Book Title: Samvayang Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 432
________________ चौबीस तीर्थंकरों के प्रथम भिक्षादाताओं के नाम ४१५ उत्तर - समवायाङ्ग सूत्र में जो चौतीस अतिशय बतलाए गये हैं, वे मोटे रूप से गिनती करके बतला दिये गये हैं किन्तु निशीथ चूर्णि ग्रन्थ के सतरहवें उद्देशक में बतलाया गया है कि - जिस प्रकार तीर्थङ्कर भगवन्तों के शरीर के बाह्य चिह्न (लक्षण) १००८ बतलाए गये हैं। उसी प्रकार उनके आन्तरिक लक्षण रूप अतिशय अनन्त बतलाए गये हैं। इसी कारण कितनेक आचार्यों की यह भी मान्यता है कि - तीर्थङ्कर भगवान् छद्मस्थों को वस्त्र सहित ही दिखाई देते हैं। यह अतिशय - "पच्छन्ने आहार-नीहारे अदिस्से मंसचक्खुणा ।" इस चौथे अतिशय के अन्तर्गत जाता है। अतः तीर्थङ्करों के लिये कि - वे छद्मस्थों के लिए वस्त्र सहित ही दिखाई देते हैं। यह मान्यता आगमानुकूल ही प्रतीत होती है। चौबीस तीर्थङ्करों के प्रथम भिक्षादाताओं के नाम एएसिं चउव्वीसाए तित्थयराणं चउव्वीसं पढम भिक्खादायारो होत्था, तंजहा - सिज्जंस बंभदत्ते, सुरिंददत्ते य इंददत्ते य। पउमे य सोमदेवे, माहिंदे तह सोमदत्ते य॥ २७॥ पुस्से पूणव्वसू पुण्णणंद, सुणंदे जये य विजए य। तत्तो य धम्मसीहे, सुमित्त तह वग्गसीहे य॥ २८॥ अपराजिय विस्ससेणे, वीसइमे होइ उसभसेणे य। दिण्णे वरदत्ते धणे, बहुले य आणुपुव्वीए ॥ २९॥ एए विसुद्ध लेस्सा, जिणवरभत्तीइ पंजलिउडा उ । तं कालं तं समयं, पडिलाभेइ जिणवरिंदे ॥ ३०॥ संवच्छरेण भिक्खा, लद्धा उसभेण लोगणाहेण । सेसेहिं बीयदिवसे, लद्धाओ पढम भिक्खाओ ।।३१॥ उसभस्स पढम भिक्खा, खोयरसो आसी लोगणाहस्स । सेसाणं परमण्णं, अमियरस रसोवमं आसी ॥ ३२॥ सव्वेसि पि जिणाणं, जहियं लद्धाउ पढम भिक्खाउ । तहियं वसुधाराओ, सरीरमेत्तीओ वुढाओं ॥ ३३॥ कठिन शब्दार्थ - पढम भिक्खादायारो - प्रथम भिक्षा देने वाले, जिणवर भत्तीइ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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