणं महं सइन्नं पगडीहूअं। . मा सुंदर मंदिर ओर्नुछे-इणं सुन्दरं मंदिरं कस्सत्थि / निविपरीत मायरवायी अनंत संसा२ वर्षछे-जिणाएसविवरीयायरणेणाणतो संसारो पवड्डई / तुं संसारमा 5 निर्वहन // 29 // पूछे छ- तुमं संसारंमि वि निव्वेयकारणं पुच्छसि। કોપાયેલા સર્પની ભયંકર ફણાના સમુદાય જેવા કામભોગો છે - कुवियभुयंगभीसणफणाजालसनिहा कामभोगा संति / संसारमा ओ! धी२४ ४२छे--संसारे को धिई कुणइ / धर्म रक्षए। भने १२९॥छे-धम्मो ताणं च सरणं च / मा पृथ्वीनो ओ५ 3 नथी-नत्थि इमाए पुढवीए को वि कत्ता . / તીર્થકર ભગવાનના વદન કમળથી નીકળેલી વાણી તમને સુખ सापो-तित्थयरवयण पंकयविणिग्गया वाणी वो सुहं देउ। સર્વજ્ઞ ભાષિત વચનો નિત્ય સાંભળવા યોગ્ય છે - सव्वण्णुभासियाइं वयणाई निच्चं सोयव्वाइं। सावतो पर्व हिवस नगरवासीसीने निवेदन रो-आयामिपव्वदियहं पउराणं निवेएह। .. Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 266 प्राकृतशब्दरूपावलिः स स्था१२ (भेच्या संसारी पोरनछ - तसथावरभेयओ संसारिणो दुविहा हवन्ति / જેમ અરિષ્ટનેમિ ભગવાને રાજીમતી ત્યાગ કરી તેમ જેઓ બ્રહ્મચર્ય सायरे छ तेसो ४यने पामे छ जहारिटुनेमिणा राइमई चत्ता तहा जे बंभचेरं चरन्ति ते उदयं पावन्ति। ॥संस्कृतशब्दानां प्राकृतम् // ___॥अकाराद्यनुक्रमाङ्कितम् // अ - आ . अक्षि-अच्छी आज्ञा-आणा. अभिमुखं-अहिमुहं आराधक:-आराहगो, आराहओ अमृतम्-अमयं आदर्श:-आयरिसो, आयसो अभिज्ञ:-अहिण्णू, अहिज्जो आज्ञप्ति:-आणत्ती. अभिमन्यु:-अहिमज्जू, आज्ञपनम्-आणवणं अहिमञ्जू अहिमन्नू आलान:-आणालो अस्थिर:-अथिरो आनन-आणणं अनुराग:-अणुराओ आदि:-आई अनन्त:- अणन्तो आदित्यः-आइच्चो अपमृत्युः-अवमिच्चू, आदर्शीभूतम्-आयरिसीहूयं अवमच्चू आलाप:-आलावो अवधि:-ओही, अवही आरामिक:-आरामिओ अथवा-अहव, अहवा आसक्ति:-आसत्ती अन्यत्र-अन्नहि, अन्नह, अन्नत्थ आश्रव:-आसवो अणुव्रतानि-अणुव्वयाई अश्वत्थामन्-आसत्थामो अल्पज्ञ:-अप्पज्जो, अप्पण्णू आगमज्ञः-आगमण्णू, | आगमज्जो Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 267 इन्द्रः-इन्दो . इन्दुः-इन्दू इन्द्रभूति:-इन्दभूई इभ्य:-इब्भो इष्टापूर्तः-इट्ठापुत्तो इत्यादि-इच्चाइ . इभः-इहो इन्धनं-इन्धणं इष्वासः-इसासो उत्पाटितम्-उप्पाडिअं उदीर्णम्-उइण्णं, उदिण्णं उद्वेगः-उव्वेओ उद्भव:- उब्भवो उद्यमः-उज्जमो उपधिः- उवही उपलः- उवलो ऊ ऊष्मा-उम्हा ऊषरम्-ऊसरं ऊर्णनाभ:- उण्णणाहो ऊर्जम्-उज्ज ईर्या-इरिया ईर्ष्या-ईसा.. ईडा-ईला ईर्ष्यालुः-ईसालू ऋक्ष:- रिच्छो, रिक्खो एकाग्रः-एगग्गो, एकग्गो एकान्त:-एगंतो एषणा-एसणा एकदा-एक्कसि, एक्कसि, एक्कइआ, एगया उत्तमः-उत्तिमो उग्रः-उग्गो उल्का-उक्का उद्भटः- उब्भडो उत्कटम्-उक्कडं उत्कर:-उक्केरो, उक्करो उटजम्-उडयं, उडजं उत्कण्ठा-उक्कण्ठा उत्पलम्-उप्पल उत्पात:-उप्पाओ . ऐक्यम्-एवं ऐश्वर्यम्-अइसरियं / ओ ओदनम्-ओयणं ओष्ठम्-ओटुं Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 268 .. प्राकृतशब्दरूपावलिः औ घ. . औदार्यम्-ओदारियं, ओदज्जं | घनम्-घणं औदात्त्यम्-ओदच्वं