Book Title: Samvayang Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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आगामी चौबीस तीर्थंकरों के पूर्व भवों के नाम
४३५
१४. निष्पुलाक, १५. निर्मम, १६. चित्रगुप्त, १७. समाधि, १८. संवर, १९. यशोधर, २०. अनिर्वर्तिक, २१. विजय, २२. विमल, २३. देवोपपात २४. अनन्तविजय। ये धर्मतीर्थ की स्थापना करने वाले, धर्मोपदेशक चौबीस तीर्थङ्कर इस भरतक्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी काल में होवेंगे।। ७६-८०॥
आगामी चौबीस तीर्थङ्करों के पूर्व भवों के नाम
एएसिं णं चउव्वीसाए तित्थयराणं पुव्वभविया चउव्वीसं णामधेजा होत्था, तंजहा -
सेणिय सुपास उदए पोट्टिल्ल अणगार तह दढाऊ य। कत्तिय संखे य तहा णंद सुगंदे य सत्तए य॥ ८१॥ . बोद्धव्वा देवई य सच्चई तह वासुदेव बलदेवे । रोहिणीं सुलसा चेव, तत्तो खलु रेवई चेव ।। ८२॥ तत्तो हवइ सयाली, बोद्धव्वे खलु तहा मयाली य। दीवायणे य कण्हे, तत्तो खलु णारए चेव ॥ ८॥ अंबड दारुमडे य साई, बुद्धे य होइ बोद्धव्वे ।
भावी तित्थयराणं, णामाई पुव्वभवियाइं ॥ ८४॥ भावार्थ - इन चौबीस तीर्थङ्करों के पूर्वभव के चौबीस नाम थे, यथा - १. श्रेणिक, २. सुपार्श्व, ३. उदय, ४. पोटिल्ल, ५. दृढायु, ६. कार्तिक, ७. शंख, ८. नन्द, ९. सुनन्द, १०. शतक, ११. देवकी, १२. सत्यकी, १३. वासुदेव अर्थात् कृष्ण वासुदेव १४. बलदेव, १५. रोहिणी, १६. सुलसा, १७. रेवती, १८. शताली, १९. मयाली (भयाली), २०. द्वीपायन, २१. कृष्ण, २२. नारद, २३. दारुमृत अंबड २४. स्वाति बुद्ध। ये भावी तीर्थङ्करों के पूर्वभव के नाम थे ।। ८१-८४॥ आगामी चौबीस तीर्थंकरों के माता पिता आदि के नाम
एएसिंणं चउव्वीसाए तित्थयराणं चउव्वीसं पियरो भविस्संति, चउव्वीसं मायरो भविस्संति, चउव्वीसं पढमसीसा भविस्संति, चउव्वीसं पढम सिस्सणीओ भविस्संति, चउव्वीसं पढमभिक्खा दायगा भविस्संति, चउव्वीसं चेइय रुक्खा भविस्संति। .. भावार्थ - इन चौबीस तीर्थङ्करों के चौबीस पिता होंगे, चौबीस माताएं होंगी, चौबीस
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