Book Title: Yogshastra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Lehar Kundan Group

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Page 20
________________ सामायिकसूत्र के पाठ का व्याख्यासहित अर्थ सामायिक सूत्र का अर्थ सामायिक सूत्र का अर्थ एवं विधि सामायिक में समाधिस्थ चंद्रावतंसक का उदाहरण देशावणासिक व्रत पौषधव्रत परिपालन की विधि पौषथव्रत में सुदृढ चुलनीपिता श्रावक चुलनी पिता की कथा अतिथिसंविभागव्रत का स्वरूप और विधि २११ २१२ २१३ २१४ २१५ साधुसाध्वी को आहार की तरह वस्त्रपात्र - आवासादि देने एवं उनके द्वारा लेने का महत्त्व २१६ साधुसाध्वी को आहार की तरह वस्त्रपात्र आवासादि देने एवं उनके द्वारा लेने का महत्त्व श्रमणोपासक की आहार वहोराने की विधि श्रमणोपासक के लिए साधुसाध्वियों को आहारादि दान देने का महत्त्व कुपात्र और अपात्र को छोड़कर पात्र और सुपात्र को दान देना सफल और सुफलवान है सुपात्र दान का सुफल शालि भद्र सुपात्रदान से दरिद्र संगम ग्वाला श्रेष्ठिपुत्र शालिभद्र बना भोगों के अथाहसमुद्र में डूबा हुआ शालिभद्र त्याग की ओर धन्ना - शालिभद्र मुनियों द्वारा अनशन और माता भद्रा द्वारा खेद प्रकाशन अतिचारों का वर्णन प्रथम अणुव्रत के पांच अतिचारों पर विवेचन प्रथम अणुव्रत के अतिचारों का वर्णन द्वितीय अणुव्रत के पांच अतिचारों पर विवेचन दूसरे व्रत के अतिचार ૨૦૮ ૨૦૧૬ २१० तृतीय अणुव्रत के पांच अतिचारों पर विवेचन ब्रह्मचर्याणुव्रत के पांच अतिचारों पर विवेचन स्वदार संतोष और परदारात्याग नामक व्रत के अतिचारों के बारे में स्पष्टीकरण पांचवे व्रत के अतिचार पांचवें (परिग्रहपरिमाण) व्रत के अतिचार और उनके लगने के कारण छठे दिशापरिमाणव्रत के अतिचारों पर विवेचन दिग्विरति एवं भोगोपभोग के अतिचार भोगोपभोगपरिमाण नामक दूसरे गुणव्रत के अतिचारों पर विवेचन ५. अंगारजीविका, बनजीविका और शकटनीविका का स्वरूप दंत- लाक्षारस केश वाणिज्य कर्म का स्वरूप २१७ २१८ २१९ ૨૨૦ ૨૨૧ ૨૨૨ ૨૨૩ ૨૨૪ ૨૨૧ • २२६ ૨૦ ૨૨૮ ૨૨૬ २३० २३१ ૨૩૨ TIT ૨૩૪ २३५ २३६ ૨૩૭ ૨૩૮ S Xiv विषवाणिज्य और यंत्र पीडन कर्म अनर्थदंडविरमणव्रत के ५ अतिचारों पर विवेचन सामायिकव्रत के अतिचारों का स्पष्टीकरण सामायिकव्रत के अतिचारों का स्पष्टीकरण पोषण के पांच अतिचार अतिथिसंविभागव्रत के पांच अतिचार जिन मंदिर में धन व्यय श्रावक के धन का सदुपयोग जिनागम में साधु-साध्वीक्षेत्र में दान देने का माहात्म्य सातवें श्राविकाक्षेत्र की महिमा और महाश्रावकपद का रहस्य धनवान को धन का दान करना चाहिए महाश्रावक की दिनचर्या का वर्णन जिन मंदिर प्रवेश दर्शन-पूजन विधि एवं दोष युक्त स्तोत्र इरियावहिया पाठ पर व्याख्या कायोत्सर्ग, उसके आगार चैत्यवंदन के प्रकार अरिहंत और भगवान् शब्द पर विवेचन नमोत्थुर्ण ( शक्रस्तव) पर व्याख्या तीर्थंकर के मुक्त होने के बाद की स्थिति का स्तुतिमूलक वर्णन अरिहंत चेहयाणं के अर्थ चतुर्विंशतिस्तव (लोगस्स) सूत्रपाठ और उस पर विवेचन चौबीस तीर्थंकरों के अन्वयार्थक नाम रखने का तात्पर्य तीर्थंकर और सिद्धोंकी फलापेक्षी स्तुति और उसका अर्थ आगम स्तुति (पुक्खवरीदवडे की स्तुति) आगम की श्रुत चारित्रधर्म की नमस्कारपूर्वक स्तुति सिद्धाणं बुद्धाणं के अर्थ 'सिद्धाणं बुद्धाणं' गाथा पर विवेचन पन्द्रह भेदे सिद्ध स्त्री सिद्धि की सिद्धि सिद्धाणं बुद्धाणं के अर्थ धर्मार्थी साधक द्वारा की जाने वाली प्रार्थना एवं उस पर विवेचन देववंदन के बाद श्रावक की दिनचर्या का वर्णन संध्या का कार्यक्रम, गुरुवंदन विधि वंदन के ३२ दोषों पर विवेचन गुरुवंदन पाठ विधि और विवेचन गुरु वंदन सुत्र के अर्थ २४० २४१ ૨૪૨ २४३ २४४ २४५ २४६ २४८ २४९ २५० २५१ २५२ २५३ २५४ २५६ २५७ २५८ २६० २६७ २६९ २७० २७१ ૨૭૩ ગુજ २७५ २७६ ૨૭ ૨૦૪ ૨૦૧ २८० २८१ ૨૨ ૨૮૨ २८४ २८५ २८६ ૨૮૦

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