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प्रतिवासुदेवों के नाम
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निदानों के कारण एएसिं णवण्हं वासुदेवाणं णव णियाण कारणा होत्था, तंजहा -
गावी जुए संगामे, तह इत्थी पराइओ रंगे।
भज्जाणुराग गोट्ठी, परइड्डि माउया इय।। ६४॥ भावार्थ - इन नौ वासुदेवों के नियाणा करने के नौ कारण थे, उनके नाम इस प्रकार थे - १. गाय, २. यूपस्तम्भ, ३. संग्राम, ४. स्त्रीपराजय, ५. रङ्ग, ६. भार्यानुराग, ७. गोष्ठी, ८. पर ऋद्धि, ९. मातृपराभव ।। ६४॥
प्रतिवासुदेवों के नाम एएसिं णवण्हं वासुदेवाणं णव पडिसत्तू होत्था, तंजहा -
अस्सग्गीवे तारए मेरए, महुके ढवे णिसुभे य।
बलि पहराए तह रावणे य णवमे जरासंधे ॥६५॥ .. एए खलु पडिसत्तू, कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं ।
सव्वे वि चक्कजोही, सव्वे विहया सचक्केहिं ॥६६॥ एक्को य सत्तमीए, पंच य छट्ठीए पंचमी एक्को । एक्को य चउत्थीए, कण्हो पुण तच्च पुढवीए ॥६७॥ अणियाणकडा रामा, सव्वे विय केसवाणियाणकडा। उड़ गामी रामा, केसवा सव्वे अहोगामी ॥ ६८॥ अटुंतकडा रामा एगो पुण बंभलोय कप्पम्मि ।
एक्कस्स गब्भवसही, सिज्झिस्सइआगमिस्सेणं ॥१९॥ कठिन शब्दार्थ - पडिसत्तू - प्रतिशत्रु अर्थात् प्रतिवासुदेव, चक्कजोही - चक्र से युद्ध करने वाले, सचक्केहिं - अपने ही चक्र से, हया - मारे गये थे, अणियाणकडा - अनिदान कृत, रामा - राम अर्थात् बलदेव, केसवा - केशव अर्थात् वासुदेव, उड्डगामी - ऊर्ध्वगामी, अहोगामी - अधोगामी ।
. भावार्थ - इन नौ वासुदेवों के नौ प्रतिशत्रु अर्थात् प्रतिवासुदेव हुए थे, उनके नाम इस प्रकार थे - १. अश्वग्रीव, २. तारक, ३. मेरक, ४. मधुकैटभ, ५. निःशुम्भ, ६. बली, ७. प्रह्लाद, ८. रावण और ९. जरासन्ध । कीर्तिवन्त वासुदेवों के ये उपरोक्त नौ प्रतिशत्रु
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