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शरीर का आदि भी है और अन्त
मास एक ग्रह निसव, सूरज सुर मन मांहि । दो दिनों का जीवना, या में संशय नांहि ।। ३५५ ।। अर्थ-(५) यदि एक मास तक निरन्तर सूर्य स्वर ही चलता रहे तो दो दिन की आयु जाननी चाहिए । (योगशास्त्र हेमचन्द्राचार्य कृत में) एक दिन की श्रायु कही है - ३५५
८ - अन्य उपाय से श्रायुष्य निर्णय
(१) रोहिणी नक्षत्र, (२) चन्द्रमा का लांछन, (३) छाया पुरुष, ( ४ ) अरुंधती ( सप्त ऋषि तारों के समीप दूसरा छोटा तारा), (५) ध्रुव तारा ये पांच अथवा इनमें से एकाद कोई भी देखने में न आवे तो एक वर्ष में मृत्यु हो ।
६ - प्रन्य श्राचार्यों के मत से आयुष्य ज्ञान
(१) श्ररुंधती ( जिह्वा), (२) ध्रुव ( नासा का अग्रभाग), (३) विष्णु पद (तारा - दूसरे के प्रांख की कीकी में देखने से अपनी प्रांख की कीकी दिखलाई दे), (४) तथा मातृमंडल ( भृकुटी ) ये चार आयुष्य क्षय होने वाली हो तो दिखलाईन दें ।
१० - स्वप्न द्वारा मृत्यु ज्ञान
(१) यदि स्वप्न में गिद्ध, कौश्रा तथा निशाचर ( रात को चलने वाले ) प्राणी द्वारा स्वप्न दृष्टा अपने शरीर को भक्षरण करता हुआ देखें, अथवा गधा, ऊंट, सूर आदि प्राणियों पर स्वयं सवारी करे अथवा वे स्वप्न दृष्टा को खेंचते अथवा घसीटते हों तो एक वर्ष के अन्त में मृत्यु हो । ( २ ) रोगी मनुष्य यदि स्वप्न में उल्टी, मूत्र, विष्टा, सोना अथवा चांदी देखे तो नव मास जीवे ।
११ – सूर्य और श्रग्नि से मृत्यु ज्ञान
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यदि सूर्य मंडल को किरणों के बिना तथा अग्नि को किरणों सहित जाग्रत अवस्था में देखे तो वह मनुष्य ११ मास में मृत्यु पावे ।
१२ - पिशाचादि देखने से मृत्यु ज्ञान
यदि किसी स्थान पर वृक्ष के अग्र भाग पर गन्धर्व नगर देखे अथवा प्रेत पिशादि को देखें तो दसवें महीने मृत्यु हो ।
१३ - अकस्मात परिवर्तन से काल ज्ञान
जो मनुष्य अकस्मात् बिना कारण के एकदम मोटा हो जावे, अकस्मात् कृष (दुर्बला) हो जावे, शांत प्रकृति वाला अकस्मात् क्रोधी स्वभाव वाला हो जावे, अकस्मात् भय पाए ( डरे ) तो आठ महीने की आयु शेष समझे ।
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