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IF सम्यग्दृष्टि जो कुछ करता है वह कर्मोंकी निर्जराके लिए होता है ।
__ हानि लाभ विचारने का भेद हम पहले लिख पाये हैं कि स्वरों के तीन भेद हैं और तिथि वार आदि एक-एक के संग जुदा-जुदा हैं उनको स्पष्ट समझाने के लिये पांच कोठों का यन्त्र लिखा जाता है। पहले कोठे में पद्य नं ० दूसरे कोठे में स्वर, पक्ष, वारादि
पद्यनजर
दि पिंगला के अंतियों सोनम |इंगलाकी संगतियों के नाम सुरसमना के भेद ।
जाम
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१६ से २२ तक
पक्षों तथा तिथियों के नाम
स्वरों पिंगला अथवा सूर्य इडा, इंगला अथवा चन्द्रा ||के दाहिने स्वर का नाम है।नायें स्वर का नाम है। दोनों स्वर चलते नाम इसकी प्रकृति गरम है। इसकी प्रकृषि सौम्म(वैठी हैं।
कृष्ण पक्ष१५दिनों में दिन शुकृपक्ष १५दिनों में है सूर्यके और६दिनचन्द्र के हैं दिन चन्द्रक और ६दिन । जो कि मनुष्य की देह में अपना सूर्य के मनुष्य के शरीर मे अपना काम करते हैं। अपना अपना राज करते सूर्य के दिन मानः १/२/३॥ हैं। ७/८/६/१३/१४/अमावस चन्द्र के दिन: १/२/३/91
चन्द्र के दिनमान - /६/१३/१४/पूर्णमाशी। 10/५/६/१०/११/१२ सूर्यके दिनः ४/५/६)
||१०/११/१२ || २३. नरोके नानमंगल, शनि, रविनार सोम,बुध, गुरु, शुक्रबार
१५,१६/दिशाएं पूर्व, उत्तर पश्चिम, दक्षिण ॥३४६३५ और(तो, पीछे, दाहिने, नीचे / आगे, ऊंचे, वायें ||१० तत्त्वनाम आग्ने, पवन, आकाश पृथ्वी, जल
प्रप्तका विषम अक्षर जैसे- सम अक्षर जैसे
अक्षर १, ३,५,७,८,११,१३,३१, २,४,६,८,१०,१२,२०.२४ से २३ मेग, कर्क, तुला, मकर ष, संत, निक,कुंभ मिथुन कन्माधान मान मन-चलते) समादायें तीन कदम आगे धेरै जॉये चार कदा धेरै । कहीं न जाने
४४से
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