________________
तपश्चरण तलवार की तार पर चलने की
कलश का चढ़ाना केन्द्र स्वर में सुखकारी है-१९६ पौषधशाला ( उपाश्रय), धर्मशाला, पाठशाला, दानशाला, घर, दुकान, महल, गढ़, किले और कोट का बनवाना, सुदृढ़ घाट बनवाना - १९७
संघ को माला का पहनाना, तीर्थं यात्रा करना, दान करना, दीक्षा देना, मंत्र बतलाना, इन सब में चन्द्र योग ( चन्द्र स्वर ) प्रधान है - १९८
नगर अथवा गांव में प्रवेश करना, नवीन घर में प्रथम प्रवेश करना, नये कपड़ों तथा गहनों को बनवाना तथा खरीदना, नये कपड़ों तथा गहनों को पहनना, देश को अपने अधिकार में लेना ये सब कार्य चन्द्र स्वर में करने चाहिएं - १६६
योगाभ्यास करना, दवाई का बनाना, मित्रता करना, खेती करना, बाग लगाना, राजा आदि बड़े व्यक्तियों से मित्रता करना इत्यादि सर्व कार्य चन्द्र स्वर में करने चाहियें - २००
राजगद्दी पर बैठना या बिठलाना, किले में प्रवेश करना, दुर्ग में आकर प्रवेश करना, ये सब चन्द्र स्वर में करने चाहिये इससे राजा तथा प्रजा सब प्रकार से सुख और आनन्द का उपभोग करते हैं - २०१
राज सिंहासन पर चढ़कर बैठते समय तथा अन्य स्थिर कार्य करते समय— जैसे कि शान्ति कर्म करना, दीर्घ कार्य करना, विवाह करना, स्त्री संग्रह करना, अपने स्वामी के दर्शन करना, व्यापार तथा धन संग्रह करना, नौकरी करना, खेती में बीज बोना, शान्ति तथा स्थिरता के लिए मंत्र साधन करना, जपादि करना, सर्व बांधवों का दर्शन करना, जल छोड़ना तथा बांधना, रस साधन करना, उत्तम कार्य करना, कला सीखना, सेवा करना, चाकरी करना, शहर बसाना, नया स्थान, मकान, दुकान, कारखाना बनाना, इत्यादि । ये सब कार्य चन्द्र स्वर में करने से शुभ फलदायी होते हैं जिससे सदा प्रसन्नता प्राप्त होती
- २०२
मठ बनाना, मन्दिर बनाना, गुफा बनाना, रत्नों और सोने, चांदी आदि के अलंकार बनवाना इत्यादि सब स्थिर कार्यों को जैसे कि - खजाना बनाना, बावड़ी, कुंद्रा, तालाब, नहर आदि खुदवाना, गीतादि का प्रारम्भ करना तथा इनका अभ्यास करना, नृत्य प्रारम्भ करना, लक्ष्मी का स्थापन करना, कष्ट
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org