________________ प्राकृतशब्दरूपावलिः ____237 ॥अथ ऋकारान्तपुल्लिङ्गः // ॥भर्तृशब्दः // एकवचनम् बहुवचनम् प्रथमा भत्ता भत्तारो / भत्तू भत्तुणो भत्तउ भत्तवो / भत्तओ भत्तारा द्वितीया / भत्तारं . / भत्तू भत्तुणो / भत्तारे भत्तारा तृतीया / भत्तुणा भत्तारेणं भत्तूहि भत्तारेहि | भत्तारेण पञ्चमी | भत्तुणो भत्तुत्तो भत्तूओ / भत्तुत्तो भत्तूओ भत्तूउ भत्तूउ भत्तूहि भत्तूहि भत्तूहिन्तो भत्तूहिन्तो भत्तारत्तो भत्तूसुन्तो भत्तारत्तो भत्ताराओ भत्ताराउ भत्ताराओ भत्ताराउ भत्ताराहि भत्ताराहिन्तो भत्ताराहि भत्तारेहि भत्तारा भत्ताराहिन्तो भत्तारेहिन्तो भत्तारासुन्तो भत्तारेसुन्तो षष्ठी भत्तुणो भत्तुस्स भत्तूणं भत्ताराणं / भत्तारस्स सप्तमी भित्तुम्मि भत्तारम्मि भत्तूसुं भत्तारेसुं / भत्तारे संबोधनम् (हे भत्त हे भत्तार हे भत्त हे भत्तणो हे भत्तारो / हे भत्तउ हे भत्तओ हे भत्तारा // आ सौ नवा / / 8 / 3 / 48 // इत्यनेन ऋदन्तस्य शब्दस्य सौ परे आकारो वा / आरः स्यादौ / / 8 / 3 / 45 // इत्यनेन स्यादौ