Book Title: Samvayang Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 428
________________ चौबीस तीर्थंकरों की शिविकाओं के नाम ४११ चौबीस तीर्थङ्करों के पूर्वभवों के नाम एएसिं चउवीसाए तित्थयराणं चउवीसं पुव्वभवया णामधेया होत्था, तंजहा - पढमेत्थ वइरणाभे, विमले तह विमलवाहणे चेव । तत्तो य धम्मसीहे, सुमित्त तह धम्ममित्ते य॥ ११॥ सुंदरबाहु तह दीहबाहु, जुगबाहु लट्ठबाहु य। दिण्णे य इंददत्ते, सुंदर माहिंदरे चेव ॥ १२॥ सीहरहे मेहरहे रुप्पी य, सुंदसणे य बोद्धव्वे । तत्तो य णंदणे खलु, सीहगिरी चेव वीसइमे ॥१३॥ अदीणसत्तू संखे, सुदंसणे णंदणे य बोद्धव्वे । ओसप्पिणीए एए, तित्थयराणं तु पुव्वभवा ॥१४॥ कठिन शब्दार्थ - पुव्वभवया - पूर्वभव के। . भावार्थ - इन चौबीस तीर्थङ्करों के पूर्वभव के चौबीस नाम थे, वे इस प्रकार थे - . १. पहला नाम वज्रनाभ, २. विमल, ३. विमलवाहन, ४. धर्मसिंह, ५. सुमित्र, ६. धर्ममित्र, ७. सुन्दरबाहु, ८. दीर्घबाहु, ९. युगबाहु, १०. लष्टबाहु, ११. दिण्ण-दत्त, १२. इन्द्रदत्त, १३. सुन्दर, १४. महेन्द्र, १५. सिंहरथ, १६. मेघरथ, १७. रुक्मी, १८. सुदर्शन, १९. नन्दन, २०. सिंहगिरि, २१. अदीनशत्रु, २२. शंख, २३. सुदर्शन, २४. नन्दन । इस अवसर्पिणी काल के तीर्थङ्करों के ये पूर्वभव के नाम थे ।। १४॥ चौबीस तीर्थङ्कों की शिविकाओं (पालकियों) के नाम एएसिंचउवीसाए तित्थयराणं चउव्वीसं सीयाओ होत्था, तंजहा - सीया सुदंसणा सुप्पभा य सिद्धत्थ सुप्पसिद्धा य। विजया य वेजयंती, जयंती अपराजिया चेव ॥१५॥ अरुणप्पभ चंदप्पभ, सूरप्पभ, अग्गि सप्पभा चेव । विमलाय पंचवण्णा, सागरदत्ता यणागदत्ताय।।१६॥ अभयकरा णिव्वुइकरा, मणोरमा तह मणोहरा चेव । देवकुरूत्तरकुरा विसाल चंदप्पभा सीया।। १७॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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