________________ . . 234 प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ विष्णुशब्दः // .. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा वेण्हू विण्हू. / वेण्हउ वेण्हओ वेण्हवो वेण्हुणो वेण्हू विण्हउ विण्हओ | विण्हवो विण्हुणो विण्हू . इत्यादि गुरुवत् ॥अथ जिष्णुशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा जेण्हू जिण्हू जेण्हउ जेण्हओं जेण्हवो जेण्हुणो जेण्हू जिण्हउ जिण्हओ जिण्हवो जिण्हुणो जिण्हू इत्यादि // सूक्ष्म-श्न-ष्ण-स्त्र-ह्न-ह-क्ष्णां ण्हः // 8 / 2 / 75 // इत्यनेनः ष्ण इत्यस्य ग्रहः / इत एद्वा / / 8 / 1 / 85 // इत्यनेनादेरिकारस्य संयोगे परे एकारो वा भवति / ॥अथ स्थाणुशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा खण्णू खाणू खण्णउ खण्णओ खण्णवो खण्णुणो खण्णू खाणउ खाणओ खाणवो खाणुणो खाणू इत्यादि / स्थाणावहरे / / 8 / 2 / 7 // इत्यनेन स्थाणुशब्दे संयुक्तस्य खो भवति हरश्चेद्वाच्यो न भवति हरवाचिन: स्थाणु