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सत्य वचन ऐसा बोलना चाहिए जो हितकर एवं प्रिय हो ।
- ( ६ ) यदि निरन्तर सुखमना स्वर पांच घड़ी चले और पांच घड़ी श्वास ठहर जाय, फिर पांच घड़ी सुखमना चले तो तत्काल मृत्यु हों - ३५६ नहीं चन्द सूरज नहीं, सुखमन फुनि नहीं होय ।
मुख सेती स्वासा चलत, चार घड़ी थिति जोय ।। ३५७ ।। १७ - पांच मास में मृत्यु
(१) विषय सेवन ( स्त्री-पुरुष समागम ) करने के बाद शरीर में घंटे के नाद के समान नाद सुनाई दे तो पांच महीनों के अन्त में निश्चय से मृत्यु हो ।
(२) सरठ ( गिरगट - किरला ) वेग ( झड़प ) से सिर पर चढ़कर चला जाए और जाते-जाते यदि शरीर की चेष्टाएं तीन प्रकार की करे तो पांच महीनों के अन्त में मृत्यु हो ।
१८ - चार मास से एक मास के अन्त में मृत्यु
(१) चार मास के अन्त में मृत्यु - यदि नासिका टेढ़ी हो जावे, आंखें गोल हो जावें और कान अपने स्थान से ढीले पड़ जावें तो चार मास में मृत्यु हो
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(२) तीन मास के अन्त में मृत्यु - यदि स्वप्न में काले वर्ण वाला, का परिवार वाला तथा लोहे के दण्ड को धारण करने वाला मनुष्य दिखलाई दे तो तीन मास में मृत्यु हो ।
(३) दो मास के अन्त में मृत्यु – यदि चन्द्र को गरम, सूर्य को ठंडा, ज़मीन और सूर्य मंडल में छिद्र, जीभ काली, चेहरे को लाल कमल के समान देखे, तालु कांपे, मन में शोक हो, शरीर में अनेक प्रकार के वर्ण बदला करें, तथा नाभी से अकस्मात् हिचकी (हेड़की) उत्पन्न हो तो ऐसे लक्षणों वाले की दो मास में मृत्यु हो । (४) एक मास के अन्त में -जीभ स्वाद को न जान सके, मृत्युबोल हुए बार-बार स्खलना हो, कान शब्द न सुनें, नासिका गन्ध न जान सके, निरन्तर नेत्र फरका करें, देखी हुई वस्तु में भी भ्रम हो, रात को इन्द्रधनुष दिखलाई दे, दर्पण में अथवा पानी में अपनी आकृति न दिखलाई दे, बादल बिना की बिजली देखे, बिना कारण सिर जला करे, हंस, कौए अथवा मोर को
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