________________ 200 प्राकृतशब्दरूपावलिः वाव्ययोत्खातादावदातः // 8 // 1 / 67 // इत्यनेन अव्ययेषु उत्खातादिषु च आदेरातोऽद्वा / ॥अथाऽरण्य-शब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा रणं अरण्णं (रण्णाइँ रण्णाई रण्णाणि अरण्णाइँ / अरण्णाई अरण्णाणि इत्यादि // वालाब्वरण्ये लुक् // 8 / 1 / 66 // इत्यनेनानयोरादेरस्य लुग्वा। ॥अथ प्रकटशब्दः॥ एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा पायडं पयर्ड / पायडाइँ पायडाई पायडाणि पयडाइँ / पयडाइं पयडाणि इत्यादि / अतः समृद्ध्यादौ वा / / 8 / 1 / 44 // इत्यनेनादेरकास्य वा दीर्घः // टो डः // 8 / 1 / 195 // इत्यनेन टस्य डकारः / समृद्ध्यादिराकृतिगणस्तेन / परकीयम् / पारकेरं, पारकं, प्रवचनम् / पावयणं / चतुरन्तम् / चाउरन्तं / इत्यादि वनवत् / ॥अथ पक्वशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम्. प्रथमा पिकं पक्कं पिक्काइँ पिक्काई पिक्काणि पक्काइँ / पक्काई पक्काणि