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* जो यतना रहित है उसके गुण भी दोष बन जाते हैं। जाते हैं । तथा उसे शस्त्र का घाव भी नहीं लगता-८८
"तलवार कमल-पत्र समान, विष अमृत समान हो जाते हैं। दुष्ट तथा हिंसक प्राणी पास में फटकने नहीं पाते । यदि दुष्ट जीव आ भी जा तो मित्र सम बन जाते हैं-८६ ___यदि योगाभ्यास में व्यवहार ध्यान को ध्यावें तो उपर्युक्त सब प्रकार की योग्यताएं प्राप्त होती हैं तथा चक्रवर्ती, इन्द्रादि पदवी को भी प्राप्त कर सकता
निश्चय ध्यान का प्रभाव (चौपाई) निहचे ध्यान लहे जब कोय । ताकुं अवश्य सिद्ध-पद होय ।। ६० ।।
सुख अनन्त विलसे तिहुं काल । तोड़ी अष्ट कर्म की जाल ॥
ऐसा ध्यान धरी नितमेव । चिदानन्द लही गुरुगम भेव ॥ ६१ ॥ अर्थ-जब कोई निश्चय ध्यान करता है तो उसे अवश्य ही मोक्ष की प्राप्ति होती है -- ६०
निश्चय ध्यान से अष्ट कर्मों का नाश करके अनन्त सुख को भूत-भविष्य वर्तमान सदैव तीनों काल अर्थात् अनन्त काल तक प्राप्त करता रहता है। ऐसा ध्यान सदा करते रहने से अपनी आत्मा के शुद्ध स्वरूप को प्राप्त कर लेता है । इस ध्यान के स्वरूप को सदगुरु के पास से जानना चाहिये-६१
ध्यान के भेद (चौपाई) ध्यान चार भगवन्त बतावे । ते मेरे मन अधिके भावे ॥ . रूपस्थ पदस्थ पिंडस्थ कहिजे । रूपातीत साथ शिव लीजे ॥ १२ ॥ .. रहत विकार स्वरूप निहारी । ताकी संगत मनसा धारी ॥
___ निज गुण अंश लहे जब कोई । प्रथम भेद तिन अवसर होई ॥१३॥ _____ अर्थ-श्री वीतराग जिनेश्वर प्रभु ने ध्यान चार प्रकार का बतलाया है ३० - आठ कर्मों के नाम ये हैं
(१) ज्ञानावरणीय, (२) दर्शनावरणीय, (३) वेदनीय, (४) मोहनीय, (५) आयु, (६) नाम, (७) गोत्र, (८) अन्तराय । इन आठ कर्मों का क्षय करने से जीवात्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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