________________ 188 प्राकृतशब्दरूपावलिः ___इत्यादि वनवत् / / स्निग्धे वादितौ // 812 101 // इत्यनेन स्निग्धशब्दे संयुक्तस्य नात्पूर्वी अदितौ वा। ॥अथ पुष्करशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पोक्खरं पोक्खराइँ पोक्खराई पोक्खराणि // ओत्संयोगे / / 8 / 1 / 116 // इत्यनेन संयोगे पैर उत ओत्वम् / एवं तोण्डं। मोण्डं। पोग्गलं / कोट्टिमं। वोकन्तं इत्यादि // हुस्वः संयोगे, इत्यनेन हुस्वे कृते पुक्खरे। तुण्डं। मुण्डं। पुग्गलं / कुट्टिमं / वुक्कन्तं / इत्याद्यपि भवति / / ॥अथ निष्कशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा णिक्खं . णिक्खाइँ णिक्खाई णिक्खाणि इत्यादि वनवत् // ष्क-स्कयो म्नि / / इत्यनेन ष्कस्कयोः खः / नाम्नीति कथनादिह न / दुक्करं / निक्कयं / सक्कयं / इत्यादि। ॥अथ शुष्कशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा सुक्खं सुक्कं सुक्खाइँ सुक्खाई सुक्खाणि सुक्काइँ सुक्काई सुक्काणि इत्यादि