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धर्म में श्रद्धा होना परम ।। यदि प्रातःकाल बुधवार को पृथ्वी तत्त्व, सोमवार को जल तत्त्व, शुक्रवार को अग्नि तत्त्व चलता हो तो उसे शुभ फलदायी जानना चाहिए-१९१ , यदि गुरुवार को वायु तत्त्व और शनिवार को आकाश तत्त्व प्रात:काल चलता हो तो जान लेना चाहिए कि शरीर में जो कोई पहले का रोग है वह अवश्य मिट जायेगा-१९२
__ चन्द्र स्वर में कार्य विचार (दोहा)-अपने शशि सुर मांहि अब, करन-जोग जो काम । ..
तस विचार अब कहत हूं, सुखदायक अभिराम ॥१६३।। देवल' श्री जिनराज नो, नवो निपावे कोय । खात महूरत अवसरे, चन्द्र-योग तिहां जोय ।।१६४॥ अमी-स्रवन शशि जोग में, अरुण द्यति थिर होय । करत प्रतिथ्ठा बिम्ब की, अति प्रभाव तस जोय ॥१६५।।
अर्थात् –यदि वायु नाड़ी के दक्षिण की ओर बहती हो और दूत -- के मुख से भयानक वचन निकलें तो वह प्राणी जीवेगा। यदि चन्द्र
स्वर हो तो सम फल होगा। .
प्रश्ने चाधः स्थितो जीवो, नूनं जीवोहि जीवति । ... ऊर्ध्व चारस्थितो जीवो, जीवो याति यमालयम् ॥३२१।।
- (शिव स्वरोदय) अर्थ-यदि प्रश्न के समय दूत अधोभाग में स्थित हो तो वह रोगी निश्चय से जीवे । यदि दूत ऊर्ध्व भाग में स्थिति हो तो जीव की अवश्य मृत्यु हो। विपरीताक्षर प्रश्ने रिक्तायां पृच्छको यदि । विपर्ययं च विज्ञेयं विषमस्योदय सति ॥३२२॥
(शिव स्वरोदय) यदि विषम नाड़ी (सुखमना) का उदय हो और प्रश्न कर्ता रिक्त नाड़ी से ऐसा प्रश्न करे जिसके अक्षर विषम(१,३,५,७,६)हों तो विपरीत फल जानना।
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