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सिणं देवाणं उक्कोसेणं छ सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । ते णं देवा छण्हं अद्धमासाणं (छहिं अद्धमासेहिं ) आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा णीससंति वा । तेसिणं. देवाणं छहिं वाससहस्सेहिं आहारट्ठे समुप्पज्जइ । संतेगइया भवसिद्धिया जीवा जे छहिं भवग्गहणेहिं सिज्झिस्संति जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥६॥
कठिन शब्दार्थ - बाहिरे - बाह्य, तवोकम्मे तप, ऊणोयरिया - ऊनोदरी, वित्तिसंखेवो - वृत्तिसंक्षेप, रसपरिच्चाओ - रस परित्याग, कायकिलेसो काया क्लेश, संलीणया संलीनता, अब्धिंतरे - आभ्यन्तर, उस्सग्गो - विउस्सग्गो - उत्सर्ग- व्युत्सर्ग, छाउमत्थिया - छद्मस्थ जीवों के, समुग्धाया - समुद्घात, अत्थुग्गहे अर्थावग्रह ।
भावार्थ - लेश्या - जिससे कर्मों का आत्मा के साथ सम्बन्ध हो उसे लेश्या कहते हैं । लेश्या छह कही गई हैं । यथा १. कृष्ण लेश्या - काजल के समान काले वर्ण के पुद्गलों
सम्बन्ध से बना हुआ आत्मा का परिणाम । २. नील लेश्या - अशोक वृक्ष के समान नीले रंग के पुद्गलों के सम्बन्ध से बना हुआ आत्मा का परिणाम । ३. कापोत लेश्या - कबूतर के समान रक्त कृष्ण वर्ण के पुद्गलों के संयोग से होने वाला आत्मा का परिणाम । ४. तेजोलेश्या - तोते की चोंच के समान लाल वर्ण के पुद्गलों के संयोग से होने वाला आत्मा का परिणाम । ५. पद्मलेश्या - हल्दी के समान पीले रंग के पुद्गलों के संयोग से होने वाला परिणाम । ६. शुक्ल लेश्या शंख के समान सफेद रंग के पुद्गलों के सम्बन्ध से होने वाला आत्मा का परिणाम । छह जीव निकाय कही गई है यथा- पृथ्वीकाय, अप्काय, तेउकाय, वायुकाय, वनस्पतिकाय और त्रसकाय । छह प्रकार का बाह्य तप कहा गया है। यथा १. अनशन - आहार का त्याग करना। २. ऊनोदरी जिसका जितना आहार है उससे कम आहार करना। ३. वृत्तिसंक्षेप - अभिग्रह पूर्वक भिक्षा करना । ४. रसपरित्याग - विकार जनक दूध, दही, घी आदि विगयों का तथा गरिष्ठ खान पान का त्याग करना । ५. कायाक्लेशशास्त्र सम्मत रीति से शरीर को क्लेश पहुँचाना। ६. संलीनता - कषायों को पतला करना । छह प्रकार का आभ्यन्तर तप कहा गया है। यथा १. प्रायश्चित्त लगे हुए पापों की शुद्धि करना । २. विनय - अपने से बड़े एवं गुरुजनों का सम्मान करना । ३. वैयावृत्य - अपने से बड़े एवं गुरुजनों की तथा समस्त साधुओं की सेवा शुश्रूषा करना । ४. स्वाध्याय अस्वाध्याय के समय को टाल कर मर्यादा पूर्वक शास्त्रों को पढना पढाना । ५. ध्यान - को एकाग्र रखना । ६. उत्सर्ग व्युत्सर्ग- ममता का त्याग करना । छद्मस्थ जीवों के छह
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चित्त
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समवायांग सूत्र
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