________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः 133 ॥अथ भिन्दिपालशब्दः // - एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भिण्डिवालो . भिण्डिवाला इत्यादि / कन्दरिकाभिन्दिपाले ण्डः // 8 / 2 / 38 // इत्यनेन ण्डः / कन्दरिकाशब्दस्य तु कण्डलिआ, इति ॥अथ स्तब्धशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा ठड्ढो . ठड्डा द्वितीया ठड्डु ठड्डे ठड्डा ___ इत्यादि // स्तब्धे ठढौ / / 8 / 2 / 39 // इत्यनेन स्तब्धशब्दे संयुक्तयोर्यथाक्रमं ठढौ भवतः / ॥अथ पर्यस्तशब्दः // . एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पल्लत्थो पल्लट्टो . पल्लत्था पलट्टा . द्वितीया पल्लत्थं पल्लट्टं . पल्लत्थे पल्लत्था / पल्लट्टे पल्लट्टा __ इत्यादि। पर्यस्ते थ-टौ // 8 / 2 / 47 // इत्यनेन पर्यस्तशब्दे पर्यायेण थटौ भवतः / पर्यस्त-पर्याण-सौकुमार्ये ल्लः // 8 / 2 / . 68 // इत्यनेन ल्लः / ॥अथ पल्यशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् . प्रथमा पल्लंको पलिअंको पल्लंका पलिअंका - इत्यादि