________________ - प्राकृतशब्दरूपावलिः भवइ, भवन्ती, भवमाणी, हसई, हसन्ती, हसमाणी, पचई, पचन्ती, पचमाणी, वेवई, वेवन्ती, वेवमाणी, इत्यादि स्त्रीलिङ्गे नदीवत् / ई च स्त्रियाम् / / 8 / 3 / 182 // इत्यनेन स्त्रियां शत्रानशोः स्थाने ईप्रत्ययो भवति / चकारात् न्तमाणावपि / एवं सर्वत्र / ॥अथ किं शब्दः // . एकवचनम् : बहुवचनम् प्रथमा को / द्वितीया कं के का तृतीया किणा केणं केण.. केहि केहिं केहिं / पंचमी | कम्हा किणो कीस कत्तो काओ काउ कत्तो काओ काउ | काहि केहि काहिन्तो काहि काहिन्तो / केहिन्तो कासुन्तो / केसुन्तो षष्ठी कास कस्स . कास केसिं काणं-ण सप्तमी / कहिं कस्सि ..... केसुं केसु कम्मि कत्थ / काहे काला कइआ कुत इत्यस्य तु कओ। // किम: कस्तूंतसोश्च / / 8 / 3 / 71 // इत्यनेन किमः कः स्यादौ त्रतसोश्च परयोः // इदमेतत्कियत्तद्भ्यष्टो डिणा // 8 / 3 / . 69 // ऐभ्यः सर्वादिभ्योऽकारान्तेभ्यः परस्याष्टायाः स्थाने डित् इणा इत्यादेशः // ङसेहा / / 8 / 3 / 66 // किंयत्तद्भ्यः परस्य ङ का