Book Title: Samvayang Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 425
________________ ४०८. समवायांग सूत्र - प्रकार के कुलकरों को गिनकर पन्द्रह की संख्या बतलाई है। टीका में दस का उल्लेख किया . है वे नियुक्त किये हुए कुलकरों की संख्या समझनी चाहिए। उनमें से भी तीन कुलकरों का समावेश दूसरे कुलकरों में कर देने से स्थानाङ्ग आदि में विमलवाहन आदि सात की संख्या बतलाई गई है। इस प्रकार अपेक्षा विशेष से संख्या में भेद है किन्तु विसंगति अथवा सिद्धान्त विरोध नहीं है। सिद्धान्त तो एक ही है। आगामी उत्सर्पिणी काल में दस कुलकर होंगे उनके नाम इस प्रकार हैं - .. १. सीमंकर २. सीमंधर ३. क्षेमंकर ४. क्षेमंधर ५. विमलवाहन ६. संमुचि ७. प्रतिश्रुत . ८. दृढधनुः ९. दशधनुः और १०. शतधनुः। ० शतधनः। तीर्थंकर पद तीर्थङ्कर के माता-पिता आदि सम्बन्धी वर्णन जंबूहीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थयराणं पियरो होत्था, तंजहा - णाभी य जियसत्तू य, जियारी संवरे इय। मेहे धरे पइटे य, महसेणे य खत्तिए ॥ ५॥ सुग्गीवे दढरहे विण्हू, वसुपुज्जे य खत्तिए । कयवम्मा सीहसेणे, भाणू विस्ससेणे य॥६॥ सूरे सुदंसणे कुंभे, सुमित्त विजए समुहविजए य। राया य आससेणे य, सिद्धत्थेच्चिय खत्तिए ॥ ७॥ उदितोदिय कुलवंसा, विसुद्धवंसा गुणेहिं उववेया। तित्थप्पवत्तयाणं एए, पियरो जिणवराणं ॥ ८॥ जंबूहीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए चउवीसं तित्थयराणं मायरो होत्था, तंजहा - मरुदेवी विजया सेणा, सिद्धत्था मंगला सुसीमा य। पुहवी लक्खणा रामा णंदा, विण्हू जया सामा ॥९॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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