________________
सत्य में धति कर, सत्य में स्थिर हो।
रात दिवस जो तीन दिन, चले तत्त्व आकाश।
बरस दिवस काया स्थिति, तस उपरांत विनाश ॥ ३६१ ॥ अर्थ - (१ ) यदि तीन दिन रात निरन्तर आकाश तत्त्व चलता रहे तो एक वर्ष की आयु जाननी चाहिए-३६१
२६–शनिश्चर पुरुषाकृति द्वारा काल ज्ञान (१) शनिश्चर की पुरुष जैसी आकृति बनाकर निमित्त देखने के अवसर पर जिस नक्षत्र में शनि हो, वह नक्षत्र मुख में लिखें तत्पश्चात् क्रमशः चार नक्षत्र दाहिने हाथ में, दायें-बायें पैरों में क्रमशः तीन-तीन नक्षत्र, बायें हाथ में चार नक्षत्र, पांच नक्षत्र छाती में, तीन नक्षत्र सिर में, दो-दो नक्षत्र दोनों नेत्रों में, एक नक्षत्र गुह्य स्थान (जननेन्द्रिय) में लिखे । इस प्रकार आकृति (चित्र) तैयार करें।
(२) निमित्त देखने के समय स्थापना के अनुक्रम से जन्म नक्षत्र अथवा नाम नक्षत्र यदि गुह्य भाग में आया हो तथा दुष्ट ग्रहों की उस पर दृष्टि पड़ती हो अथवा उसके साथ मिलाप होता हो, वह मनुष्य निरोगी हो अथवा रोगी हो तो भी उसकी मृत्यु हो।
. २७–पृच्छा लग्न के अनुसार काल ज्ञान (१) आयुष्य सम्बन्धी प्रश्न, पूछते समय जो चालू लग्न हो यदि उसका तत्काल अस्त हो जाये तथा क्रूर ग्रह चौथे, सातवें अथवा दसवें हों एवं चन्द्रमा छठा अथवा आठवां हो तो उसकी मृत्यु हो। (२) आयुष्य सम्बन्धी प्रश्न पूछते समय यदि लग्नाधिपति मेषादि राशि में कुज, शुक्रादि हो अथवा चालू लगन का अधिपति ग्रह का अस्त हो गया हो तो मृत्यु हो । (३) प्रश्न करते समय. यदि चन्द्र मा लग्न में हो, बारहवें शनि हो, नवमे मंगल' हो, आठवें सूर्य हो,
और गुरु बलवान न हो तो मृत्यु हो। (४) प्रश्न पूछते समय छठा अथवा तीसरा सूर्य हो और चन्द्रमा दसवें हो तो तीसरे दिन मृत्यु हो। (५) प्रश्न पूछते समय यदि लग्न से पाप ग्रह चौथे अथवा बारहवें हों तो उसकी तीसरे दिन मृत्यु हो। (६) प्रश्न समय चालू लग्न में अथवा पांचमें यदि क्रूर ग्रह हों तो आठ अथवा दस दिनों में मृत्यु हो । (७) प्रश्न समय अथवा वर्ष फल में सातमें
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org