________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ॥अथ शिराशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छिरा सिरा छिराउ छिराओ छिरा / सिराउ सिराओ सिरा इत्यादि / शिरायां वा / / 8 / 1 / 266 // इत्यनेन वा छः / ॥अथ क्षमाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा छमा - छमाउ छमाओ छमा इत्यादि / क्षमायां कौ / / 8 / 2 / 18 // इत्यनेन को पृथिव्यां वर्तमाने क्षमाशब्दे संयुक्तस्य छः / छमा पृथिवी / क्ष्मा इत्यस्यापि भवति / क्ष्मा, छमा / क्ष्मा-श्लाघा-रत्नेऽन्त्यव्यञ्जनात् / / 8 / 2 / 101 // इत्यनेन संयुक्तस्यान्त्यव्यञ्जनात्पूर्वोऽद्भवति / तेन छमा इति रूपं सिद्धं / काविति किम् / खमा क्षान्तिरित्यत्र न। . ॥अथ मक्षिकाशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा मच्छिआ मच्छिआउ मच्छिआओ / मच्छिआ इत्यादि मालावत् ॥अथ ककुभशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा . कउहा . . . कउहाउ कउहाओ ।कउहा