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तीर्थंकर पद
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सुजसा सुव्वया अइरा, सिरीया देवी पभावई पउमा ।
वप्पा सिवा य वामा, तिसला देवी य जिणमाया॥ १०॥ - जंबूहीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थयरा होत्था, तंजहा- उसभ, अजिय, संभव, अभिणंदण, सुमइ, पउमप्पह, सुपास, चंदप्पभ, सुविहि पुष्फदंत, सीयल, सिज्जंस, वासुपुज्ज, विमल, अणंत, धम्म, संति, कुंथु, अर, मल्लि, मुणिसुव्वय णमि मि पास वड्डमाणो य।
कठिन शब्दार्थ - पियरो - पिता, मायरो - माता, उदितोदिय - उदितोदित-उन्नत और उन्नत, कुलवंसा विसुद्दवंसा - विशुद्ध कुल में उत्पन्न, गुणेहिं उववेया - गुणों से उपपेत (युक्त), तित्थप्पवत्तयाणं - तीर्थ को प्रवर्ताने वाले, जिणवराणं - जिनवरों केतीर्थङ्करों के।
भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में चौबीस तीर्थंकरों के पिता हुए थे उनके नाम इस प्रकार हैं - १. नाभि, २. जितशत्रु, ३. जितारि, ४. संवर, ५. मेघ, ६. धर, ७. प्रतिष्ठ, ८. महासेन, ९. सुग्रीव, १०. दृढरथ, ११. विष्णु, १२. वसुपूज्य, १३: कृतवर्मा, १४. सिंहसेन, १५. भानु, १६. विश्वसेन, १७. शूर, १८. सुदर्शन, १९. कुम्भ, २०. सुमित्र, २१. विजय, २२. समुद्रविजय, २३. अश्वसेन, २४. सिद्धार्थ । उन्नत और विशुद्ध कुल में उत्पन्न राजा के गुणों से युक्त ये उपरोक्त चौबीस तीर्थ को प्रवर्ताने वाले तीर्थङ्करों के पिता थे। .
इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में चौबीस तीर्थङ्करों की माताएं हुई थीं उनके नाम इस प्रकार हैं - १. मरुदेवी, २. विजया, ३. सेना, ४. सिद्धार्था, ५. मङ्गला, ६. सुसीमा, ७. पृथ्वी, ८. लक्षणा (लक्ष्मणा), ९. रामा, १०. नन्दा, ११. विष्णु, १२. जया, १३. श्यामा, १४. सुयशा, १५. सुव्रता, १६. अचिरा, १७. श्री, १८. देवी, १९. प्रभावती, २०. पद्मावती, २१. वप्रा, २२. शिवा, २३. वामा, २४ त्रिशला देवी । ये तीर्थङ्कर भगवान् की माताएं हुई हैं।
- इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में इस अवसर्पिणी काल में चौबीस तीर्थङ्कर हुए थे । उनके नाम इस प्रकार हैं - १. ऋषभ, २. अजितनाथ, ३. संभवनाथ, ४. अभिनन्दन, ५. सुमतिनाथ, ६. पद्मप्रभ, ७. सुपार्श्वनाथ, ८. चन्द्रप्रभ, ९. सुविधिनाथ दूसरा नाम पुष्पदंत, १०. शीतलनाथ, ११. श्रेयांसनाथ, १२. वासुपूज्य, १३. विमलनाथ, १४. अनन्तनाथ, १५. धर्मनाथ, १६. शान्तिनाथ,
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