Book Title: Yogshastra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Lehar Kundan Group

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Page 22
________________ काल ज्ञान का विज्ञान ४१२ अपने अंगोपांगों से मृत्यु ज्ञान ४१३ शुकुन द्वारा काल ज्ञान ४१४ द्विविध-उपश्रुति से कालनिर्णय ४१५ शनैश्चर यंत्र एवं विद्या से काल निर्णय ४१६ जय पराजय काल ज्ञान ४१७ जय पराजय का ज्ञान प्रश्न करने के समय से लाभ हानि ४१८ कार्यसिद्धि-असिद्धि पुत्र-पुत्री विषयक प्रश्नों के उत्तर ४१९ बिन्दु ज्ञान से काल निर्णय ४२० नाड़ी संचारज्ञान का फल, वेध विधि ૪૨૧ वेध-विधि परकाय प्रवेश विधि - एवं उपसंहार ૪૨૨ धारणा के स्थान ४२५ ध्यान साधना का क्रम, पिण्डस्थ का स्वरूप ૪૭ पिंडस्थध्यान का महात्म्य ૪૨૮ पदस्थ ध्यान का स्वरुप रुपस्थ ध्यान का स्वरूप ४३९ रूपातीत ध्यान का स्वरुप, धर्मध्यान के भेद धर्मध्यान ध्यान का स्वरूप ४४२ धर्मध्यान का स्वरूप ४४३ शुक्लध्यान का स्वरूप अनुभवित योग का वर्णन ४५६ अनुभवित योग का वर्णन - उपसंहार ४६१ उपसंहार ३७५ ૪૨૬ ३८१ आश्रव भावना स्वरूप - आठ कर्म के आश्रव हेतु ३६१ संवरभावना का स्वरूप ૩૬૨ संवरभावना एवं निर्जरा भावना का स्वरूप 363 निर्जरा भावना का स्वरूप ३६४ निर्जरा भावना तप का स्वरूप ३६५ प्रायश्चित्त तप के दस भेद, उनका लक्षण और फल ३६६ अभ्यंतर तप की व्याख्या ૩૬૭ अभ्यंतर तप की व्याख्या ३६८ तप निर्जरा का कारण ३६९ सम्यग्धर्म के १० भेद ३७० धर्म 'फल' एवं धर्म 'विचार' ३७३ धर्मस्वाख्यातभावना में प्रयुक्त धर्म अन्यमतीय ग्रंथों में नहीं ૩૪ लोक भावना का विस्तृत वर्णन लोक स्वरुप भावना ૨૭ व्यंतरदेवों और ज्योतिष्कदेवों का वर्णन ૩૭ व्यंतर देवों और ज्योतिष्कदेवों का वर्णन ૩૭૮ जंबुद्धीप आदि द्विपों का वर्णन ३७९ जंबुद्वीप आदि द्वीप-क्षेत्र का वर्णन ३८० अन्तरद्धीप वर्णन अनार्य देश अंतरद्धीप, नंदीधरद्धीप वर्णन ૨૮૨ नंदीश्वर द्वीप एवं देवलोक का वर्णन देवलोक का वर्णन लोक का विशेष स्वरूप बोधि दुर्लभ भावना ३८५ बोधि दुर्लभ भावना समताधिकार स्वरूप ३८७ ध्यान स्वरुप ३66 मैत्र्यादि भावना स्वरूप ध्यान कहाँ और कौन करे? आसन कैसा हो? ३९० विविध आसन और उनके लक्षण ३९१ विविध आसनों का वर्णन ૩૬૨ मन की स्थिरता रहे वैसा आसन ३९३ ध्यान के योग्य आसन, उनकी विधि एवं उपयोगिता ३९४ प्राणायाम आदि का स्वरूप ३९६ प्राणायाम का स्वरूप ३९७ प्राणायाम आदि का स्वरुप ३९८ धारणा और उसका फल ३९९ मंडलों का स्वरूप ४०० वायु के शुभाशुभ फल ४०१ वायु से मृत्यु काल का ज्ञान ४०४ बाह्य काल लक्षण का वर्णन ४०८ आंख, कान, मस्तक तथा अन्य प्रकार से होने वाला कालज्ञान ४०९ काल ज्ञान के उपाय ४१० मृत्युज्ञान के विविध उपाय ४४६ ३८३ ३८४ ३८६ ३८९ ४११ Xvi

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