घटीयन्त्रम्-घडीजंतं औरस्यम्- ओरस्सं ... घटः-घडो घटिका-घडिया, कान्तिमती-कंतिल्ला घटोद्भवः-घडुब्भवो . कञ्चकिता-कंचुकिया घनोदधिः- घणोदही कलापः- कलावो . घोषः-घोसो कथा-कहा घोषणा-घोसणा क्रिया-किरिया, किया घ्राणम्-घाणं क्रीडा-कीला, कीडा घात:-घाओ घृणा-घिणा खट्वाङ्गः-खटुंगो . खटी-खडी . चकोर:-चगोरो खद्योतः- खज्जोओ चपेटा-चविडा, चवेडा, खनिः- खणी चविला, चवेला खेदः-खेओ चामुण्डा-चाँउण्डा ग . चक्रम्-चक्कं. गजः-गओ चक्राङ्गः-चक्कंगो गदः- गओ चक्री-चक्की गण्यः-गण्णो चक्रवर्ती-चक्कवट्टी गताक्षः-गतच्छो चरण:-चलणो गर्भ:- गब्भो चर्चा-चच्चा . गरुड:-गरुलो चर्या-चरिया गात्रम्-गत्तं चित्रा-चित्ता ग्रासैषणा-गासेसणा चेट:-चेडो Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 269 प्राकृतशब्दरूपावलिः चेटी-चेडी . .. चेतना-चेयणा चैत्रः-चइत्तो, चेत्तो झटिति-झत्ति छाया-छाही, छाआ छागः-छालो छागी-छाली छत्रम्-छत्तं छिद्रम्-छिदं छेदः-छेओ तडागम्-तलागं तनयः-तणओ तत्परः-तप्परो ताप:-तावो तप्तम्-तप्पं तात:-ताओ तुष्ट:-तुट्ठो तेन-तेणं, तेण तथा-तह, तहा तृष्णा-तण्हा / तत्र-तहि, तह, तत्थ त्यांगः-चाओ तावत्-तेत्तिअं, तेत्तिलं, तेद्दहं, ता, ताव जगत्प्रधानम्-जगप्पहाणं जटा-जडा जनकः-जणगो जपा-जवा जाड्यम्-जड़ें जाति:-जाई जात:-ज़ाओ जात्यम्-जच्चं जापक:-जावगो जिन:-जिणो जीर्णम्-जुण्णं, जिण्णं जीवितम्-जीवियं, जी जिष्णुः-ज़िण्हू दकम्-दगं दशा-दसा दृष्टिः-दिट्ठी दर्शनम्-दरिसणं, दंसणं दण्डधर:-दंडधरो दान-दाणं दात्रं-दत्तं दीप्ति:-दित्ती दुग्धम्-दुद्धं झषम्-झसं Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 270 भा.शत्रो . प्राकृतशब्दरूपावलिः दुर्भिक्ष:-दुब्भिक्खो नाडी-णाली, णाडी दृष्टिवादः-दिट्ठिवाओ नष्टम्-नटुं. . दुर्मुखः- दुम्मुहो नव्यम्-नव्वं दधि-दहि, दहि नायक:-णायगो. ध . निक्षेपः-णिक्खेवो धनम्-धणं नाना-णाणा धात्री-धत्ती, धाई, धारी नानारूपम-णाणारूवं धन्यः-धन्नो |निधिः-निही धर्मः-धम्मो निदाघः-निदाहो धर्मकथा-धम्मकहा निदानम्-नियाणं धर्मचक्र-धम्मचक्कं / निरस्तम्-निरत्थं धान्यम्-धनं नैवेद्यम्-नेविज्जं धाना-धाणा .. . प धाटी-धाडी पक्षः-पक्खो धर्मपुत्रः-धम्मउत्तो, धम्मपुत्तो पङ्क्तिः -पंती धीरत्वम्-धीरत्तं पर्यायः-पज्जाओ धूपः-धूवो पट:-पडो धूमप्रभा-धूमप्पहा पुट:-पुडो धृतिः-दिही, धिई पटह:-पडहो पटुः-पडू नक्षत्रम्- नक्खत्तं पटलः-पडलो नदी-नई पत्रम्-पत्तं नटः-नडो पद्मम्-पउमं, पोम्म नग्नः-नग्गो परिखा-फलिहा, परिघा नरेश्वर:-नरेसरो पद्यम्-पज्जं . Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 271 प्राकृतशब्दरूपावलिः पाठक:-पाठगो . भुवनं-भुवणं पार्श्व:-पासो भवनं-भवणं प्रव्रज्या-पव्वज्जा भूषणं-भूसणं पूर्वम्-पुरिमं, पुव्वं भृकृटि:-भिउडी भेद्यम्-भिज्जं फल्गुः-फग्गू भिक्षा-भिक्खा . फाल्गुनी-फग्गूणी भक्त:-भत्तो भीष्मः-भिप्फो बुधः-बुहो भावना-भावणा बाष्प:-बाहो, (नेत्रजलम्) | भगिनी-बहिणी, भइणी बाष्पः-बप्फो, (ऊष्मा) भामिनी-भामिणी ब्रह्मा-बम्हा बदरम्-बोरं