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आहारक शरीर
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भवधारणीय अवगाहना ७ हाथ, तीसरे और चौथे में ६ हाथ, पांचवें और छठे में ५ हाथ, सातवें और आठवें में ४ हाथ, नववें, दसवें, ग्यारहवें, बारहवें में ३ हाथ, नव ग्रैवेयक में २ हाथ और पांच अनुत्तर विमान में एक हाथ की अवगाहना है। इस तरह सनत्कुमार देवलोक से लेकर अनुत्तर विमानों तक के देवों की भवधारणीय शरीर अवगाहना एक एक हाथ कम होती जाती है।
विवेचन - वैक्रिय शरीर - जिस शरीर से विविध अथवा विशिष्ट प्रकार की क्रियाएं होती हैं वह वैक्रिय शरीर कहलाता है। जैसे एक रूप होकर अनेक रूप धारण करना, अनेक रूप होकर एक रूप धारण करना, छोटे शरीर से बड़ा शरीर बनाना और बड़े से छोटा बनाना, * पृथ्वी और आकाश पर चलने योग्य शरीर धारण करना, दृश्य, अदृश्य रूप बनाना आदि ।
वैक्रिय शरीर दो प्रकार का है - १. औपपातिक वैक्रिय शरीर २. लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर । जन्म से ही जो वैक्रिय शरीर मिलता है, वह औपपातिक वैक्रिय शरीर हैं। देवता और नरक के नैरयिक जन्म से हो वैक्रिय शरीरधारी होते हैं। लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर तप आदि द्वारा प्राप्त लब्धि विशेष से प्राप्त होने वाला वैक्रिय शरीर लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर है। मनुष्य और तिर्यञ्च में लब्धि प्रत्यय वैक्रिय शरीर होता है।
आहारक शरीर आहारय सरीरे णं भंते! कइविहे पण्णत्ते? गोयमा! एगाकारे पण्णत्ते । जइ एगाकारे पण्णत्ते किं मणुस्स आहारय सरीरे, अमणुस्स आहारय सरीरे ? गोयमा! मणुस्स आहारय सरीरे, णो अमणुस्स आहारय सरीरे । एवं जइ मणुस्स आहारय सरीरे, किं गब्भवक्कतिय मणुस्स आहारय सरीरे, सम्मुच्छिम मणुस्स आहारय सरीरे ? गोयमा! गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारयसरीरे णो सम्मुच्छिम मणुस्स आहारय सरीरे। जइ गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे, किं कम्मभूमिय गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे, अकम्मभूमिय गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे ? गोयमा! कम्मभूमिय गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे, णो कम्मभूमिय गब्भवक्तकंतिय मणुस्स आहारय सरीरे। जइ कम्मभूमिय गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे, किं संखेज वासाउय कम्मभूमिय गंब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे असंखेज्जवासाउय कम्मभूमिय गब्भवक्कंतिय मणुस्स आहारय सरीरे ? गोयमा! संखेज्जवासाउय कम्मभूमिय गब्भवक्कंतियमणुस्स आहारय सरीरे, णो
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