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१२८] कुछ क्रोधसे, कुछ लोभसे और कुछ अज्ञानसे हिसा किया करते हैं ।
अहोरात दिन चार जो, चले तत्त्व आकाश ।
थिरता तन की जानजो, उत्कृष्टि षट मास ।। ३६२॥ अर्थ-(१२) यदि चार दिन रात तक बराबर आकाश तत्व चलता रहे तो अधिक से अधिक छः महीने की आयु जाननी चाहिए-३६२ धन राशि और मिथुन राशि में जो अशुभ ग्रह आये हों तो व्याधि अथवा मृत्यु हो।
२८-यंत्र द्वारा काल का स्वरूप (१) यंत्र विधि-पहले ॐ कार करना, इस ॐ कार के अन्दर अपना अथवा जिसकी आयु पूछना हो उसका नाम लिखे । यह ॐ कार छः कोण वाले यंत्र में लिखें। इस यंत्र के कोणों में छः "र" कार लिखना। "अं आ इ ई उं ऊं" ये छः स्वर इन कोरणों के पास बाहर लिखना,कोणों के बाहर छः “साथिया" लिखें। साथिये और स्वरों के बीच में अन्तर में छ: "स्वा" लिखना। चारों तरफ "यः" लिखना। "यकार" के ऊपर चारों तरफ वायु के पूर से आवत संलग्न चार रेखाएं करना। ऐसा यंत्र बनाकर उसे पैरों में हृदय में, सिर में सन्धियों में स्थापन करें।
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(२) फिर सूर्योदय समय सूर्य की तरफ पीठ करके पश्चिम दिशा में बैठ . कर अपनी अथवा पर की आयुष्य का निर्णय करने के लिये यदि स्वयं के लिए पूछना हो तो स्वयं अथवा दूसरे के लिए पूछना हो तो उसे बिठला कर उसकी छाया को उसे दिखलावें यदि छाया पूर्ण दिखलाई दे तो एक वर्ष तक मृत्यु नहीं है और रोग रहित सुख में वर्ष व्यतीत करेगा। यदि कान न दिखाई दे तो बारह. वर्षों के अन्त में मृत्यु होगी। यदि हाथ न दिखलाई दे तो दस वर्ष, अंगुलियां न दिखलाई दें तो आठ वर्ष; कन्धे न दिखलाई दें तो सात वर्ष, केश (बाल)
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