मद्यम्-मज्जं बदरी-बोरी मन्त्र:-मन्तो बहुविधः-बहुविहो |मानम्-माणं बोध:-बोहो मूर्तः-मुत्तो ब्राह्मणः-बम्हणो, बाम्हणो, मूर्खः-मुरुक्खो, मुक्खो बम्भणो, माहणो मांसम्-मांसं, मंसं ब्रह्मचर्यम्-बम्हचेरं, बम्भचेरं मधु-महुं बुद्बुदः-बुब्बुओ मूर्छा-मुच्छा मुग्धः-मुद्धो भट:-भडो मनोज्ञम्-मणोज्जं, मणोण्णं, भूपः-भूवो मणुण्णं. भूतिः-भूई . . . . . मर्यादा-मज्जाया भूतेष्टा-भूइट्ठा, (चतुर्दशी) मृदङ्गः-मुइङ्गो, मिइङ्गो भ Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 272 .प्राकृतशब्दरूपावलिः मध्यमः-मज्झिमो रौति-रोइ मुक्त:-मुक्को, मुत्तो रति:-रई रात्रि:-राई, रत्ती यानम्-जाणं रामः-रामो यानपात्रम्-जाणवत्तं राग:-राओ, रागो यात्रा-जत्ता राजकीयम्-राइक, रायकेरें. यार:-जारो यान्ति-जंति .. लाति-लेइ यन्त्रम्-जंतं लक्षणम्-लक्खणं यः-जो लुब्धकः-लोद्धओ, लुद्धओ या-जा ललना-ललणा यत्-जं लास्यम्-लस्सं .. यदि-जइ "ललितम्-ललिअं यस्मात्-जम्हां, जाओ लता-लआ, लदा यावत्-जेत्तिअं, जेत्तिलं, जेद्दहं| व जाव, जा वनिता-विलया, वणिआ युष्मदस्मत्प्रकरणम्- वज्रम्-वरं, वज्जं जुम्हदम्हपयरणं वेतसः-वेडिसो, वेअसो यत्र-जहि, जह, जत्थ व्यापृतः-वावडो यथा-जह, जहा वर्षशतम्-वरिससयं, वाससयं वर्षा-वरिसा, वासा राज्यं-रज्जं . व्रीडा-विड्डा . रम्यम्-रम्म वृश्चिक:-विञ्चओ, विंचुओ, रमते-रमइ . विञ्छिओ राजते-रायइ वक्ष:-वच्छं Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 273 - प्राकृतशब्दरूपावलिः विज्ञप्तिः-विणत्ती ... वाराणसी-वाणारसी वैडूर्यम्-वेरुलिअं, वेडुज्जं वर्ण्य:-वज्जो विशाल:-विसालो वृक्षः-रुक्खो, वच्छो क्षीरम्-छीरं, खीरं क्षमा-छमा क्ष्मा-छमा क्षतम्-छयं क्षुण्णः-छुण्णो क्षेत्रम्-छेत्तं, ख़ित्तं शान्तिः-खन्ती शेषः-सेसो श्यामः-सामो शान्तिः-संती शक्ति:-सत्ती शृङ्गार:-सिङ्गारो श्री:-सिरी श्रद्धा-सा, सद्धा श्रुतिः -सुई श्रामण्यम्-सामण्णं शष्पम्-सर्फ शौण्डीर्यम्-सोण्डीरं, सुण्डीरं शुभम्-सुहं शान्त:-सन्तो शक्तः-सक्को, सत्तो शक्रः-सको. शमितम्-समिअं श्रेष्ठी-सिट्ठी सन्तोष:-संतोसो सर्वत्र-सव्वत्थ / सर्वः-सव्वो स्तेनः-थूणो, थेणो स्वयम्-संयं स्निग्धम्-सणिद्धं, सिणिद्धं, | सनिद्धं सूक्ष्मम्-सण्हं, सुहुमं, सुहमं स्नेहः-सणेहो, नेहो हरिश्चन्द्रः-हरिअन्दो, हरिचन्दो हरिताल:-हलिआरो, हरिआलो हरिद्धा-हलिद्दा ही:-हिरी दाहालद्दा ज्ञानम्-नाणं ज्ञाति:-नाई ज्ञप्तिः-नत्ती षण्ढः-सण्ढो Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 274 अ-च प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥श्री॥ .. ॥प्राकृतशब्दानां संस्कृतम् // ॥