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त्य का अनुसंधान स्वयं प्रात्मा द्वारा करो।
तत्त्व युगल जो भानु धर, चलत पुत्र पहिछान। .. निशानाथ घर होय तो, कन्या हिरदे पान ॥३०१॥ पूछत पावक तत्त्व में, गर्भ पतन तस होय । जन्मे तो जीवे नहीं, विगत-पुण्य नर सोय ॥३०२॥ प्रश्न प्रभंजन तत्त्व में, करतां छाया होय । अथवा विज्ञ विचारजो, गले गर्भ में सोय ॥३०३॥ पूछत नभ परकास में, गर्भ नपुंसक जान । चलत चन्द कन्या कहो, बांझ भाव चित्त आन ॥३०॥ शून्य युगल सुर मांहि जो, गर्भ प्रश्न करे कोय । ता थी निश्चय करि कहो, कन्या उपजे दोय ॥३०५॥ चन्द्र सूर दोउ चलत, रवि होय बलवान । गर्भवती के गर्भ में, पुत्र युगल पहिचान ॥३०६॥ चन्द्र सूर दोउ चलत, चन्द्र होय बलवान ।
गर्भवती के गर्भ में, सुता युगल पहिचान ॥३०७॥ अर्थ-अब गर्भ के विषय में स्वर विचार द्वारा फल कहते हैं यदि कोई आकर प्रश्न करे तो स्वर का विचार करके उस-उस प्रकार उत्तर देना चाहिये-२६० ___ नपुंसक, पुत्री अथवा पुत्र का जन्म होगा ? गर्भ स्थिर रहेगा अथवा गिर जायेगा ? सन्तान दीर्घायु वाली होगी अथवा अल्पायुवाली होगी ? इन सब बातों का उत्तर स्वरोदय विचार से वर्णन करते हैं-२६१
१. यदि चन्द्र स्वर चलता हो तथा चलते स्वर की तरफ आकर कोई प्रश्न करे कि गर्भवती स्त्री के पुत्र होगा या पुत्री तो कह देना चाहिए कि पुत्री होगी-२६२
२. यदि सूर्य स्वर चलता हो तथा उसी चलते स्वर की तरफ आकर कोई प्रश्न करे कि गर्भवती स्त्री के पुत्र होगा अथवा पुत्री ? तो कह देना चाहिए कि पुत्र होगा-२६३
३. यदि सुखमना स्वर चलता हो उस समय कोई आकर प्रश्न करे कि
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