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कोरीया सन्यवान भी सत्य साम होता है।
चन्द्र तिथि में चन्द्र स्वर, सूर तिथि बहे सूर। काया में पुष्टि करे, सुख आपत भरपूर ।। २६ ॥ चन्द्र तिथि में आय जो, भानु करत प्रकास । तो क्लेश पीड़ा हुए, किञ्चित वित्त विनास ॥ २७ ॥ सूरज तिथि पड़वा दिने, चले चन्द्र स्वर भोर । पीड़ा कलह नृप भय करे,चित्तचंचल चिहुं ओर ।। २८॥..... दोऊ पक्ष पड़वा दिने, सुखमन स्वर जो होय ।
लाभ हानि सामान्य थी, ते निहचे करि जोय ।। २६ ॥ .. अर्थ-कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा (एकम) के दिन यदि प्रातः काल सूर्य स्वर चले तो वह पक्ष बहुत प्रानन्द से बीतता है-२४
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (एकम) के दिन यदि प्रातःकाल चन्द्र स्वर चले तो वह पक्ष भी बहुत सुख और आनन्द से बीतता है २५ ... ___इसी प्रकार चन्द्र तिथि में चन्द्र स्वर तथा सूर्य तिथि में सूर्य स्वर चले तो काया को स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है, बहुत सुख और आनन्द को देने वाला
यदि चन्द्र की तिथि में सूर्य स्वर चले तो क्लेश और पीड़ा होती है तथा कुछ द्रव्य की भी हानि होती है-२७ ____यदि सूर्य की तिथि में प्रतिपदा आदि को प्रातःकाल चन्द्र स्वर चले तो पीड़ा, कलह, तथा राजा से किसी प्रकार का भय होता है और चित्त में चंचलता उत्पन्न होती है-२८
यदि कदाचित इन दोनों पक्षों में (कृष्ण तथा शुक्ल पक्ष) पड़वा के दिन प्रातःकाल सुखमना स्वर चले तो उस मास में हानि और लाभ समान ही. होते हैं-२६ :
स्वर, लग्न, राशियां तथा मास विचार दोहा-वृश्चिक सिंह वृष कुम्भ, शशि सुर की ए रास।
चन्द्र जोग इनके मिलत, शुभ कारज परकास ॥ ३० ॥ कर्क मकर तुल मेष फुनि, चर राशि ए चार । रवि संगे ए संचरत, चर कारज सुखकार ॥ ३१ ॥
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