अकाराद्यनुक्रमाङ्कितम् // | अणिटुं-अनिष्टम् अच्छरा-अप्सराः अइ-अति अवज्जं-अवद्यम् अईव-अतीव अत्थग्गहो-अर्थावग्रहः अइदढं-अतिदृढम् अन्नाणंधो-अज्ञानान्धः अइमुंतयं, अइमुत्तयं- | अवराहो-अपराध: अतिमुक्तकम् | अज्जवि-अद्यापि अइसीअलं-अतिशीतलम् अत्तणो-आत्मनः अइकिलिनं-अतिक्लिनम् अहियं-अधिकं, अहितम् अक्खलिअं-अस्खलितम् अवहिनाणं-अवधिज्ञानम् अक्खोहो-अक्षोभः अत्थविलुद्धा-अर्थविलुब्धाः अक्खओ-अक्षयः, अक्षतो वा अब्भासो-अभ्यासः . अखाइमं-अखादिमम् अत्थ-अत्र . असाइमं-अस्वादिमम् अणुहवेऊण-अनुभूय अखिज्जमाणं-अखिद्यमानम् अहवा-अथवा अट्ठमं-अष्टमम् अणत्थो-अनर्थः अट्ठमी-अष्टमी अप्पडिबद्धो-अप्रतिबद्धः अज्जुणो-अर्जुनः अग्गओ-अग्रतः . अथेवं, अथोवं, अथोकं , अवयरिउं-अवतरितुम् अथोअं-अस्तोकम् अज्जा-आर्या अडो, अवडो-अवटः अन्तेउरं-अन्त:पुरम् Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 275 प्राकृतशब्दरूपावलिः अन्नया-अन्यदा अज्ज-अद्य अह-अथ . अवसारिअं-अपसारितम् अक्खाओ-आख्यातः अप्पा-आत्मा अणुन्नाओ-अनुज्ञातः अत्ता-आत्मा अणुजाणह-अनुजानीत अवहडं-अवहृतम्, अपहृतम् अज्झयणं-अध्ययनम् अवद्दालं-अपद्वारम् अच्छेरं, अच्छरिअं, अच्छअरं, | आ अच्छरिज्जं, अच्छरीअं- आढिओ-आदृतः आश्चर्यम् आउ-अप् अणाइनिहणो-अनादिनिधनः आऊ-आयुः . अत्थित्थ-अस्त्यत्र आउलो-आकुलः अत्थित्थं-अस्तित्वम् आतपत्तं-आतपत्रम् अरण्णं-अरण्यम् आएसो-आदेशः अप्पेइ-अर्पयति आवई-आपद् अल्लं, अदं-आर्द्रम् आलस्सं-आलस्यम् अस्सं-आस्यम् आवस्सयं-आवश्यकम् अणं-ऋणम् आसो-अश्वः अन्नारिसो-अन्यादृशः आरत्तियं-आरात्रिकम् अम्हारिसो-अस्मादृशः आसणं-आसनम् अइसरिअं-ऐश्वर्यम् आउण्टणं-आकुञ्चनम् अन्ननं-अन्नुन्नं-अन्योन्यम् आवन्नो-आपन्नः अवगासो-अवकाशः ... आहडं-आहृतम् अवगारो-अपकारः . आमेलो, आवेडो-आपीडः अवसरइ-अपसरति आरिया-आर्या Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 276 प्राकृतशब्दरूपावलिः आयरिओ-आचार्यः ईसि-ईषत्. आणीआ-आनीता आलिंगिऊण-आलिङ्ग्य उक्खिवणं-उत्क्षेपणम् आइट्ठो-आदिष्टः उन्भं, उद्धं-ऊर्ध्वम् आसायणा-आशातना . उग्गमो-उद्गमः आओ, आगओ-आगतः उचियं-उचितम् आलिद्धो-आश्लिष्टः .. उम्मीलणं-उन्मीलनम् उवएसो-उपदेशः इयरहा, इहरा-इतरथा उट्टी-उष्ट्र: इक्को-एक: उत्थारो, उच्छाहो-उत्साहः इण्हि-इदानीम् उग्गहो-अवग्रहः इत्थी-स्त्री उड्डलोगम्मि-ऊर्ध्वलोके इ8-इष्टम् उम्बरो, उउम्बरो-उदुम्बरः इणं-इदम् उअ-वणं-उत-वनम् इदो-इतः उक्विटुं-उत्कृष्टम् इङ्गालो-अङ्गारः उक्कोसो-उत्कर्षः इत्थ-अत्र उववाओ-उपपातः इत्थन्तरम्मि-अत्रान्तरे उवविट्ठो-उपविष्टः इसी-ऋषिः उद्धरिऊण-उद्धृत्य इन्धं-चिह्नम् उवसग्गो-उपसर्गः इइ-इति उवयारो-उपचारः इक्किक-एकैकम् उवगारो-उपकारः उग्गतवो-उग्रतपः ईसो-ईशः उज्जुत्तो-उद्युक्तः ईसरो-ईश्वरः उक्खयं, उक्खायं-उत्खातम् Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 277 उज्जाणं-उद्यानम् एमेव, एवमेव-एवमेव उज्जावणं-उद्यापनम् / .. ओ उल्लं-आर्द्रम्. ओ-वणं-उत-वनम् उवहसिअं-उपहसितम् ओ-आरो-अपकारः उववासो-उपवासः ओ-आसो-अवकाशः ओहो-ओघः ऊसासो-उच्छवासः ओज्जरो-निर्झरः ऊहसियं-उपहसितम् ओप्पेइ-अर्पयति ऊआसो-उपवासः ओल्लं-आर्द्रम् ऊज्जाओ-उपाध्यायः ओ-यरिउं-अवतरितुम् ओहसियं-उपहसितम् एकइया, एगया-एकदा ओसारियं-अपसारितम् एगागारो-एकाकारः ओझाओ-उपाध्यायः एगत्थ-एकत्र ओआसो-उपवासः एत्तिअमेत्तं, एत्तिअमत्तं- ओसढं, ओसहं-औषधम् एतावन्मात्रम् ओहिनाणं-अवधिज्ञानम् एक्कारो-अयस्कारः ओसरइ-अपसरति एअं-एतत् .