Book Title: Yogshastra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Lehar Kundan Group

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Page 1
________________ कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य रचित योगशास्त्र श्री पद्मसूरिजी कृत हिन्दी अनुवाद सहित सम्पादक मुनि श्री जयानंद विजयजी CECECETTETELEITOU XXXCOXXXOOOOOOOOOXX वरं बुभुक्षातुरसिंहसजतं, वरं सुरुष्टोरगभोगघट्टनम् । वरं कृतान्ताननसंप्रवेशनं, न तु प्रमादः शुभदः प्रयोजने ।।। भूखे सिंह की संगत अच्छी, क्रोधित सर्प का स्पर्श अच्छा, यम राजा के मुंह में प्रवेश करना अच्छा परंतु शुभ कार्य के समय प्रमाद करना अच्छा नहीं।। 'अतः इस पुस्तक को पढ़ने में प्रमाद न करे।।

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