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बारह अंग सू
में मुनि शब्द से कहे जाने वाले शुक परिव्राजक आदि जन्म जरा मृत्यु का नाश करने वाले इस जिनशासन में स्थित हो गये और संयम का आराधन करके देवलोक में उत्पन्न हुए और देवलोक से चव कर मनुष्य भव में आकर सब दुःखों से रहित होकर शाश्वत मोक्ष को प्राप्त करेंगे। ये भाव और इसी प्रकार के दूसरे बहुत से भाव बहुत विस्तार के साथ और कहीं कहीं कोई भाव संक्षेप से कहे गये हैं ।
ज्ञाताधर्मकथा सूत्र में परित्ता वाचना है, संख्याता अनुयोगद्वार हैं यावत् संख्याता संग्रहणी गाथाएं हैं। अंगों की अपेक्षा यह छठा अङ्ग है । इसके दो श्रुतस्कन्ध हैं, उन्नीस अध्ययन हैं, वे संक्षेप से दो प्रकार के कहे गये हैं चारित्र रूप और कल्पित । धर्मकथा नामक दूसरे श्रुतस्कन्ध में दस वर्ग हैं। प्रत्येक धर्मकथा में पांच सौ पांच सौ आख्यायिका | प्रत्येक आख्यायिका में पांच सौ पांच सौ उपाख्यायिका हैं। प्रत्येक उपाख्यायिका में पांच सौ पांच सौ आख्यायिका उपाख्यायिका हैं। इस प्रकार इन सब को मिला कर परस्पर गुणन करने से साढ़े तीन करोड़ आख्यायिका कथाएं होती हैं ऐसा श्रमण भगवान् महावीर स्वामी ने फरमाया है । ज्ञाताधर्मकथा सूत्र में २९ उद्देशे हैं, २९ समुद्देशे हैं, संख्याता हजार यानी ५७६००० पद कहे गये हैं। संख्याता अक्षर हैं यावत् चरणसत्तरि करणसत्तरि की प्ररूपणा से कथन किया गया है। यह ज्ञाताधर्मकथासूत्र का संक्षिप्त विषय वर्णन है ॥ ६ ॥
विवेचन - ज्ञाताधर्मकथाङ्ग सूत्र में दो श्रुतस्कन्ध हैं। पहले श्रुतस्कन्ध के उन्नीस अध्ययन हैं। उनको ज्ञात अध्यन कहते हैं । इनमें से दस अध्ययन ज्ञात (उदाहरण) रूप हैं । अतः इनमें आख्याइका (कथा के अन्तर्गत कथा) सम्भव नहीं है। बाकी के नौ अध्ययनों में से प्रत्येक में ५४० - ५४० आख्याइकाएँ हैं । इनमें भी एक एक आख्याइका में ५००-५०० उपाख्याइकाएँ हैं। इन उपाख्याइकाओं में भी एक एक उपाख्याइका में ५००-५०० आख्याइकाउपाख्याइका हैं। इस प्रकार इनकी कुल संख्या एक अरब इक्कीस करोड़ और पचास लाख ( १२१५००००००) इतनी हो जाती है। जैसा कि गाथा में कहा है एगवीसंकोडिसयं, लक्खापण्णासमेव बोद्धव्वा । एवं ठिए समाणे, अहिगयसुत्तस्स पत्थारा ॥
एकविंशं कोटिशतं लक्षाः पञ्चाशदेव बोद्धव्याः ।
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एवं स्थिते सति अधिकृत सूत्रस्य प्रस्तारः ॥
इस प्रकार नौ अध्ययनों का विस्तार कहे जाने पर अधिकृत इस सूत्र का विस्तार वर्णित हो जाता है। यद्यपि 'ज्ञात' इस स्वरूप वाले नौ अध्ययनों की आख्याइका आदि की संख्या
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