एगो, एक्को, एकल्लो-एकःकओ-कुतः एत्थ-अत्र कमसो-क्रमशः एत्थंतरम्मि-अत्रान्तरे कल्लाणं-कल्याणम् .. एरिसं-ईदृशम् काउं-कर्तुम् एरिसो-ईदृशः किंकिंति-किकिमिति एरावणो-ऐरावणः कम्मगरो-कर्मकरः एआरिसो-एतादृशः काऊण-कृत्वा Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 278 प्राकृतशब्दरूपावलिः कुसुमवुट्ठी-कुसुमवृष्टिः कुंपलं-कुड्मलम् कोउअं-कौतुकम् | कणगं, कणयं-कनकम् कोऊहलं, कोऊहल्लं, कुऊहलं, कसणफणी, कसिणफणी. कोहलं-कुतूहलम् कृष्णफणी कोप्परं-कूपरम् कटुं, कष्टं-काष्ठम् कयं-कृतम् कमो, क्लम:-क्रमः किच्छं-कृच्छ्रम् कडुअं-कटुकम् किवाणं-कृपाणम् . कन्तो-कान्तः केरिसो-कीदृशः .. कन्ती-कान्तिः कइअवं-कैतवम् कित्ती-कीर्तिः कउसलं-कौशलम् कायव्वं-कर्तव्यम कुच्छअयं, कोच्छेअयं, कमलच्छी-कमलाक्षी कउच्छेअयं-कौक्षेयकम् / कवाडो-कपाटः कज्जं-कार्यम् काहलो-कातरः कुविओ-कुपितः किच्चं-कृत्यम् कमढो-कमठः किसंगी-कृशाङ्गी कुढारो-कुठारः कुलडा-कुलय कइरवं, केरवं-कैरवम् कुबोहो-कुबोधः कडणं, कयणं-कदनम् कुमुइणी-कुमुदिनी कवट्टिओ-कर्थितः केढवो-कैटभः कयत्थो-कृतार्थः केलासो-कैलासः कउहं-ककुदम् कोहो-क्रोधः किसलं, किसलयं-किशलयम् कोहण्डी, कोहली-कुष्माण्डी कन्दो-स्कन्दः किवा-कृपा केवट्टो-कैवतः किवालू-कृपालुः Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः 279 कया-कदा गेझं, गिझं-ग्राह्यम् कन्दप्पो-कन्दर्पः गारवं, गउरवं-गौरवम् कणेरू-करेणुः गग्गरं-गन्द्गम् कुणंतो-कुर्वन् गड्डो-गर्त्तः ख गड्डहो, गद्दहो-गर्दभः खवियकम्मो-क्षपितका गई-गतिः खित्तं-क्षेत्रम् गइन्दो-गजेन्द्रः खेडओ-श्वेटकः गोरी, गउरी-गौरी खोडओ-क्ष्वोटकः . . गहो-ग्रहः खेडओ-स्फेटक: गव्वो-गर्वः .. खेडिओ-स्फेटिकः |गामिल्ली-ग्राम्या खाणू-स्थाणुः गोट्ठी-गोष्ठी खंधावारो-स्कन्धावार: गोअमो-गौतमः खन्दो-स्कन्दः खमा, क्षमा-क्षान्तिः .. |घडुव्व-घट इव खत्तिओ-क्षत्रियः घाइचउकं-घातिचतुष्कम् खुडिओ, खण्डिओ-खण्डितः घेत्तुं, घित्तुं-ग्रहीतुम् खेअरो-खेचरः घयं-घृतम् खेअरी-खेचरी घुसिणं-घुसृणम् खग्गो-खड्गः घरमज्झे-गृहमध्ये घित्तूण-गृहीत्वा गमिऊण, गंतूण-गत्वा घम्मो-घर्मः गओ-गत: घरणी, घरिणी, घरिल्ला-गृहिणी गीयत्थो-गीतार्थः . .. गिम्हो-ग्रीष्मः | चउव्विहं-चतुर्विधम् Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सशत् 280 प्राकृतशब्दरूपावलिः चउतीसा-चतुस्त्रिंशत् छट्ठो-षष्ठः चउवीसा-चतुर्विंशतिः छप्पओ-षट्पदः / चुओ-च्युतः | छंमुहो-षण्मुखः चूओ-चूतः | छिहा-स्पृहा चत्तं-त्यक्तम् छमा-क्षमा, (पृथ्वी) चिण्णं-चीर्णम् छत्तं-छत्रम् चुण्णो-चूर्णः छउमं, छम्मं-छद्म . चयिऊणं, चविऊण-च्युत्वा छिरा-शिरा . चेइयं, चइत्तं-चैत्यम् | .. ज .. चिलाओ-किरातः जम्हा-यस्मात् चन्दिमा-चन्द्रिका जा-जाव-यावत् ची-वन्दणं, चेइअवन्दणं- . जच्चन्धो-जात्यन्धः . चैत्यवन्दनम् / ज़हट्ठियं-यथास्थितम् चुच्छं-तुच्छम् . जाईसरणं-जातिस्मरणम् चच्चरं-चत्वरम् जयपडाया-जयपताका चन्दो, चन्द्रो-चन्द्रः जक्खो-यक्षः चक्कवट्टी-चक्रवर्ती जसो-यशः चरित्तं-चरित्रम् जम्मो-जन्म . जंपिऊण-जल्पित्वा छीअं-क्षुतम् जिणदेसिओ-जिनदेशितः छुच्छं-तुच्छम् | जत्ता-यात्रा छुहा-क्षुधा, सुधा जारिसो-यादृशः छमी-शमी जढलं, जढरं-जठरम् छावो-शावः | जावज्जीवं-यावज्जीवम् छत्तिवण्णो, छत्तवण्णो-सप्तपर्णः | जइ-यदि . Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 281 प्राकृतशब्दरूपावलिः जओ-यतः जणणी-जननी जमो-यमः . जन्त-हरं-यन्त्रगृहम् जम्बूमुणी-जम्बूमुनिः जोव्वणं-यौवनं जरो-ज्वरः जगं-जगत् जम्मओ-जन्मतः जिब्भा, जीहा-जिह्वा जत्थ-यत्र जहन्नओ-जघन्यतः डसणम्-दशनम् ण णडालं, णिडालं-ललाटम् णङ्गलम्-लाङ्गलम् णलं-लाङ्गुलम् 'हाविओ-नापितः . णच्चा-ज्ञात्वा त झाणानलो-ध्यानानलः झायंतो-ध्यायन् झत्ति-झटिति झओ-ध्वजः झाणं-ध्यानम् . ट . . टगरो-तगरः टसरो-तसरः टूवरो-तूवरः ता-ताव-तावत् तंजहा-तद्यथा तक्करो-तस्करः तम्ब-ताम्रम् तूहं, तित्थं-तीर्थम् तणं-तृणम् तम्बोलं-ताम्बूलम् तओ-ततः . तोणीरम्-तूणीरम् तिप्पं-तृप्तं तारिसो-तादृशः तुम्हारिसो-युष्मादृशः . तलायं-तडागम् तुच्छं-तुच्छम् तवोधणो-तपोधनः तवो-स्तवः ठाणं-स्थानम् ठीणं-स्त्यानम् Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 282 प्राकृतशब्दरूपावलिः दिटुंतो-दृष्टान्तः थोत्तं-स्तोत्रम् दवग्गी-दावाग्निः / थुणन्ति-स्तुवन्ति दुआरं, दारं, देरं-द्वारम् थोऊण, थुणिऊण-स्तुत्वा दलणत्थं-दलनार्थम् थुओ-स्तुतः दोहा-इअं, दुहा-इअं-द्विधाकृतम् थणच्छीरं-स्तनक्षीरम् / दइन्नं-दैन्यम् .. थीणं, थिण्णं-स्त्यानम् : दइवअं-दैवतम् . थोरं-स्थूलम् / देव्वं, दइव्वं, दइवं-दैवम् थोकं, थोवं, थेवं, थोअं-स्तोकम् दुक्कडं-दुष्कृतम् थवो-स्तवः दिही-धृतिः थुई-स्तुतिः दुअलं, दुऊलं, दुगुल्लं-दुकूलम् दसणं-दशनम् दुविहं-द्विविधम् / दालिदं-दारिद्यम् दव्वसुयं-द्रव्यश्रुतम् दुवालसंगं-द्वादशाङ्गम् दट्ठणं-दृष्ट्वा दइच्चो-दैत्यः दाहिणसेढीइ-दक्षिणश्रेण्याम् | दलिदो-दरिद्रः दुग्गंधो-दुर्गन्धः दुग्गा-वी, दुग्गा-एवी-दुर्गादेवी दिक्खा-दीक्षा दे-उलं, देवउलं-देवकुलम् दवदड्डो-दवदग्धः दुक्करं-दुष्करम् दारगो-दारकः दीसइ-दृश्यते . दिन-दत्तम् दक्खो-दक्षः धओ-ध्वजः दुइआ-द्वितीया धन्ना-धन्या देइ-ददाति धिरत्थु-धिगस्तु दुच्चरिअं-दुश्चरितम् | धीर-धैर्यम् Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महः . प्राकृतशब्दरूपावलिः धिई-धृतिः निवसइ-निवसति धूवो-धूपः निव्वेओ-निर्वेदः न . निउरं, नेउरं, नूउरं-नूपुरम् नत्थि-नास्ति निट्ठलो-निष्ठुरः नत्थिओ-नास्तिकः निसंसो-नृशंसः नीसासो-निःश्वासः निक्खं-निष्कम् नूणं-नूनम् निक्कमपं-निष्कम्पम् निच्चं-नित्यम् निक्कओ-निष्क्रयः नेहः-स्नेहः नाविओ-नापितः निवो-नृपः निच्चलो-निश्चलः नरिन्दो-नरेन्द्रः निप्पिहो-निःस्पृहः निययठाणाओ-निजकस्थानात् निवत्तणं-निवर्त्तनम् नट्ठो-नष्टः .. निप्फेसो-निष्पेषः नाऊण-ज्ञात्वा निप्फावो-निष्पावः / नमह-नमत निरूविअं-निरूपितम् निक्कारणं-निष्कारणम् / निण्णं-निम्नम् नच्चंति-नृत्यन्ति