________________
बलदेव और वासुदेवों के पूर्वभवों के नाम...........
४३७
णंदे य णंदमित्ते, दीहबाहू तहा महाबाहू । अइबले महाबले, बलभद्दे य सत्तमे ।। ८७॥ दुविट्ठ य तिविट्ठ य, आगमिस्साण वण्हिणो । जयंते विजए भद्दे, सुप्पभे य सुदंसणे ।
आणंदे णंदणे पउमे, संकरिसणे य अपच्छिमे ।।८८॥ भावार्थ - इस जम्बूद्वीप के भरत क्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी काल में बलदेव वासुदेवों के नौ पिता होंगे, वासुदेवों की नौ माताएं होंगी, बलदेवों की नौ माताएं होंगी, नौ दशार्ह मण्डल होंगे अर्थात् बलदेवों वासुदेवों की युगल जोड़ी होंगी, उनके गुणों का वर्णन इस प्रकार हैं - त्रेसठ श्लाघ्य पुरुषों में गिनती होने से ये उत्तम पुरुष हैं, त्रेसठ श्लाघ्य पुरुषों में इनकी गिनती मध्य में - बीच में आती है इसलिए मध्यमपुरुष हैं अथवा बल की अपेक्षा ये तीर्थङ्कर चक्रवर्तियों से हीन - नीने होते हैं और प्रतिवासुदेवों से बल में अधिक होते हैं, इस प्रकार बल की अपेक्षा दोनों के बीच में होने से ये मध्यम पुरुष हैं। अपने समय में ये बल में सब से अधिक होते हैं, इसलिए ये प्रधान पुरुष कहलाते हैं ! ये मानसिक बल से युक्त होने से ओजस्वी हैं, दीप्त शरीर होने से तेजस्वी हैं, इस प्रकार जो वर्णन पहले कहा है वह सारा यहां भी कह देना चाहिए । यावत् बलदेव नीले रंग के रेशमी वस्त्र पहनते हैं और वासुदेव पीले रंग के रेशमी वस्त्र पहनते हैं, ऐसे वे दो दो बलदेव और वासुदेव भाई भाई होंगे, यथा -- उनके नाम - १. नन्दन, २. नन्दमित्र, ३. दीर्घबाहु, ४. महाबाहु, ५. अतिबल, ६. महाबल, ७. बलभद्र, ८. द्विपृष्ठ ९. त्रिपृष्ठ, ये आगामी उत्सर्पिणी के वासुदेवों के नाम होंगे। - अब बलदेवों के नाम कहे जाते हैं - १. जयन्त, २. विजय, ३. भद्र, ४. सुप्रभ, ५. सुदर्शन, ६. आनन्द, ७. नन्दन, ८. पद्म, ९. संकर्षण । ये आगामी उत्सर्पिणी के बलदेवों - के नाम हैं।। ८७-८८॥ ... बलदेव और वासुदेवों के पूर्वभवों के नाम
तथा निदान भूमि कारण आदि एएसिं णं णवण्हं बलदेव वासुदेवाणं पुव्वभविया णव णामधेज्जा भविस्संति, णव धम्मायरिया भविस्संति, णव णियाणभूमीओ भविस्संति, णव णियाणकारणा भविस्संति, णव पडिसत्तू भविस्संति, तंजहा -
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org