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बारह अंग सूत्र
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पुव्वस्स तेरस वत्थू पण्णत्ता । किरियाविसालस्स णं पुव्वस्स तीसं वत्थू पण्णत्ता। लोगबिंदुसारस्स णं पुव्वस्स पणवीसं वत्थू पण्णत्ता।
दस चोइस अट्ठारसे व, बारस दुवे य वत्थूणि। सोलस तीसा बीसा, पण्णरस अणुप्पवायम्मि ।।१॥ बारस एक्कारसमे, बारसमे तेरसमे वत्थूणि । तीसा पुण तेरसमे, चउद्दसमे पण्णवीसाओ ॥२॥ चत्तारि दुवालस, अट्ठ चेव दस चेव चूलवत्थूणि ।
आइल्लाण चउण्हं, सेसाणं चूलिया णत्थि ।।३॥ से तं पुव्वगयं । ' कठिन शब्दार्थ - वत्थू - वस्तु (अध्ययन)। - भावार्थ - १. उत्पाद पूर्व में दस वस्तु - अध्ययन और चार चूलिका वस्तु - अवान्तर अध्ययन कहे गये हैं। २. अग्रायणीय पूर्व में चौदह वस्तु और बारह चूलिका वस्तु कही गई है। ३. वीर्यप्रवाद पूर्व में आठ वस्तु और आठ चूलिका वस्तु कही गई है। ४. अस्तिनास्ति प्रवाद पूर्व में अठारह वस्तु और दस चूलिका वस्तु कही गई है। ५. सत्यप्रवाद पूर्व में दो वस्तु कही गई हैं। ६. ज्ञान प्रवाद पूर्व में बारह वस्तु कही गई है। ७. आत्मप्रवाद पूर्व में सोलह वस्तु कही गई है। कर्म प्रवाद पूर्व में तीस वस्तु कही गई है। ९. प्रत्याख्यान पूर्व में बीस वस्तु कही गई है। १०. विद्यानुप्रवाद पूर्व में पन्द्रह वस्तु कही गई है। ११. अवन्ध्यपूर्व में बारह वस्तु कही गई है। १२. प्राणायु पूर्व में तेरह वस्तु कही गई है। १३. क्रिया विशाल पूर्व में तीस वस्तु कही गई है। १४. लोक बिन्दुसार पूर्व में पच्चीस वस्तु कही गई है।
_ वस्तु और चूलिका वस्तु की संख्या बताने के लिए मूल में तीन संग्रहणी गाथाएं दी गई हैं। जिनका अर्थ इस प्रकार है - १. पहले पूर्व में दस, २. दूसरे में चौदह ३. तीसरे में आठ ४. चौथे में अठारह ५. पांचवें में बारह ६. छठे में दो ७. सातवें में सोलह ८. आठवें में तीस ९. नवमें में बीस १०. दसवें विद्यानुप्रवाद पूर्व में पन्द्रह ११. ग्यारहवें में बारह १२. बारहवें में तेरह १३. तेरहवें में तीस और १४. चौदहवें में पच्चीस वस्तु कही गई है और १. पहले में चार २. दूसरे में बारह ३. तीसरे में आठ और ४. चौथे में दस चूलिकावस्तु कही गई है। पहले के चार पूर्वो में चूलिकावस्तु हैं, शेष दस पूर्त में चूलिका वस्तु नहीं है ॥ १-३॥ यह पूर्वगत का वर्णन हुआ।
विवेचन - जिस प्रकार उत्तराध्ययन और भगवती आदि सूत्रों में अध्ययन, शतक आदि
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