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Madhuwajeliteelibraryorg प्रधानता
तस्वकानाम
तत्वका रंग
तत्त्व काबीज
तत्त्वका रस
(स्वाद) तत्त्व की प्रकृति (स्वभाव)
तत्त्वका द्वार
तत्त्वका
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स्वाध्याय से बड़ा तप न है, न होगा ।
अग्नि का आना।
तस्त
बलकरना
दोड़ना
सेमटा
उठता
स्त
बलकाना
ISक तत्त्व में पांच तत्त्व तत्त्वकीचाल का प्रमाण
भगतते हैं तथा उन की प्रकृति तथा
के नुदा उपभेद।। आकार नासिका के भीतर रहता है
सिर में | १० पल| और बाहर नहीं आता। क्लो कड़वेस्थेर दोनोंकान शब्द | रहता मोह मोतिलाल (मिनट)
स्वाद का आकारकोई नहीं।
-चार टेड़ा होकर नासिका से आठ २० पल.
दोनों अंगुलबाहर आता है।। (मिनर)
चर नासिकाएं सूचना आकार- वजासमान।
चाह ऊंचा होकर नासिका से तोसी चार अंगुल बाहर आता है। रौ वस्तु त दोनों नेत्र टैरवना
अंगहाभूख प्यासधालदशा आकार - त्रिकोण विचार
रस्त्य कान्ति
|म नांचे होकर नाप्तिका से ४० ल । सोलर अंगुल बाहर आता है असशीलल लिंग युनाय पेशाबाला पत्र
दिशा आकार-अ चन्द्रजैसा साने नासिका से बाहर
निरर
रखे ना | अंगुल बाहर आता है।
कठिन मुदा दार भोजन में
मांस अयन-याम हाड (२०मिनट आकरसमन्चौरस |
हरता
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शवस्वावध. प-7 पिन
तानस्वरदयापy rat नम्बर संख्या
संरन्या नंबर | नम्बर-ना-
से सम्बन्दिर |१.६ ११० १११ से १२५
R६१,२६२६२ २२२ लोट इस पत्रको देखते बुद्धिमान मनुष्य, प्रत्येक तत्त्व को सहज दो में पधार सका है। उदाहरला स्वरूप देखें कारक बर.५तथा
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शय सतोगुण मिती गुण तमोगुण रजोन स्थिर
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