नच्चं-नृत्यम् पन्नत्तं प्रज्ञप्तम् निज्झरो-निर्झरः पण्णरस, पण्णरह-पञ्चदश निवुत्तं, निअत्तं-निवृत्तम्प णसठ्ठी-पञ्चषष्टिः नीसासूसासा-नि:श्वासोच्छ्वासौ पडिओ-पतितः नयरं-नगरम् ... पणमिऊण-प्रणम्य नयणं-नयनम् पत्थणा-प्रार्थना नेविज्ज-नैवेद्यम् पत्तं, प्राप्तं-पात्रम् निद्दोसो-निर्दोषः पाहुडं-प्राभृतम् Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 284 __प्राकृतशब्दरूपावलिः पिधं, पिहं, पुधं, पुहं-पृथक् | पच्छेकम्म-पश्चात्कर्म पच्चओ-प्रत्ययः | पोम्मं, पउमं-पद्मम् .. . पज्जलिओ-प्रज्वलितः |पययं, पाययं, पयर्ड, पायडं पइदियह-प्रतिदिवसम् ___-प्राकृतम् पडिवनो-प्रतिपन्नः पसढिलं, पसिढिलं-प्रशिथिलम् पत्थिवो-पार्थिवः | पेऊसं-पीयूषम् पुरओ-पुरतः पउरिसं-पौरुषम् पसूआ-प्रसूता पट्टणं-पत्तनम् पडिबोहिओ-प्रतिबोधितः पच्छिमं-पश्चिमम् पच्चुवयारो-प्रत्युपकारः | पत्थरो-प्रस्तरः पुज्जो-पूज्यः पण्णासा-पंचाशत् पुरिसो-पुरुषः पुष्पं-पुष्पम् पिच्छिऊण-प्रेक्ष्य पच्छं-पथ्यम् पुट्ठो-पृष्टः, स्पृष्टः पज्जत्तं-पर्याप्तम् पक्खित्तो-प्रक्षिप्तः पवत्तणं-प्रवर्तनम् पेरंतं, पज्जंतं-पर्यन्तम् पज्जुण्णो-प्रद्युम्नः पउमदलं-पद्मदलम् पसत्थो-प्रशस्तः पणमह-प्रणमत पल्लत्थो, पल्लट्ठो-पर्यस्तः पक्खाओ-प्रख्यातः पोग्गलं पुग्गलं-पुद्गलम् पीडेइ-पीडयति पायडं, पयर्ड-प्रकटम् फासिदियवंजणुग्गहेपच्चक्खं-प्रत्यक्षम् स्पर्शेन्द्रियव्यञ्जनावग्रह: पच्छा-पश्चात् फासुअं-प्रासुकम् पुढुमं, पुढम, पढुमं, पढमं- फुडं-स्फुटम् . प्रथमम् | फंदणं-स्पन्दनम् Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः 285 महप्पा-महात्मा बारस, बारह-द्वादश मिच्छादिट्ठी-मिथ्यादृष्टि: बीआ-द्वितीया मुणीसरो-मुनीश्वरः बीओ-द्वितीयः मसाणं-श्मशानम् बाहजल्लल्लियं-बाष्पजलार्द्रितम् | मियंको-मृगाङ्कः बार-द्वारम् . | मुत्तूणं-मुक्त्वा बोहंतो-बोधयन् |मणुअभवो-मनुजभवः मीसिआ-मिश्रिता . भवभीओ-भवभीतः | मिहुणं-मिथुनम् भुत्तूण, भोच्चा-भुक्त्वा मिटुं-मृष्टम् . भारिआ, भज्जा-भार्यामुणालं-मृणालम् भारहखित्तं-भारतक्षेत्रम् मुसा, मूसा, मोसा-मृषा भजह-भजत मच्छलो, मच्छरो-मत्सरः भोअणमेत्तं-भोजनमात्रम् मारिसो-मादृशः / भुई-भृतिः मउणं-मौनम् भवारिसो-भवादृशः | मरगयं-मरकतम् भयणा-भजना मज्ज-मद्यम् भाणं, भायणं-भाजनम् मणुअत्तं-मनुजत्वम् भप्पो, भस्सो-भस्म माणुसत्तं-मानुषत्वम् भिप्फो-भीष्मः मढो-मठः भिब्भलो-विह्वलः माउलुंगं-मातुलुङ्गम् मडयं-मृतकम् मइनाणं-मतिज्ञानम् मड्डिओ-मर्दितः मुणेयव्वो-ज्ञातव्यः / मुत्ताहलं-मुक्ताफलम् मोहाडवीए-मोहाटव्याम् | मुट्ठी-मुष्टिः . Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 286 प्राकृतशब्दरूपावलिः मन्तू, मन्नू-मन्युः लभ्रूणं-लब्ध्वा महण्णवो-महार्णवः लोहो-लोभः माउक्कं, माउत्तणं-मृदुत्वम् . लायण्णं-लावण्यम् मोहो, मऊहो-मयूखः लहई-लभते लब्भामो-लप्स्यामः रण्णं-अरण्यम्ल ङ्गलं-लाङ्गलम् रुद्दझाणोवगओ-रौद्रध्यानोपगतः | लुक्को, लुग्गो-रुग्णः रुट्ठो-रुष्टः . व रज्जद्धं-राज्यार्द्धम् वेहव्वम्-वैधव्यम् रयणरहो-रत्नरथः वंजणुग्गहे-व्यञ्जनावग्रहः रायसुआ-राजसुता वज्जरिसहनारायं-वज्रऋषभरिणं-ऋणम् नाराचम् रययं-रजतम् वेयणिज्ज-वेदनीयम् रसायलं-रसातलम् वल्लहो-वल्लभः रयणरासी-रत्नराशिः विनायं-विज्ञातम् रग्गो, रत्तो-रक्तः विनाणं-विज्ञानम् रा-उलं, रायउलं-राजकुलम् वयणं-वचनं, वदनम् रज्ज-राज्यम् विहरन्तो-विहरन् रिसी-ऋषिः वेयड्डो-वैताढ्यः ल विलया, वणिया-वनिता लक्खणं-लक्षणम् विज्जाहरो-विद्याधरः लुद्धो-लुब्धः वच्छलम्-वत्सलम् लच्छी-लक्ष्मी: विणयंधरो-विनयन्धरः लहन्तो-लभमानः |विक्खाओ-विख्यातः Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 287 प्राकृतशब्दरूपावलिः वज्जिऊण-वर्जित्वा |सुयनिस्सियम्-श्रुतनिश्रितम् वारं-द्वारम् सयंभूरमणो-स्वयम्भूरमणः वेण्हू, विण्हू-विष्णुः सुत्तम्-सूत्रम्-सुप्तम् वाहित्तम्-व्याहृतम् सड्ढा, सद्धा-श्रद्धा वइआलीयम्-वैतालीयम् संभरिओ-संस्मृतः विआणम्-वितानम् . सन्ना-संज्ञा वइरं, वेरं-वैरम् समुप्पन्ना-समुत्पन्नः वइसिअम्, वेसिअम्-वैशिकम् सवं-सौख्यम वलयामुहं-वडवामुखम् |समायरिअं-समाचरितम् वहुत्तम्-प्रभूतम् सासयं-शाश्वतम् वद्धावणं-वर्धापनम् | सोमसिरी-सोमश्री: वेअओ, वेडिओ-वेतसः वारणं, वायरणं-व्याकरप्पम् सन्तुट्ठो-सन्तुष्टः वंसो-वंशः | सम्मदिट्ठी-सम्यग्दृष्टिः सव्वओ-सर्वतः वज्जम्-वज्रम्, वर्यम् वेज्जो-वैद्यः सयंवरो-स्वयंवरः वट्टलम्-वर्तुलम् सोअनो-श्रोतव्यः वट्टो-वृत्तः सत्थवाहो-सार्थवाह: विब्भलो, विहलो-विह्वल: संझा-सन्ध्या वोक्कन्तं, वुक्कन्तम्-व्युत्क्रान्तम् सुक्कम्-शुक्लम् . समत्थो-समर्थः सुयम्-श्रुतम् समत्तो-समाप्तः, समस्तः सुयनाणम्-श्रुतज्ञानम् . सुणिऊण, सोऊण, सुच्चा-श्रुत्वा सोइंदिओवलद्धी सयं-स्वयम् . श्रोत्रेन्द्रियोपलब्धिः सुदुल्लहो-सुदुर्लभः Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 288 प्राकृतशब्दरूपावलिः सहावो-स्वभावः संघारो, संहारो-संहारः साहाविओ-स्वाभाविकः | सक्कयं-संस्कृतम् समोसरिओ-समवसृतः | सक्कारो-संस्कारः सोवइ, सुवइ-स्वपिति सुक्खं, सुकं-शुष्कम् सढिलं, सिढिलं-शिथिलम् सभलं, सहलं-सफलम् सिंगं, संग-शृङ्गम् सामच्छं, सामत्थं-सामर्थ्यम् संवुडं-संवृतम् / संवत्तणं-संवर्तनम् सरिसो-सदृशः संदट्टो-सन्दष्टः सिन्नं, सेन्नं, सइन्नं-सैन्यम् सेफो, सिलिम्हो-श्लेष्म सइरम्-स्वैरम् | सप्फं-शष्पम् सूसासो-सोच्छवासः . सिलाहा-श्लाघा सउहं-सौधम् . सइ, सया-सदा सयढं-शकटम् सुओ-सुतः सच्च-सत्यम् सुकडं-सुकृतम् हेऊ-हेतुः संपयम्-साम्प्रतम् हणिऊण-हत्वा संपुडो-सम्पुटः हत्थिणांउरं-हस्तिनापुरम् सढो-शठः हत्थो-हस्तः सत्तरीसयम्-सप्ततिशतम् सक्कारो-सत्कारः होऊण-भूत्वा सिंघो, सीहो-सिंहः हिययम्-हृदयम् इत्याचार्यपण्डितावतंसश्रीमद्विजयनेमिसूरीश्वरचरणारविन्दचञ्चरीकायमाणमुनिप्रतापविजयेन विरचिता प्राकृतशब्द स्पावलिः परिपूर्णतां समवाप्नोत् // Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ભરત પ્રિન્ટરી અમદાવાદ-૧. - 380964