Book Title: Yogshastra
Author(s): Jayanandvijay
Publisher: Lehar Kundan Group

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Page 19
________________ १७३ १७८ १७९ १८१ १४९ सुलस के द्वारा कुलपरंपरागत हिंसा का त्याग ११२ हिंसोपदेश व्यक्ति और तथाकथित उपदेश की निंदा ११८ यज्ञ में की गयी पशुहिंसा क्रूरपापफलदायिनी है ११९ हिंसापरक शास्त्रवचनों के नमूने १२० अहिंसा की महिमा । ૧૨૧ हिंसापरक शास्त्रवचनों के नमूने, अहिंसा का फल ૧૨૨ स्थूल असत्य के पांच प्रकार ૧૨૩ असत्य निषेध १२४ असत्य के चार भेद एवं असत्य का फल ૧૨૯ कालिकाचार्य की कथा ૧૨ वसुराजा की कथा ૧૭ वसुराजा का नरक गमन, कौशिक का नरक गमन १३० असत्यवचन से दोष और सत्यवचन की महिमा १३१ अदत्तादान और उससे होने वाले दुष्परिणामों का वर्णन . ૧૩૨ मूलदेव की कथा १३३ मूलदेव की कथा १३४ चोरी से निवृत्त होने का फल १४७ मैथुन सेवन से जीवहिंसा १४८ कामुक स्त्री की दुष्टता दुश्चरित्र स्त्रियों के साथ सहवास से नाना प्रकार की हानियाँ १५० परस्त्री गमन से दोष वैश्यागमन व परस्त्रीगमन के भयंकर दोष रावण की कथा १५३ रामचंद्र का वनवास निर्णय १५५ चंद्रणखा द्वारा रावण को सीता के प्रति आकर्षित करना १५६ रावण द्वारा सीता का हरण और राम से विराध का मिलन १५७ नकली सुग्रीव १५८ नकली असली सुग्रीव में युद्ध, साहसगति की मृत्यु १५९ हनुमान का सीता से मिलना, युद्ध के लिए लंका में प्रवेश १६० अमोघ शक्ति का प्रयोग, लक्ष्मण मूर्छित राम और रावण का युद्ध, रावण की मृत्यु, सुदर्शन की कथा सुदर्शन की कथा शील में दृढ़ सुदर्शन कपिला के कामजाल में नहीं फंसे १६५ अभयारानी द्वारा सुदर्शन को कामजाल में फंसाने का निर्णय १६६ अभया द्वारा सुदर्शन को लाना १६७ अभया द्वारा दोषारोपण वध का आदेश १६८ शूली का सिंहासन, दीक्षा व्यंतरी का उपद्रव एवं केवलज्ञान, मोक्ष १७० ब्रह्मचर्य पालन के लिए उपयोगी हितशिक्षा १७१ परिग्रहत्याग आवश्यक, परिग्रह से दोष परिग्रह परिमाण वर्णन परिग्रह से होने वाले दोष । १७४ सगरचक्री की कथा १७५ सगरचक्रवर्ती की कथा १७६ गौ संग्रही कुचिकर्ण, तीलक सेठ, नंदराजा की कथा १७७ अर्थ लोलुप नंदराजा संतोष की महिमा और बुद्धिमान अभयकुमार अभय कुमार की कथा १८० अभय कुमार की कथा अभयकुमार के बुद्धिबल से चंडप्रद्योत की सेना में फूट १८२ अभय को मायाविनी श्राविका ने चंडप्रद्योत को सौंपा १८३ अभयकुमार की मुक्ति, चंडप्रद्योत को बांधकर लाना १८५ भुनि के प्रति अश्रद्धा निवारण अभय की दीक्षा, संतोष की प्रशंसा १८६ संतोष की महिमा १८७ भोगोपभोगपरिमाणव्रत का लक्षण स्वरूप और प्रकार १९० मद्य से नुकशान १९१ मद्यपान एवं मांस से होने वाले अनर्थ और विडंबना १९२ मांसाहार से होने वाले दोष १९३ मनुस्मृति आदि में मांसत्यागवर्णन और मांसभोजी की दुर्दशा मांस से देवों और पितरों की पूजा करना भी अधर्म है मांसाहार और अल्लाहार में कोई समानता नहीं, मक्खन में दोष मधुमक्षिका द्वारा उच्छिष्ट, हिंसा से उत्पन्न मधु भी त्याज्य है १९७ उदुंबर, अनंतकाय आदि का विवरण १९८ रात्रि भोजन में दोष १९९ रात्रिभोजन से होने वाली हानियाँ २०० रात्रिभोजनत्याग के संबंध में अन्य धर्मशास्त्रों व आयुर्वेदशास्त्र के मत ૨૦૧ रात्रिभोजन का दुष्फल और उसके त्याग सुफल ૨૦૨ रात्रिभोजन एवं द्विदल का विवरण ૨૦૩ त्याज्य सूक्ष्मजीवसंसक्त भोजन एवं चार प्रकार का अनर्थदंड ૨૦૪ आर्तरोद्रध्यान का स्वरूप और पापोपदेशरूप अनर्थदंड २०५ प्रमादाचरण का वर्णन प्रमादाचरणरूप अनर्थदंड का त्याग एवं सामायिकव्रत का लक्षण २०७ १५२ १९४ १९६ १६१ ૨૦૬ xiii

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