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जा भी तेरा क्रूर कर्म है भाव है, वह सब शान्त हो जाये। माप करते हैं, इस बेचारे को निकम्मा रहने का कब समय मिलेगा ? ऐसा विचार कर उससे कहा कि मैंने तेरी प्रतिज्ञा स्वीकृत की, अब तू अपनी कीमत कह । तब उसने अपनी कीमत कही, मैंने उसके कहने के अनुसार • उसके मालिक को कीमत देकर बन्दर को मोल ले लिया। उसको जो-जो काम बताया, सो वह तत्काल कर लाया, इस रीति से दो चार दिन में काम बताता रहा, जब कि वह हर एक काम को करने लगा, तब मैं उसके काम को देखकर घबराया, कि मैं इससे जिस काम को कहता हूं उसको तत्काल ही कर लाता है । इसको मैं क्या काम बताऊं ? जब मैंने उसके करने के योग्य कोई काम न देखा तब उस बन्दर को दुकान पर छोड़कर घर पर चला आया । जो मैं दुकान पर जाऊं, और 'उसको काम न बताऊं तो वह मुझे खा जायेगा । इस सोच में बैठा हूं, सो हे भगवन् ! उस बन्दर से मुझ को प्राण बचाना कठिन हो गया है।
इस बात को सुनकर गुरु महाराज कहने लगे, कि हे देवानुप्रिय ! वह बन्दर नहीं हैं, किन्तु भूत है, उसको काम करने में अथवा आने जाने में देर नहीं लगती। सो हम अब तुझको उपाय बताते हैं, जिससे तू उससे बच जायेगा, जो तू वह उपाय करेगा तो वह बन्दर तेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। और जो तू न करेगा तो तेरा प्राण उस बन्दर से कदापि न बचेगा।
उपरोक्त वचनों को सुनकर सेठ के मन को धैर्य हुआ और हाथ जोड़कर विनती करने लगा हे भगवन् । कृपा करके शीघ्र ही ऐसा उपाय बताइये, कि जिससे मैं इसके फन्दे से छूटूं । __तब गुरु महाराज कहने लगे, कि हे देवानुप्रिय ! तू अपनी दुकान के आगे एक बांस गड़वा दे, और उस बन्दर के गले में जंजीर डालकर उस बांस में अटका कर उस बन्दर को हुक्म दे, कि तू इस बांस पर चढ़ और उतर, यही तुम्हें काम बताया है, और तेरे लिए कोई काम होगा तो श्रृंखला से जंजीर को खोलकर अपना काम करवा लूंगा । इतना कहकर फिर जंजीर से बांध कर चढ़ना उतरना बता देना। इस उपाय से बन्दर तेरे को नहीं खायेगा, तावेदार बनाही रहेगा । यह दृष्टान्त कहा ।
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