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समवायांग सूत्र wwwwsrememewwerewomemmameranamamimarnewasememewwnewwwwesamawesomeonesameses विद्या, १३. अष्टापद-एक प्रकार का जुआ खेलने की विद्या, १४. पानी और मिट्टी से अनेक वस्तुएं बनाने की विद्या, १५. अन्न विधि-अनाज उत्पन्न करने की कला, १६. पान विधि-पानी उत्पन्न करने तथा पानी को सुधारने की विद्या, १७. वस्त्र विधि-वस्त्र बनाने आदि की कला, १८. शयन विधि - शयन करने की कला, १९. आर्य-आर्य भाषा आदि की विद्या, २०. प्रहेलिका - गूढार्थ वाली कविता बनाने की कला, २१. मगध देश की रचना बनाने की कला, २२. प्राकृत आदि की गाथा बनाने की कला, २३. संस्कृत भाषा के श्लोक आदि बनाने की कला, २४. गंध युक्ति-नया गन्ध बनाने की कला, २५. मधुसिक्थ-मधु आदि बनाने की कला, २६. आभरण विधि - आभूषण बनाने की विद्या, २७. तरुणी प्रतिक्रम - स्त्री को शिक्षण देने की कला, २८. स्त्री लक्षण - स्त्री के लक्षण जानने की कला, २९. पुरुष लक्षणपुरुष के लक्षण जानने की कला, ३०. हय लक्षण-घोड़े के लक्षण जानने की कला, ३१. गज - लक्षण - हाथी के लक्षण जानने की कला, ३२. गोण लक्षण-गाय, बैल के लक्षण जानने की कला, ३३. कुर्कुट लक्षण-मुर्गे के लक्षण जानने की कला, ३४. मिंढ लक्षण-मेंढे के लक्षण । जानने की कला ३५. चक्र लक्षण-चक्र के लक्षण जानने की कला, ३६. छत्र लक्षण - छत्र के लक्षण जानने की कला ३७. दण्ड लक्षण - दण्ड के लक्षण जानने की कला, ३८. असि लक्षण-तलवार के लक्षण जानने की कला, ३९. मणि लक्षण - चन्द्रकान्त आदि मणियों के. लक्षण जानने की कला, ४०. काकिनी लक्षण - काकिनी आदि मणियों के लक्षण जानने की कला, ४१. चर्म लक्षण - चर्म के गुण अवगुण जानने की कला, ४२ चन्द्र लक्षण - चन्द्रमा की गति को जानना, ४३. सूर्य चर्या - सूर्य की गति को जानना, ४४. राहु चर्या - राहु की गति को जानना, ४५. ग्रह चर्या - ग्रहों की गति को जानना, ४६. सौभाग्य के लक्षणों को जानना, ४७. दुर्भाग्य के लक्षणों को जानना ४८. विद्यागत- रोहिणी आदि विद्याओं को जानना ४९. मन्त्रगत - मन्त्र जानना, ५०. रहस्यगत - गुप्त वस्तु को जानने की कला, ५१. सभा में बोलने की कला, ५२. चार-गमन की कला, ५३. प्रतिचार-आगमन की कला, ५४. व्यूह रचना की कला ५५. प्रति व्यूह रचना की कला ५६. स्कन्धावार मान - सेना का परिमाण जानने की कला ५७. नगर मान-नगर की जनसंख्या जानने की कला ५८. वस्तु मान - वस्तु का परिमाण जानने की कला, ५९. स्कन्धावार निवेश - सेना को ठहराने की कला, ६०. वस्तु निवेश - वस्तुओं को रखने की कला, ६१. नगर निवेश - नगर बसाने की कला, ६२. बहुत को थोड़ा बताने की कला, ६३. शस्त्र आदि की कला, ६४. अश्व शिक्षा - घोड़े को शिक्षा
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