________________ 180 प्राकृतशब्दरूपावलिः वीसाण, इति / अन्याशब्दस्य, अन्नेसि, अन्नाण, इत्यादि, शेषं मालावत्। ॥किंशब्दः॥.. एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा का कीउ कीओ कीआ की काउ काओ का . द्वितीया कं. (कीउ कीओ कीआ की काउ काओ का तृतीया कीअ कीआ कीइ कीए / कोहि कोहिं कीहिँ काअ काइ काए . काहि काहि काहिँ पंचमी काअ काइ काए कीओ कीउ कीअ कीआं कीइ. कीहिन्तो कीसुन्तो कीए कीओ की काओ काउ कत्तो कीहिन्तो कत्तो (काहिन्तो कासुन्तो काओ काउ . काहिन्तो कम्हा षष्ठ कास किस्सा कीसे केसि काणं काण कीअ कीआ कीइ कीए काअ काइ काए सप्तमी काहिं काअ कीसुं कासुं काइ काए // कि-यत्तदोऽस्यमामि // 8 / 3! 33 / / इत्यनेन सि-अम्आम्-वर्जिते स्यादौ परे किंयत्तद्भ्यः स्त्रियां डीर्वा // स्त्रियामुदोतौ