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श्रेष्ठ बन अपने पालन क
ले के उपकारको नहीं भूलते
को सुनकर मूत कहने लगा कि हे विप्र ! तू किसी प्रकार है। मैं तेरे वास्ते पांच हज़ार रुपये का उपाय करता हूं, बन्दर रूप धरता हूं, तेरे साथ चलता हूं, परन्तु तू अपने मुख से मेरी कीमत न • कहना । जो कोई तुझसे पूछे तो कहना कि यह बन्दर अपनी कीमत कह देगा । इतना कहकर वह भूत बन्दर बन गया, और ब्राह्मण के साथ बातें करता हुआ नगर में पहुंचा तब वह ब्राह्मण जहां सेठ साहूकारों की दुकानें थीं, वहां उसको ले गया ।
अब जो कोई साहूकार उस बन्दर की बातें सुनता वही उसको लेने के. लिए तैयार होने लगता । जब यह बन्दर अपनी बात को प्रगट करता, तब उसे सुनकर सब चुप हो जाते और बन्दर को मोल न ले सके थे ।
इस रीति से वह ब्राह्मण घूमता- घूमता एक बड़े सेठ के पास पहुंचा, जो कि उस नगरी में सबसे बड़ा था और जिसकी देश देशान्तरों में जगह-जगह पर दुकानें थीं । उस जगह वह बन्दर नाना प्रकार की अच्छी-अच्छी बातें करने लगा । वह साहूकार उस बन्दर की बातें सुनकर खुश हुग्रा और ब्राह्मण से पूछा कि तुम इसको बेचते हो ? तब ब्राह्मण बोला, कि हां, बेचता हूं। तब सेठ ने कहा कि इसकी कीमत क्या है ? तब ब्राह्मण ने tara दिया कि, कीमत इस बन्दर ही से पूछ लो । तब सेठ ने बंदर को पूछा कि हे बंदर ! तेरी क्या कीमत है ? तब बंदर बोला कि सेठजी पहले मेरे से एक बात की प्रतिज्ञा कर लो तो पीछे मैं अपनी कीमत कहूंगा । तब सेठ बोला कि तू किस बात की प्रतिज्ञा कराना चाहता है ? तब वह बंदर बोला मैं बेकाम नहीं बैठूंगा, निरन्तर काम करता रहूंगा, यदि तुम मुझको काम न बताओगे तो मैं तुम्हारा भक्षण कर लूंगा । पहले इस बात की प्रतिज्ञा करो तो मैं अपनी कीमत आपको बताऊंगा । इस बात को सुनकर सेठ ने विचार किया कि मेरे यहां सैकड़ों हज़ारों आदमी काम करते हैं: तो यह अकेला बिचारा बंदर कितना कार्य करेगा, इसको बैठने को कब फुर्सत मिलेगी ? इतना विचार करके हंसा और कहने लगा, कि हे बंदर ! मैंने
तेरी बात स्वीकार की, अब अपनी कीमत कह दे । तब वह बंदर कहने
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