________________
J. सिंह के सहश निर्मीक बनो परन्तु उसके समान दूर न बनो। समय एक स्वर चलते-चलते दूसरा स्वर चलने को होता है उस समय पांच सात मिनट तक दोनों स्वर चलने लगते हैं उसी को सुखमना स्वर कहते हैं-२१६
(६) यदि लगातार एक महीने तक बाई (डाबी) नाड़ी विपरीत चले तो महारोग हो।
(ज) समय में परिवर्तन से शुभाशुभ फल :-यदि स्वर के समय में परिवर्तन अर्थात् कमी-बेशी हो तो उससे नीचे लिखे अनुसार शुभाशुभ फल होता है। यह बात विशेष ध्यान में रखनी चाहिए कि समय का परिवर्तन दोनों स्वरों में उत्पन्न होता रहता है।
(क) शुभ फल:-(१) चन्द्रस्वर लगातार चार घड़ी चले तो कोई अंकल्पित उत्तम वस्तु की प्राप्ति हो । (२) यदि लगातार आठ घड़ी चले तो सुख वैभव मिले, (३) चौदह घड़ी लगातार चले तो प्रेम, मैत्री आदि मिले, (४) यदि एक दिन रात लगातार चले तो ऐश्वर्य, मान, वैभव मिले, (५) यदि २ दिन तक आधा-प्राधा पहर दोनों स्वर क्रमशः चले तो यात्रा और सौभाग्य की प्राप्ति हो, (६) यदि दिन को चन्द्र तथा रात्री को सूर्यस्वर लगातार चलते रहें तो १२० वर्ष की आयु हो, (७) यदि ४,८,१२ अथवा २० रात-दिन तक चन्द्रस्वर चलता रहे तो ८० वर्ष से अधिक आयु तथा ऐश्वर्य एवं सुख समृद्धि प्राप्त हो।
(ख) अशुभ फल चन्द्रस्वर :-(१) यदि लगातार दस घड़ी तक चन्द्रस्वर चालू रहे तो देह कष्ट, (२) बारह घड़ी तक चालू रहे तो उद्वेग हो,(३) यदि एक महीना तक लगातार चन्द्रस्वर चालू रहे तो धन का नाश हो। .. . (ग) अशुभ फल सूर्य स्वर :-(१) यदि लगातार चार घड़ी तक सूर्य स्वर चालू रहे तो वस्तु की हानि हो अथवा बिगाड़ हो। (२) यदि दो घड़ी तंक चालू रहे तो सज्जन से द्वेष हो, (३) यदि २१ घड़ी तक चालू रहे तो सज्जन का विनाश हो, (४)६० घड़ी तक यदि लगातार सूर्य स्वर चालू रहे तो आयुष्य क्षीण और यदि बीमार हो तो मृत्यु हो।
(झ) रोग ज्ञान और उनका प्रतिकारः-नासिका का स्वर निश्चित तिथि और समयानुसार न चले तो शरीर में व्याधि उत्पन्न हो। इस विषय में बहुत
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org